सोमवार, 25 दिसंबर 2017

शेखावाटी मेघवंश (बलाई समाज) का सामूहिक निशुल्क विवाह सम्मेलन आयोजीत हुवा

नवरत्न मन्डुसिया की कलम //शेखावटी मेघवंश समाज सामूहिक विवाह सम्मेलन समिति, नीमकाथाना  के तत्वावधान में शेखावाटी मेघवंश समाज का 5वां निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन (भागचन्द स्टेडियम), खाटूश्‍यामजी जिला सीकर में हुआ। शेखावाटी मेघवंश समाज ने सोमवार को सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन में 51 जोड़ों का विवाह आयोजित किया गया. समाज द्वारा सभी दलों की सामूहिक रूप से बिंदोरी निकाली गई और खाटूश्यामजी  के मुख्य बाजार से गुजरी.
मेघवंश समाज के खाटूश्यामजी होते  से शुरू हुई बिंदोरी भागचंद स्टेडियम  पर सम्मेलन आयोजन स्थल पर पहुंची, जहां सभी जोड़ों का परिणय कार्यक्रम कराया गया. वहीं यह परिणय कार्यक्रम विधिवत वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ हुआ.इस सम्मेलन की विशेषता ये रही कि लड़का और लड़की दोनों ही पक्ष से समाज द्वारा एक भी रुपया नहीं लिया गया. सारा खर्चा समाज ने ही वहन किया और पूरे परिवार को बसाने के लिए जिन-जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है वह वस्तुएं सभी जोड़ों को दी गईं. समाज के इस पहले आयोजन पर सभी लोगों ने सराहना करते हुए समाज बंधुओं का धन्यवाद ज्ञापित कर उन्हें बधाई दी. इस मौके पर मेघवंश समाज के प्रदेश भर से आए लोगों ने हिस्सा लिया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के गोपालन राज्‍य मंत्री ओटाराम देवासी थे एवं अध्यक्षता संसदीय सचिव डाॅ. विश्‍वनाथ मेघवाल ने की। सीकर विधायक रतनलाल जलधारी, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिषद के अध्‍यक्ष आर.पी. सिंह, राष्‍ट्रीय स्वाभिमान सेवा समिति के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष नरेन्दपाल वर्मा, डा. अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी के अध्‍यक्ष भजनलाल रोलन एवं पूर्व विधायक केशर देव बाबर विशिष्‍ट अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित रहे।
राष्‍ट्रीय स्‍वाभिमान सेवा समिति के अध्‍यक्ष नरेन्‍द्रपाल वर्मा ने अपने सम्‍बोधन में समाज में सामूहिक विवाह को अधिक से अधिक तादाद में आयोजित करने की अपील करते हुए कहा कि इससे व्यर्थ में व्यय होने वाले श्रम, धन व समय की बचत हो सकती है।
इस अवसर पर आयोजन समिति अध्यक्ष कानदास महाराज, उपाध्‍यक्ष मंगलचन्द जाखड, महासचिव भंवर लाल वर्मा  राकेश मन्डुसिया सुरेरा ,कोषाध्यक्ष बालकिशन वर्मा भीम आर्मी के सीकर के मीडीया प्रभारी प्रहलाद बरवड़ भीम आर्मी दांतारामगढ़ के अध्यक्ष नवरत्न मन्डुसिया सुरेरा उपाध्यक्ष दयालचंद मन्डुसिया जालुन्ड भीम आर्मी सीकर के महासचिव धर्मेंद्र वर्मा  सचिव अनिल बराला और भीम आर्मी भारत एकता मिशन सीकर  अध्यक्ष श्यामलाल मेघवाल खंडेला भीम आर्मी के उपाध्यक्ष कृष्ण वर्मा  भीम सेना  राजस्थान  के अनिल तिरदिया  आदि  शामिल हुवे सहित समिति के समस्‍त पदाधिकारीगण एवं समाज बंधु हजारों की संख्‍या में उपस्थित रहे।
भामाशाह राकेश मन्डुसिया का योगदान
सब जानते है आज के जमाने में कोई भी व्यक्ति बिना स्वार्थ काम नहीं करतें है लेकिन  राकेश मन्डुसिया बिना स्वार्थ समाज  सेवा कर रहे ¦  राजस्थान प्रांत के सीकर जिले के दांतारामगढ़ तहसील के सुरेरा गांव जन्मे राकेश मन्डुसिया शुरू से ही समाज सेवा में अव्वल है हमेशा लोगों को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करतें रहते है दिनांक 25/12/2017 को होने वाले मेघवंश बलाई समाज सामूहिक निशुल्क विवाह सम्मेलन में राकेश मन्डुसिया ने 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देकर मानव सेवा के धर्म को निभाया है हमेशा गरीब वंचित लोगों को सहायता करतें रहते है राकेश मन्डुसिया पेशे से सरकारी व्याख्याता अजमेर में पोस्टेड है और राकेश मन्डुसिया की धर्मपत्नी रेशम बराला सरकारी टीचर है  जिस समय इनकी शादी हुवी थी उस समय राकेश मन्डुसिया ने दहेज में मात्र एक रुपया लिया था राकेश मन्डुसिया अम्बेडकरवादी विचारधारा के है और सच्चे अम्बेडकर के अनुयायी है //नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

