शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

मेघ सेना की स्थानीय इकाई की ओर से रैली का आयोजन

जोधपुर | राजस्थान मेघ सेना की स्थानीय इकाई की ओर से पहली बार रविवार को पथ संचलन (रैली) का आयोजन किया गया। इसमें मेघवाल समाज के लोगों ने एकता बनाए रखने का संकल्प लिया। सुबह 11 बजे जालोरीगेट चौराहे से रैली नागौरी गेट सर्किल पहुंची। यहां समाज के लोगों ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। सर्किल पर सभा भी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में पूर्व गृह मंत्री कैलाश मेघवाल को आमंत्रित किया गया था। वे शनिवार को ही जोधपुर पहुंच गए थे, लेकिन बताया गया कि रैली व सभा में भीड़ नहीं जुटने के कारण वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए और सर्किट हाउस में ही बैठे रहे। इस संबंध में मेघ सेना के जिलाध्यक्ष जगदीश दैय्या का कहना है कि वे अपरिहार्य कारणों से सभा में नहीं आ सके।

शनिवार, 9 जुलाई 2011

मेघ ऋषि - नए प्रतीक (Megh Rishi - New Icon and Symbol)

मेघ समाज में मेघ ऋषि की कथाएँ बहुत पुरानी हैं. परंतु उसका स्वरूप क्या है, रंग-रूप क्या है इसके बारे में कोई बिंब मन पर नहीं था. राजस्थान के मेघवालों से अब प्राप्त हो रही जानकारी और सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित आलेखों से मालूम पड़ता है कि मेघ ऋषि का बिंब ही नहीं उसकी समस्त कथाओं के प्रमाण भी उपलब्ध हैं.
राजस्थान में युवाओं के चरित्र निर्माण के लिए मेघसेना बनाई गई है और मेघ सेना के प्रतीक के तौर पर कमांडर के रूप में स्वयं मेघ ऋषि को लिया गया है.

  megh rishi ji maharaj
शांत और विनम्र ऋषि के रूप में मेघ ऋषि धार्मिक प्रतीक के तौर पर उभरे हैं.

मेघ सेना की बैठक

बायतु & मुख्यालय पर मेघ सेना बायतु ब्लॉक की बैठक शुक्रवार को आयोजित की जाएगी। हनुमानराम पंवार ने बताया कि बैठक में मेघ सेना के जोधपुर संभाग महासचिव ठाकराराम मेघवाल, बायतु ब्लॉक मेघ सेना के अध्यक्ष खेताराम पूनड़, माडपुरा बरवाला शामिल होंगे।
प्रयास जारी
बाड़मेर & कुड़ला सरहद की प्याऊ के पास सड़क दुर्घटना में मृत साधु की शिनाख्त नहीं हो सकी। पुलिस ने आसपास के मठों से मृतक की पहचान कराने की कोशिश भी की। सदर थानाधिकारी ने बताया शिनाख्तगी के प्रयास जारी हैं। मृतक भगवा रंग की बनियान, फुल आस्तीन का चोला एवं शनि मुद्रिका धारण किए हुए था।

देवीलाल को मेघ सेना का सदस्य नियुक्त किया

राजस्थान प्रदेश मेघ सेना की कार्यकारिणी में देवीलाल यादव को सदस्य पद पर नियुक्त किया गया। संघ के प्रदेशाध्यक्ष मनोहर सिंह फांसल ने बताया कि देवीलाल यादव ने मेघवाल समाज के बच्चों को सरकारी नौकरियों के लिए प्रेरित करने, पुलिस सेवा, भारतीय सेना, अद्र्ध सैनिक बलों सहित देश सेवा की भावना पैदा करने और समाज को सामूहिक विवाह करने के लिए प्रेरित करने के लिए सम्मानित किया।

नरेंद्र मेघ सेना व चीफ कमांडर नियुक्त

भास्कर न्यूज & बाड़मेर
मेघसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर जिले में मेघवाल समाज के प्रति भागीदारी निभाने एवं सराहनीय कार्य करने पर नरेंद्र कुमार मेघवाल को मेघसेना का जिलाध्यक्ष एवं जिला चीफ कमांडर नियुक्त किया हैं। यह जानकारी राजस्थान प्रदेश मेघ सेना के महासचिव जोधपुर संभाग के ठाकराराम मेघवाल ने दी। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देशानुसार जिला, तहसील, नगर, कस्बा एवं ब्लॉक की कार्यकारिणी शीघ्र ही गठित कर प्रदेश कार्यकारिणी को कार्यालय में प्रेषित करें। मेघ सेना का उद्देश्य युवक-युवतियों को अच्छे संस्कार देने के साथ ही समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना है। युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा करना मेघ सेना का मुख्य उद्देश्य है।

