सोमवार, 11 जुलाई 2016

21वर्षीय जिला प्रमुख अर्पणा रोलन (मेघवाल ) का जीवन परिचय और कॉलेज लाइफ और चुनौतियां

मेघवाल समाज की बेटियाँ दिन प्रतिदिन हमारे समाज का नाम रोशन करने के लिये काफी प्रयासरत है और पूरे प्रांत मे सबसे कम उम्र की फायन आर्ट्स की छात्रा अब सीकर जिले की जिला प्रमुख है ही  और आगे जाकर जिला प्रमुख से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी बनेगी  जिले ने महज 21 वर्ष की अपर्णा
रोलन पर भरोसा जताया है। रोलन को जिला प्रमुख चुना गया है।
भाजपा की रोलन को उम्र के लिहाज से प्रदेश
की सबसे कम उम्र का जिला प्रमुख बनने का गौरव
प्राप्त हुआ है।
फिलहाल राजस्थान विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट
की पढ़ाई कर रहीं अपर्णा ने कहा कि
उन्होंने कभी सोचा भी था कि
छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारी
मिलेगी।
जिला प्रमुख पद के लिए शनिवार को हुए मतदान में रोलन को 23
तथा कांग्रेस के भंवरलाल वर्मा को 11 मत मिले हैं। माकपा के चार
सदस्यों व एक निर्दलीय ने मतदान में भाग
नहीं लिया।
मैं जन्म से ही भाग्यशाली: अपर्णा
सीकर। राजस्थान विवि के मास्टर ऑफ फाइन ऑर्ट में
पेंटिंग को कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली
छात्रा अपर्णा ने एक माह पहले तक यह नहीं सोचा
था कि उसे राजनीति के पायदान पर इतने ऊंचे मुकाम पर
पहुंचने का मौका मिलेगा।
जिले की पहली नागरिक का अधिकार लेने
वाली जिला प्रमुख अपर्णा रोलण ने पत्रिका से विशेष
बातचीत में बताया कि वह जन्म से ही
भाग्यशाली रही है। गांव में
बेटी पैदा होने पर प्राय: कुआं पूजन व अन्य
कार्यक्रम नहीं किया जाता है, लेकिन परिवार के लोगों ने
बेटे-बेटी में भेद नहीं कर बड़ा आयोजन
किया।
पेंटिंग के साथ फोटोग्राफी में कॅरियर बनाने
की चाहत रखने वाली अपर्णा ने बताया कि
वर्ष 2012 में राजस्थान स्तर पर वाइल्ड लाइफ पर हुई
फोटोग्राफी प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला
था। अपर्णा ने बातचीत में बताया कि
राजनीति में आने की कभी
नहीं सोची थी।
जिला परिषद के चुनाव की टिकट मिलने पर
भी महज सदस्य बनने तक की बात
थी, बाद में अचानक एेसा हुआ कि जिला प्रमुख के लिए
नाम चल पड़ा और मुकाम हासिल हो गया। जिला प्रमुख को लेकर
अपनी आगे की कोई बड़ी
कार्ययोजना की वे बात नहीं
करती है।
बल्कि एक गंभीर छात्रा की तरह पढ़ाई को
पूरा करने को प्राथमिकता देती हैं। हालांकि पढ़ाई के साथ
वे जिला प्रमुख की जिम्मेदारी निभाकर लोगों
के सामने बड़ा उदाहरण पेश करने की चाहत
रखती हैं। अपर्णा का मानना है कि युवाओं को मौका