बुधवार, 13 दिसंबर 2017

खाटूश्यामजी मे होगा 25 दिसम्बर 2017 को बलाई समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //बेटा अंश है तो बेटी वंश है, बेटा आन है तो बेटी शान है, का संदेश देते हुए राज्य स्तरीय सामूहिक विवाह व पुर्नविवाह सम्मेलन 25 दिसम्बर  को आयोजित किया जाएगा।बलाई समाज के पंचम सामूहिक विवाह समेलन जो कि 25 दिसम्बर को खाटु श्याम जी में होने जा रहा हे।  71 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे हे 71 का रजिस्ट्रेशन हो चूका हे। में आप सभी से इसे सफल बनाने की प्रार्थना करता हूँ।आप लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्तित होकर नव् दंपतियों को आशीर्वाद प्रदान करे व अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करके इस विवाह समेलन को सफल बनायें। लगभग 50 हजार की संख्या में समाज व् अन्य लोगो के शिरकत करने की उमीद हे। बहुत सारी व्यवस्थाये करने ह जो आपके  सहयोग के बिना संभव नहीं है। अतः आप अपने तन मन व् धन से इसे सफल बनायें। बहुत सारे कार्यकर्ताओ की आवश्यकता है तथा बारात व कलश यात्रा निकाली जाएगी। जहां आयोजन स्थल पर बारातियों का स्वागत किया जाएगा। इस मौके पर वर-वधुओं का पणिग्रहण संस्कार कराने के साथ ही समाज की भामाशाहों, मुख्य अतिथियों व प्रतिभाओं का सम्मान किया जाएगा।  बलाई समाज सहित बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित व गणमान्य लोग व समाजबंधु कार्यक्रम में शिकरत करेंगे 

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

बाड़मेरी सुमन मेघवाल को डॉक्टर अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड से नवाजा

मन्डुसिया न्यूज़ ब्लॉग // सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन कार्यरत डा.अम्बेडकर प्रतिष्ठान की ओर से प्रदान किए जाने वाले डा.अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड के लिए बाड़मेर की सुमन परमार का चयन हुआ है।
जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने गुरूवार को सुमन को 60 हजार का चैक एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

बाड़मेर निवासी सुमन परमार पुत्री टीकमदास परमार ने सीनियर सैकंडरी परीक्षा 93.20 फीसदी अंक प्राप्त किए है। उसका  डा.अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड के लिए चयन होने पर 60 हजार का चैक एवं प्रशस्ति पत्र बाड़मेर भिजवाया गया।
जिला कलक्टर शिवप्रसाद_मदान_नकाते ने सुमन को प्रशस्ति पत्र सौंपते हुए कहा कि वह अपने पर नकारात्मक पक्ष को हावी नहीं होने दें। उन्होंने सुमन से पूछा कि वह क्या बनना चाहती है, इस पर सूमन ने बताया कि वह डाक्टर बनना चाहती है। जिला कलक्टर ने उसको प्रोत्साहित करते हुए सफलता के लिए निरंतर प्रयास जारी करने के लिए कहा। इस अवसर पर जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.गुंजन सोनी उपस्थित रहे। यह अवार्ड अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियो को दिया जाता है जो अव्वल आते है। सुमन परमार सीनियर सैकंडरी जीव विज्ञान विषय में पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पर रही हैं। पूरे प्रदेश में यह एक मात्र बालिका है जिसको डा.अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड से नवाजा गया है।

●: राजेन्द्र लहुआ बाड़मेर :●

मंगलवार, 21 नवंबर 2017

इस नुस्ख़े से आप भी निजात पा सकते हैं दांत के दर्द से

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //अगर आपके भी दांतों में दर्द की शिकायत रहती है तो आप इस नुस्खे को अपनाकर अपने दांत के दर्द से निजात पा सकते हैं। एक कटोरे में नीबूं का रस निकालें और उसमे थोड़ा सा फिटकरी मिला दें। इन दोनों चीज़ों को मिलकर मिश्रण बना लें और जिस दांत पर दर्द हो रहा हों उसके ऊपर मॉल दें। थोड़ी देर के बाद मुँह को खुला छोड़ दें और लार टपकने दें। लार के साथ- साथ सारे कीटाणु भी दांत के बाहर निकला जाते हैं और दांत दर्द से निजात मिलता है। इस प्रक्रिया के लिए आपको सिर्फ निम्बू और फिटकरी चाहिए होता है। इस प्रक्रिया को नियमित रूप कुछ दिनों तक करने से दांत के दर्द से छुटकारा मिलता है। नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

शादी हो या पार्टी कहीं जानें से पहले अपने चेहरे को गोरा बनाने के लिए करें ये जबरदस्‍त उपाय, मिनटों में ही दिख जाएगा असर

खास रिपोर्ट नवरत्न मन्डुसिया की और से //आज के समय में हर कोई चाहता है कि वो सुंदर और स्‍मार्ट दिखें क्‍योंकि उसका लूक भी उसके प्रोफाइल पर काफी असर डालता है वैसे इसके लिए लोग हजारों रूपए खर्च कर देते हैं लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि इतने पैसे खर्च करने के बाद भी आपको मनचाहा गोरापन व निखार मिल जाए और हो सकता है आगे चलकर इन केमिकल के इस्‍तेमाल से आपको बहुत ज्यादा परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती है। आज मैं कुछ देशी उपाय बता रही हूं जिसे अपनाकर आप गोरा बन सकते हैं। बेसन और हल्दी का लेप सबसे शानदार नुस्‍खा अगर आपको गोरा दिखना है तो ये देशी नुस्‍खा बहुत जबरदस्‍त होता है इसके लिए आपको एक चम्मच बेसन लेना है और आधा चम्मच हल्दी, इसका एक पेस्ट बनाना है। पेस्ट बनाने के लिए इसके अंदर आपको दो चम्मच दूध डालना होगा। एक ऐसा पेस्ट बना लेना जो आसानी से घुल जाए। इस पेस्ट को बनाने के बाद इसमें आपको गुलाब जल मिलाना है ताकि इससे आपके चेहरे की झुरियां कम हो जाए गुलाब जल ठंडा होता है इसलिए आप अपने चेहरे को बेदाग बनाना चाहते हैं तो उस पेस्‍ट में गुलाब जल मिलाकर आप उसे दो मिनट के लिए छोड़ दें उसके बाद ये पूर तरह से उसमें मिल जाएगा। इस पेस्‍ट के तैयार हो जाने के बाद आप इसे अपने चेहरे पर लगाएं और आराम से पूरी त्वचा को इस पेस्ट के अंदर समाहित करना है। उसके बाद करीब 15 मिनट त‍क के लिए इस पेस्‍ट को अपने चेहरे पर रहने दें ताकि ये सूख जाए और करीब 15 मिनट हो जाए तब आपको इस लेप को उतार देना है।जब लेप पूरी तरह से सूख जाए तो आप इसे हटाकर अपने ठंडे पानी से धो लें। ठंडे पानी से मुहं धोने से हमारे चेहरे की झुरियाँ कम हो जाती है और हमारे चेहरे पर एक अलग सा ग्लो आ जाता है। अगर आपको कहीं शादी या पार्टी में जाना हो तो ये आपके लिए बेहद ही शानदार नुस्‍खा है।

