शनिवार, 15 दिसंबर 2012

24 दिसम्बर 2012 को पत्रकार मेघवंशी कोटा में होंगे सम्मानित

भीलवाड़ा - भारतीय दलित साहित्य अकादमी की ओर से भीलवाड़ा के पत्रकार भंवर मेघवंशी एवं कवि राजकुमार बादल को 24 दिसम्बर 2012 को ‘‘डॅा. अम्बेडकर सेवा’’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

भारतीय दलित साहित्य अकादमी की ओर से कोटा के दशहरा मैदान स्थित विजयश्री रंगमंच पर 24 दिसम्बर 2012 को दलितों की ‘‘दशा एवं दिशा’’ पर राष्ट्रीय अधिवेशन, सेमीनार एवं प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस सेमीनार के साथ दलित वर्ग की कई प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया जाएगा। जिनमें दलित पत्रकार, लेखक, साहित्यकार तथा कवियों को सम्मानित किया जाएगा।

अधिवेशन के प्रांतीय संयोजक नन्दलाल केसरी ने बताया कि भीलवाड़ा के पत्रकार भंवर मेघवंशी सहित 6 पत्रकारों, भीलवाड़ा के कवि राजकुमार बादल सहित राज्य भर के 39 कवियों तथा राज्य के 12 दलित लेखकों व साहित्यकारों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।

केसरी ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभाओं को षहीद राजाराम मेघवाल, बून्दा मीणा, कोटिया भील, महर्शि नवल, विरांगना काली बाई, झलकारी बाई एवं डॅा.. अम्बेडकर सेवा सम्मान से नवाजा जाएगा। इस दलित महाकुंभ में 33 जिलों से करीब 15,000 दलित बंधुओं के शिरकत करने की संभावना है।

दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के प्रदेश संयोजक परशराम बंजारा, महासचिव दौलतराज नागौड़ा, सचिव लखन सालवी, सहसचिव रतन नाथ कालबेलिया, जिला महासचिव देवी लाल मेघवंशी, जिला सचिव लादू लाल मेघवंशी एवं समस्त कार्यकर्ताओं ने भंवर मेघवंशी एवं राजकुमार बादल को शुभकामनाएं दी है।

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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

मेघवाल समाज की प्रतिभाओं का सम्मान

बहरोड़ ( Dec 10, 2012, 01:26AM IST)
मेघवाल समाज का प्रतिभा सम्मान समारोह रविवार को अलवर रोड स्थित गरीबनाथ छात्रावास पर आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि पुलिस उपाधीक्षक डॉ. लालचन्द कायल ने कहा कि समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है सिर्फ उन्हें तराशने की आवश्यकता है। प्रतिभाओं के सम्मान से उन्हें आगे आने का प्रोत्साहन मिलता है। इससे पूर्व बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्र\'जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। समाज अध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल ने लोगों को एकजुट होकर समाज का विकास करने पर बल दिया। इस अवसर पर 25 प्रतिभाओं को स्मृति चिन्ह व डिक्शनरी देकर सम्मानित किया। इस दौरान बलबीर मेघवाल, मुकेश कुमार, माड़ाराम, रामवतार मेघवाल, डा. गजराज मेघवाल, निरंजन खुड़ाना, सुनीता मेघवाल, तोताराम मेघवाल सहित समाज सदस्य मौजूद रहे। मंच का संचालन अध्यापक पूर्ण चंद मेघवाल ने किया।


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मेघवाल समाज (7 जोडे बंधे परिणय सूत्र मे )


 Photo sender's names prakash meghwal


मेघवाल समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन गुरूवार को सम्पन्न हुआ । जिसमे 7 जोडो का विवाह हुआ। इस सम्मेलन मे उदयपुर सम्भाग भर के क्षेत्रो से हजारों समाजजन जुटे । मेघवाल समाज सेवा समिति की ओर से यह विवाह सम्मेलन का आयेजन हुआ । सुबह 7 अजे फतह स्कूल से शोभायात्रा की शरूआत हुई, जो शहर के प्रमुख मार्ग सुरजपोल,बापू बाजार,देहलीगेट होते हुए नगर परिषद टाउन हाल पहुची। जहां तोरण की रस्म हुई, वरमाला,पाणिग्रहण संस्कार के बाद समारोह मे अतिथियों का सम्मान हुआ । समारोह मे मुख्य अथिति समाजसेवी नाथुलाल मेघवाल,प्रोफसर बी.आर बामनिया,अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रभेलाल मेघवाल,कांग्रेस नेता पंकज शर्मा,कोषाध्यक्ष तेजराम मेघवाल और महासचिव जगदीश मेघवाल उपस्थित थे कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष गणेश लाल ने की। सभापति रंजनी डांगी और उदयपुर सांसद रघवीर सिंह मीणा ने भी शिरकत कर वर-वधूओं को आर्शिवाद दिया । शाम को वर- वधुओं की विदाई हुई । कार्यक्रम का संचालन विजयराम बावल ने किया । समाजजन को पहले इस सामूहिक विवाह सम्मेलन मे खासा उत्साह देखा गया ।

news at Thursday, 26 April 2012

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मेघवाल समाज की बैठक में महापंचायत पर चर्चा

पाली -!- राजस्थान मेघवाल समाज की बैठक बुधवार को मेघवाल समाज कार्यालय में मेघसेना के कार्यकारी अध्यक्ष गोपाल काटिवाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक के दौरान 23 दिसंबर को जयपुर में आयोजित होने वाली समाज की महापंचायत की तैयारियों पर चर्चा की गई। बैठक में जैनाराम सत्याग्राही, इमीलाल गरूवा, कुलदीप चार्लिया, जिलाध्यक्ष गणेशराम बोस, हेमराज तंवर, राम रतन आदि मौजूद रहे। बैठक के दौरान पदाधिकारियों को महापंचायत को सफल बनाने के लिए गांव गांव में समाज बंधुओं से संपर्क करने का आह्वान किया गया।

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सोमवार, 13 अगस्त 2012

जायल के पूर्व विधायक बारूपाल का निधन

बुधवार, 25 जुलाई 2012

राजस्थानी वाचिक परंपरा का लाडला गीतकार देवकरण मेघवंशी

किशोर पारीक “ किशोर”

राजस्थानी भाषा साहित्य को सुदूर दूर दूर तक लोकप्रिय बनाने में राजस्थानी कविता मंच और मंच के कवियों का अभूतपूर्व योगदान रहा है ! मेघराज मुकुल की “सेनाणी”, गजानन वर्मा (रतनगढ), की “बाजरे की रोटी”, विश्वनाथ विमलेश(झुंझुनू), की “बीनणी बोट देबा चाली” रघुराज सिंह हाडा (झालावाड), की “ आज चांदणी पील्यां” कल्याण सिंह राजावत (जयपुर) की “लीरा लीरा जिंदगी और बेलड़ी” कन्हैया लाला सेठिया (पिलानी), की “धरती धोरां री और अरे घास री रोटी” धन्ना लाल सुमन की “म्हारे देस रो किसान” कान दान “कल्पित” (नागोर) की “ डब-डब भरिया बाईसारा नैण” मोहम्मद सद्दीक(बीकानेर) की “ थे मज़ा करो महाराज थांकी पांचू घी में है “ बिहारी शरण पारीक(जयपुर) की “बफर का खाणा और रंगोली” बुधिप्रकाश पारीक(जयपुर) की “ईं मंदर सू कोई म्हाकी ज्यूत्यां लेगो चोर” दुर्गादान सिंह गौड (कोटा) की “गोरी गोरी गजबन बणी-ठणी, मुजरो मुजरो खमा घणी” मुकुट मणिराज (सुल्तानपुर-कोटा) की “काळजो कुतारगी रे, छोरी तीखा नैणा वाली” जैसी रचनाओं के माद्यम से राजस्थानी का प्रचार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है ! ऐसे ही युवा रचनाकार-काव्यधर्मी हैं केकडी के राजस्थानी भाषा के मीठे गीतकार देवकरण मेघवंशी !

1 जुलाई 1973 को अत्यंत निर्धन कृषक परिवार में जन्मे तीन वर्ष की उम्र में पिता का साया उठने पर माँ की मेहनत से पढ़े, उच्च शिक्षा के लिये स्वंय ने मजदूरी की ! बी.ए, बी.एड अंगरेजी तक अध्ययन करने के साथ-साथ उन्होंने एक गीतकार के रूप में उभरना शुरु किया और आज एक सद्य राजस्थानी हास्य गीतकार है, देवकरण मेघवंशी ! हिंदी और राजस्थानी कविता की वाचिक परंपरा का ये लाडला रचनाकार घंटों मंच से लोगों को बांधे रखने में दक्ष है।

देवकरण मेघवंशी के गीतों में जीवन के बेहद आम लगने वाले राजस्थान की भाव भूमि से उठाये विविध विषय, सम्मिलित होते हैं ! रोज़मर्रा की समस्याओं को हास्य से प्रवाहित कर उनकी बेबाक़ी और गीत अदायगी उन्हें अपनी पीढ़ी के रचनाकारों में विशिष्ट बनाती है।

इन्हें काव्य संगम, अजमेर से युवा राजस्थानी गीतकार सम्मान, साहित्य सर्जन कला मंडल, शाहपुरा से राजस्थानी कवि सम्मान, जिला कलक्टर अजमेर पुष्कर मेला प्रशस्ति पत्र, भारत विकास परिषद सम्मान, विजयनगर क्लब द्वारा सम्मान, अखिल भारतीय स्टार पर मेघवंशी शिरोमणि सम्मान, भारती मंच, लाडनू द्वारा युवा रचनाकार पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है !

मेघवंशी की कविताओं का आकाशवाणी, दूरदर्शन, धमाल एवं दबंग चैनल पर भी टीवी प्रसारण हो चुका है । मंच के बेहद कुशल संचालक मेघवंशी ने राजस्थानी में हास्य एवं गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को राजस्थानी भाषा की मधुरता का आभास कराया।

इनकी लोकप्रिय रचनाएँ है !

कुरजां गीत में श्रेष्ठ अनुप्रास और अलंकार का अनूठा प्रयोग किया गया है !

“ पगल्या पूजूं पंगा पडूं पंचरंग पोम्चो फेरा स्यूं,

कूण्डा में पानी भरके म्हू थारे खातिर लटका स्यूं,”

मोतीडा री जाजम पर जीमण करास्यूं

कुरजां म्हारी ये कुरजां प्यारी ये !

एक गीत में यमक और अनुप्रास का सुन्दर प्रयोग देखें ! विरहण का पत्र पति नाम से ली गयी

“पल पल पलकां परदेशी स्यूं प्रीत पाळ पछताय,

पुरवा पवन प्रीत में, पागल पलट पंछाटा खाय !

हिरदा री हरियाली हारी, हार्यो हर हकदार

हियो हारकर हिरदा वालो, हुयो हिया को हार

इनकी एक श्रंगारिक रचना के माध्यम से श्रोताओं को गुदगुदाती है।

“बण ठण चाली म्हारी काळजा री कोर,

म्हारो काळज्यो ही छोड़ग्यो ठोर,

गजबण गजब करे”

इनके एक पहचान हास्य गीत की पंक्तिया !

तेल समझ कर गरम दूध में बणा रियो नमकीन

हलवाई की हालत बिगड़ी बण्यो गज़ब को सीन

प्रवासी राजस्थानियों के लिए लिखी गई अनुपम रचना धरती राजस्थान की !

धूळा मायं धूळ हो रिया महळ माळल्या प्यारा रे

आँगणियाँ अटक्यो धूळा स्यूं कोनी खाया वाळा रे

घर में ही घर घाल पखेरू बाट जो हे मेहमान की

आजा मनरा मीत चितारे धरती राजस्थान की

हास्य कविताओं के लिए जाने जाने वाले इस कवि के पास अनेको मार्मिक कविताएँ भी है ! मेघवंशी के गीत जाड़ों की उस कच्ची, गुनगुनी धूप का आभास देते हैं, जिसे आँख खोल कर जाँचने-परखने में नहीं अपितु हल्की तन्द्रा में जिसके स्पर्श को अन्तरतम तक अनुभूत करने में जो सुख है, वह शब्दातीत है। देवकरण मेघवंशी के गीतों कविताओं का आनन्द श्रोताओं ने सुनकर ही लिया हैं निकट भविष्य में ये अपनी रचनाओं का एक संग्रह भी प्रकाशीत करवाने की और अग्रसर है, जिससे पाठक भी इन रस सिक्त कविताओं का आनंद उठा सकेंगे

मेघवंशी को सक्रिय राजनीति में जाने की अनुमति


खबरकोश न्यूज






भीलवाड़ा, 25 जुलाई 2012। दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान तथा संयुक्त दलित संगठन की केंद्रीय कमेटी ने सामाजिक कार्यकर्ता
भंवर मेघवंशी को सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान कर दी है।

डगर के प्रदेश संयोजक परशराम बंजारा तथ जिला संयोजक महादेव रेगर एवं संयुक्त दलित संगठन के प्रवक्ता आर.पी. बैरवा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में उपरोक्त जानकारी देते हुये बताया गया कि मेघवंशी ने राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करने की इच्छा जाहिर करते हुए अनुमति मांगी थी। व्यापक विचार विमर्श के पश्चात संगठन ने मेघवंशी को अनुमति देने का फैसला सर्वसम्मति से किया है।

डगर के प्रदेश संयोजक बंजारा ने कहा है कि प्रदेश भर के दलित, आदिवासी एवं घुमन्तु समुदाय के जनसंगठन समाजसेवी मेघवंशी के राजनीति में सक्रिय होने के फैसले से उत्साहित है तथा वे चाहते है कि मेघवंशी शीघ्र ही किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ले और बड़ी भूमिका निभावें।
डगर के प्रदेश सचिव लखन सालवी ने जानकारी दी कि हाल ही में माण्डल क्षेत्र के शिवपुर गांव में हुई विशाल आध्यात्मिक सभा को संबोधित करते हुए मेघवंशी ने भी राजनीतिक सक्रियता का संकेत दिया था, तब से ही दलित, आदिवासी, घुमन्तु एवं अल्पसंख्यक व अन्य वंचित समुदायों में उत्साह बना हुआ है तथा उम्मीद की जा रही थी कि डगर की ओरस से कोई बड़ा निर्णय लिया जायेगा और अन्ततः डगर ही नही बल्कि शेष दलित संगठनों ने भी मेघवंशी के राजनीति में सक्रिय होने के फैसले पर मुहर लगा दी है।