मिलेगा तभी देश में बदलाव आएगा।
बचपन बीता गांव में
अपर्णा देश में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी समस्या
मानती हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार से लडऩे के
लिए हर एक को आगे आना होगा। उनका कहना है कि बचपन में
गांव की गलियों में जो देखा वह अब शहर
की चकाचौंध में मिटता जा रहा है। एेसे में हर व्यक्ति
को गांव के जीवन का अनुभव जरूर करना चाहिए।
जिला प्रमुख की राह में यह चुनौतियां
सीकर। गांवों की सरकार की
प्रमुख के सामने चुनौतियों की कतार है। गांवों से लेकर
दिल्ली तक भाजपा की कड़ी से
कड़ी जुडऩे के कारण लोगों को उम्मीद
भी बहुत भी है। जिला प्रमुख
की पहली चुनौती दो
महीने बाद गर्मियों के मौसम में गांव-ढाणियों के लोगों तक
पूरी पेयजल सप्लाई पहुंचाने की
रहेगी।
इसके अलावा सफाई, रोशनी, वित्तीय
प्रबंधन सहित अन्य समस्याएं भी कम
नहीं है। गांवों की सरकार की
चुनौतियों से रूबरू कराती पत्रिका की खास
रिपोर्ट।
पेयजल
जिले में पेयजल बड़ी समस्या है। हर वर्ष गर्मियों के
सीजन में 300 से अधिक टैंकर सप्लाई कराने पड़ते
है। कन्टेजेन्सी प्लान भी तैयार किया जाता
है। लेकिन इसकी हकीकत
किसी से छिपी हुई नहीं है।
अब भाजपा की जिला प्रमुख की
पहली चुनौती पेयजल ही है।
अभी से तैयारी शुरू करने पर
ही दो माह बाद बढऩे वाली पेयजल
की खपत को पूरा किया जा सकता है।
सफाई व रोशनी
ग्राम पंचायतों के पास सफाई कार्य के लिए ज्यादा बजट
नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि ग्राम पंचायत
निजी आय बढ़ाकर सफाई व्यवस्था में सुधार ला
सकती है। इसके अलावा पिछले कार्यकाल में गलत
तरीके से लगी सौलर लाइटों पर सवाल खड़े
हुए थे। एेसे में आमराय से रोशनी के इंतजाम करना
चुनौती है।
वित्तीय प्रबंधन
वित्तीय प्रबंधन: कांग्रेस के कार्यकाल में जिला
परिषद में वित्तिय प्रबंधन औसत दर्ज का रहा। अब भाजपा को
इसमें और सुधार करने की आवश्यकता है। कई
योजनाओं में हर वर्ष बजट लैप्स हो जाता है।
इसके लिए जिला परिषद सदस्य व पंचायत समितियों के प्रधानों से
जिला प्रमुख को तालमेल भी बनाने की
आवश्यकता है, ताकि जहां आवश्यकता हो बजट दिया जा सके।
सड़क
ज्यादातर ग्राम पंचायत सड़कों से जुड़ गई हैं। लेकिन अब
बड़ी समस्या इनकी मरम्मत
की है। नीमकाथाना व पाटन सहित अन्य
इलाकों की सड़क काफी खराब हालात में है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़कों की हालत
ठीक नहीं करा पा रहा है। एेसे में जिला
परिषद को रोटेशन से सड़कों की मरम्मत के लिए प्लान
तैयार करना होगा।