रविवार, 19 नवंबर 2017

फोन या सार्वजनिक स्थान पर SC/ST के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहना अपराध : सुप्रीम कोर्ट


RAJKUMAR PAL
Publish: Nov, 19 2017 02:54:40 (IST)
MISCELLENOUS INDIA
सार्वजनिक स्थानों या फोन पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करना अपराध

नई दिल्ली: एससी और एसटी संबंधित एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सार्वजनिक स्थानों या फोन पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करना अपराध माना जाएगा। इसके लिए अधिकतम पांच जेल की सजा हो सकती है।
दरअसल जस्टिस जे चेलामेश्वर और एस अब्दुल नजीर की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 17 अगस्त के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। क्योंकि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रहने वाले व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी थी। जिसने अपने खिलाफ एक महिला द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। व्यक्ति पर आरोप है कि उसने फोन पर अजा/अजजा श्रेणी की एक महिला के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
वकील ने कोर्ट में दिया ये दलील
वहीं दो जजों के बेंच ने कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि आरोपी व्यक्ति को सुनवाई के दौरान यह साबित करना होगा कि उसने महिला से सार्वजनिक स्थल से बात नहीं की थी। वहीं इस मामले में आरोपी पक्ष के वकील विवेश विश्नोई ने कहा कि पहली बात की यह एक प्राइवेट बातचीत थी। महिला और उनके मुवक्किल ने जब बात की तब दोनों अलग-अलग शहरों में थे। साथ ही उन्होंने कहा कि इस कारण यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी तब सार्वजनिक स्थान पर खड़ा या मौजूद था।
2008 में सार्वजनिक स्थल पर आ चुका है फैसला
वकील विवेश विश्नोई ने आगे कहा कि इस केस में जब दोनों व्यक्ति अलग-अलग शहरों में थे और सारी बातचीत जब फोन पर हो रही है। साथ ही किसी ने नहीं देखा कि मेरे मुवक्किल सार्वजनिक स्थल पर खड़े हैं। उसके साथ ही एक निजी बातचीत थी। उन्होंने कहा कि वैसे भी 2008 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही तय कर रखा है कि 'सार्वजनिक स्थल या दृष्टिकोण' का मतलब क्या है।https://m.patrika.com/miscellenous-india/supreme-court-rules-out-abusing-scst-over-phone-in-public-place-2013856/


शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

सहारनपुर बवाल: जानिए क्या है भीम आर्मी और कौन हैं इसके संस्थापक


   

सहारनपुर। शब्बीरपुर में हुए जातीय संघर्ष के बाद गांव रामनगर में हुए दलित बनाम पुलिस बवाल को लेकर एक खास नाम सामने आया है। जिसका नाम है भीम आर्मी। भीम आर्मी का पूरा नाम भारत एकता मिशन भीम आर्मी है। छह साल पहले दलितों के दमन की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भीम आर्मी के गठन का निर्णय लिया गया था। आज यह संगठन दलित युवकों का पसंदीदा संगठन बन गया है। फेसबुक पर इस संगठन को पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खास बात यह है कि इस संगठन में दलित युवकों के साथ साथ पंजाब और हरियाणा के सिख युवा भी जुड़े हैं। एक दो गुर्जर युवक भी इस संगठन के सदस्य हैं।

सहारनपुर में यह संगठन अपनी खास पहचान बनाए हुए है। इस संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष, अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद हैं। करीब छह साल पहले जब चंद्रशेखर के पिता अस्पताल में भर्ती थे तो चंद्रशेखर ने अपने अस्पताल में लोगों से दलित समाज के दमन की बातों को सुना। उस वक्त वह अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन दलितों के दमन की बात सुनकर चंद्रशेखर ने अमेरिका जाने का विचार त्याग दिया और 2011 में गांव के कुछ युवाओं के साथ मिलकर भारत एकता मिशन भीम आर्मी का गठन किया।

तीस वर्षीय चंद्रशेखर पेशे से अधिवक्ता हैं, संगठन के साथ-साथ वह वकालत भी करते हैं। जिस वक्त भीम आर्मी का गठन किया गया था, उस समय इसका उद्देश्य दलित समाज की सेवा करना और इस समाज की गरीब कन्याओं के लिए धन जुटाकर विवाह संपन्न कराना था। लेकिन तीन दिन पूर्व गांव रामनगर में हुए बवाल ने इस संगठन के नाम पर कालिख पोत दी। बकौल चंद्रशेखर, जिस दिन यह बवाल हुआ उस दिन वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने गांव छुटमलपुर स्थित घर पर थे।

चंद्रशेखर ने बताया कि ने कहा, राजनीतिक दलों को सभी समुदायों के वोटों की ज़रूरत होती है लेकिन कोई भी वास्तव में दलितों की परवाह नहीं करता है। हमारे लोगों पर हर दिन अत्याचार किया जाता है और उनके पास आवाज नहीं है वे पुलिस में नहीं जा सकते क्योंकि वे हमारी बात नहीं सुनते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि उना (पिछले साल गुजरात में दलितों के हमलों पर गठबंधन पर हमला) या (हैदराबाद छात्र) रोहिथ वेमुला की आत्महत्या आदि ऐसे मामले हैं, जहां पर दलितों की कोई सुनवाई नहीं हुई। चंद्रशेखर के अनुसार, भीम सेना एक मंच है जहां हम अपने युवा दलित समाज हित में कार्य करने के निर्देश देते हैं और उन्हें जागरूक करते हैं।