उल्लेखनीय है कि सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी को ग्रामीण मजदूर किसानों, दलितों व आदिवासियों के हित में किये गए कार्यों की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड मिल चुके है। उन्हें प्रतिष्ठित सरोजनी नायडु अवार्ड, भौरूका पुरस्कार, मानव गरिमा पुरस्कार, सामाजिक न्याय अवार्ड, अम्बेडकर अवार्ड, सिटीजन फॉर पीस अवार्ड सहित दर्जनों अवार्ड मिले है। वर्ष 2007 में उन्हें ‘हीरो ऑफ दी होप’ घोषित किया गया था, वहीं उन्हें ‘शांतिदूत और उम्मीद का नया चेहरा’ भी घोषित किया गया। मेघवंशी मूलतः लेखक है, उन्होंने सैकड़ों आलेख और विभिन्न विषयों पर 18 किताबें लिखी है तथा देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्यापन व दस्तावेजीकरण का काम किया है। उन्होंने 3 डॅाक्यूमेंन्ट्री फिल्में भी बनाई है तथा दलित आदिवासी समुदाय को न्याय दिलाने के लिये कई जन आंदोलनों में भी नेतृत्वकारी भूमिका निभाई।

मेघवंशी महानरेगा, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण तथा सामाजिक अंकेक्षण एवं सूचना का अधिकार जैसे मुद्दों पर भी निरन्तर सक्रिय रहे है, वे आजकल अपने गांव में स्थित ‘अम्बेडकर भवन’ के जरिये जन सरोकार के मुद्दों पर संघर्षरत है तथा एक लोकप्रिय न्यूज वेबसाइट ‘खबरकोश डोट कॉम’ का भी सम्पादन करते है तथा अब शीघ्र ही किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़कर सक्रिय राजनीति में भागीदारी निभायेंगे।


शनिवार, 7 जुलाई 2012

(मेघवंश - एक दिशा) meghwanshiyo ki nai kiran कबीरपंथी समुदाय,मेघवंशी समुदाय

दलित उद्यमियों की मुलाकात बनी यादगार होटल मेरिटो में | डिक्की का बनेगा चेपटर | राजस्थान के कोडिनेटर होगें: टी.आर. मेघवाल (रदुआ बिल्डकाॅन प्रा. लि)

जयपुर (24/12/2011)http://divyatarang.com/detail.aspx?id=145 (सुरेश कुमार) दलित उद्यामियों की मुलाकात सात सितारा होटल मेरिटो में यहां गुलाबी नगरी में डिक्की के आल इण्डिया चेयरमेन मिलिन्द कांबले के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि डिक्की के मेन्टर चन्द्रभान प्रसाद ने किया। प्रान्त के नामी उद्यमियों की एक मुलाकात यादगार बनी। मीटिंग में अपने व्यवसायों की गतिशीलता पर गहन विचार विमर्श किया गया। डिक्की के अध्यक्ष मिलिन्द काम्बले ने कहा कि हम सभी मिलकर भारत की विकास दर में भागीदार बने हुए है इसका पता हमारे बिजनस टेक्स पे के रूप में शेयर करने से चल रहा है। डिक्की चेयरमेन ने कहा कि यहां सदस्यता पर ध्यान दे और फरवरी तक यहां के उद्यामियों से जुड़ाव बनाया जाये। राजस्थान के उद्यामियों का चेपटर बने इस पर विचार विमर्श के बाद टी.आर. मेघवाल-रदुआ बिल्डकाॅन प्रा. लि. के चेयरमेन को राजस्थान चेप्टर का काॅर्डीनेटर होंगे। डिक्की के मेन्टर चन्द्रभान प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब ने जो दलितों के लिए सपना संजोया था कि वे मुख्य धारा से जुड़े और अशिक्षा, बेरोजगारी, साहूकारों, जमीदारों के कर्ज से मुक्ति मिले। वो सपना साकार हो रहा है। जो आज आप देख रहे है कि सात सितारा होटल में उद्यमियों की मुलाकात होना गौरव का विषय है। साथ ही दलित एकजुट होकर आपस में बिजनस मेकिंग में सहयोग कर रहे हैं। मेन्टर ने कहा कि आज दलित उद्यमियों ने देश की बडी-बड़ी कम्पनियों में अपने काम की पहचान बनाई हैं। वर्तमान में अगर दलित उद्यमियों द्वारा उनको पार्ट या सामग्री सप्लाई नहीं करे तो उनकी कम्पनियां को रोड पर आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। अन्त में डिक्की मेन्टर ने कहा कि हम सभी भाईयों को जुड़ना होगा और अपना स्टेण्ड बनाना होगा। जिससे अपने आप में अलग से दलितों की पहचान होगी। जिसको भी डिक्की की आवश्यकता होगी उसमें हम सब मिलकर हर परिस्थितियों में कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास करेंगे। डिक्की के राजस्थान काॅडिनेटर ने उद्यमियों को अपने सम्बोधन में कहा कि प्रान्त के चेपटर में उद्यमियों को अपना सदस्य और कार्य प्रसार के लिए जुड़ाव और उनकी आवश्यकताओं को देखते हुए हर वर्ष दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में अपना सेमीनार आयोजित करने की घोषणा की। उद्यमियों में गोपाल डेनवाल अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा, नीरज डांगी, राजेश कुमार चैहान ए.आर. बिजनस सिस्टम, महेन्द्र सिंह सेवा निवृत्त आई.ए.एस, रूपाराम धणेद अति. मुख्य अभियन्ता, महेश मोरदिया सेकेट्री आर इण्डिया यूथ काँग्रेस, कमल डांगी, दिवाकर डांगी, इन्द्रराम पानुसा, जेयपाल, इन्दरमल, महेन्द्र कुमार, इन्जिनियर संजीव गोठवाल, पोखर मल, अतर सिंह कमलाकर ए.ई. जयपुर डिस्काॅम, अजित सिंह, खाजन सिंह, ए.ई.एन. ओम प्रकाश जाटव, प्रदीप कुमार वैष्णव मार्केटिंग मैनेजर रदुआ बिल्डकाॅन प्रा. लि., डाॅ. बी.सी. वर्मा निदेशक डाॅ. भीमराव अम्बेडकर

समय और पैसे की बचत करे - डेनवाल निःशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन में 60 जोडें बने हम सफर

राष्ट्रीय सर्व मेघवाल महासभा के अध्यक्ष गोपाल डेलवाल

दूदू। बलाई समाज जाग्रति संस्थान की ओर से निःशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन में 60 जोडें बने हम सफर। सामूहिक विवाह सम्मेलन के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सर्व मेघवाल महासभा के अध्यक्ष गोपाल डेलवाल ने कहा कि इससे समाज में एकजुटता आएगी और समय व पैसे की बचत की जा सकती है। डेनवाल ने कहा कि समाज को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए और आगे आना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि आई.जी.पी. सफल सिंह ने कहा कि समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे आना चाहिए। सिंह ने कहा कि समाज को सामाजिक बुराईयों का त्याग करना चाहिए। कार्यक्रम संयोजक कन्हैयालाल निराणिया ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का माला व साफा पहनाकर आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही समारोह में सहयोग देने वाले भामाशाहों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष रामकरण तुवाल, महामंत्री रतन लाल मलीड़ा, वरि. उपाध्यक्ष हनुमान सहाय भाटीया, उपसचिव रामचन्द्र गांधी, कोषाध्यक्ष डाॅ. रामकरण बनुक सहित जाग्रति संगठन के पूरे परिवार ने समाज की सेवा कर पुण्य अर्जित किया। समारोह के अंत में स्थानीय सरपंच श्रीमती सुप्यार भण्डाना ने समाज की सराहना करते हुए एक बीघा जमीन मालपुरा रोड़ पर छात्रावास के लिए जाग्रति संस्था को दिलवाने की घोषणा की। समारोह का संचालन संयोजक कन्हैया लाल निराणनिया ने किया।


मेघवाल समाज मेघ सेना का गठन

पड़ाना-!-सर्व मेघवाल महासभा की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से सारंगपुर ब्लाक इकाई का गठन किया गया। इसमें समाज अध्यक्ष गोकुल प्रसाद दुगारिया पड़ाना को मनोनीत किया गया है। इनके साथ उपाध्यक्ष गौरी लाल वर्मा, सचिव कालू राज वर्मा को बनाया गया है। इस दौरान मेघ सेना का गठन किया गया, जिसमें रामचंद्र वर्मा, जगदीश सूर्यवंशी व शंकर लाल जाधव शामिल हैं।

शुक्रवार, 1 जून 2012

राज्य स्तरीय मेरिट में 15वां स्थान बनाने वाले लोकेश मेघवाल

सोरखंडकलां गांव के ज्ञानदीप बाल विद्या मंदिर के निदेशक भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि  माध्यमिक शिक्षा बोर्ड मे अजमेर लोकेश मेघवाल शुरू से ही होनहार छात्र रहा है। आठवीं तक इसी स्कूल में अध्ययनरत रहा था। पूरे गांव को उस पर गर्व है।

अर्जुन मेघवाल को बेस्ट एमपी का खिताब मिलने पर जताई खुशी

रावलामंडी-!- बीकानेर से भाजपा सांसद अर्जुन मेघवाल को लोकसभा में सबसे 'यादा प्रभावी व जनहित से जुड़े प्रश्न उठाने पर बेस्ट एमपी का खिताब मिलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं सहित मेघवाल समाज ने खुशी जताई है। राजस्थान मेघवाल समाज के जिला महामंत्री देवीलाल मेघवाल, तहसील अध्यक्ष ओमप्रकाश बरोड़, कृषि उपज मंडी समिति चेयरमैन शिवरीदेवी मेघवाल, आठ केएनडी सरपंच शिवराम मेघवाल आदि ने सांसद मेघवाल को बेस्ट एमपी का खिताब मिलने पर बधाई दी। 

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बुधवार, 16 मई 2012

12वीं साइंस मै विनोद मेघवाल जिला मैरिट तीसरा स्थान

विनोद की चाहत इंजीनियरिंग
भवानीमंडी के संस्कार भारती निकेतन स्कूल में पढऩे वाला विनोद मेघवाल भी इंजीनियर ही बनना चाहता है। वह जिला मैरिट मेें तीसरा स्थान प्राप्त करने की अपनी उपलब्धि का श्रेय गुरुजनों और माता पिता को देता है। विनोद ने बताया कि रोजाना स्कूल के अलावा घर पर करीब 5 से 6 घंटे पढ़ाई करता था। घर में उसे पढ़ाई के लिए एकाग्रता का पूरा माहौल मिला। विनोद के पिताजी रामप्रसाद ने बताया कि वह शुरू से ही पढऩे में तेज था। 10वीं की परीक्षा में उसने जिले में अव्वल स्थान हासिल किया था।
सफलता की पूरी थी उम्मीद
स्कूल के अलावा घर पर नियमित पांच से छह घंटे अध्ययन करता था। स्कूल में पढ़ाई का बेहतर माहौल होने और गुरुजनों का पूरा सहयोग मिलने का ही परिणाम रहा कि मैरिट में तीसरा स्थान हासिल हो सका। घर पर भी माता और पिताजी ने भी बेहतर से बेहतर अंक हासिल करने के लिए शुरू से प्रेरित किया। अब आगे चलकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का इरादा है। विज्ञान विषय में हर विषय को पूरी तन्मयता के साथ पढऩे के साथ ही अच्छा माहौल मिलने से भी हौंसला बढ़ा। मैरिट में आने की पूरी उम्मीद थी।

रविवार, 13 मई 2012

मेघवाल समाज के लालचंद बुनकर ने 12वीं कॉमर्स की मेरिट में 9वां तथा जयपुर जिला मेरिट में 5वां स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है

 लालचंद ने रोशन किया नाम

12वीं कॉमर्स की राज्यस्तरीय मेरिट में हासिल किया 9 वां स्थान, जिले में पांचवीं पायदान पर

भास्कर न्यज. कालवाड़
ग्राम भंभौरी की मधुबाला मंदिर शिक्षा समिति सीनियर सैकंडरी स्कूल के छात्र लालचंद बुनकर ने 12वीं कॉमर्स की मेरिट में 9वां तथा जयपुर जिला मेरिट में 5वां स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। ग्राम महेशवास निवासी लालचंद बुनकर ने इस परीक्षा में 91.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। संस्था निदेशक संतोष शर्मा ने बताया कि छात्र लालचंद पुत्र केसरमल बुनकर कच्ची झोपड़ी में रहता है और उसने नियमित आठ घंटे की पढ़ाई कर सफलता हासिल की है।

लालचंद ने बताया कि वह सीएस या आईएएस बनना चाहता है। उसने सफलता का श्रेय अपने पिता केसरचंद, माता मंगली देवी, संस्था निदेशक संतोष शर्मा और ईश्वर को दिया है। मेरिट में 9वां स्थान प्राप्त करने वाला लालचंद इससे पूर्व किसी अन्य विद्यालय में अध्ययन कर रहा था, लेकिन गरीबी के कारण वह फीस नहीं जमा करा पा रहा था। इसलिए उसे वह स्कूल छोडऩी पड़ी।

बाद में मधु बाल मंदिर शिक्षा समिति सी.सै.स्कूल के निदेशक संतोष शर्मा लालचंद का सहारा बने और प्रतिभा को देखते हुए उसे अपनी स्कूल में दाखिला दिया। इसके बाद लालचंद ने भी पूरी लगन और मेहनत के साथ पढ़ाई की। इसका नतीजा न केवल गांव बल्कि स्कूल को भी गौरवांवित करने वाला रहा।

शुक्रवार, 11 मई 2012

दलित पुरस्कार (dalit Award)

1. बाबा रामदेव पुरस्कार,  2. महर्षि नवल पुरस्कार, 3. जोगा राम दलित चेतना पुरस्कार, 4.गरीब साहब दलितोत्थान पुरस्कार, 5. दशरथ मेघवाल वीरता पुरस्कार, 6. शहीद राजाराम मेघवाल पुरस्कार, 7. स्वामी ज्ञान स्वरूप शिक्षा जागृति पुरस्कार, 8. नरपत राम बरवड़ मेमोरियल पुरस्कार,9. भीखा भाई भील स्मृति पुरस्कार, 10. वीरांगना काली बाई पुरस्कार, 11.रविदास सेवा सम्मान, 12.वाल्मीकि सेवा

दशरथ मेघवाल करणी जी महाराज का परम भक्त एवं गायों का चरवाहा था (dashrath meghwal)

मां करणी जी देशनोक मंदिर के मुख्य द्वार के निकट ही दशरथ मेघवाल का स्थान है जहां नियमित रूप से पूजा होती है। ज्ञातव्य हो कि दशरथ मेघवाल करणी जी महाराज का परम भक्त एवं गायों का चरवाहा था जो गायों की रक्षार्थ वीरगति को प्राप्त हो गया था। उसके बलिदान के सम्मानार्थ श्री करणी जी महाराज ने अपने जीवनकाल में ही उसकी पूजा प्रारम्भ करवादी थी। छुआछूत के उस युग में ऐसा उदाहरण अन्यत्र मिलना अत्यन्त दुर्लभ ह

गुरुवार, 10 मई 2012

Meghwal community


Our aim: -
 Meghwal community rich in social, economic, religious, psychological and cultural.
 Death feast, alcohol abuse, child marriage, polygamy, dowry, foreign exploitation, oppression and social and social workers to prevent crimes and to support vulnerable people try to get rid of such actions hinder progress.