डांगी बालोतरा मेघ सेना के अध्यक्ष नियुक्त

बाड़मेर & मेघवाल समाज की प्रत्येक समस्या में विशेष भागीदारी निभाने एवं सराहनीय कार्य करने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मेघ सेना के निर्देश पर श्याम डांगी को मेघ सेना का बालोतरा अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह जानकारी राजस्थान प्रदेश मेघ सेना के महासचिव जोधपुर संभाग ठाकराराम मेघवाल ने दी। उन्होंने बताया कि डांगी की नियुक्ति पर समाज के लोगों में खुशी व्याप्त है। देश भक्ति की भावना पैदा करना मेघ सेना का मुख्य उद्देश्य है। ठाकराराम ने बताया कि बालोतरा में रविवार को अंबेडकर पार्क में सुबह ग्यारह बजे बैठक आयोजित होगी।

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

मेघ सेना राजस्थान (भारत ) megh sena rajasthan (india)




भारत में कई सामाजिक और धार्मिक सेनाएँ बनी हैं. इन्हीं में एक नाम और जुड़ा है ‘मेघ सेना’ का. मेघवाल समाज का संगठन रजिस्टर्ड है और इसकी उपविधि भी है. मेघ सेना इसी की एक इकाई है. 07-02-2009 को राजस्थान में मेघ सेना का गठन हुआ. इसके लिए मेघवाल समाज की एक बैठक की गई जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी और ज़िला केंद्र बनाए गए. इसी बैठक में मेघ सेना का ड्रेस कोड और वर्दी निर्धारित की गई. 04-07-2009 को प्रदेश कार्यकारिणी की प्रथम बैठक हुई जिसमें सभी ज़िलों के मेघ सैनिक आमंत्रित किए गए. तारीख़ 31-10-2009 को जयपुर में मेघ सेना का प्रथम फ्लैग मार्च किया गया. फ्लैग मार्च के बाद एक बैठक की गई जिसमें यह संकल्प पास किया गया कि विभिन्न नामों से जानी जाने वाली सभी मेघवंशी जातियों का आपसी संपर्क बढ़ाया जाए और उन्हें एक सूत्र में बाँधा जाए.

इसी सिलसिले में दिनाँक 01-11-2009 को राष्ट्रीय सर्वमेघवंश महासभा का गठन किया गया. इसमें भारत के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया. यह बैठक होटल इंडियाना क्लासिक, जयपुर में की गई. इसमें तय किया गया कि मेघवंशी जातियों के विभिन्न संगठनों को एक मंच पर लाने का कार्य शीघ्र निष्पादित किया जाए. कार्यकारिणी बनाई गई. प्रदेश अध्यक्षों के चयन का निर्णय लिया गया. संकल्प पास किया गया कि मेघवंश समाज की विभिन्न जातियों के संगठनों से संपर्क बढ़ा कर उन्हें राष्ट्रीय मेघवंश मंच से जोड़ा जाए और साथ ही मेघ सेना को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित किया जाए.

इसी दिन महिला विंग का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षा श्रीमती प्रमिला कुमार (हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज और कंज़्यूमर स्टेट फोरम की चेयरपर्सन) हैं. यूथ विंग भी गठित किया गया और श्री नरेंद्र पाल मेघवाल को इसके अध्यक्ष बनाया गया.

21-03-2010 को राष्ट्रीय सर्वमेघवंश महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें एक फिल्म के निर्माण का फैसला लिया गया ताकि मेघवंशीय संगठनों में एकता की प्रक्रिया तेज़ की जा सके. इसकी पटकथा और गीत लिखे जा चुके हैं. निर्माण की कार्रवाई चल रही है.

दिनाँक 04-07-2010 को कार्यकारिणी और प्रदेशाध्यक्षों की बैठक हुई. तय हुआ कि प्रत्येक प्रांत में सम्मेलन आयोजित किए जाएँ. उक्त योजना के तहत नवंबर और दिसंबर 2010 में पंजाब, राजस्थान (श्रीगंगानगर), हरियाणा (हिसार) और मध्य प्रदेश में उज्जैन या मंदसौर में सम्मेलन आयोजित किए जाएँगे.