रविवार, 10 जुलाई 2016

अड़कसर गाँव का युवा बना राजस्थान का दलित मसीहा आइये विस्तार से जाने भगवानाराम कादिया मेघवाल नन्दनी रुप रेखा

दोस्तो भगवाना राम कादिया मेघवाल एक 30 साल का मेघवाल समाज का युवा
चेहरा है ! इसका जन्म अड़कसर  नागौर मे हुवा है इन्होने
ग्रेजुtएशन  करने के बाद इन्होने
अपना जीवन समाज मे सम्पर्प्रीत कर
दिया है ! और समाज एकता पर अपना खूब योगदान दिया है इस युवा
ने आजतक कभी हार नही
मानी है और हमेशा अन्याय का सामना किया है यह
युवा नागौर जिले मे जिला अनुसूचित जाति के महामंत्री भी रह चुके है !  और नावा
तहसील मे दलित संघठन का अध्यक्ष
भी है ! और इस युवा ने  डान्गावास दलित हत्याकांड मे
एम.एल.ए से लेकर राष्ट्पति तक को ज्ञापन दिया था दोस्तो भगवाना राम  मेघवाल एक शांत व्यवहार वाला युवा है ऐसे युवा यदि इस
धरती पर रहेंगे तो समाज का कोई भी कुछ
नही बिगाड़ सकेगा और  भगवाना राम  मेघवाल का सामाजिक क्रियाओं  के रूप में प्रसिद्ध  हैं. वे सरपंच में चुनाव जीतकर नागौर ही नही बल्कि पूरे राजस्थान मे भी दलितों के मशीहा बने है वे राजस्थान मे अनेक संघठनों के रुप मेंजुड़े हैं.उनका मुक़ाबला आजाद हिंदुस्तान मे जो लोग अन्याय करते ह उसके विरुद्ध है और मेघवाल का मुक़ाबला कड़ा है.लेकिन एक बात मेघवाल के पक्ष में जाती है और वो है लोगो का उनसे लगाव. नागौर और राजस्थान के लोग उन्हें व्यक्तिगत रुप से पसंद करते हैं और अर्थव्यवस्था संभालने के उनके तौर तरीक़ों को लेकर उन्हें आज भी पूरे मे से पूरे अंक देते हैं.यदि वो अपने समर्थकों को एक बारफिर अपने साथ जुटा पाते हैं, और उन -लोगो कोअपनी ओर खींच पाते हैं क्यों की मेघवाल जब एक बार किसी से मिल जाते ह तॊ वो बन्दा  मेघवाल का हो जाता हदोस्तो जब तक आजाद हिंदुस्तान मे भगवाना राम  मेघवाल जेसे पूत इसधरती पर रहेंगे तॊ किसी की अन्याय करने की हिम्मत नही होगी दोस्तो जब मे भगवाना राम जी मेघवाल से मिला तॊ मुझे लगा की भगवाना राम  मेघवाल समाज की खातिर ही नही बल्की पूरे देश की खातिर समाज हेतु संघर्ष कर रहे है मेघवाल कॉलेज करने के बाद राजनीति के बारे मे सोचा तॊ वो राजनीति मे प्रवेश कर लिया दोस्तो इस युवा का राजनीति के साथ साथ समाजिक संघटनों से भी ह नयी सोच नयी बुलंदी के मसीहा के रुप मे जाने जाते है ! भगवाना राम मेघवाल:   दोस्तो मे आपको एक छोटे से कस्बे के रहने वाले भगवाना राम मेघवाल के जीवन के बारे मे बताने जा रहा हूँ मेरे समाज बंधुओं आपको एक साधारण परिवार मे जन्मे श्री भगवाना राम मेघवाल एक साधारण जीवन व्यापन करने वाले मेघवाल समाज के सपूत ने नयी सोच नयी बुलंदियों के सहारे समाज हित मे काम कर  रहे है ! भगवान जी मेघवाल सरपंच भी रह चुके है यह राजस्थान प्रांत के नागौर जिले के एक छोटे से कस्बे अड़कसर  मे जन्मे ह और शिक्षा बी.ए है ! और तीस साल के भगवाना राम जी कभी भी विपरीत परिस्तिथियों मे कभी भी हार नही मानी है मेघवाल वर्तमान समय मे जिला महामंत्री भाजपा युवा मोर्चा अनुसूचित जाति के है ! और इन्होने समाज मे होने वाले दलितों के पर अत्याचार को को भी रोका है दोस्तो  मेघवाल का जब मेने मेघवाल समाज के  ब्लॉग पर प्रकाशित किया  तॊ उसका भी बड़ा योगदान  समाज मे मिला ! क्यों की इसी कारण भगवाना राम  मेघवाल समाज को लेकर आगे बढ़ता है दोस्तो मेने मेघवाल समाज के www.mandusiya.blogspot.com पर भगवाना राम  मेघवाल की जीवनी समाजिक कार्यों के बारे मे तथ्यों को शेयर किया ह

बुधवार, 6 जुलाई 2016

अर्जुन मेघवाल सोशियल किंग इंडिया

*कभी थे टेलीफोन ऑपरेटर, अब मोदी ने शामिल किया कैबिनेट में-अर्जुन मेघवाल को और मेघवाल को अब तक बेस्ट सांसद रत्न से दो बार नवाजा जा चुका है  अर्जुन मेघवाल चुरू जिले के जिला कलेक्टर भी रहे चुके है ! आयीये अर्जुन मेघवाल के जीवन से लेके साईकल तक का सफर के बारे मे विस्तार से देखे

_नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंगलवार को हुए विस्तार में 19 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है। राजस्थान के बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। सांसद मेघवाल कभी टेलीफोन ऑपरेटर हुआ करते थे। अपनी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता के कारण मेघवाल आज केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। सांसद बनने से पहले मेघवाल की पहचान एक बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारी के रूप में थी। मेघवाल दो बार सांसद और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। प्रशासनिक सेवा में सिलेक्ट होने से पहले मेघवाल बीएसएनएल में टेलिफोन ऑपरेटर के तौर पर काम करते थे जो बाद में कड़ी मेहनत से 1982 में आरएएस और फिर आईएएस बने।_

_राजस्थान में बड़े दलित नेता माने जाते हैं मेघवालसांसद अर्जुन मेघवाल राजस्थान में बड़े दलित नेता माने जाते हैं। पिछले वर्ष दूसरे बजट सत्र के पहले दिन से उन्होंने अपने आवास विंडसर रोड से संसद भवन तक का सफर साइकिल से शुरू किया था। तब से वे साइकिल से ही संसद आने-जाने को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। मेघवाल 2002 में पहली बार बीकानेर के सांसद बने थे। राजस्थान में मेघवाल के साथ ही दलित समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड बुक में तो शामिल हैं ही साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी मुहिम को लेकर भी खासे चर्चित हैं।_

_मिल चुका है सांसद महारत्न पुरस्कारमेघवाल संसद में अपने बेहतरीन काम के लिए जाने जाते हैं। मेघवाल समय-समय पर राजस्थान के मुद्दों के केंद्र सरकार और संसद में उठाते रहे हैं। इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने और उन पर काम करने में माहिर मेघवाल इसीलिए देशभर के सांसदों के बीच खासे चर्चा में रहते हैं। बेहतरीन कार्यों के लिए उन्हें हाल ही चेन्नई के आईआईटी सभागार में सांसद महारत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।_

_मोदी की नसीहत पर अपनाई साइकिलउल्लेखनीय है कि पहली बार साइकिल से संसद पहुंचने पर मेघवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण कांफ्रेंस में सभी सांसदों को सप्ताह में एक दिन साइकिल से संसद आने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर वे अब रोजाना ही सत्र के दौरान साइकिल से आएंगे। इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र बीकानेर में भी वे साइकिल का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करेंगे।,_