At your service.
 Meghwal community you any information, messages, marital, social, family or individual - this blog can get published free.

 It is not in your city in any corner of the world has ever seen.



address: --- nav mandusiya surera
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सुरेरा नवनिर्माण सेना (नवरतन मंडुसिया सुरेरा)

सोमवार, 30 अप्रैल 2012

संत आचार्य गरीब साहेब (पर्माण) garib saheb

१.गरीब दास जी की वानी मे(गरीब दास जी को कबीर साहेब ने सत लोक भी दिखाया था और यम राज को भी डान्ट लगाई थी. )

"गरीब, काल डरे कर्तार से, जय जय जय जग्दीश!!
जोरा जोरी झाड्ती, पग रज डारे शीश!!"
यह काल, कबीर भग्वान से डर्ता है और यह मोत कबीर के जूते झाड्ती है(नौकर के समान है).
फिर उस धूल को अप्ने सर पर लगाती है कि जिस्को मार ने का आदेश दोगे उस के पास जाओन्गी, नही तो मै नही जाउन्गी.

२.गरीब, "काल जो पिसे पिस्ना, जोरा है पनेहार!
ये दो असल मज़्दूर है, मेरे साहेब के दर बार"
यह काल, कबीर भग्वान का नौकर है और मोअत विशेश नौकरानी है.

३.कबीर साहेब ने रानी इन्द्र्मती की उम्र ८० साल कर दी थी, जब की रानी इन्द्र्मती को काल साप रूप मे मार ने के लिये ४० साल के उम्र के वक्त आया था, तब कबीर साहेब ने रानी इन्द्र्मती को बचाया था.

वेदो मे भेद:-->
१.कबीर देव अप्ने भक्त के सान्स भी बढा देता है.(वो निर्धन को माया/बान्झ को पुत्र/शरीर को ठीक/अन्धे को आन्ख दे सक ता है)

२.कबीर"सत गुरु जो चाहे सो कर हे, १४ कोटी दूत जम डर हे,
उत-भूत जम त्रास निवारे, चित्र्गुप्त के कगज फारे"
यहा चित्र्गुप्त के कागज फाड्ने का मत लब उम्र बधाना ही है.

३.कबीर"मासा घटे ना तिल बढे, विध्नी लिखे जो लेख,
साच सत्गुरु मत के उपर लिख्दे लेख"
ईस मे फिर से उम्र बधाने की बात की गयी है.

४.दादु जी-->"आदम की आयु घटे, तब यम घेरे आये, सुमिरन किया कबीर का दादु लिया बचाय"
दादु जी-->"सुन-२ साखी कबीर की काल नवाये माथ, धन्ये-२ हो ३ लोक मे, दादु जोडे हाथ"

पर्माण:-->कबीर साहेब और धर्म राज के बीच वार्ता, जब कबीर साहेब ने गरीब दास जी को सत्लोक दिखाया और बाद मे धर्म राज का लोक भी)
१.गरीब दास जी कह्ते है की कबीर साहेब अप्नी समर्थता दिखाने के लिये मुझे धर्म रज क लोक मे ले गये. धर्म राज के दर बार मे जब कबीर साहेब गये तो धर्म राज अप्नी कुर्सी त्याग कर खडा
हो गया और कह ने लगा की "व्राजो भग्वान!"
फिर कबीर साहेब ने धर्म राज को डान्ट लगात हुवे कहा कि
"धर्म राज दर्बार मे, दई कबीर तलाक!
मेरे भूले चूके हन्स को, तु पक्डो मत कज़ाक!!
(जीस ने मेरे भेजे सन्त से नाम ले रखा हो उस को तु मत पकड्ना! उस का लेखा-झोखा भी मत लेना!
अगर मेरे हन्स को तूने पकड लिया तो मेरे से बुरा तेरे लिये कोइ नही होगा!)

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तब धर्म राज हाथ जोड कर बोला"बोले पुरुष कबीर से, धर्म राज कर जोड!
तुम्हारे हन्स को चम्पु नही, दोहि लाख करोड"
हे मालिक कबीर साहेब तेरे हन्स को मै नही पक्डुन्गा, दोनो हाथ जोड्ता हू, लेकिन एक वीन्ति है, आप के सन्त से नाम लैने से पह ले के पाप कर्म मेरी बाही मे चढे हुवे है और मेरे को ईस्लीये उन्को दन्द देना पडेगा! ये मेरी मज्बूरी है
"कर्मो सैति रत थे, अब मूख से कहे कबीर!
उन्को निश्चये पक्डुन्गा, जड दू तोक ज़न्ज़ीर"



गरीब"कर्म भर्म ब्रह्मन्द के पल मे कर दून नेश!
जिन हम री दोही देइ, करो हमारे पेश!!"
कबीर साहेब ने कह की मै कर्म-भर्म सब खतम कर दुन्गा!
जीस्ने हमारे नाम की दुहाइ दी हो उस को हमारे साम ने लाना. तु कुछ मत कह ना उस को!

(गरीब साहेब) राजस्थान की माटी के प्रज्ञा पुintroduction to garib saheb ji maharajरुष

सद्गुरु श्री गरीब साहेब का जन्म ९ मार्च, १९७१३ को भोजपुरा ( जयपुर) में हुआ. इनकी प्रतिभा बचपन में ही मुखर होने लगी थी. अदम्य साहस और तीव्र बुद्धि के कारण सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एक चेतना जागृत में अपना जीवन अर्पित किया. साहेब का दर्शन कबीर से प्रभावित रहा. इन्होने "बीजक" का गहन अध्ययन कर उसे आत्मसात किया. इन्होने कई कृतियाँ लिखी, इनकी मुख्य कृति "ज़िन्दबोध प्रकाश" है, जो जन मानस में ज्ञान और प्रेरणा का स्त्रोत है.

" है ताको जाने नहीं, तासो विमुख होय !
नाहीं को जाना चाहे,नास्तिक कहिये होय !!".........गरीब साहेब

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

राजस्थान के जोधपुर और जैसलमेर क्षेत्र के मेघवाल समुदाय स्थानीय ऊन को संकीर्ण पट्टी में बिन कर उन से विभिन् प्रकार के उत्पाद जैसे बर्डी ओड़नी, पट्टू कशीदा – कमखाब ओड़नी, दुपट्टा , कुशन कवर , टेबल रुन्नेर , कुर्ता - अंगरखा, सलवार - ढीली पतलून और बैग, आदि सील के बनाये जाते हैं. के आधार कपड़ा या तो सादा है या टवील और रूपांकनों एक क्षेत्र में अतिरिक्त बाने के प्रयोग के अकेले आकृति तक ही सीमित के माध्यम से बनाई गई हैं. अतिरिक्त कपड़ा आधार कपड़ा के विपरीत रंग के आम तौर पर होता है और हर दो चुनता के बाद डाला जाता है, इस तरह पतले कढ़ाई कपड़े की एक धारणा का निर्माण किया.

Jodhpur and Jaisalmer area of ​​Rajasthan Meghwal community, local wool narrow strip of the different types of products such as those in the bin Odni Birdy, plaids needlework - Kmkhab Odni, scarf, cushion covers, Table Runner, shirt - tunic, salwar - loose trousers and bags, etc. are made of seal. The basis of either plain or twill fabric motifs in an area containing only limited to the use of extra weft are made through. Additional fabric base cloth is usually of the opposite color, and after every two picks are inserted, thus producing an impression of finely embroidered clothes....

http://themecrafts.in/ProductType/Hand_Crafted_Stoles-hi-IN-294.aspx

हमारे उद्देश्य: - मेघवाल समुदाय समृद्ध सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, मानसिक और सांस्कृतिक. मृत्यु भोज, शराब दुरुपयोग, बाल विवाह, बहुविवाह, दहेज, विदेशी शोषण, अत्याचार और समाज और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर अपराधों को रोकने के लिए और समाज के कमजोर लोगों का समर्थन की तरह प्रगति में बाधा कार्यों से छुटकारा पाने की कोशिश करो

राजस्थान मेघवाल परिषद पर श्री पन्नालाल 30.3.1984.Rajsthan मेघवाल परिषद के जिला शाखा जोधपुर Pemi निवासी बीकानेर के द्वारा स्थापित किया गया था सबसे पहले उसके बाद beginned श्री Natthulram भाटी द्वारा कलक्टरी बनने.

परिषद के सदस्य की अवधि थे: -

Mr.Natthram भाटी
Mr.Modaram 22-08-1999 से 25-05-2003 तक Likhniya
Mr.Kaluram 25-05-2003 से 2009/08/03 के लिए Sonel
2009/12/04 से आज तक Mr.Pukhraj कटारिया

राजस्थान मेघवाल परिषद जोधपुर सोसायटी के उत्थान के लिए कई गतिविधियों का इंतजाम किया. जो युवा आदमी - औरत परिचय एवं सामूहिक विवाह के आयोजन के समय और पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए, गरीब और असहाय लोगों और उचित मार्गदर्शन और रोजगार और शिक्षा के लिए धन के लिए आर्थिक मदद चल रहे हैं.

हमारे उद्देश्य: -



मेघवाल समुदाय समृद्ध सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, मानसिक और सांस्कृतिक.

मृत्यु भोज, शराब दुरुपयोग, बाल विवाह, बहुविवाह, दहेज, विदेशी शोषण, अत्याचार और समाज और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर अपराधों को रोकने के लिए और समाज के कमजोर लोगों का समर्थन की तरह प्रगति में बाधा कार्यों से छुटकारा पाने की कोशिश करो.

मेघ सेवादल जो सेवा के लिए अपने सर्वर को प्रशिक्षित गठन.

समाज के विकलांग, अनाथ और असहाय लोगों के लिए आर्थिक मदद और उनके लिए भोजन, आवास और रोजगार की व्यवस्था.

बंधुआ श्रमिकों की मुक्ति के लिए प्रयास करते हैं.

कानून परिषदों का गठन करने के लिए और सस्ता न्याय के लिए पहुँच प्रदान करते हैं.

राष्ट्रीयता, चरित्र निर्माण की भावना जगाने और देश और समाज के लिए स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लिए प्रयास करें.

सांस्कृतिक, साहित्यिक, कलात्मक और खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन से प्रतिभाशाली लोगों को प्रोत्साहित करते हैं.

पत्रिकाओं को प्रकाशित करने के लिए संदेशों के सभी प्रकार के द्वारा समाज के हर घर के बारे में पता करना है.

गांव, तहसील और जिले के स्तर पर संगठनात्मक इकाइयों का गठन करने के लिए.

सामूहिक विवाह को व्यवस्थित करने के लिए उच्च लागत से बचने के लिए.

भेद दूर एक धागे में सभी मेघवाल (JATA Baseera), Sutrakar, Bhambhi, चमार, Bunkar, Balai, Baiwa, Hrishyan, ramdosiyan, Chandor, Ravidasi, Mehar, Deshi, Meghwanshi आदि बांधने और नाम करने के लिए मेघवाल नाम फोन करने की कोशिश खुद.

निर्माण और दाताओं से एक उपहार के रूप में प्राप्त करने के द्वारा हॉस्टल, हॉल, सार्वजनिक, सामाजिक उपयोग के लिए धर्मशाला, अचल संपत्ति मूल्य खरीदने के लिए.

हमसे संपर्क करें

श्री Pukh राज कटारिया
अध्यक्ष
वेबसाइट: http://www.meghwalparishad.com
ईमेल आईडी - contact@meghwalparishad.com

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

सामूहिक शक्ति से ही समाज का विकास

 भास्कर न्यूज. झालावाड़ ( Last Updated 02:24(25/03/12)
सभी अजा के लोगों को अपनी सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन करना होगा। सरकार बहुमत की भाषा समझती है। मेघवाल समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से विकास का संकल्प लेना होगा। यह बात शनिवार का सर्किट हाउस में समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने कही। वे यहां मेघवाल युवा परिषद की ओर से आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेघवाल समाज को अन्य विकसित समाजों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। सेमिनार में प्रदेश अध्यक्ष नंदलाल केसरी, प्रदेश कोषाध्यक्ष गोपाल मेघवाल, प्रदेश सचिव सीताराम मेघवाल, जिलाध्यक्ष प्रहलाद मेघवाल, कोषाध्यक्ष राजेंद्र मेघवाल, सचिव भगवानसिंह, संरक्षक नंदलाल वर्मा, रामनारायण मेघवाल, गोपाललाल मेघवाल ने भी विचार व्यक्त किए। प्रदेश अध्यक्ष नंदलाल केसरी व अन्य पदाधिकारियों के नेतृत्व में सुबह साढ़े 11 बजे राष्ट्रीय अध्यक्ष डेनवाल, पुलिस महानिरीक्षक आरपी सिंह का स्वागत नरेंद्र मेघवाल, गिरिराज मेघवाल, भगवानसिंह आदि मेघ सैनिकों ने किया।
ट्रैक तैयार, समाज को बढऩा होगा आगे
मेघवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने शनिवार सुबह 9 बजे सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने अनुसूचित जाति को कभी भी आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए। समाज का पिछड़ापन अभी तक है। भाजपा हो या फिर कांग्रेस उन्होंने केवल वोट बैंक की तरह समाज का इस्तेमाल किया है। मेघवाल समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय है, लेकिन समाज को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हमारा समाज शिक्षित होगा तो उन्हें कोई भी गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते हमने समाज को देश भर में जागरूक करने का अभियान चलाया। आगे बढऩे के लिए ट्रैक तैयार किया अब आगे समाज को बढऩा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार कोई भी हो इस समाज को भी राजनैतिक रूप से चुनावों में उम्मीदवारी में अधिक स्थान मिलना चाहिए।



गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

सामूहिक शक्ति से ही समाज का विकास:-

झालावाड़
सभी अजा के लोगों को अपनी सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन करना होगा। सरकार बहुमत की भाषा समझती है। मेघवाल समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से विकास का संकल्प लेना होगा। यह बात शनिवार का सर्किट हाउस में समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने कही। वे यहां मेघवाल युवा परिषद की ओर से आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेघवाल समाज को अन्य विकसित समाजों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। सेमिनार में प्रदेश अध्यक्ष नंदलाल केसरी, प्रदेश कोषाध्यक्ष गोपाल मेघवाल, प्रदेश सचिव सीताराम मेघवाल, जिलाध्यक्ष प्रहलाद मेघवाल, कोषाध्यक्ष राजेंद्र मेघवाल, सचिव भगवानसिंह, संरक्षक नंदलाल वर्मा, रामनारायण मेघवाल, गोपाललाल मेघवाल ने भी विचार व्यक्त किए। प्रदेश अध्यक्ष नंदलाल केसरी व अन्य पदाधिकारियों के नेतृत्व में सुबह साढ़े 11 बजे राष्ट्रीय अध्यक्ष डेनवाल, पुलिस महानिरीक्षक आरपी सिंह का स्वागत नरेंद्र मेघवाल, गिरिराज मेघवाल, भगवानसिंह आदि मेघ सैनिकों ने किया।
ट्रैक तैयार, समाज को बढऩा होगा आगे
 मेघवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने शनिवार सुबह 9 बजे सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने अनुसूचित जाति को कभी भी आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए। समाज का पिछड़ापन अभी तक है। भाजपा हो या फिर कांग्रेस उन्होंने केवल वोट बैंक की तरह समाज का इस्तेमाल किया है। मेघवाल समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय है, लेकिन समाज को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हमारा समाज शिक्षित होगा तो उन्हें कोई भी गलत इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते हमने समाज को देश भर में जागरूक करने का अभियान चलाया। आगे बढऩे के लिए ट्रैक तैयार किया अब आगे समाज को बढऩा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सरकार कोई भी हो इस समाज को भी राजनैतिक रूप से चुनावों में उम्मीदवारी में अधिक स्थान मिलना चाहिए।
Last Updated 02:24(25/03/12)

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

झलकारी बाई दलित-पिछड़े समाज से थीं और निस्वार्थ भाव से देश-सेवा में रहीं। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमारे लिए जरुरी है

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वीरांगना झलकारी बाई का महत्त्वपूर्ण प्रसंग हमें 1857 के उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जो इतिहास में भूले-बिसरे हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रिय सहेलियों में से एक थी और झलकारी बाई ने समर्पित रुप में न सिर्फ रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया बल्कि झाँसी की रक्षा में अंग्रेजों का सामना भी किया।

झलकारी बाई दलित-पिछड़े समाज से थीं और निस्वार्थ भाव से देश-सेवा में रहीं। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमारे लिए जरुरी है। इस नाते भी जो जातियाँ उस समय हाशिये पर थीं, उन्होंने समय-समय पर देश पर आई विपत्ति में अपनी जान की परवाह न कर बढ़-चढ़कर साथ दिया। वीरांगना झलकारी बाई स्वतंत्रता सेनानियों की उसी श्रृंखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं।
इस उपन्यास को लिखने के लिए लेखक ने सम्बधित ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों पर शोध कार्य के साथ स्वयं झाँसी जाकर झलकारी बाई के परिवार के लोगों, रिश्तेदारों आदि से भी मुलाकात की है।


न धर्म रक्षा और न जाति रक्षा, झलकारी ने चूड़ियाँ पहनना छोड़ देश-रक्षा के लिए बन्दूक हाथ में ले ली थी। उसे न महल चाहिए थे, न कीमती जेवर और न रेशमी कपड़े और न दुशाले। वह न तो रानी थी और न ही पटरानी। वह किसी सामन्त की बेटी भी नहीं थी तथा किसी जागीरदार की पत्नी भी नहीं। वह तो गाँव भोजला के एक साधारण कोरी परिवार में पैदा हुई थी और पूरन को ब्याही गयी थी। पिता भी आम परिवार से थे और पति भी, लेकिन देश और समाज के प्रति प्रेम और बलिदान ने उन्होंने इतिहास में खास जगह बनाई थी। दुःखद बात यह कि जाति विशेष के चश्माधारी इतिहासकारों, साहित्यकारों और पत्रकारों में से किसी ने भी दलित समाज की उस वीरांगना झकलारी बाई की खबर नहीं ली थी।

भला हो स्वयं उन दलित और पिछड़े समाज के लेखक, पत्रकार तथा नाट्यकारों का, जिन्होंने छोटी-छोटी पुस्तकें लिखकर इतिहास के उन महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उजाले में लाने का प्रयास किया, जो बरसों से अंधेरे में पड़े थे। वही पुस्तिकाएं तथा लेख लिए ऐतिहासिक दास्तावेज साबित हुए। जिसने इस उपन्यास का कथानक रचने-बुनने में मुझे मदद मिली। इसी सम्बन्ध में मैंने गाँव भोजला तथा झाँसी में झलकारी बाई की ससुराल जाकर भी बात की। झांसी के किले के भीतर कई बार गया। महल देखे, उनमें रचीं-बसी शेष रही संस्कृति तथा परम्पराओं को नजदीक से जाना। झाँसी की गलियाँ, बाजारों ऐतिहासिक दरवाजों, बुर्जियों के भीतर बाहर के परिवेश में अतीत की गूँज सुनी। मुझे उम्मीद है कि पुस्तक के माध्यम से दलित और पिछड़े समाज के गौरवशाली इतिहास के भीतर छुपी हुई कई महत्त्वपूर्ण बातें सामने आएँगी। जिनके सवर्णों के अधिकांश लेखक, पत्रकारों, समीक्षकों के साथ इतिंहासकारों को जहाँ सबक मिलेगा वहीं दलितों की नई पीढ़ी को प्रेरणा भी मिलेगी, इसलिए कि वे अपने नायकों से रू-ब-रू हो सकेंगे। उपन्यास लेखन के दौरान झाँसी में रह रहे बहुत-साथियों ने मुझे सहयोग दिया, उनमें विशेष हैं डॉ.शुभेश, प्राधानाचार्य, फाइन आर्ट्स कॉलेज, झाँसी, सत्येन्द्र सिंह, हिंदी अधिकारी, झाँसी मंडल रेलवे।

मोहनदास नैमिशराय

वीरांगना झलकारी बाई


झाँसी से चार कोश दूरी पर भोजला गाँव। गाँव बड़ा न था, पर उसके भीतर एक बड़ा इतिहास पल रहा था। वह इतिहास था क्रान्ति और संघर्ष का। छल और प्रपंच से जीते गए प्रदेशों, रियासतों तथा रजवाड़ों में ब्रिटिश साम्राज्य का बुलडोजर गाँव-गाँव और नगर-नगर आगे ही बढता जा रहा था। झाँसी में भी उसकी दस्तक हो चुकी थी, पर दहल अभी होनी शेष थी। झाँसी के रणबाँकुरों के सीनों में अंग्रेजों के खिलाफ आग ही आग थी। उसी आग के भीतर एक और आग धधक रही थी। चिनगारियाँ इधर-उधर छिटक रहीं थी। बुन्देलखंड की जमीन के कतरे-कतरे में कसक थी। छोटी-छोटी रियासतों तथा जागीरों के घाव रिस रहे थे। उन घावों में असीम पीड़ा थी। उनमें उन्माद था और प्रमाद भी। रियासतदारों और जागीरदारों की तलवारें अभी जंग नहीं खाई थीं। खूब चमकती-दमकती थीं पर आपस में ही टकराती थीं। झाँसी के भीतर तथा बाहर एक जैसी स्थिति थी। वहाँ बहुत कुछ पल रहा था, बीत रहा था। सूरज के उगने और अस्त होने जैसी नियति इतिहास की नहीं थी। वह करवटें ले रहा था। उसके भीतर बवंडर था। आदमी सोया नहीं था। जमीन तप रही थी। टोरियाँ और नदियाँ मौन थीं। उनका लिबास बदल रहा था। नदियों में पानी कम खून अधिक बह रहा था। जंगल और वन कट रहे थे। राजनीतिक मौसम बदल रहा था और तूफान के आने का शोर चारों तरफ बढ रहा था।

भोजला गाँव के भीतर भी बहुत कुछ रच-बस रहा था। गाँव में स्कूल न था, मन्दिर था। पर लोगों के बीच जानने-समझने की धार तेज थी। उस समय पाठ्यक्रम ही शायद ही कोई किताब उत्तरी भारत में छपी होगी। स्कूलों का स्वरूप भी वैसा नहीं था। शिक्षक और शिक्षा का स्वभाव अलग था। धर्म में प्रयोग और विश्लेक्षण की नवीन प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी थी। धर्म ही शिक्षा था और शिक्षा ही धर्म थी। दोनों एक दूसरे के पूरक थे। गाँव के आसपास सब कुछ वैसा ही था। जमीन से मिटटी उड़ती तो वैसी ही पर रंग लाल था उसका। गाँव का आकाश भी नीला ही था। सड़के पक्की न थीं। कच्चे रास्ते गर्द-गुबार से भरे रहते थे। खेत थे, नाले थे, पथरीले रास्ते थे और उनके आसपास थी बुन्देलखंडी अस्मिता और पहचान। जिसकी रौनक अभी भी लोगों के चेहरों पर बरकरार थी। उनकी भाषा में मिठास और सहजता थी, पर मिजाज में गर्मी थी, आक्रोश था और जमीन-आकाश को एक कर देने की बुलन्दगी थी। इसलिए उस लाल मिट्टी का अपना एक गौरवपूर्ण इतिहास था। तत्कालीन शासक और सत्ता ने जिसे और भी प्रभावकारी बना दिया था।

राजा की तुलना उन दिनों भगवान से की जाती थी। जमीन पर वह उसका प्रतिनिधि था। वैसे अंग्रेजों के बारे में कुछ लोगों की अलग राय थी। वे ब्रिटिश हुक्मरनों को स्वर्ग से आए भगवान के प्रतिनिधि समझते थे। आम आदमी की न दरबार में पहुँच थी और न ही अंग्रेजों की कोठियों और बंगलों में। पर उस राजा और अंग्रेजीं शासकों दोनों से न्याय की उम्मीद होती थी।। राजा न्याय करे या अन्याय, जनता-जनार्धन की उस पर आस्था थी। राजा और प्रजा के रिश्ते परम्पराओं और संस्कारों ने अटूट बना दिए थे। उन रिश्तों के बीच अजीब-सी गन्ध होती थी। दोनों को एक-दूसरे से लगाव भी होता था, पर अलग-अलग तरह का।

समय तेजी के साथ बदल रहा था, जैसे तेज गति से दौड़नेवाले रथ पर सवार हो वह। जमीन-आकाश एक करने को आतुर, चाबुक लगनेवाले घोड़े-से बिदकने जैसा। लम्बी-लम्बी छलाँग लगाते हुए समय बढ़ रहा था। समय के भीतर और बाहर सब कुछ बदल रहा था। शहर से गाँव जुड़ने को लालायित थे। गाड़ी भर-भरकर गाँव से शहर की ओर सामान ढोया जा रहे था। वह युग विस्तार का था। व्यवसाय और उद्योगों के स्वभाव बदल रहे थे। गाँव-शहर सब तरफ बाजार पसर रहे थे। लोगों के खान-पान के तौर-तरीकों में बदलाव आ रहे थे।

ग्वालियर रोड से भोजला गाँव नजदीक था। खेतों में हरी-भरी चने की फसल लहरा रही थी। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले थे। प्रकृति अपने अनोखे श्रृंगार में थी। उन्हीं की अनुपम छटा निहारते हुए राहगीर सड़क से उतरकर छोटे रास्ते पर आ गया था। दिन  का समय था। चारों तरफ धूप फैली थी। गाँव की विराट संस्कृति का अनूठा सौन्दर्य अपनी अस्मिता और पहचान के साथ सर्वत्र दिखाई देता था। अलग-बगल से गुजरते हुए लोग। उनके अलग-अलग सम्बोधन। पर उन सम्बोधनों में खुशबू एक जैसी ही थी। उसके स्वर में रिश्तों की गर्माहट थी। राहगीर कुछ के लिए अपना था और अन्य के लिए पराया, पर अजनबी नहीं था। जमीन की गन्ध जितनी बाहर थी उतनी ही उसके भीतर भी। खेत पार कर अचानक राहगीर की निगाहें छः सात वर्षीय एक लड़की की ओर उठ गई। उसका रंग थोड़ा साँवला था। आँखों में ढेर सारी चमक, बिखरे बाल। राहगीर ने पलभर सोचा। उसे ध्यान आया। पहले इस लडकी को कहीं देखा है। वह व्यक्ति गाँव में दो-तीन बरस पहले भी आ चुका था। उसी व्यक्ति ने मन में सोचा। कहीं यह सदोवा की मोड़ी* तो नहीं है। राहगीर पास आया, तो पूछ बैठा वह, ‘‘बिन्नू का कर रई ?’’

मिट्टी के ढेर पर बैठी लड़की के कानो में अनजाने व्यक्ति की आवाज पड़ी तो चौंक-सी उठी वह। उसने देखा अधेड़ उम्र का आदमी उसके पास आकर ठहर गया था।
————————————————
*लड़की

उसके होंठों पर हल्की मूँछें थीं। सिर पर सफेदी बिखरी हुई थी। शरीर पर मटमैला कुर्ता और धोती, पाँव में साधारण जूतियाँ, जो धूल-मिट्टी से अटी हुई थीं। लगता था जैसे वह काफी दूर से पैदल चलकर आया हो। बिना किसी हिचकिचाहट के तपाक से उसने कहा था, ‘‘किलौ बनाई रई हूँ।’’
पूछने वाले के मुँह से आश्चर्य से निकला, ‘‘क्या ?’’
झलकारी फिर बोली, ‘‘किलौ, तोय सुनाई नई दैरयौ।’’
उसके स्वर में थोड़ी तुर्शी थी। सुनने वाले को बुरा लगा। थोड़ा नाराजगी के स्वर में बोला, ‘‘बिन्नू तैं तो भौतई खुन्नस खा रई। य्य तो बतला, कौन की मोड़ी है तू ?’’
झलकारी इस बार धीरे से बोली, ‘‘सदोवा मूलचन्द्र की।’’
सुनकर आगन्तुक जाने के लिए पीछे मुड़ा ही था कि वह पूछ बैठी, ‘‘हमाय बारे में पूछ लयो अपने बारे में नई बताओ कछु।’’

जाते-जाते मंद-मंद मुस्कराते हुए कहा था राहगीर ने, ‘‘तेय बाबा को बताँव।’’ उसे घर की ओर जाते देख मन ही मन बुदबुदायी थी झलकारी, ‘‘बाबा को बताँव।’’
आसपास कोई न था। ढलान के उस पार थी तो केवल एक गाय जो खेत में चर रही थी। मिट्टी के टीले पर वह अकेली थी। थोड़ी चुप्पी के फिर उसने अपने-आप से कहा, ‘‘ऐसो कौन आदमी है, जो मोए नई बताँव।’’
मन में उभरा सवाल भला कहाँ चैन लेने देता झलकारी को। जिज्ञासावश उसने गरदन घुमाकर फिर देखा। राहगीर उसके घर की तरफ ही जा रहा था। उसके भीतर हुड़क-सी उठी। कौन आदमी हो सकता है यह ? उसके भीतर बार-बार जिज्ञासा उभर रही थी।
‘‘सहर से आया होगा...। पर तभी स्वयं का जवाब आया था, ‘‘सहरी मानस तो नइ लगता।’’
‘फिर ?’’