विशेष टिप्पणी: भारत में कई सेनाओं का गठन हुआ है. कुछ ने सामाजिक कार्य किया और कुछ हिंसात्मक गतिविधियों का पर्याय बन गईं और कुछ राजनीतिक पार्टियों का महत्वपूर्ण अंग बनीं. मेघ सेना अभी स्वरूप ले रही है. इसकी भूमिका का मूल्यांकन अभी कुछ वर्ष बाद ही हो पाएगा. जहाँ तक मेघवाल समाज का प्रश्न है मेरी जानकारी में है कि इस समाज के लोगों को बारात के मौके पर घोड़ी या कार का प्रयोग नहीं करने दिया जाता. यह गाँवों में होता है. दूल्हे को घोड़ी से उतार कर पीटने या बारात पर पत्थर फेंकने की कई घटनाएँ रपोर्ट हो चुकी हैं. मीडिया ऐसा करने वालों को ‘दबंग’ जैसे शब्दों से महिमा मंडित करने का कार्य अनजाने में कर डालता है. शिक्षित वर्ग इस विषय में एक मत होगा कि किसी की बारात पर पत्थर फेंकना वास्तव में संवेदनहीन और अनपढ़ लोगों का कार्य होता है.
<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>.
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>megh sena rajasthan (india)<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<
In India there are many social and religious forces. And connected in such a name is "Cloud Army's. Meghwal social organization and its by-law is registered. That cloud is a unit of force. 07-02-2009 Iranian forces in the cloud was formed. It was a meeting of the State Executive Meghwal community and district centers. At the meeting, Cloud military dress code and uniform set. 04-07-2009 The first meeting of the State Executive of the cloud in which all military districts were invited. Cloud Army flag march in Jaipur on 31-10-2009 date was the first.

Date 01-11-2009 Srwmegvansh National Assembly in this respect was formed. It was attended by delegates from various states of India. The meeting hotel Indiana Classic in Jaipur, the. It was decided that the Megvanshi nations work to bring together different organizations to be executed soon. Executive made. State has decided the selection of presidents.

Women's Wing was formed the same day the chairperson Pramila Kumar (Retired High Court Judge and State Consumer Forum chairperson) are. Mr. Narendra Pal Meghwal youth wing has also been constituted and it was made president.

21-03-2010 Srwmegvansh national council meeting of the National Executive has decided to build a film so as to expedite the process of integration in Megvanshiy organizations. The script and songs have been written. Construction of the action is ongoing.

Meeting of the Executive and Pradeshadhykshon Date 04-07-2010. Was decided to be held in each province. Under the plan, November and December 2010 in Punjab, Rajasthan (Sriganganagar), Haryana (Hisar) or Mandsaur and Ujjain in Madhya Pradesh will be held in the conference.


Special Note: In India, several forces have been formed. Some social work and became synonymous with violence and became a vital part of some political parties. Cloud Army is now taking shape. Its role will be assessed only after a few years.It is in villages. Beat down from the mare or the groom to throw stones at the procession, there have been several incidents Rport. Those media that the "dominant" to glorify the work of such words and puts them into unknowingly.