चंद्रशेखर ने बताया कि दस मई को मल्हीपुर रोड पर हुई वारदात में सभी लोग भीम आर्मी के सदस्य नहीं थे। उन्होंने कहा कि मल्हीपुर रोड पर बवाल होने के बाद अधिकारियों ने उसे विरोधियों को शांत करने के लिए बुलाया था। वह भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के साथ साथ डा. अंबेडकर के अहिंसावादी रास्तों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी को बताता हूं कि इन दिनों सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दमन से लड़ने के लिए दलित शिक्षित हो। जब हम उनकी (ऊपरी जाति) नौकरियां प्राप्त करें, तभी कुछ समानता हो जाएगी। हमारे पास एक ही खून है, इसलिए अंतर क्यों? दो साल पहले चंद्रशेखर के पिता का देहांत हो गया था। अब परिवार में दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है और दो भाई है, जिनमें एक चंद्रशेखर की भी शादी नहीं हुई है। दूसरा भाई पढ़ाई के साथ साथ एक मेडिकल स्टोर पर नौकरी करता है। एक चचेरा भाई है, जो इंजीनियर है। वही परिवार को समय समय पर आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

आपको बता दें फेसबुक पर भीम आर्मी का एक पेज बना है, जिसके फालोअर्स की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। इस पेज से ज्यादातर दलित जुड़े हैं, लेकिन पंजाबी और सिख युवा भी इसके सदस्य हैं। स्थानीय स्तर पर यह संगठन इतना मजबूत है कि हर गांव में इस संगठन से जुड़े दलित युवक हैं। सहारनपुर के अलावा शामली और मुजफ्फरनगर जनपदों में भी कार्य कर रहा है। हरियाणा के अंबाला और यमुनानगर के अलावा राजस्थान  उत्तराखंड के मैदानी जनपद देहरादून व हरिद्वार में भी इस संगठन के कार्यकर्ता हैं।

जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया :- भँवर मेघवंशी


युवा लेखक शून्यकाल के सम्पादक की खास रिपोर्ट 
जातीय सेनाओं पर प्रतिबंध के लिए राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने राष्ट्रपति से की अपील, प्रतिबंध की गिनवाई विस्तार में वजहें
1- भारतीय संविधान के अनुसार वैधानिक रूप से तीन सेनाओं - थलसेना, वायुसेना और जलसेना का अस्तित्व है, जिन्हें शस्त्र धारण कर देश की अखंडता, एकता और संप्रभुता का संरक्षण करने का दायित्व सौपा गया है , ये तीनों सेनाएं भारत के राष्ट्रपति के अधीन है और संविधान के दायरे में पूर्णतः कानूनी रूप से काम करने हेतु बाध्य है।
2- भारत का संविधान देश के नागरिकों को शांतिपूर्ण एवम अहिंसक रूप से संगठित होने, संघ बनाने का मौलिक अधिकार देता है, जिसके तहत कई संस्था, संगठन, अभियान और जन आंदोलन, ट्रेड यूनियन एवम राजनीतिक दल गठित हो कर संविधान के दायरे में काम करते है ।
3- जिन तत्वों की लोकतंत्र में आस्था नहीं है, ऐसे सामंती और जातिवादी तत्व संविधान के दायरे से ऊपर उठकर निजी गिरोह बना लेते है, जिन्हें किसी प्रसिद्ध इतिहास पुरूष अथवा धार्मिक व्यक्ति के नाम या धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति का नाम देकर सेना बना लेते है जो कि पूर्णतः असंवैधानिक होती है और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहती है।
4-आजकल ऐसी जातीय, धार्मिक और साम्प्रदायिक निजी सेनाएं देश भर में सक्रिय हो चुकी है जो भारत राष्ट्र की कानून और व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही है, ये निजी सेनाएं असामाजिक तत्वों के गिरोह है, जो अपनी जाति या सम्प्रदाय को ही राष्ट्र समझते है ।
5-जाति सेनाओं के अत्यधिक उभार से यह बात साबित होती है कि जातीयां अब इस देश मे सम्पूर्ण प्रभुता सम्पन्न स्वतन्त्र गणराज्यों का स्वरूप ले रही है ,जिनकी अपनी सेनाएं है और अपनी खांप नामक न्याय पंचायतें जो कि अदालतों के समानांतर वैधानिक कार्यवाहियों को अंजाम देती है ,कई बार तो लोगों की चरित्र परीक्षा और जान तक लेने के आदेश दिए जाते है ,जो कि एक राष्ट्र के रूप में भारत के लिए अत्यंत शर्मनाक बात है ।
6-आजकल हर जाति की सेना मौजूद है, इन्हें बाकायदा आर्मी, सेना या रेजिमेंट कहा जाता है ,इनकी ड्रेस होती है, झंडे होते है, इनके पास हथियार होते है और वे अक्सर सशस्त्र बलों की भांति हथियारों के साथ सड़कों पर मार्चपास्ट करते है, आम जन में दशहत का माहौल बनाते है और अपनी जाति के लिए मांगे मनवाने के लिए सड़कें जाम कर देते है, रेल की पटरियां उखाड़ लेते है, थाने जला देते है और पुलिस एवम अर्धसैनिक बलों पर गोलीबारी करते है ,ये अपनी जाति समुदाय के लिए राष्ट्र की हज़ारों करोड़ की संपत्ति को नुकसान पँहुचाने से भी गुरेज नही करते है, इनके लिए राष्ट्र से पहले अपनी जाति,धर्म,समुदाय है ।
7- इन जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया है, इनकी अपनी न्याय व्यवस्था है ,इनकी अपनी सेनाएं है, इनका अपना निज़ाम, इनके डंडे, इनके झंडे है ,इनको देश और देश के अन्य नागरिकों से कोई मतलब नही है, इन जातीय सेनाओं ने भारत का लोकतंत्रीकरण करने के बजाय कबीलाईकरण कर दिया है, हम 21 वीं सदी के बजाय 12 वी सदी में पँहुच गये है, निजी जातीय सेनाओं का अस्तित्व में आना और जीवित बने रहना हमारे राष्ट्र राज्य की विफलता है ।
8-जाति सेनाएं अब संविधान से ऊपर हो गयी हैं, वे संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीन रही हैं ,वे नागरिकों पर संविधानेतर सेंसरशिप लाद रही हैं, अब तो ये सेना नामधारी जातिवादी गिरोह तय कर रहे हैं कि इस देश का इतिहास क्या होगा ? चित्र क्या बनेंगे ? गीत कविताएं क्या गाई जाएगी? साहित्य क्या लिखा जाएगा ? किताबें कौनसी छपेगी ? फिल्में क्या बनेगी ? उनमें क्या फिल्माया और दिखाया जाएगा...