उसके भीतर से पुनः सवाल उभरा, ‘‘हो सकत माँ के गाँव से हो।’’ सवाल के बाद स्वयं ने जवाब भी दे दिया था, ‘‘पर माँ के गाँव से काय आया होगा ? गाँव से तो मामा आते हैं।’’
अपने ही सवाल-जवाबों की कशमश में थी वह। आगन्तुक ने बीच में आकर एक भोली-भाली लड़की को अजीब-सी मुश्किल में डाल दिया था। उसके भीतर से कभी सवाल उभरते तो कभी जवाब आते। वह असमंजस में थी। बिन बुलाए आई इसी मुश्किल से पीछा छुड़ाते हुए अन्ततः वह बुदबुदा उठी थी।, ‘‘होंगे कोई, गाँव में कितने आदमी आते-जाते हैं। हमें क्या।’’
तभी उसके बाल-सखा चन्ना और रमची ने दूर से देखा। मिट्टी के ढेर पर बैठी झलकारी कुछ बना रही थी। पास आते ही वे पूछ बैठे, ‘‘किलौ जैसो का बना रही हो बहना ?’’
उनकी तरफ देखकर जवाब दिया था झलकारी ने, ‘‘किलौ जैसो कछु नई याँ, पर किलौ ऐन है।’’
इस बार चन्ना-रमची दोनों का संयुक्त स्वर उभरा था, ‘‘किलौ !’’ बिना किसी विलम्ब के बोली थी वह, ‘‘कै दयी किलौ.....किलौ....कलौ, कछु और जानबी ?’’
बाल सुलभ मन से पूछा था फिर उन्होंने, ‘‘पर की किलौ।’’
इस बार भी तुरन्त उत्तर दिया था झलकारी ने, ‘‘हमाओ किलौ ?’’
उसका जवाब सुनकर आश्चर्य से उभरे थे चन्ना-रमची के स्वर ‘‘तुमाओ किलौ ?’’

दूसरी ओर झलकारी के स्वर में विश्वास उभरा था, ‘‘हाँ हाँ, हमाओ किलौ ? हुई नई सकत, हम किलौ में नई रह सकत ?’’
इस पर दूसरा दो-टूक जवाब था, ‘‘नई।’’
तभी झलकारी ने प्रतिवाद में कहा था, ‘‘काय ?’’
उसके प्रतिवाद में पहले दोनों हँस रहे थे तो दूसरी तरफ झलकारी उन दोनों की ओर अजीब-सी नज़रों से देख रही थी। उसकी आँखों में गुस्सा था। वैसे ही गुस्से से भरा स्वर फूटा था उसके होंठों से, ‘काए हो-हो कर रहे हो बिलात देर से, काय कौ, हम किलौ में नई रह सकत हैं ?’’ इस बार चन्ना-रमची दोनों ने बुजर्गों की तरह जवाब दिया था, ‘‘तैं इतेक बाउत नइ समझ सकत, हम कौन राजा-महाराजा हम। और किलौ में तो राजा रत्त रानी रउतीं।’’
पर झलकारी के स्वर में अभी भी आत्मविश्वास था, ‘‘अरै, हम रानी से काउ कम है।’’

दोनों बच्चों ने सुना तो वे और भी चिढाने लगे, ‘‘ऊहूँ, रानी....।’’ झलकारी उठकर उन्हें मारने को दौड़ी। वह चन्ना के पीछे भागी तो रमची उसके बनाए हुए किले की ओर आया। झलकारी ने पीछे मुड़कर देखा और डांटने के स्वर में बोली, देख रमची हमाय किलौ को कछु न हो।’’
रमची ने जैसे ही मिट्टी के किले को छूने की कोशिश की, झलकारी ने उसी तरफ झपटते हुए कहा, ‘‘ठहर पहले तोयस बतलाऊँ।’’

उससे बचने के लिए रमची और तेजी से भागा। झलकारी उसकी तरफ भागी तो चन्ना मिट्टी के आधे बने हुए किलेकी ओर आया। दोनों उसके बनाए हुए किले की ओर बारी-बारी से झपट रहे थे। पर झलकारी ने चन्ना-रमची को किले से अँगुली तक नहीं लगाने दी थी। वह उनकी तरफ दौड़ती-भागती थी। हारकर वे दोनों थक से गए थे, पर झकलारी थकने वाली नहीं, अन्त में वे ही दोनों थककर हाँफते हुए मिट्टी के ढेर पर बैठ गए। किले के पास नहीं, उससे कुछ दूर पर दोनों बैठे हुए अभी भी हाँफ रहे थे। इसलिए कि वे झलकारी के क्रोध को अच्छी तरह से जानते थे। इधर झलकारी फिर से अधूरे किले को बनाने में लग गयी। उसके माथे पर पसीने की कुछ बूँदे चुहचुहाई थीं।

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User: navratna mandusiya surera dantaramgarhReview Date:April 4, 2012, 7:04 am
झलकारी बाई दलित-पिछड़े समाज से थीं और निस्वार्थ भाव से देश-सेवा में रहीं। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमारे लिए जरुरी है।

आराध्य बाल तपस्वी अणसी बाई मेघवाल

भास्कर न्यूज. नाडोल
कस्बे में स्थित आराध्य बाल तपस्वी अणसी बाई की 86 वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई। मेघवालों के बड़े बास में स्थित बाल तपस्वी अणसी बाई के जन्म स्थल से शनिवार को पुजारी मांगीलाल मेघवाल के सानिध्य में बैंड बाजा, झांकी व गेर नृत्य के साथ शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरी तो ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया। इसके बाद खारडा रोड स्थित बाल तपस्वी अणसी बाई समाधि स्थल पर पहुंचकर विसर्जित हुई, जहां पर सैकड़ों श्रद्धालु एवं संतों के सानिध्य में चादर चढ़ाने की रस्म अदा की गई। इसके साथ पूजा-अर्चना कर प्रसादी का वितरण किया गया। पूर्व संध्या पर 'एक शाम श्री बाल तपस्वी अणसी बाई के नामÓ भजन संध्या का आयोजन किया गया। भजन संध्या में गायक कलाकार संत कन्हैयालाल एंड पार्टी आदि कई कलाकारों ने प्रस्तुति दी। समारोह में सहयोग देने वाले दानदाताओं एवं अतिथियों का साफा एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस मौके पर कांग्रेस के संयुक्त सचिव मदन सिंह राजपुरोहित, बीडीओ घीसाराम बामणिया, जिला परिषद सदस्य प्रमोद सिंह मेघवाल, सरपंच मनीषा मेघवाल, पंचायत समिति सदस्य ओंकारलाल मेघवाल, मेघवाल युवा समिति के जिला संयुक्त सचिव गौतम चंद गजनीपुरा आदि उपस्थित थे।

रविवार, 1 अप्रैल 2012

मेघवाल समाज की संभाग स्तरीय महापंचायत


भास्कर न्यूजत्नपीपाड़ शहर
राजस्थान मेघवाल समाज के तत्वावधान में मेघवंश महापंचायत 29 अपै्रल को रावण का चबूतरा मैदान, जोधपुर में सुबह 10 बजे आयोजित होगी। समाज के जिला अध्यक्ष नथमल खींची ने बताया कि समाज द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे जनजागरण अभियान के तहत प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालयों पर संभाग स्तरीय महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है।
इस महापंचायत में पूर्व केन्द्रीय मंत्री योगेन्द्र मकवाना, पूर्व मंत्री चांदराम, पूर्व मंत्री कैलाश मेघवाल, पुलिस महानिरीक्षक आरपी सिंह मुख्य वक्ता समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल होंगे। खीची के अनुसार महापंचायत की तैयारियों को लेकर 13 अप्रैल को जोधपुर के मसूरिया स्थित मेघवाल छात्रावास में आम सभा का आयोजन होगा। जिसमें संभाग क्षेत्र के समाज के बंधुगण शरीक होंगे। इस दौरान समाज के विभिन्न अग्रिम संगठनों से जुड़े प्रमुख जन भी उपस्थित रहेंगे।

Last Updated 01:29(31/03/12)
 


मंगलवार, 27 मार्च 2012

मेघ सेना का संभागीय पथ संचलन

त्नछीपाबड़ौद

राष्ट्रीय मेघवाल युवा परिषद की बैठक हनुमान चौराहा स्थित हनुमान मंदिर पर प्रदेशाध्यक्ष नंदलाल केसरी की अध्यक्षता में हुई।

केसरी ने बताया कि मेघ सेना का पथ संचलन २९ जनवरी को कोटा दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर संपन्न होगा। इसमें जिले से भी गणवेशधारी मेघ सैनिक भाग लेंगे। सुबह दस बजे मेघ सैनिक मल्टी परपज स्कूल गुमानपुरा में एकत्रित होंगे। यहां से सांसद इज्यराजसिंह हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। तहसील अध्यक्ष जमनालाल मेघवाल ने बताया कि बारां से चतुर्भुज मेघ, रामप्रसाद मेघवाल, अंता पूर्व प्रधान शांतिप्रकाश, अटरू से रामपाल मेघवाल, छीपाबड़ौद से मुकेश नारायण को सम्मानित किया जाएगा। बैठक में जिला उपाध्यक्ष गोकुल मेघवाल, तहसील कोषाध्यक्ष चंपालाल, महासचिव बाबूलाल मेघवाल, ने विचार व्यक्त किए।

Last Updated 1:12 AM (28/01/2012)
http://bollywood.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1781518-2795094.html?PRVNX=

राजनेताओं से सचेत रहकर हमें एकता दिखानी होगी : पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल

Monday, March 19, 2012
Monday, March 19, 2012
सूरतगढ़। हमारा समाज अब जागृत होने लगा है। अब एक होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल ने भाईचारा बनाने व शिक्षा को बढ़ावा देने सहित राजनेताओं से सचेत रहने की यह नसीहत रविवार को मेघवाल समाज की सम्भागीय स्तर पर हुई महापंचायत में दी। रविवार को अनाज मण्डी में इस महापंचायत की अध्यक्षता मेघवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में गुजरात से पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. योगेन्द्र मकवाना व मेघ सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष भोपाल कांटीवाल उपस्थित रहे। कैलाश मेघवाल ने कहा कि समाज का वोट समाज के उम्मीदवार को ही मिलना चाहिये। उन्होंने मेघवाल समाज को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में प्रगति करने पर जोर दिया। समाज की 11 सूत्री मांगों पर प्रकाश डालते हुए मेघवाल ने कहा कि इनको मनवाने के लिए हमें अपनी एकता को दर्शाना होगा। उन्होंने लोगों से हाथ खड़े करवाकर एकता के इस संकल्प का प्रदर्शन किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेन्द्र मकवान ने कहा कि हमारा समाज अब शिक्षित व विकसित हो चुका है। अब जरूरत समाज को और अधिक संगठित करने की है। उन्होंने देशहित में कार्य करने का मेघवाल समाज का आह़्वान किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने इस मौके पर कहा कि मेघवंश समाज 1671 जातियों में बंटा हुआ है। उन्होंने समाज की 11 सूत्री मांगे मनवाने के लिए समाज की एकता और संगठन को मजबूत करने की बात कही। वहीं गोपाल कांटीवाल ने युवाओं से आगे आकर भारतीय सेना में भर्ती होने की बात कही। कार्यक्रम में कई कार्यकत्र्ताओं को सम्मानित किया गया। इस महापंचायत कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष कुलदीप चालिया ने किया।

http://www.seemasandesh.com/NewsDetail.aspx?NewsID=21628

मेघवाल युवा परिषद की कार्यकारिणी घोषित

झालावाड़त्न राष्ट्रीय मेघवाल युवा परिषद के जिलाध्यक्ष प्रहलाद मेघवाल ने परिषद के प्रदेशाध्यक्ष की सहमति से जिला कार्यकारिणी घोषित की। जिसमें जिला संरक्षक नन्दलाल वर्मा, सलाहकार रामनारायण मेघवाल, गोपाललाल, श्याम लाल वर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डालूराम मेघवाल, कोषाध्यक्ष राजूलाल मेघवाल, प्रवक्ता विष्णु कुमार, जिला महामंत्री रामप्रताप वर्मा, उपाध्यक्ष फूलचंद वर्मा, अमरलाल वर्मा, मुकेश वर्मा, रमेशचंद, मोहनलाल वर्मा, संगठन मंत्री कैलाश मेघवाल, श्यामलाल , किशोर, सचिव राजाराम देवरिया, राजेंद्र सरखणिया, प्रचार मंत्री भगवानसिंह गडोदिया, भैरुलाल करावन को मनोनीत किया।
Last Updated 01:25(16/03/12)
 
http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1902057-2978056.html

मेघवाल ने ठोकी कपासन से ताल

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्य के पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल ने अगले विस चुनाव के लिए जिले के कपासन विस क्षेत्र से ताल ठोक दी है। मेघवाल ने जिले के कुछ पार्टी नेताओं और संगठन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनको इस इलाके में मेरी सक्रियता पच नहीं रही है, लेकिन मैं फिलहाल जनता की अदालत में घूम कर टिकट मांग रहा हूं। इसके बाद पार्टी से टिकट लाऊंगा। भदेसर पंस में कपासन विस के तहत आने वाले पारलिया गांव में शुक्रवार को नवसंवत्सर व होली मिलन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मेघवाल ने शेष

अर्जुन पर तीर.........।
अगला विस चुनाव कपासन से लडऩे की मंशा रखने के बावजूद मेघवाल जिले व प्रदेश नेताओं पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूक रहे। उन्होंने पारलिया में कहा कि गत चुनाव में गलत टिकट वितरण से जिले में पांचों सीटें हारनी पड़ी। कपासन से प्रबल दावेदार पूर्व विधायक अर्जुन जीनगर का नाम नहीं लेते हुए भी उन्होंने कहा कि एक कार्यकर्ता ने टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ लिया। किसी कारण से भले ही उन्हें पार्टी में वापस ले लिया गया हो, मगर पार्टी विधान के अनुसार ऐसे व्यक्ति को अगले छह साल तक कोई चुनाव लडऩे का हक नहीं है। मेघवाल ने यह कहते हुए अन्य नेताओं पर भी निशाना साधा कि पार्टी दो चुनाव हारने वाले को भी टिकट नहीं देती है। ऐसी नीति बनी हुई है। http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1918140-3013626.html   
Last Updated 01:57(25/03/12)
 