शनिवार, 2 जुलाई 2011

Megvansh history (Gokuldasji Swami Maharaj, Gribdas Ji Maharaj


भारतवर्ष के सभ्यता इतिहास में पुरातन सभ्यताऐं सिन्धु घाटी, मोहनजोदडो जैसी सम्पन्न सभ्यताओं के पुरातन प्राप्त अवशेषों एवं भारत के कई प्राचीन ऋषि ग्रंथों में मेघवाल समाज की उत्पत्ति एवं उन्नति की जानकारीयां मिली हैं. साथ ही समाज के प्रात: स्मरणीय स्वामी गोकुलदास जी द्वारा सदग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भी समाज के सृजनहार ऋषि मेघ का विवरण ज्ञात हुआ है. मेघवाल इतिहास गौरवशाली ऋषि परम्पराओं वाला तथा शासकीय स्वरूप वाला रहा है. मेघऋषि का इतिहास भारत के उत्तर-पश्चिमी भूभाग की सरसब्ज सिन्धुघाटी सभ्यता के शासक एवं धर्म संस्थापक के रूप में रहा है जो प्राचीनकाल में वस्त्र उद्दोग, कांस्यकला तथा स्थापत्यकला का विकसित केन्द्र रहा था. संसार में सभ्यता के सूत्रधार स्वरूप वस्त्र निर्माण की शुरू आत भगवान मेघ की प्रेरणा से स्वयं भगवान शिव द्वारा ऋषि मेघ के जरिये कपास का बिजारोपण करवाकर कपास की खेती विकसित करवाई गयी थी. जो समस्त विश्व की सभ्यताओं के विकास का आधार बना. समस्त उत्तर-पश्चिमी भूभाग पर मेघऋषि के अनुयायियों एवं वंशजों का साम्राज्य था. जिसमें लोगों का प्रजातांत्रिक तरीके से विकास हुआ था जहां पर मानवमात्र एकसमान था. लेकिन भारत में कई विदेशी कबीले आये जिनमें आर्य भी एक थे, उन्होंने अपनी चतुराई एवं बाहुबल से इन बसे हुये लोगों को खंडित कर दिया तथा उन लोगों क|