महोदय ,इस देश मे अब हर चीज़ सड़क छाप गुंडे तय करेंगे ? संविधान द्वारा दिये गए नागरिक अधिकारों का इन जाति सेनाओं ने अपहरण कर लिया है और उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जाती है ,यह कैसी बेबसी है महामहिम ?
अगर हमें अपनी महान लोकशाही को बचाना है, तो संवैधानिक सेनाओं के अलावा की सभी सेनाओं ,आर्मियों और रेजिमेंटों पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगानी होगी और जाति, सम्प्रदाय ,धर्म ,मजहब आधारित तमाम सेनाओं को असंवैधानिक घोषित कर उनपर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना होगा ,अन्यथा ये राष्ट्रद्रोही जातिवादी गिरोह भारत नामक राष्ट्र राज्य का अस्तित्व ही मिटा देंगे और हम फिर से अलग अलग कबीलों में बंट कर धूल धूसरित हो कर मिट जाएंगे ।
अतः भारत राष्ट्र के राष्ट्रपति होने के नाते और तीनों संवैधानिक सेनाओं के मुखिया होने के नाते आपसे यह पुरजोर अनुरोध है कि अविलम्ब जाति ,धर्म ,मजहब आधारित समस्त सेनाओं पर रोक के आदेश जारी करें ,इस तरह के गैरकानूनी गिरोहों के गठन तथा परिचालन को अवैध करार दे कर कानूनी अपराध घोषित किया जाए और बरसों से इस प्रकार के सैन्य गिरोह संचालित कर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त जाति सेनाओं के मुखियाओं की संपत्तियों एवं गतिविधियों की सघन जांच की जाएं ।
उम्मीद है कि आप राष्ट्र के लिए खतरा बन चुकी इन जातीय सेनाओं के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही के दिशा निर्देश प्रदान करेंगे और इन असंवैधानिक सैनिक गिरोहों को पूर्णतः तुरन्त प्रतिबंधित करने के आदेश भारत सरकार को देंगे ।

मेघवाल समाज का तीसरा सामूहिक विवाह सम्मेलन 19 नवंबर 2017 को, सगाई की रस्म आयोजित*

जयपुर के रामपुरा डाबड़ी में होगा आयोजन

भीम प्रवाह न्यूज/जयपुर। बलाई समाज सामूहिक विवाह समिती और मेघवंश जाग्रति संस्थान, नीमकाथाना (सीकर) के संयुक्त तत्वावधान में बलाई समाज का तृतीय सामूहिक विवाह सम्मेलन रविवार 19 नवंबर 2017 को कांदेला कृषि फार्म हाऊस, रामपुरा डाबड़ी, एन एच. 11(52), सीकर रोड़, तह. आमेर , जि. जयपुर पर आयोजित होगा। 

सगाई की रस्म आयोजित

 तृतीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का सगाई समारोह 12 नवंबर को आयोजित किया गया । जिसके मुख्य अतिथि प्रदेशाध्यक्ष डॉ. रणजीत महरानियां थे। अध्यक्षता विवाह समिति अध्यक्ष चांदमल काला ने की। सभी जोड़ो को डॉ. रणजीत मेहरानियां की तरफ से बरी का बेस व सूट का कपड़ा भेंट किया गया ।

यह जानकारी देते हुए विवाह सम्मेलन के संयोजक सोदागर कांदेला ने बताया कि समाज के सभी लोगो के सहयोग व आशीर्वाद से बलाई समाज को खर्चीली शादियों व दहेज से मुक्ति दिलाने हेतु प्रथम प्रयास में 5 दिसंबर 2015 को 13 जोड़ो का व व्दितीय प्रयास में  दि. 20 नवंबर 2016 को 21 जोड़ो का भव्य सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कर समाज सुधार व उत्थान का एक नया आयाम स्थापित करने का प्रयास विवाह समिती व्दारा किया गया। इसी प्रकार समाजोत्थान हेतु हमारी दोनो संस्थाओ व्दारा तृतीय प्रयास के रूप में *(रविवार 19 नवंबर 2017)* को पुन: 51 जोड़ो के सामूहिक विवाह सम्मेलन का लक्ष्य रखा गया हैं। विवाह हेतु योग्य जोड़ो से 11,000/-  रुपए आर्थिक सहयोग व 500/- रूपये रजिस्ट्रेशन शुल्क के तय किया गया है। 