सोमवार, 26 मार्च 2012

पूर्व गृहमंत्री मेघवाल का स्वागत

नपानिय पंचायत मुख्यालय पर पूर्व गृहमंत्री कैलाश मेघवाल का भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। इस मौके पर सरपंच दलीचंद सालवी, पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि विजयसिंह, उपसरपंच गोपीलाल गाडरी, रामलाल मेनारिया, भंवरलाल मेनारिया, अंबालाल मेनारिया, मांगीलाल सुखवाल, गोवर्धनलाल सालवी, सत्यनारायण सोमानी समेत भाजपा कार्यकर्ता व ग्रामवासी मौजूद थे।

मेघवाल समाज की बैठक

बूंदी-!-मेघवाल समाज की बैठक रविवार को रामदेव बाबा के स्थान पर दोपहर 12 बजे आयोजित होगी। अध्यक्ष भंवरलाल ने बताया कि बैठक में विधायक कोष से स्वीकृत राशि से मंदिर परिसर में चारदीवारी निर्माण में आ रहे गतिरोध, अतिक्रमण हटाने को लेकर चर्चा की जाएगी। साथ ही छात्रावास निर्माण करने व समाज में व्याप्त कुरीतियां दूर करने को लेकर विचार—विमर्श किया जाएगा।

शनिवार, 24 मार्च 2012

हक के लिए ढंग से लड़ना होगा : मेघवाल

राजनीतिक दलों ने अपने लाभ के लिए दलितों का भरपूर उपयोग किया है। दलित समाज आज भी याचक की भूमिका में खड़ा है। आरक्षण देने मात्र से दलितों का भला नहीं हो गया। अब कमजोर तबकों को उठकर अपने हक के लिए सही ढंग से लड़ाई लड़ना होगी। दलितों को सामाजिक न्याय पूरी तरह नहीं मिला है।


यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश मेघवाल ने नीमच के दशहरा मैदान में आयोजित सर्व मेघवंश सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। बारिश में भीगने के बावजूद श्री मेघवाल बोलते रहे। लोगों ने भी उन्हें धैर्यपूर्वक सुना। उन्होंने कहा कि मेघवंशियों को अन्य समुदायों की तुलना में राजनीति में आगे आने के अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने मेघवंशियों को चेताया कि शराब और नोटों के बदले वोट देने की कुप्रथा पर लगाम लगाएँ। देशभर में मेघवंशियों का जनजागरण अभियान चलाया गया है।


मेघवंश के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने कहा कि आज भी भारत में 25 करोड़ मेघवंशी गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें अपने हक के लिए आगे लाना हमारा उद्देश्य है। मेघवंश के राष्ट्रीय महामंत्री प्यारेलाल रांगोठा ने कहा कि मेघवंश को अपना इतिहास जानना चाहिए। सर्व मेघवंश की महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमिला एस कुमार साधौ ने कहा कि समाज में बालिकाओं को शिक्षित करें, उन्हें आगे आने के अवसर दें। समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र परिहार ने मेघवंश को आरक्षण देने, मेघवंश को धर्मशाला एवं छात्रावासों के लिए जमीन आवंटित करने सहित 9 मुद्दों का ज्ञापन पढ़ा, जिसे बाद में केंद्रीय प्रतिनिधियों को सौंपा गया। राष्ट्रीय महासचिव प्रभुलाल चंदेल ने मेघवंश के उत्थान के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही।


इससे पूर्व सर्व मेघवंश समाज द्वारा नगर में रविवार दोपहर 12 बजे आंबेडकर चौराहे से रैली निकाली गई। मुख्य मार्गों से होती हुई रैली दशहरा मैदान पर सभा में परिवर्तित हुई। रविदास भक्त मंडल उज्जैन द्वारा मीरा के भजनों की प्रस्तुति दी गई। इससे पूर्व मेघ चालीसा का पाठ किया गया। संचालन किशोर जेवरिया ने किया।

मेघवाल समाज का सम्मेलन

मेघवाल समाज द्वारा 6 फरवरी को ग्राम रेहगून में जनजागृति महासम्मेलन रखा गया है। इसमें मुख्य अतिथि बीकानेर (राजस्थान) के सांसद अर्जुनराम मेघवाल, मप्र शासन के मंत्री इंद्रेश भजभिये, बड़वानी सांसद मकनसिंह सोलंकी और विशेष अतिथि जिपं अध्यक्ष बलवंत पटेल एवं जिला भाजपा अध्यक्ष एस. वीरास्वामी होंगे। बाबूलाल सोलंकी (रेहगून) एवं कालूराम मेराना (बालकुआँ) ने बताया कि सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य समाज में जनजागृति लाना है। -निप्र

शुक्रवार, 9 मार्च 2012

श्रीमती मंजू मेघवाल

पुष्कर (अजमेर) में 20 अप्रैल,1977 को जन्मी श्रीमती मंजू मेघवाल एम.ए. (लोक प्रशासन) तक शिक्षित हैं। इनका विवाह श्री ओमप्रकाश मेघवाल के साथ हुआ तथा आपके दो पुत्र हैं। पेशे से व्यवसायी श्रीमती मेघवाल तेरहवीं राजस्थान विधानसभा के लिए जायल (नागौर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई।
    
     श्रीमती मेघवाल ने बिना राजनितिक पृष्ठ भूमि के उत्तरोतर सफलता हासिल की हैं। वर्ष 2000 में जायल पंचायत समिति में निर्विरोध पंचायत समिति सदस्य चुनी गई। इसी के साथ वे निर्विरोध प्रधान निर्वाचित हुई। प्रधान का कार्यकाल पूर्ण होते ही इन्होंने विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी जताई। लेकिन तब इन्हें टिकिट नहीं दिया गया। इसके बावजूद   ये कांग्रेस संगठन के प्रति जुड़ाव रखते हुए महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष के रूप में पार्टी को अपनी सेवाएं देती रही। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हें टिकिट दिया गया। वे विधायक के रूप में निर्विचित हुई। ये राजस्थान विधानसभा की महिला एवं बाल कल्याण समिति तथा अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति की सदस्य रही हैं। दो माह पूर्व ही इन्हें कांग्रेस जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
   

       राज्यपाल श्री शिवराज पाटील ने 16 नवम्बर, 2011 को श्रीमती मेघवाल को राज्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई । इन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग दिया गया हैं।

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012





फरवरी 10, 2012 को गुजरात में मेघवार एक त्योहार मनाते हैं जो धणी मातंग देव जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. ‘मातंग’ शब्द का अर्थ मेघ है. इस अवसर पर वे 28 मेघों की पूजा करते हैं. यह जानकारी मुझे श्री नवीन भोइया से मिली जो अपने संगठन श्री अखिल कच्छ महेश्वरी विकास सेवा संघ के माध्यम से यह त्योहार इस बार बड़े स्तर पर मनाने की योजना बना रहे हैं.

उत्तर भारत में मेघों के पास मेघ ऋषि के जन्म दिवस की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. चूँकि धणी मातंग देव एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं जिनके बारे में साहित्य और लोक कथाओं में तारीखें उपलब्ध हैं अतः बहुत संभावना है कि उनके जन्मदिन का मेघ ऋषि के जन्मदिन से कोई परोक्ष संबंध हो. ऐसे में यदि विक्रमी संवत् की पहली तारीख को मेघऋषि का जन्मदिन मना लिया जाए तो असंगत नहीं होगा. मेघवंशी समुदाय इस पर विचार कर सकते हैं.

एक बड़ी खबर नवीन जी ने बताई है कि वे मार्च 2012 में एक संगोष्ठी आयोजित करेंगे जिसमें ऐसे विद्वान आमंत्रित होंगे जिन्होंने मेघवारों के धर्म बारमती पंथ (जिसकी शिक्षा को ‘जिनान’ (Ginan) कहा जाता है) पर शोध किया है. 4 विद्वान पीएचडी (डॉक्टरेट) डिग्री वाले हैं. एक फ्रेंच महिला (Francoise Mallison) शोधकर्ता को भी इस अवसर बुलाया गया है और उसने आने के लिए अपनी सहमति दे दी है. उम्मीद है कि इस आयोजन के दौरान मेघवंशियों के मूल धर्म पर प्रकाश डाला जाएगा जिसे मेघवारों ने सुरक्षित रखा है. क्योंकि मेघवंशी सिंधुघाटी सभ्यता से संबंधित हैं अतः धर्म के मूल में बौधधर्म के सिद्धांत मौजूद रहेंगे ही साथ ही प्रस्तुत किए जाने वाले शोध पत्रों से वे तथ्य सामने आने की संभावना है कि बारमती पंथ तक आते-आते उनमें किस प्रकार का विकासात्मक परिवर्तन हुआ है.

अपनी इंटरनेट यात्रा के दौरान मैंने जाना है कि मेघवार सिंधुघाटी से बिहार की ओर पलायन कर चुके मेघवंशी हैं जो बाद में क्षत्रिय जाति के रूप में गुजरात की ओर लौटे और बहुत बड़े क्षेत्र पर उन्होंने शासन किया. मातंग देव के जन्म दिवस पर वे जिन 28 मेघों की पूजा करते हैं संभव है कि वे मेघ सम्राट रहे हों या धार्मिक प्रमुख रहे हों या उनका राजा के रूप में ऐतिहासिक महत्व रहा हो जिसे आक्रमणकारी आर्य कबीलों ने इतिहास से हटा दिया लेकिन जिन्हें लोक परंपराओं के माध्यम से जनमानस ने याद रखा है.

आज मेरे समुदाय के लोग इस बात पर विश्वास नहीं कर पाते कि मेघ, मेघवाल और मेघवार वास्तव में मेघ ऋषि की ही संतानें हैं जिनका मूल एक है और जिनका गौरवशाली इतिहास रहा है. यद्यपि इतिहास नष्टप्रायः है तथापि उसकी कड़ियाँ जोड़ने का कार्य शोधार्थी कर रहे हैं भारत में भी और अमेरिका में भी. सिंधुघाटी सभ्यता की लिपि को अमेरिका में कंप्यूटर डिकोट करने में लगे हैं जो सिद्ध करेगा कि हम ऐसी सुशिक्षित सभ्यता से निकली जातियाँ हैं जिन्हें आक्रमणकारियों ने जबरन शिक्षा से दूर किया और आधुनिक इतिहास तक आते-आते उन्हें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के रूप में एक योजना के तहत बाँट दिया ताकि हम आपस में एकता न कर सकें. परंतु समय आ रहा है कि इस ग़ुलामी की मानसिकता से निकल कर मेघवंशी आपस में राजनीतिक संपर्क बढ़ाएँगे.

नवीन भोइया जी ने आशा जताई है कि इस अवसर पर प्रस्तुत शोधग्रंथों को वे एक स्मारिका/पुस्तक रूप में छापेंगे. इससे मेघवंशियों के इतिहास में और पन्ने जुड़ेंगे.
कच्छ ज़िले के गाँधीधाम और अंजार ताल्लुका के अतििक्त भुज, मुंद्रा और मांडवी ताल्लुका और गाँवों में भी यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग भाग लेते हैं.

मेघवंश महासभा ने मुख्यमंत्री चौहान को लिखा पत्र

सुप्रीम कोर्ट ने चमार शब्द को अपमानसूचक और असंवैधानिक बताया है। प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट की भावना का सम्मान करें। मेघवंश महासभा ने मुुख्यमंत्री शिवराजङ्क्षसह चौहान और मुख्य सचिव को इस बारे में पत्र लिखा है। राष्ट्रीय महासचिव प्रभुलाल चंदेल, अध्यक्ष देवेंद्र परिहार ने मांग की कि प्रत्येक जिलों के कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश जारी किए जाएं। इस असंवैधानिक शब्द को विलोपित किया जाए।

Last Updated 01:01(07/01/12)

सोमवार, 30 जनवरी 2012

(मेघवंश) बलाई समाज के महासम्मेलन को लेकर बांटी जिम्मेदारियां

किशनगढ़-रेनवाल. जयपुर में  होने वाले राष्ट्रीय (मेघवंश) बलाई समाज के महासम्मेलन को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। राष्ट्रीय संयोजक मास्टर हरिराम पाटोदिया ने बताया कि अनुसूचित जाति के लोगों की विभिन्न मांगों को लेकर समाज का राष्ट्रीय सम्मेलन जयपुर के अमरूदों के बाग में सुबह 10 बजे आयोजित होगा। सम्मेलन में देशभर से करीब दो लाख समाज बंधुओं के शामिल होने का अनुमान है। जयपुर ग्रामीण से महासम्मेलन में 200 बसें समाज के लोगों के लाने ले जाने के लिए लगाई जाएंगी। पाटोदिया ने बताया कि 11 सूत्री मांगों को लेकर महासम्मेलन आयोजित किया गया है जिसमें देश के प्रत्येक राज्यों में मेघवंश कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए जिसका दो हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटन हो। जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जाति का बजट दुगुना किया जाए, जिसे समाज के उत्थान, विकास पर खर्च किया जाए। अनुसूचित जाति की जमीनों को सवर्णों के कब्जों से हटाने के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाए आदि मांगों को मनवाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की जाएगी। महासम्मेलन को लेकर तहसील व पंचायत स्तर पर प्रभारी नियुक्त कर जिम्मेदारी बांटी गई। सम्मेलन को राज्य व राष्ट्रीय स्तर के नेता संबोधित करेंगे।
दीपावली स्नेह मिलन आयोजित
रामपुरा डाबड़ी. कस्बे के रेलवे लाइन स्थित नकट्या बालाजी मंदिर में युवाओं ने दीपावली स्नेह मिलन व संगोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में शैलेष बोहरा, रतन काछवाल आदि ने कहा कि संगठन में शक्ति है। इसलिए युवाओं को संगठन से जुडऩा चाहिए। इस अवसर पर सुंदरकांड पाठ के बाद प्रसादी भी वितरित की गई। कार्यक्रम में प्रहलाद सुंदरिया, बीएल खत्री, सुरेश भदाला, महेश पारीक, रामेश्वर पान वाला, विक्रम सिंह, विनोद, सुरेंद्र, नानू, फूलचंद आदि उपस्थित थे।