सम्पूर्ण भारत में बिखर जाने लिये विवस कर दिया. चूंकि आर्य समुदाय शासक के रूप में एवं सभी संसाधनों के स्वामी के रूप में यहां स्थापित हो चुके थे उन्होंने अपने वर्णाश्रम एवं ब्राह्मणी संस्कृति को यहां थोप दिया था. ऐसी हालत में उनसे हारे हुये मेघऋषि के वंशजों को आर्यों‌ द्वारा नीचा दर्जा दिया गया. जिसमें आज के वर्तमान के सभी आदिवासी, दलित एवं पिछडे लोग शामिल थेभारत में स्थापित आर्य सभ्यता वालों ने यहां पर अपने अनुकुल धर्म, परमपरायें एवं नियम, रिवाज आदि कायम कर दिये थे जिनमें श्रम सम्बन्धि कठिन काम पूर्व में बसे हुये लोगों पर थोपकर उनसे निम्नता का व्यवहार किया जाना शुरू कर दिया था तथा उन्हें पुराने काल के राक्षस, नाग, असुर, अनार्य, दैत्य आदि कहकर उनकी छवि को खराब किया गया. इन समूहों के राजाओं के धर्म को अधर्म कहा गया था. इस प्रकार इतिहास के अंशों को देखकर मेघऋषि के वंशजों को अपना गौरवशाली अतीत पर गौरवान्वित होना चाहिये तथा वर्तमान व्यवस्था में ब्राह्मणवादी संस्कृति के थोपी हुई मान्यताओं को नकारते हुये कलियुग में भगवान रामदेव एवं बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के बताये आदर्शों पर अमल करते हुये अपने अधिकार प्राप्त करने चाहिये. समाज में मेघवंश को सबल बनाने के लिये स्वामी गोकुलदासजी महाराज, गरीबदास जी महाराज जैसे संत हुये हैं जिन्होंने मेघवाल समाज के गौरव को भारत के प्राचीन ग्रंथों से समाज की उत्पत्ति एवं विकास का स्वरूप उजागर कर हमें हमारा गौरवशाली अतीत बताया है. तथा हमें निम्नता एवं कुरीतियों का त्याग कर सत कर्मों की ओर बड़ने का मार्ग दिखाया है. मेघवंश इतिहास :- मेघजाति की उत्पत्ति एवं निकास की खोज स्वामी गोकुलदासजी महाराज डूमाडा (अजमेर) ने अपनी खोज एवं लेखन के जरिये मेघवाल समाज की सेवा में प्रस्तुत की है जो इस प्रकार है; सृष्टि के आदि में श्रीनारायण के नाभिकमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा ने सृष्टि रचाने की इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सन्तकुमार इन चार ऋषियों को उत्पन्न किया लेकिन ये चारों नैष्टिक ब्रह्मचारी रहे फिर ब्रह्मा ने दस मानसी पुत्रों को उत्पन्न किया. मरीचि, अत्रि अंगिरा, पुलस्त्व, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिष्ट, दक्ष, और नारद. ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो खण्ड करके दाहिने भाग से स्वायम्भुव मनु (पुरूष) और बाम भाग से स्तरूपा (स्त्री) को उत्पन्न करके मैथुनी सृष्टि आरम्भ की. स्वायम्भु मनु स्तरुपा से 2 पुत्र - उत्तानपाद और प्रियव्रत तथा 3 कन्याऐं आकुति, प्रसूति, देवहूति उत्पन्न हुई. स्वायम्भु मनु की पुत्री आकुति का विवाह रूचिनाम ऋषि से, प्रसूति का दक्ष प्रजापति से और देवहुति का कर्दम ऋषि से कर दिया. कर्दम ऋषि के कपिल मुनि पैदा हुये जिन्होंने सांख्य शास्त्र बनाया. कर्दम ऋषि के 9 कन्याऐं हुई जिनका विवाह: कला का मरीचि से, अनुसूया का अत्रि से, श्रद्धा का अंगिरा ऋषि से, हवि का पुलस्त्य ऋषि से, गति का पुलह से, योग का क्रतु से, ख्याति का भृगु से, अरुन्धति का वशिष्ट से और शांति का अर्थवन से कर दिया. ब्रह्माजी के पुत्र वशिष्ट ऋषि की अरुन्धति नामक स्त्री से मेघ, शक्ति आदि 100 पुत्र उत्पन्न हुये. इस प्रकार ब्रह्माजी के पौत्र मेघ ऋषि से मेघवंश चला. वशिष्ट ऋषि का वंश सूर्यवंश माना जाता है. ब्रह्माजी के जिन दस मानसी पुत्रों का वर्णन पीछे किया गया है उन ऋषियों से उन्हीं के नामानुसार गौत्र चालू हुये जो अब तक चले आ रहे हैं. ब्रह्माजी के ये पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र ही गुण कर्मानुसार चारों वर्णों में विभाजित हुये| श्रीमदभागवत में एक कथा आती है कि मान्धाता के वंश में त्रिशंकु नामक एक राजा हुये, वह सदेह स्वर्ग जाने के लिये यज्ञ की इच्छा करके महर्षि वशिष्ट के पास गये और इस प्रकार यज्ञ करने के लिये कहा. वशिष्ट‌जी ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि मुझे ऐसा यज्ञ कराना नहीं आता. यह सुनकर वह वशिष्ट‌जी के 100 पुत्रों के पास जाकर उनसे यज्ञ करने को कहा. तब उन्होंने उस राजा त्रिशंकु को श्राप दिया कि तू हमारे गुरू का वचन झूंठा समझकर हमारे पास आया है इसलिये तू चांडाल हो जायेगा, वह चांडाल हो गया. फिर वह ऋषि विश्वामित्र के पास गया, विश्वामित्र ने उसकी चांडाल हालत देखकर कहा कि हे राजा तेरी यह दशा कैसे हुई. त्रिशंक ने अपना सारा वृतान्त कह सुनाया. विश्वामित्र उसका यह वृतान्त सुनकर अत्यन्त क्रोधित हुये और उसका वह यज्ञ कराने की स्वीकृति दे दी विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु के यज्ञ में समस्त ब्राह्मणों को आमंत्रण किया मगर वशिष्ट ऋषि और उनके 100 पुत्र यज्ञ में सम्मिलित नहीं हुये. इस पर विश्वामित्र ने उनको श्राप दिया कि तुम शूद्रत्व को प्राप्त हो जावो. उनके श्राप से वशिष्ट ऋषि की सन्तान मेघ आदि 100 पुत्र शूद्रत्व को प्राप्त हो गये|