शनिवार, 11 नवंबर 2017

मेघवंश समाज के पर्यायवाची नामों की राज्यवार तालिका

आंध्रप्रदेश – घासी, मादिगा, ऋषि, रिखिया, महार
अरुणाचल प्रदेश – ऋषि, मुची, महार
असम – मुचि, ऋषि, महार, बरुवा, पान
बिहार – घासी, घसीया, तांती, तन्तुवा, दुसाध, मुची
चंडीगढ़ – रामदासी, कबीरपंथी, जुलाहा, कोरी, कोली, मेघ
दादर नगर हवेली – मैघ्यावंशी, महार
दिल्ली – बलाई, रामदासिया, कबीरपंथी, कोली, मेघवाल
गुजरात – मेघवाल, मेघवार, मैह्यवंशी, भांबी, बंभी, रोहिदास, रोहित, बणकर, मारू
गोवा दमन दीव – मेघ्यावंशी, महार
हरियाणा – मेघ, मेघवाल, कोरी, कोली, महाशय, कबीरपंथी, जुलाहा, रामदासिया, बलाही, जाटव, जाटवा, भांबी
हिमाचल – मेघ, कोरी, कोली, महाशय, कबीरपंथी, जुलाहा, बलाही, जाटव, जाटवा, भांबी
जम्मू-कश्मीर – मेघ, कोरी, कबीरपंथी, जुलाहा, रामदासिया
कर्नाटक – मादिगा, सूर्यवंशी, पदमशाली, भांबी, भांभी, मदार, रोहिदास
केरल – वेल्लुवन, मुची
मध्यप्रदेश – मेघवाल, मेहरा, मेहर, महार, बलाई, भांबी, रामनामी, सतनामी, घासी, धानिया, कोरी, कोली
महाराष्ट्र – मेघ, मेघवाल, मेघवार, बलाई, भांबी, बंभी, सतनामी, सूर्यवंशी, घासी, घसिया, कोरी, मेहरा, मुची, मादिगा, मदार, महार, मेगु, मैह्यवंशी, कोरी
मणीपुर – मेघायल, ऋषि, मपची, रविदास
मिज़ोरम – ऋषि, मुची, कबीरपंथी, जुलाहा, महार
मेघालय – मुची, ऋषि, महार
ओड़िशा – सतनामी, मारू, घरसी, घसिया, कोरी, भापिग, मुची, मादिगा, महार, मेहरा
पांडिचेरी – मादिग, वेल्लुवन
पंजाब – मेघ, कोरी, कबीरपंथी, जुलाहा, रामदासी
राजस्थान – मेघ, मेघवाल, मेघवार, मेघवंश, मेघवंशी, मैह्यवंशी, बलाई, राजबलाई, भांबी, लाटवा, मारू, बणकर, बुनकर, कोरी, साल्वी, सूत्रकार, ऋषि, रिखिया, छड़ीदार, चोबदार, बैरवा, जाटव
तमिलनाडु – कोलियान, मादिगा, वेल्लुवन, मुची
त्रिपुरा – बागड़ी, घासी, घसिया, कोल, कोरी, कोरा, कोट, मुची
उत्तर प्रदेश – बलाई, बलाही, घसिया, कोल, कोरी, कोरवा, कोट, शिल्पकार, तंतुवाय, धूसिया, जूसिया, जाटव
पश्चिम बंगाल – मुची, ऋषि, घासी, म्हार

गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

जानिये चेक बाउंस (अनादर) मामले मे सजा क्या होती है


चेक एक परक्राम्य लिखत या दस्तावेज (negotiable instrument) है, जिसके तहत बिना किसी शर्त के एक निश्चित धनराशि का भुगतान करने का वादा किया जाता है या आदेश दिया जाता हैl  रेखांकित चेक (crossed cheque) और खाता से भुगतान होने वाले चेक (account payee cheque) द्वारा केवल उसी व्यक्ति को धनराशि का भुगतान किया जाता है, जिसका नाम प्राप्तकर्ता के रूप में चेक पर लिखा रहता हैl ऐसे चेक को प्राप्तकर्ता के बैंक खाते में जमा करना पड़ता हैl
(एक व्यक्ति चेक जारी करता हुए)
Articles/cheque-issuer