मेघवाल समाज की मीटिंग हुई

कोटड़ी.मेघवाल  समाज नवयुवक सेवा समिति की मीटिंग नया बस स्टैंड के पास चामुंडा माता मंदिर में रविवार को मध्यप्रदेश से आए समाज के राष्ट्रीय सहसंयोजक बीएम रोजड़े की अध्यक्षता तथा जिला अध्यक्ष रामप्रसाद पंवार की मौजूदगी में आयोजित हुई। 22 फरवरी को आचार्य गरीब साहेब जन्म शताब्दी वर्ष मनाने व विवाह सम्मेलन पर चर्चा की गई तथा ब्लॉक कार्यकारिणी का गठन किया गया। शंकर लाल, नारायण लाल संरक्षक, छोटू लाल बलाई अध्यक्ष, नारायण लाल, रामेश्वर लाल उपाध्यक्ष, रामेश्वर लाल खरडिय़ा महामंत्री, दुर्गा लाल पंवार प्रवक्ता, गोपाल एडवोकेट जिला प्रतिनिधि मनोनीत किए गए।

रविवार, 29 जनवरी 2012

कुरीतियां छोड़ो, समाज तरक्की करेगा : मेघवाल

साभार-दैनिक भास्कर
प्रकाशन तिथि-01:29(07/02/11)


झुंझुनूं

मेघवंशीय समाज चेतना संस्थान के संस्थापक स्व. बीएल चिराणियां के 56वें जन्मदिवस पर रविवार को आम्बेडकर भवन में मेघवाल महासम्मेलन का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल थे। उन्होंने कहा कि अगर हम समाज की तरक्की चाहते हैं तो समाज में फैली कुरीतियों को छोडऩा होगा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि मेघवाल समाज के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा। शिक्षा मंत्री ने समाज के लोगों से एकजुट होकर आगे बढऩे का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईपीएस पीआर जेवरिया ने की। डीडी नोपाराम, सीआर प्रेमी, गुरुदयाल, डीईओ दीपचंद पंवार, कानाराम घुघरवाल, सुमन चिराणियां, रामेश्वरलाल कल्याण, प्रांतीय महासचिव मदनलाल दुदवाल बतौर विशिष्ट अतिथि मंचस्थ थे। समारोह में प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम के तहत 57 विद्यार्थियों, रक्तदान के लिए 21 युवकों तथा विभिन्न क्षेत्रों विशिष्ट सेवाओं के लिए कवियों, लेखकों आदि का सम्मान किया गया। रामेश्वरलाल कल्याण, मदनलाल दुदवाल, रामनिवास भूरिया, भागीरथ नेमीवाल, सुरेश चितौसा, जोरावरसिंह, भाताराम, नोरंगलाल, राजेश हरिपुरा, रामेश्वरलाल सेवार्थी, बनेश्वरी आर्य, सहीराम तुंदवाल, प्यारेलाल, दयाराम आदि ने भी विचार व्यक्त किए। मेघवाल समाज के शिक्षकों ने चांदी का मुकुट व तलवार भेंटकर शिक्षामंत्री का स्वागत किया। महासम्मेलन में दूर-दराज से आए समाज के लोगों ने संकल्प लिया कि औरत के पार्थिव शरीर पर केवल एक ही चुनरी ओढ़ाएंगे। मुकाण में जाने वाली औरतें न तो कपड़ा लाएंगी और ना ही देंगी। टीका, समठुणी, छुछक में दी जाने वाली रकम का कोई दिखावा नहीं किया जाएगा और ना ही इसकी कोई घोषणा की जाएगी।

Link- http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1183188-1825687.html

मेघवंशियों के पास एक ही रास्ता है और वह है - एकता









जब सत्गुरु कबीर साहब का 612वाँ प्रकाशोत्सव भगत महासभा के तत्तवावधान में जम्मू में दिनाँक 25 और 26 जून 2010 को मनाया जाना तय हुआ तब तक मैं विकिपीडिया पर मेघवाल, मेघवार और मेघ समुदाय के पुराने इतिहास के परिप्रेक्ष्य में Meghwal (मेघवाल) नामक आलेख में काफी जानकारी दे चुका था. मुझे लग़ातार एक विचार आता रहा था कि राजस्थान से मेघवाल समुदाय के प्रतिनिधियों को अवश्य बुलाया जाना चाहिए. मैंने इस संबंध में प्रो. राजकुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत महासभा को सुझाव दिया था कि मेघवालों को सत्गुरु कबीर के प्रकाशोत्सव समारोह में अवश्य आमंत्रित करें. उनकी पहली प्रतिक्रिया नकारात्मक थी लेकिन मेरे बार-बार कहने पर स्थिति के राजनीतिक पक्ष को देखते हुए वे निमंत्रण देने के लिए तैयार हो गए. राजस्थान से मेघवाल उक्त आयोजन में आए. इस आयोजन में जम्मू के हज़ारों मेघों ने भाग लिया. सब से पहले महिलाएँ पहुँचीं और उनका उत्साह देखने योग्य था. भगत महासभा की जम्मू इकाई के नेतृत्व का आत्मविश्वास देखने योग्य था. कबीर साहब का साहित्य और मेघ ऋषि संबंधी आस्था के नए प्रतीक इस में दिखे. स्टालों पर लोग निरंतर आते रहे. सब से बढ़ कर जम्मू के मेघों ने मेघवाल भाइयों को जम्मू की पगड़ी पहनाई और उनका भव्य अभिनंदन किया.

ऐसे ही घटनाक्रम में राष्ट्रीय मेघवंश महासभा, दिल्ली का एक विशाल सेमिनार 26 दिसंबर 2010 को मेघगंगा सामुदायिक भवन, बनीपार्क, जयपुर में संपन्न हुआ जिसमें राजस्थान के अनेक जिलों से सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता पहुँचे. गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा आदि प्रांतों से बड़ी संख्या में लोग आए. सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ. योगेंद्र मकवाना (पूर्व केंद्रीय मंत्री) तथा सभापति श्री कैलाश मेघवाल (पूर्व केंद्रीय मंत्री) थे. राष्ट्रीय मेघवंश महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने विजय की प्रतीक तलवार श्री कैलाश मेघवाल को भेंट की. इस अवसर पर एक नए समाचार-पत्र 'दर्द की आवाज़' का विमोचन भी किया गया.

दिनाँक 10 अप्रैल 2011 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा (इंडिया) ने एक सेमीनार का आयोजन किया जिसमें विचार-विमर्ष किया गया कि मेघवंश को एक सूत्र में कैसे पिरोया जाए. देश में इसकी संख्या 16 से 21 प्रतिशत है और यह 1671 नामों में बँटा हुआ है. MEGHnet (मेघनेट) पर लिखे मेरे कुछ आलेखों पर प्रतिक्रियाएँ आईं कि ‘आप मेघों और मेघवालों को एक कैसे मान सकते हो. यदि आपको पता नहीं है तो आप ऐसा लिखना बंद करो’. मैं अपने मित्रों पर हँस नहीं कर सकता था क्योंकि वे नाजानकार थे और उनसे कोई अन्य उम्मीद नहीं थी.

इस दौरान गुजरात कच्छ से मेघवारों ने ‘मेघधारा’ नाम के समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया जो एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है. मेघवंशियों के समाचार पत्रों पर कुछ जानकारी पहले दे चुका हूँ. वहाँ की ‘श्री अखिल कच्छ महेश्वरी विकास सेवा संघ (मुन्द्रा)’ एक बहुत सक्रिय संस्था है.

समय के साथ मेघवंशी अपनी गतिविधियाँ अनवरत चला रहे हैं. मेघवालों ने 27 नवंबर 2011 को जयपुर में ‘मेघ महाकुंभ’ का आयोजन किया जिसमें हज़ारों की संख्या में मेघवंशियों ने भाग लिया. सुना है कि इस अवसर पर मेघसेना का बहुत भव्य और प्रभावशाली फ़्लैगमार्च हुआ जो शहर के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से निकला और उस पर जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई. मीडिया कवरेज की रिपोर्टें और लिंक नीचे दिए गए हैं. उक्त आयोजन की तस्वीरें यहाँ दी गई हैं. श्री गोपाल डेनवाल और श्री आर.पी. सिंह को बहुत-बहुत बधाई.
राजस्थान पत्रिकाः-
आरक्षण से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं
Monday, 28 Nov 2011 12:54:50 hrs IST

जयपुर। राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा (इण्डिया) की ओर से अमरूदों का बाग में रविवार को आयोजित मेघ महाकुंभ में राजनीतिक दलों पर निशाना साधने के साथ कांग्रेस को आगामी चुनाव में सबक सिखाने के दावे किए गए। भंवरलाल मेघवाल को शिक्षा मंत्री पद हटाने का मामला भी इस दौरान छाया रहा। साथ ही सरकार को चेतावनी दी गई अनुसूचित जाति के आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए अन्यथा समाज को सड़कों पर उतरना पडेगा।
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि आज सभी राजनीतिक पार्टिया मेघवंश समाज का इस्तेमाल करने की नीति पर चल रही हैं। समाज इसे सहन नहीं करेगा। सम्मेलन में पूर्व मंत्री कैलाश मेघवाल ने एकजुट होकर समाज को मजबूत बनाने पर जोर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री योगेन्द्र मकवाना ने कहा कि लोगों की संख्या अधिक होने के बावजूद समाज गुमनामी के अंधेरे में हैं। पुस्तैनी काम (कपड़ा बनाने) को पूंजीपतियों ने हथिया लिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौधरी चांदराम ने समाज को मजबूत बनाने की बात कही। इस मौके पर गोपाल डेनवाल को सर्वसहमति से महासभा का पुन: राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इससे पूर्व मेघसेना ने छोटी चौपड़ ने जुलूस निकाल एकता का प्रदर्शन किया।
इन मुद्दों पर चर्चा
सम्मेलन में सरकार से मेघवंश कल्याण बोर्ड बनाने, अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण बढ़ाने, बुनकर वित्त व सहकारी निगम बनाकर अनुसूचित जाति का अध्यक्ष बनाए जाने सहित 11 सूत्री मांगों पर भी चर्चा हुई।
(http://www.rajasthanpatrika.com/news/Jaipur/11282011/jaipur-news/252882)

दैनिक भास्कर :-
मेघ महाकुंभ में किया मेघवंशियों से एकजुट होने का आह्वान
छोटी चौपड़ से निकला मेघसेना का फ्लैग मार्च।

जयपुर। राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा (इंडिया) के तत्वावधान में रविवार को अमरूदों का बाग में मेघ महाकुंभ का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मेघवंश समाज के लोगों ने भाग लिया।

महाकुंभ के मौके पर सुबह छोटी चौपड़ से मेघसेना की ओर से फ्लैग मार्च निकला। इस दौरान पूरा वातावरण मेघवंश के जयघोष से गूंज उठा। बड़ी संख्या में समाज के लोग जो मेघवंश की बात करेगा, वही देश में राज करेगा...जैसे नारे लगाते हुए रवाना हुए।
वहीं पोस्टर-बैनर लिए समाजबंधु संजय सर्किल, संसार चंद्र रोड, भगवानदास रोड, बाईस गोदाम होकर अमरूदों का बाग पहुंचे। इस बीच जगह-जगह पुष्पवर्षा कर जोरदार स्वागत किया गया।

फिर महाकुंभ शुरू हुआ। इसमें मेघवंश समाज के बिखरे हुए विभिन्न वर्गों से एकजुट होने का आह्वान किया गया। इसके साथ ही सरकार से मेघवंश कल्याण बोर्ड बनाने, अनुसूचित जाति व के आरक्षण में 16 से 17 प्रतिशत बढ़ाने, बुनकर वित्त व सहकारी निगम बनाकर अनुसूचित जाति का अध्यक्ष बनाए जाने सहित 11 सूत्री मांगे रखी गई।

यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.योगेंद्र मकवाना ने महाकुंभ का उद्घाटन किया। अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश मेघवाल ने की। इस अवसर राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे।
(http://www4.bhaskar.com/article/c-10-1354299-2596900.html)

कोटा पथ संचलन में भाग लेंगे मेघवाल बंधु

झालावाड़त्न राष्ट्रीय मेघवाल युवा परिषद की ओर से कोटा में मेघसेना का संभागीय पथ संचलन में जिले से सैकड़ों गणवेशधारी समाज बंधु भाग लेंगे। रविवार को कोटा के श्रीराम रंगमंच दशहरा मैदान में होगा। सुबह 10 बजे मेघ सैनिक मल्टी परपज स्कूल गुमान पुरा में एकत्रित होंगे। सांसद इज्यराजसिंह पथ संचलन को हरी झंडी दिखाएंगे। दोपहर एक बजे के बाद शपथ ग्रहण समारोह होगा। कार्यक्रम में विधायक ओम बिड़ला, चंद्रकांता मेघवाल, पुलिस महानिरीक्षक आरपी सिंह, रेलवे अधिकारी डॉ. पीआर राठी, महापौर डॉ.रत्ना जैन मौजूद रहेंगी।

मेघवाल समाज की बैठक आज

सोजत. मेघवाल समाज सेवा संस्थान सोजत क्षेत्र की बैठक रविवार को नीमली नाडी स्थित छात्रावास भवन में आयोजित की जाएगी। जिसमें छात्रावास निर्माण पर आवश्यक चर्चा होगी। यह जानकारी संस्थान अध्यक्ष शंकरलाल मेघवाल ने दी है।

शनिवार, 28 जनवरी 2012

मेघवाल समाज की बैठक आयोजित


भास्कर न्यूजत्न पोकरण
मेघवाल समाज विकास समिति की बैठक रविवार को मेघवाल समाज न्याति नोहरा में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता रेंवताराम बारूपाल ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में मोहनलाल बारूपाल उपस्थित थे।
बैठक में सचिव केवलराम हिंगड़ा ने पीछली बैठक की कार्रवाई का अनुमोदन प्रस्तुत किया। बैठक में समाज
की विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर प्रेमचंद पंवार ने न्याति नोहरे के विकास में सहयोग करने वाले भामाशाहों के नाम को भवन में अंकित करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर बारूपाल ने समाज के सभी लोगों से आहवान किया कि समाज के छात्र छात्राओं के लिए छात्रावास बनाकर उन्हें उच्च शिक्षा दी जाए। बैठक के अंत में अध्यक्ष ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित कर भामाशाहों से समाज के विकास के लिए बढ़ चढ़ कर अंशदान देने की अपील की। बैठक में रेंवताराम पंवार, रेंवताराम रामदेवरा, भूराराम मावा, टीकूराम जयपाल, लूम्बाराम पंवार, रविकिशन बारूपाल थाट, तेजाराम पन्नू बड़ली, फरसुराम जूईया सहित अन्य समजा के लोगों ने भी सुझाव रखे।