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

लोक संचार को जीवंत रखे हैं संत कामड


उदयपुर, लोकजीवन में कई जातियां हजारों वर्षों से अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं। उनमें कामड संत एक जाति के रूप में राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे प्रांतों में लोक में धर्म शिक्षण के साथ-साथ अध्यात्म की भावधारा का प्रसार कर रही है और यह क्रम ऐतिहासिक तौर पर पिछले एक हजार वर्षों से प्रमाणित हैं। इनकी एक धारा तेराताली लोकनृत्य के कारण पूरे विश्व में पहचान लिए हुए है।
उक्त विचार लोककलाविद् डॉ. महेंद्र भानावत ने मंगलवार को यहां संप्रति संस्थान की ओर से आयोजित डॉ. चंपालाल कामड के शोधग्रन्थ ‘कामड संत-समुदाय’ के लोकार्पण अवसर पर व्यक्ति किए। उन्होंने कहा कि आज भी लोकसाहित्य अध्ययन की दृष्टि से उपेक्षित ही अधिक है, इस पर शीघ्र और स्तरीय कार्य होना चाहिए अन्यथा यह शीघ्र ही लुप्त हो जाएगा और इसके प्रमाण तक नहीं मिलेंगे। कामड संत समुदाय का अध्ययन समग्र समुदाय का शोध अध्ययन है और इसकी हर विधा पर गंभीर शोध हुआ है, यह बधाई योग्य कार्य है।
बीएसएनएल में वेलफेयर एसोसिएशन के जिला सचिव ओमप्रकाश आर्य ने कहा कि हमें नई पीढी को लोक साहित्य और लोक परंपराओं के बचाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हीरालाल बलाई ने लोक साहित्य को जन-जन का साहित्य बताया और राजस्थान को इस दृष्टि से समृद्ध कहा।
इस अवसर पर रचनाकार डॉ. चंपादास कामड ने ग्रंथ के प्रणयन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि आज कितना ही दूरसंचार का दौर हो किंतु यह समुदाय लोक संचार माध्यमों से न केवल जुडा है बल्कि उनको आज तक जीवंत भी बनाए हुए है। यह अध्ययन मेवाड के उन सैकडों गांवों में बसे कामड लोगों पर आधारित है जो कला के धारक हैं और शैव, शाक्त, वैष्णवी परंपराओं सहित निर्गुणी परंपराओं के पोषक है। आज कामडों की परंपरा लुप्त होने को है और उसे बचाया जाना अति आवश्यक है। साहित्यसेवी राजेंद्र पानेरी ने पुस्तक के प्रकाशन उद्देश्यों की जानकारी दी। संचालन डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ ने किया। धन्यवाद संप्रति के महासचिव डॉ. तुक्तक भानावत ने ज्ञापित किया।
Udaipur, Lokjivn many species have survived for thousands of years.They Teratali a stream of folk around the world have been identified.
Dr. Mahendra Banawat Lokklavid the idea present here on Tuesday organized by the Institute of Dr. Chanpalal Kamd Sodgranth 'Kamd Saint - Community "on the occasion of the release that person.Saint Kamd research community and its study of the overall community is serious research on every genre, this work deserves congratulations.
BSNL district secretary of the Welfare Association Om Prakash Arya said that the new generation of folk literature and folk traditions should be encouraged to save. Hiralal Balai folklore of the public - the public literature and Rajasthan, said the rich.
Hundreds of them settled in villages of Mewar Kamd This study is based on people who are holders of Arts and Shaiva, Shakta, Vaishnavi Nirguni traditions, including traditions, is nutritious. Kamdon today the tradition is disappearing and there must be saved. The objectives of the publication of the book Sahitysevi Rajendra Paneri. Operations Dr. Krishna 'Firefly' did. Currently the Secretary General gave vote of thanks to Dr. limerick Banawat.

लोक कलाकारों ने समा बांधा


नई दिल्ली, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर एवं बाल भवन बोर्ड, दीव के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पहला तटीय पर्व “बीच फेस्टीवल“ का दीव में समापन हुआ।

29 से 31 अक्टूबर तक चले इस उत्सव को दीव के मुक्ताकाशी रंगमंच की दीर्घा में बैठे दर्शकों ने एक ओर क्षितिज को छूते समुद्र के दर्शन किए वहीं भारत की सांस्कृतिक विरासत की गहराई, विविधता एवं व्यापकता के दर्शन किए। बीच फेस्टीवल की परिकल्पना बाल भवन बोर्ड, दीव के निदेशक प्रेमजीत बारिया ने की थी। मंच परिकल्पना एवं प्रस्तुति पश्चिम क्षेत्रा सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के कार्यक्रम अधिकारी विलास जानवे ने की थी।

“बीच फेस्टीवल“ में उदयपुर (राजस्थान) के “तेरा ताल“ दर्शनीय नृत्य ने खासा प्रभाव छोडा। “तेरा ताल“ कामड समुदाय की महिलाओं द्वारा बाबा रामदेव की आराधना में किए जाने वाले इस विशेष नृत्य को बैठकर किया जाता है। चौतारे की धुन और बाबा रामसा पीर के भजनों पर ढोलक की ताल पर महिलाएं अपने शरीर पर बांधे हुए १३ मंजिरों को बारी-बारी से दक्षतापूर्वक बजाते हुए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती हैं। गोगुंदा-उदयपुर से आई निर्मला कामड के दल ने तेरा ताल नृत्य पर वाहवाही लूटी।