कानूनी रूप से चेक के मालिक को “चेक काटने वाला” या “चेकदाता” या “चेक जारीकर्ता” (Drawer) कहा जाता है, जिसके पक्ष में चेक तैयार किया जाता है उसे “प्राप्तकर्ता” (Payee) कहा जाता है और जिस बैंक को धनराशि का भुगतान करने के लिए निर्देशित किया जाता है, उसे “भुगतानकर्ता” (Drawee) कहा जाता हैl
हाल के दिनों में चेक बाउंस की घटनाएँ आम हो गई है। कभी-कभी बड़ी धनराशि वाले चेक का भुगतान नहीं हो पाता है और उन बैंकों को चेक वापस कर दिया जाता है, जिन्होंने इसे तैयार किया होता हैl
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नीचे दिए गए लेख में इस बात की जानकारी प्रदान की गई है कि यदि आपका चेक अस्वीकृत हो गया है तो आप क्या कर सकते हैं? इसके साथ ही चेक के अस्वीकृत होने पर आपको किन-किन कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा, उसके बारे में चरणबद्ध विवरण दिया गया हैl
चेक अस्वीकृत होने पर उठाए जाने वाले कदम
जब एक चेक अस्वीकृत हो जाता है तो भुगतानकर्ता बैंक (Drawee Bank) तुरंत ही “प्राप्तकर्ता” (Payee) के बैंक को “चेक रिटर्न मेमो” जारी करता है और भुगतान न करने का कारण बताता हैl इसके बाद “प्राप्तकर्ता” (Payee) का बैंक “प्राप्तकर्ता” (Payee) को अस्वीकृत चेक और “चेक रिटर्न मेमो” सौंप देता हैl यदि धारक या प्राप्तकर्ता को यह लगता है कि दूसरी बार चेक को जमा करने पर उसे स्वीकार कर लिया जाएगा तो वह उस तारीख के तीन महीनों के भीतर पुनः चेक को जमा कर सकता हैl लेकिन यदि चेक जारीकर्ता दूसरी बार भी भुगतान करने में विफल रहता है तो धारक या प्राप्तकर्ता को चेक जारीकर्ता के विरूद्ध कानूनी तौर पर मुकदमा दर्ज कराने का अधिकार प्रदान किया गया है।
प्राप्तकर्ता (Payee) चेक अस्वीकृत होने पर डिफॉल्टर/चेक जारीकर्ता के विरूद्ध कानूनी रूप से तभी मुकदमा कर सकता है यदि चेक में उल्लिखित राशि ऋण या किसी अन्य देनदारी के भुगतान के लिए डिफॉल्टर/चेक जारीकर्ता द्वारा प्राप्तकर्ता के लिए जारी किया गया हैl
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यदि चेक उपहार के रूप में जारी किया गया हो, ऋण देने के लिए जारी किया हो या गैरकानूनी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जारी किया गया हो तो ऐसे मामलों में डिफॉल्टर/चेक जारीकर्ता के विरूद्ध मुकदमा नहीं चलाया जा सकता हैl
कानूनी कार्रवाई
चेक अस्वीकृत होने से संबंधित मामलों की जांच परक्राम्य लिखत अधिनियम (The Negotiable Instruments Act), 1881 के अंतर्गत की जाती हैl 1881 के बाद से इस अधिनियम को कई बार संशोधित किया गया हैl
इस अधिनियम की धारा 138 के अनुसार चेक का अस्वीकृत होना एक दंडनीय अपराध है और इसके लिए दो साल का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैंl
यदि चेक प्राप्तकर्ता कानूनी कार्यवाही करने का निर्णय लेता है तो पहले चेक जारीकर्ता को तुरंत चेक की राशि चुकाने का मौका देना चाहिए। इस तरह का एक मौका केवल लिखित रूप से नोटिस के रूप में देना चाहिए।
प्राप्तकर्ता (Payee), बैंक से "चेक रिटर्न मेमो" प्राप्त करने की तारीख से 30 दिन के अंदर चेक जारीकर्ता को नोटिस भेज सकता हैl इस नोटिस में यह बात का उल्लेख अवश्य करना चाहिए कि चेक जारीकर्ता को नोटिस प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के अंदर प्राप्तकर्ता को चेक की राशि का भुगतान करना होगा। यदि चेक जारीकर्ता नोटिस प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर भुगतान करने में विफल रहता है, तो प्राप्तकर्ता (Payee) परक्राम्य लिखत अधिनियम (The Negotiable Instruments Act) की धारा 138 के तहत उसके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकता हैl
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इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि नोटिस अवधि की समाप्ति से एक महीने के भीतर किसी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में शिकायत दर्ज हो जानी चाहिए। इस तरह के मुकदमे में आगे बढ़ने के लिए एक ऐसे वकील से परामर्श करना आवश्यक होता है जो इस क्षेत्र से अच्छी तरह वाकिफ हो और उसे ऐसे मुकदमों पर काम करने का अच्छा खासा अनुभव हो।
अभियोजन पक्ष (prosecution) के लिए शर्तें
कानूनी रूप से धारा 138 के प्रावधानों का उपयोग करने के लिए अभियोजन पक्ष को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
1. “चेक जारीकर्ता” (Drawer) ने अपने नाम से चल रहे खाते से चेक जारी किया हो l
2.“चेक जारीकर्ता” (Drawer) के खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण चेक को लौटाया या अस्वीकार किया गया हो l
3. चेक को किसी ऋण या कानूनी दायित्व को पूरा करने के लिए जारी किया गया है।
नोटिस प्राप्त करने के बाद अगर चेक जारीकर्ता नोटिस प्राप्त करने के दिन से 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता है, तो वह परक्राम्य लिखत अधिनियम (The Negotiable Instruments Act) की धारा 138 के तहत दंडनीय अपराध करता है।
सजा और जुर्माना
इस मामले से संबंधित हलफनामा और जरूरी कागजातों के साथ शिकायत प्राप्त करने पर अदालत सम्मन (summon) जारी करेगी और मामले की सुनवाई करेगीl यदि दोष सिद्ध हो जाता हैतो डिफॉल्टर को जुर्माने की राशि के रूप में चेक में अंकित राशि से दुगुना वसूला जा सकता है या दो साल की कैद हो सकती है या जुर्माना और कैद दोनों हो सकती हैl इसके साथ ही किसी व्यक्ति द्वारा जारी किया चेक बार-बार बाउंस हो जाता है बैंक उस व्यक्ति को चेक बुक की सुविधा से वंचित कर सकती है और उसके खाते को भी बंद कर सकती है।
अगर चेक जारीकर्ता नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर चेक राशि का भुगतान करता हैतो वह किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। अन्यथा, आवेदक नोटिस में निर्धारित 15 दिनों की समाप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर उस क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के कोर्ट में शिकायत दर्ज कर सकता हैl
सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि सरकार ने चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को रोकने और लोगों को उनकी वित्तीय जिम्मेदारियों को ठीक से अदा करने के लिए, चेक बाउंस को परक्राम्य लिखत अधिनियम (The Negotiable Instruments Act) की धारा 138 के तहत दंडनीय अपराध घोषित किया अधिक जानकारी के लिये करे सम्पर्क नवरत्न मन्डुसिया 

सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

भँवर मेघवंशी ने किया अपना देहदान

एक जरुरी फैसला - देहदान का !


मैं जो भी हूँ ,आप सबके प्यार ,स्नेह और मार्गदर्शन की वजह से हूँ। इसलिए आप सबका खूब खूब धन्यवाद ,साधुवाद,आभार ।

आज(25 फरवरी 2017) को  42 साल पूरे हुए ,43 वा  प्रारम्भ हुआ। हालाँकि यह दिन भी और दिनों जैसा ही है। अलग कुछ भी नहीं । लेकिन कई वर्षों की एक इच्छा को आज पूरा होते देख रहा हूँ । एक जरुरी फैसला जो कि कुछ वर्षों से लंबित था ,वह ले पाने का सुकून महसूस रहा हूँ ।

कई बरसों से देह दान की इच्छा रही ,वह अब जा कर साथी कमल टाँक एवं ललित दार्शनिक के सहयोग से पूरी हुई। मैं हृदय से आभारी हूँ कमल जी और ललित जी का कि उनकी मदद से यह महत्वपूर्ण कार्य हो सका। आभारी हूँ अपने परिजनों का भी कि उन्होंने सहमति दी।

कई सालों से मेरा यह सोच रहा है कि आखिरी सांस तक जमकर देश और समाज के लिए काम किया जाये और जब मौत आ जाये तो उसके बाद इस देह का उपयोग मेडिकल छात्रों के शोध व अध्ययन के लिए हो ।