श्री माया मेघवाल की कथा

श्री माया मेघऋषि जी कथा यह कथा मे आपको संयोजित कर रहा हूँ मेघवाल समाज के बंधुओं हमारे समाज मे आज भी बहूत ऐसी कथायें है जो समाज मे संयोजित है ! मे नवरत्न मन्डुसिया आपको माता माया की कथा को संयोजित करके आपके सामने पेश कर रहा हूँ
मायाजी मेघऋषि जी मेघवाल समाज के महान संत हुए है| वे पाटन मेँ एक कुटिया मेँ रहते तथा भगवान का सिमरन करते थे| उस समय पाटन का राजा सिद्धराज सोलंकी था| एक बार राजा ने जनहितार्थ तालाब खुदवाना प्रारंभ किया| जसमा नाम की एक स्त्री वहाँ काम पर आती थी| वह बहुत ही सुंदर थी इसलिए राजा उस पर मोहित हो गया तथा उसको अपनी पटराणी बनाने का ख्वाब देखने लगा| एक दिन राजा ने जसमा का पीछा कर उसे रोका| राजा जसमा से बोला कि मैँ तुमको अपनी पटराणी बनाना चाहता हूँ| जसमा तो एक सती तथा धार्मिक स्त्री थी इसलिए वह राजा की अभद्र बात सहन नही कर सकी|उसने राजा को शाप देते हुए कहा कि आपने जो जनहितार्थ तालाब खुदवाया है उसमे कभी बुँद भी पानी नही ठहरेगा तथा खारा ही होगा| और देखते ही देखते जसमा अपने प्राण देने लगी | यह देखकर राजा बहुत ही घबराया तथा उसके चरणोँ मेँ गिर पडा| राजा क्षमा याचना करते हुए बोला आप मेरी माता समान हो मुझसे अनजाने मेँ यह पाप हो गया| आप मुझ पापी को क्षमा कर शाप वापस ले लिजिए| जसमा ने कहा कि तीर कमान से तथा शब्द जुबान से निकले हुए वापस नही होता| राजा फिर बोला आप कुछ न कुछ उपाय बताइए अन्यथा यह तालाब किसी अर्थ का नही रहेगा| जसमा ने अंतिम साँसे लेते हुए कहा कि यदि कोई बत्तीस लक्षणोँ वाला व्यक्ति इस तालाब मेँ काया होमेगा तो ही इस शाप से मुक्ति मिल सकती है| और जसमा प्राणमुक्त हो गई| राजा को अब चिँता होने लगी कि आखिर बत्तीस लक्षणोँ वाले व्यक्ति को कहाँ ढुँढने जाएँ| उसने काशी से विद्वान बुलवाया और कहा कि आप शास्त्रोँ का अध्ययन कर ऐसे व्यक्ति का नाम बताओ| विद्वान बोले राजन आप के राज्य मेँ केवल दो ही ऐसे व्यक्ति है| राजा ने पुछा कौन कौन| विद्वान बोले कि एक तो आप स्वयं तथा दूसरे मायाजी मेघवाल जिनकी नगर से बाहर कुटिया मेँ हरि का सिमरन करते है| राजा ने अपने सैनिको को बुलाया और कहा कि जाओ और मायाजी को दरबार मेँ हाजिर करो| सैनिक मायाजी को प्रणाम कर बोले महाराज आप हमारे साथ दरबार मेँ चलेँ राजाजी ने बुलाया| मायाजी दरबार मेँ पहुँचे तथा राजा के सामने हाथ जोडकर खडे हो गए| राजा ने भी मायाजी को प्रणाम किया और उनको दरबार मेँ प्रयोजन बताया| राजा ने कहा केवल हम दोनो पर बात अटकी है| राजा ने कहा कि या तो आप काया होमे तो आप का बडा उपकार होगा अन्यथा मुझे ही यह काम करना पडेगा|मायाजी बोले मै काया होमने को तैयार हूँ| दूसरे दिन नगरवासी गांजो बाजो के साथ पालकी मेँ बिठाकर मायाजी को तालाब पर ले गए| मायाजी ने सभी नगरवासियोँ को अंतिम प्रणाम किया| फिर मायाजी ने अग्नि देवता का आहवान किया| कुछ ही क्षणोँ मेँ स्वतं ही अग्निकुँण्ड बना तथा अग्नि प्रज्वलित होने लगी| मायाजी ने सिमरन कर कुँण्ड मेँ पाँव धरे और देखते ही देखते पूर्ण रुप से अग्निकुँण्ड मेँ समा गए| कुछ देर बाद तालाब मीठे पानी से लबालब भर गया| राजा व नगरवासी मेँ खुशी की लहर दौड गई| इस प्रकार मायाजी ने जनहितार्थ अपने प्राणोँ की आहुति देकर तालाब का जल मीठा किया| मेघवँश सदैव मायाजी का ऋणी रहेगा जिनके बलिदान से समाज को पारंपरिक रीति रिवाजोँ से मुक्ति दिलाई| श्री माया मेघऋषि जी के चरणोँ मेँ शत शत नमन अभिवंदन

रविवार, 3 जुलाई 2016

————- कानून—————– अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम, 1989 एवं नियम, 1995 के नियम 12 (4) के अन्तर्गत देय राहत