कार्यक्रम में जामनगर-गुजरात से आए जे.सी. जाडेजा के दल ने लास्य से भरपूर “मिश्ररास“ प्रस्तुत किया, जिसमें हर बाला अपने आपको गोपी तथा हर युवा अपने आपको कृष्ण का सखा समझता है। इसी दल ने बाद मेंडांडिया-रास भी प्रस्तुत कर दर्शकों में ऊर्जा का संचार किया। गोवा से आए महेन्द्र गावकर के दल की महिला कलाकारों ने अपने सिर पर पीतल की समई (प्रज्जवलित दीप स्तंभ) को संतुलित करते हुए नयनाभिराम सामुहिक नृत्य का प्रदर्शन किया। इसी दल ने गोवा के प्रसिद्ध नृत्य “देखणी“ से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। हिन्दी और पाश्चात्य संस्कृति के सुरीले संगम को बताने वाले इस नृत्य के मधुर गीत को दर्शक बाद में भी गुनगुनाते देखे गए। भारत के पूर्वी तट बंगाल की खाडी पर बसे पुरी से आए बाल नर्तकों ने “गोटीपुआ“ नृत्य में अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। चंद्रशेखर गोटीपुआ कलासंसद के गुरू सत्यप्रिय पलई के निर्देशन में इन बाल कलाकारों ने प्रथम प्रस्तुति“दशावतार“ में भगवान विष्णु के दस अवतारों को शारीरिक एवं चेहरे के उत्कृष्ट भावों द्वारा दर्शकों को खासा प्रभावित किया। इन्हीं बच्चों ने “बंधा नृत्य“ द्वारा सामुहिक योगाभ्यास से ओतप्रोत विभिन्न मुद्राओं और कठिनतम शारीरिक भंगिमाओं से दर्शक समुदाय को हतप्रभ कर दिया। असम के कामरूप जिले से आए युवा कलाकारों ने जयदेव डेका के निर्देशन में असम का सदाबहार नृत्य “बिहू“ प्रस्तुत कर दर्शकों को साथ में झूमने के लिए मजबूर कर दिया। नव वर्ष के अवसर पर किये जाने वाले इस पारंपरिक नृत्य में युवकों ने जहां ढोल, पेंपां, गगना और ताल के साथ झूमते हुए प्रेमगीत गाए वहीं युवतियों ने अपने लास्यपूर्ण नृत्य से प्रकृति और पुरूष के प्रेम को बखूबी से प्रदर्शित किया।

बाल भवन बोर्ड, दीव के अधीनस्थ बाल भवन केन्द्र, वणांकबारा के बच्चों ने “जहां डाल-डाल पर सोने की चिडया....“ गीत पर समूह नृत्य प्रस्तुत किया वहीं बाल भवन केन्द्र, घोघला के बच्चों ने “जय हो“ गीत पर समूह नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की प्रशंसा बटोरी।

कार्यक्रम का महत्वपूर्ण पक्ष “संस्कृति संगम“ रहा, जिसमें असम और गुजरात के मिश्रित ढोल वादन पर न केवल सभी कलाकारों ने बल्कि दर्शकों ने भी झूमकर नृत्य किया। समूचे मंच पर रंग-बिरंगे परिधानों में नाचते हुए कलाकारों ने अनेकता में एकता की परिकल्पना को सार्थक रूप दिया और हर दर्शक को अपनी भारतीय संस्कृति पर गर्व करने का अवसर दिया। इस कार्यक्रम को देखने हेतु दीव के नागरिकों के अलावा भारी संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक भी पधारे थे। प्रारंभिक उद्घोषणा दीव की श्रीमती प्रतिभा स्मार्ट ने की।

भारत के पश्चिम तट से जुडे संघीय क्षेत्रा दीव की ऐतिहासिक भूमि, आई.एन.एस. खुकरी स्मारक स्थल के इस भाग को चक्रतीर्थ भी कहते हैं। लोकमान्यता के अनुसार भगवान विष्णु ने जिस सुदर्शन चक्र से जलंधर राक्षस का संहार किया था, वह चक्र यहीं रखा गया था और इसी कारण इस क्षेत्रा का नाम पडा “चक्रतीर्थ“।

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...