मैं इस मौके पर कहना चाहता हूँ कि मेरी स्वाभाविक मौत हो या अस्वाभाविक ,घर पर हो या सड़क पर अथवा आंदोलन या अभियान में । मौत के तुरंत बाद बिना कोई रीति रिवाज किये शांतिपूर्ण ढंग से देह को एस एम एस मेडिकल कॉलेज ,जयपुर को दे दिया जाये।

अपनी देह को जलाने या दफनाने के काम के  बजाय मैं यही पसंद करूँगा कि वह मेडिकल विज्ञान के लिए काम आये ।अगर कुछ अंग जरूरतमंदों के लिए उपयोगी हो तो उन्हें भी काम में ले लिया जाये।

मैं किसी प्रकार का अंतिम संस्कार नहीं चाहता । कोई तीसरा या उठावना नहीं चाहता और ना ही 12 दिन तक बैठ कर शोक मनाने के निठल्ले काम से मेरी सहमति है। किसी तरह की शोक सभा नहीं की जानी चाहिए :, मृत्युभोज और गंगा जल ,पिंडदान तथा तर्पण और नदी नाले में ले जा कर अस्थियों के विसर्जन जैसी अवैज्ञानिक चीजे तो कतई नहीं की जाये,क्योकि इनमें मेरा कोई यकीन  नहीं है।

आत्मा की शांति ,परमात्मा की प्राप्ति ,स्वर्ग- नरक तथा पुनर्जन्म जैसे खोखले शब्दों से मैं स्वयं को दूर करता हूँ।मैं नहीं चाहता कि मेरे विदा होने के बाद किसी तरह की स्मृति बाकी रहे ,किसी समाधि ,किसी मूर्ति या किसी चित्र की कोई आवश्यकता नहीं है।

अगर आप मुझसे प्यार करते है तो मेरे मरने के बाद नहीं ,मेरे जीते जी साथ जुड़े ,सहयोग करें और वंचितों ,पीड़ितों ,दलितों ,दमितों के लिए न्याय और समानता पर आधारित समाज रचना के अभियान में साथ चलें ।

सब कुछ इस लोक में कीजिये ,परलोक में मेरा विश्वास नहीं है ।सब कुछ जीते जी ,अभी और यहीं ,बाद मरने के कुछ भी मान्य नहीं होगा।


                       भँवर मेघवंशी जी लब्ज  

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

धारा 376 मे जानिए क्या सज़ा होती है


भारतीय कानून या CRPC IPC (Indian Panel Code) महिला के साथ जबरन Sex Rape या बलात्कार की गंभीर श्रेणी में गिना जाता है बलात्कार के अपराधी पर संगीन धारा 376 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता व इसी के तहत सजा देने का प्रावधान है हम यहाँ पर जानेंगे के IPC 376 Dhara के बारें में और जानेगे क्या सजा हो सकती है आईपीसी की धारा 376 में Maximum सजा कितनी हो सकती है  आईपीसी की धारा 376 में मुकदमा चलाया जाता और है और यदि Crime Prove हो जाता है तो तो दोषी या अपराधी को Minimum सात साल (7 years और Maximum दस साल (10 वर्ष) की सजा के साथ with Fine का भी प्रावधान है अभी पीछे ही इसमें Amendment किया गया था जिसमे की शोषित महिला को जल्दी न्याय मिल सके इसके लिए Fast Track Court में सुनवाई की जाती है क्या पत्नी से जबरन सेक्स को भी बलात्कार की श्रेणी में गिना जाता है  यदि अमुक व्यक्ति ने महिला से बलात्कार किया है जोकी अपराधी की पत्नी है, और पत्नी की आयु 12 वर्ष से कम नहीं है (क्योंकि 18 वर्ष से कम भारत में विवाह वर्जित या कानूनी मान्यता नही है), तो आरोप सिद्ध होने पर अपराधी 2 years की Punishment हो सकती है या जुर्माना भी लगाया जा सकता है हालाँकि कई मामलों में Court Sufficiant और resonable avidence से सजा को कम कर सकती हैं अब बात हो गयी धारा 376 की लेकिन Dhara 375 Section क्या होती है? IPC की धारा 376 से खौफ खाते हैं अपराधी (ipc 376 in hindi) Rape को Defines करती है Section IPC की धारा 375, यदि अमुक पुरुष किसी महिला के साथ इच्छा के विरुद्ध सेक्स करता है, तो उसी को बलात्कार कहते हैं चाहे किसी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं लेकिन कानूनन वह बलात्कार ही कहलायेगा, हालाँकि की इस अपराध के लिए  अलग-अलग हालात और Category के हिसाब से इसे Section 375, 376, 376A, 376B, 376C, 376D के रूप में Divide किया गया है. What Say IPC Section धारा 375 कोई पुरुष किसी महिला की इच्छा विरुद्ध, उसकी सहमति के बिना, उसे धमकाकर डराकर, दिमागी रूप से कमजोर या पागल महिला को धोखा देकर उसका नकली पति बनकर और महिला को  शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं होने पर उसके साथ सम्भोग (sex ) करता है तो वह रेप ही माना जाएगा यदि महिला 16 years  से कम Age की है तो उसकी इच्छा या बिना सहमति के होने वाला सम्भोग भी बलात्कार ही माना जायेगा यदि कोई पुरुष पति अपनी 15 वर्ष से कम उम्र की wife के साथ सम्भोग करता है तो वह भी  रेप की श्रेणी में गिना जायेगा इन सभी स्थितियों में आरोपी को सजा हो सकती है हर स्थिति में लागू होता है यह कानून (Section 376 in The Indian Penal Code) Subsection (2) के अन्तर्गत बताया गया है कि कोई Investigation Officer (Police Officer) या Public Servant अपने पद और Administrative Powers और Positions का फायदा उठाकर उसकी Custody या उसकी Subordinate महिला Officer या Employee के साथ Sex करेगा, तो वह भी बलात्कार माना जाएगा  यह Law जेल, Hospitals , Government Offices, Child and Woman  सुधार गृहों पर भी लागू होता है उपरोक्त बताये दोषियों को कठोर कारावास समेत अधिकतम सजा होगी जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...