शनिवार, 21 जनवरी 2012

मेघसेना की बैठक

आबूरोड. समीपवर्ती किवरली के मेघवालवास सामुदायिक भवन में रविवार को मेघ सेना की बैठक आयोजित की जाएगी। राजस्थान प्रदेश मेघसेना के अध्यक्ष गणपत मेघवाल ने बताया कि बैठक में सभी पदाधिकारी व सदस्य भाग लेंगे

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

मंजू मेघवाल के राज्यमंत्री बनने पर तीर्थ नगरी में खुशी की लहर


पुष्कर.विधायक  मंजू मेघवाल के राज्यमंत्री बनने पर तीर्थ नगरी में खुशी की लहर छा गई।यही नहीं कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में जयपुर पहुंच खुशी का इजहार किया।

मेघवाल और अख्तर का कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। नसीम तीर्थनगरी से विधायक हैं वहीं मंजू मेघवाल पुष्कर की बेटी हैं।


दोनों विधायकों के स्वागत के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में भी शिरकत की। जयपुर में राज्यमंत्री का स्वागत करने वालों में पूर्व पालिकाध्यक्ष दामोदर शर्मा, पूर्व उपाध्यक्ष डीके शर्मा, श्री तीर्थ गुरु पुष्कर पुरोहित संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष लाडू राम शर्मा थे। इनके अलावा संयोजक श्रवण पाराशर, ट्रस्ट की युवा समिति के अध्यक्ष गोविंद पाराशर, पार्षद सुभाष राठौड़िया, राजेंद्र महावर, संजय जोशी, राधेश्याम नागौरा, पूर्व पार्षद चांदमल उदय, ताराचंद गहलोत, गोविंद गुरु, कड़ैल सरपंच संतोष कंवर, पूर्व सरपंच घनश्याम सिंह, नांद सरपंच कुमकुम कंवर आदि शामिल थे।

नसीम आज करेंगी सरोवर की पूजा-अर्चना

राज्यमंत्री बनने के बाद नसीम अख्तर गुरुवार दोपहर 3 बजे पुष्कर आएंगी। वे मुख्य गऊघाट पर पुष्कर सरोवर की पूजा-अर्चना करेंगी। इसके बाद ब्रह्मा जी के मंदिर के दर्शन करेंगी। पुष्कर आगमन पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के अलावा नगर वासी उनका स्वागत करेंगे। कांग्रेसी उन्हें अजमेर रोड स्थित यात्री कर नाके से जुलूस के साथ गऊघाट लेकर पहुंचेंगे।

पुष्कर के विकास में नहीं छोड़ेंगी कसर :

मंत्री पद की शपथ लेने के बाद पुष्कर विधायक नसीम अख्तर ने भास्कर से कहा, मैं तीर्थराज पुष्कर के विकास के लिए पहले भी प्रयासरत थी और अब भी कटिबद्ध हूं। मुझे जनता ने सेवा का मौका दिया है उसे जिम्मेदारी से पूरा करूंगी।

उन्होंने कहा पुष्कर के विकास में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। पुष्कर तीर्थ का विकास पहली प्राथमिकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं सीएम ने जो दायित्व सौंपा है उसे वह जिम्मेदारी से निभाएंगी

मेघवाल समाज) प्रतिभावान सम्मान समारोह संपन्न

निकटवर्ती बडग़ांव के रामदेव मंदिर में मेघवाल सेवा समाज समिति के तत्वावधान में प्रतिभावान छात्र-छात्रा सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में गोपाल डेनवाल व अध्यक्ष के रूप में चितलवाना मनीषा मेघवाल ने भाग लिया। इस मौके पर नानजी राम गुलशन, संत गणेश नाथ महाराज, शिवनाथ महाराज और पुरुषोत्तम दास ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मेलन को संबोधित किया। मुख्य अतिथि गोपाल डेनवाल ने कहा कि समाज में शिक्षा के साथ संगठन होना जरूरी है। संगठित समाज होने से ही उसका विकास हो पाता है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देते हुए सभी अभिभावकों को अपने बच्चों को विद्यालय भेजने की अपील की। प्रधान मनीषा मेघवाल ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, नशाखोरी व अशिक्षा को समाप्त करने का आह्वान किया। सम्मेलन में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सिल्वर मेडल व प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समदादेवी, मनजी राम, पूनमाराम और लादुराम सहित समाज के वरिष्ठ पंच एवं शिक्षकगण भी मौजूद थे।

मेघवाल को पुन: केबिनेट मंत्री बनाने की मांग

नागौर। राजस्थान मेघवाल समाज की ओर से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान को नागौर उपखण्ड अधिकारी के मार्फत ज्ञापन भेजकर राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल को पुन: केबिनेट मंत्री बनाने की मांग की है। ज्ञापन में मेघवाल समाज के जिलाध्यक्ष चैनाराम मेघवाल ने बताया कि शिक्षा मंत्री भंवरलाल मेघवाल को बिना किसी आरोप के हटाने से नागौर जिले समेत पूरे प्रदेश के मेघवाल समाज में भारी आक्रोश हैराज्य सरकार में विशेषकर मेघवाल समाज के भंवरलाल मेघवाल एकमात्र काबिना मंत्री थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नाटकीय अंदाज में शिक्षा मंत्री मेघवाल से इस्तीफा मांगकर समाज की गरीमा को ठेस पहुंचाई है। शिक्षा मंत्री को अगर कांग्रेस पार्टी ने अनदेखी कर वापस राज्य मंत्रिमण्डल में केबिनेट मंत्री नहीं बनाया तो आगामी चुनावों में पार्टी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ज्ञापन देने गए प्रतिनिधि मण्डल ने युवा मेघवाल समाज के अध्यक्ष छोटूराम मेघवाल, किसान छात्र संघ के अध्यक्ष जोगेन्द्र सांगवा, कॉलेज के पूर्व महासचिव दिनेश मेहरा, सुभाष माली समेत बड़ी संख्या में मेघवाल समाज के नागरिक शामिल थे। मेघवाल को मंत्रिमण्डल से हटाने के विरोध में जिले भर में उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी ह

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

समाज में लानी होगी जागरूकता-मेघवाल Monday, 09 Jan 2012 8:32:21 hrs IST


अलवर। राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का कहना है कि मेघवाल समाज को नई पीढ़ी में शिक्षा व सामाजिक जागरूकता लानी होगी जिससे समाज का पिछड़ापन मिटाया जा सके। पूर्व शिक्षा मंत्री रविवार को मेघवाल विकास समिति की तरफ से बाबा गरीबनाथ छात्रावास में प्रतिभावान बालकों के प्रतिभावान सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मेघवाल समाज को बालिकाओं को पढ़ाने पर विशेष ध्यान देना होगा। समारोह में नगर विकास न्यास के अध्यक्ष प्रदीप आर्य ने कहा कि सभी को दहेज नहीं लेने व देने, सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन तथा बालिकाओं को पढ़ाने की शपथ लेनी होगी। कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य नरेन्द्र शर्मा, पंचायती राज कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मूलचंद गुर्जर, समाजसेवी मोहर सिंह फांसल, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष सी.एल. जाजोरिया, जिला शिक्षा अधिकारी हीरा लाल आर्य, डा. बी. आर. शास्त्री, बानसूर प्रधान मीना कुमारी तथा अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष जगदीश प्रसाद ने भी विचार व्यक्त किए। स्वागत भाष्ाण मेघवाल विकास समिति के जिलाध्यक्ष निहाल सिंह ने दिया। उन्होंने बालिका छात्रावास के लिए जमीन देने की मांग भी रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक टीकाराम जूली ने की।

इस अवसर पर मेघवंश नामक स्मारिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर छात्रावास में योगदान देने वाले व्यक्तियों व समाज की तीन सौ प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। इनमें आईआईटी, विशिष्ट सरकारी नौकरियों तथा मैरिट में आने वाले प्रतिभाशाली बालक व युवा थे। मेघवाल समाज के वक्ताओं ने कांग्रेस सरकार को चुनौती देते हुए मास्टर भंवर लाल मेघवाल को दुबारा मंत्री बनाने और ऎसा नहीं होने पर विधानसभा चुनाव में नुकसान की बात कही। अतिथियों का स्वागत सुमेर सिंह, हरिसिंह, डा. महेशचंद गोठवाल, रामधन जाजोरिया तथा भरत सिंह सहित अनेक पदाधिकारियों ने किया।

पूरे राज्य में मेघवाल समाज लामबंद
राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल का कहना है उन्हें शिक्षा मंत्री पद से हटाया गया तो पूरे प्रदेश में आंदोलन हुए हैं। अब पूरा मेघवाल समाज लामबंद है और इनमें रोष है। मेघवाल ने कहा कि यह समाज की उनके प्रति भावना है। वे कांग्रेस के अनुशासित सिपाही की तरह कार्य करेंगे। मेघवाल रविवार को बाबा गरीबनाथ छात्रावास में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

http://www.rajasthanpatrika.com/news/Alwar/192012/alwar-news/268436

देसूरी : मेघवाल समाज आयोजित करेगा कोट सोलंकियान में सामूहिक विवाह


संवाददाता देसूरी ११ जनवरी
मेघवाल समाज ने कोट सोलंकियान में 51 जोड़ों का सामूहिक विवाह आयोजित करने का निर्णय लिया हैं। यह आयोजन मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान देसूरी शाखा के तत्वावधान में होगा। इससे पूर्व यह संस्थान मारवाड जंक्शन में सामूहिक विवाह का सफल आयोजन कर चुका हैं।
कोट सोलंकियान स्थित हरचंदवाणी अलख आश्रम में पीर गुलाबदासजी महाराज के सानिध्य,मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान देसूरी शाखा के अध्यक्ष फू साराम माधव की अध्यक्षता एवं केन्द्रीय अध्यक्ष भोपाजी प्रतापराम गोयल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस बैठक में मेघवाल समाज ने इस सामूहिक विवाह के आयोजन की सहर्ष मंजूरी दी। इसी के साथ इस आयोजन के लिए समाज के भामाषाहों ने तीन लाख की धनराशि की घोषणा की और उपहारों एवं विवाह सामग्री की घोषणा करने की झडी लगा दी।
बैठक में बताया गया कि विवाह पंजीयन के लिए सात हजार की राशि जमा करानी होगी।
वर-वधु को बालिग होना आवश्यक हैं और शपथ पत्र पर एक घोषणा पत्र भी प्रस्तुत करना होगा। विवाह समारोह की तिथि व विवाह की तैयारियों के संबध में निर्णय आगामी बैठकों में किया जाएगा। बैठक में जिला परिषद सदस्य प्रमोदपाल सिंह मेघवाल,केन्द्रीय प्रभारी लक्ष्मण बेगड एवं देसूरी ब्लॉक के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में मेघवाल समाज के पंच एवं युवक मौजूद थे। बैठक का संचालन मोहनलाल भाटी ने किया।
महेन्द्र गहलोत संवाददाता देसूरी/घाणेराव


























http://sampadak.co.in/2012/01/देसूरी-मेघवाल-समाज-आयोजि/




मेघवाल समाज ने सेवा और शिक्षा की जगाई अलख


भास्कर न्यूज त्न बाड़मेर
मेघवाल समाज ने शैक्षणिक एवं शोध संस्थान के सहयोग से रीको इंडस्ट्रियल एरिया स्थित समाज के छात्रावास में वृद्धाश्रम और पुस्तकालय खोला है। पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी
करने वाले समाज के विद्यार्थियों के लिए किताबें मिलेंगी।
वहीं वृद्धों को लेकर भी समाज सजग है।यही वजह है कि समाज ने इस दिशा में न केवल सोचा बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया।सांसद हरीश चौधरी ने पुस्तकालय और वृद्धाश्रम भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने सर्वांगीण विकास के लिए समाज को संगठित रहकर वर्तमान पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करना होगा। विधायक मेवाराम जैन ने समाज के छात्रावास विस्तार एवं बालिका छात्रावास के लिए विधायक निधि कोष से राशि उपलब्ध करवाने कआश्वासन दिया। चौहटन विधायक पदमाराम मेघवाल ने समाज को संघर्षशील रहने की बात कही। समारोह में प्रशासनिक सेवाओं में चयनित युवाओं का सम्मान किया गया। संस्थान के कोषाध्यक्ष हजारी राम बालवा ने कहा विभिन्न दानदाताओं ने चार लाख पचास हजार रुपए की राशि कमरा निर्माण के लिए भेंट की।

भास्कर न्यूज त्न बाड़मेर
मेघवाल समाज ने शैक्षणिक एवं शोध संस्थान के सहयोग से रीको इंडस्ट्रियल एरिया स्थित समाज के छात्रावास में वृद्धाश्रम और पुस्तकालय खोला है। पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी
करने वाले समाज के विद्यार्थियों के लिए किताबें मिलेंगी। वहीं वृद्धों को लेकर भी समाज सजग है।यही वजह है कि समाज ने इस दिशा में न केवल सोचा बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया।सांसद हरीश चौधरी ने पुस्तकालय और वृद्धाश्रम भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने सर्वांगीण विकास के लिए समाज को संगठित रहकर वर्तमान पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित करना होगा। विधायक मेवाराम जैन ने समाज के छात्रावास विस्तार एवं बालिका छात्रावास के लिए विधायक निधि कोष से राशि उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया। चौहटन विधायक पदमाराम मेघवाल ने समाज को संघर्षशील रहने की बात कही। समारोह में प्रशासनिक सेवाओं में चयनित युवाओं का सम्मान किया गया। संस्थान के कोषाध्यक्ष हजारी राम बालवा ने कहा विभिन्न दानदाताओं ने चार लाख पचास हजार रुपए की राशि कमरा निर्माण के लिए भेंट की।



छात्रों के लिए अध्ययन में बनेगा मददगार : मेघवाल समाज शैक्षणिक एवं शोध संस्थान के परिसर में बनाए गए इस पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की पुस्तकों के अलावा सामान्य ज्ञान, इतिहास एवं सहित विभिन्न तरह की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी जिसकी मदद से यहां अध्ययनरत छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में मदद मिलेगी। साथ ही छात्रावास से बाहर रहने वाले समाज के युवाओं को भी इस पुस्तकालय का फायदा मिलेगा।
असहायों के लिए बनेगा वरदान : मेघवाल समाज शैक्षणिक एवं शोध संस्थान के परिसर में बनाए गए वृद्धाश्रम का उद्देश्य समाज के ऐसे वृद्ध जनों को जीवन उपयोगी सुविधा मुहैया कराना हैं जो किसी न किसी कारणवश अपने परिवार से अलग हो चुके हैं या जिनकी सार संभाल करने वाला कोई नहीं हैं।
इन्हें यहां पर रहने एवं खाने-पीने की सभी सुविधाएं संस्थान की ओर से आगामी समय में उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित हैं।

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...