——————- कानून—————–
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार
निवारण)अधिनियम, 1989 एवं नियम, 1995 के नियम
12 (4) के अन्तर्गत देय राहत
राजस्थान सरकार के पत्रांक एक 11(67)/ आर एण्ड
पी/ सकवि/4377 दिनांक 11.06.03 द्वारा
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण )
नियम 1995 के प्रावधानों को यथावत लागू कर दिया गया
है ।
अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
1989 के अंतर्गत आने वाले अत्याचारों से
पीड़ित व्यक्तियों को नियम 1995
की धारा 11 एवं धारा 12(4) के अन्तर्गत्
राहत देने का प्रावधान किया गया है। समस्त जिला
कलक्टरों को आदेशित किया गया है कि वे इन नियमों के
अन्तर्गत् आने वाले अत्याचारों के सभी
प्रकरणों में राहत राशि प्रदान किए जाने की
व्यवथा करेंगे ।
(अ) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण)
अधिनियम 1995 की धारा 11 के अन्तर्गत
अत्याचार पीड़ित व्यक्तियों, उनके आश्रितों
एवं गवाहों को आने जाने हेतु यात्रा व्यय, पोषण
व्यय तथा आहार व्यय दिए जाने के निम्न प्रावधान
है-
1. परिवहन हेतु भाड़ा अथवा खर्चा संबंधित व्यक्तियों
के निवास से संबंधित न्यायालय/कार्यालय तक जाने के लिए
साधारण श्रेणी के रेल अथवा बस किराए के
बराबर होगा, जो संबंधित न्यायालय/कार्यालय द्वारा
उपस्थिति सत्यापन किए जाने पर देय होगा ।
2. भरण पोषण भत्ता राज्य की तत्समय लागू
न्यूनतम मजदूरी दर के बराबर प्रतिदिन के
आधार पर उपस्थिति सत्यापन हाने पर दिया जाएगा तथा
3. आहार व्यय हेतु भी उपस्थिति का
सत्यापन होने पर 25/- रूपये प्रतिदिन की
दर से भत्ता दिया जाएगा।
(ब) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण)
अधिनियम 1995 की धारा 12 (4) के
अन्तर्गत अत्याचार पीड़ित व्यक्तियों और
उनके आश्रितों को निम्न प्रकार से राहत देय
होगी:-
क्र.सं. अपराधराहत राशि
1. अखाद्य या घृणाजनक पदार्थ पीना या
खाना (धारा 3(1) (1)/ क्षति पहुंचाना, अपमानित
करना या क्षुब्ध करना (धारा 3 (1) (2)/ अनादरसूचक
कार्य (धारा 3 (1) (3)) के तहत प्रत्येक
पीड़ित को अपराध के स्वरूप और
गंभीरता को देखते हुए 25000 रू.या
उससे अधिक और पीड़ित व्यक्ति द्वारा
अपमान, क्षति तथा मानहानि सहने के अनुपात में
भी होगा। दिया जाने वाला भुगतान
निम्नलिखित होगाः-
(1) 25 प्रतिशत जब आरोप-पत्र न्यायालय को भेजा
जाए।
(2) 75 प्रतिशत जब निचले न्यायालयों द्वारा दोष सिद्ध
ठहराया जाए।
2. सदोष भूमि अभिभोग में लेना या उस पर कृषि करना
आदि (धारा 3 (1) (4))/भूमि परिसर या जल से संबंधित
(धारा 3(1) (5)) के तहतअपराध के स्वरूव और
गंभीरता को देखते हुए कम से कम
25000 रू. या उससे अधिक भूमि/परिसर/जल
की आपूर्ति जहां आवश्यक हो,
सरकारी खर्च कर पुनः वापस
की जाएगी। जब आरोप पत्र
न्यायालय को भेजा जाए पूरा भुगतान किया जाए।
3. बेगार या बलात्श्रम या बंधुआ मजदूरी
(धारा 3 (1) (6)) के तहतप्रत्येक
पीड़ित व्यक्ति को कम से कम 25000 रू./
प्रथम सूचना रिपोर्ट की स्टेज पर 25
प्रतिशत और 75 प्रतिशत निचले न्यायालय में दोष
सिद्ध होने पर।
4. मतदान के अधिकार के संबंध में (धारा 3 (1) (7))
के तहतप्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को
20000 रू. तक जो अपराध के स्वरूप और
गंभीरता पर निर्भर है।
5. मिथ्या, द्वेष पूर्ण या तंग करने वाली
विधिक कार्यवाही (धारा 3 (1) (8))/
मिथ्या या तुच्छ जानकारी (धारा 3 (1) (9))
के तहत25000 रू. या वास्तविक विधिक व्यय और
क्षति की प्रतिपूर्ति या अभियुक्त के
विचारण की समाप्ति के पश्चात् जो
भी कम हो।
6. अपमान, अभित्रास (धारा 3 (1) (10)) के
तहतअपराध के स्वरूप पर निर्भर करते हुए
प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को 25000 रू.
तक 25 प्रतिशत उस समय जब आरोप पत्र न्यायालय
को भेजा जाए और शेष दोष सिद्ध होने पर।
7. किसी महिला की लज्जा
भंग करना (धारा 3 (1) (11))/ महिला का लैंगिक
शोषण (धारा 3 (1) (12)) के तहतअपराध के
प्रत्येक पीड़ित को 100000 रू. । चिकित्सा
जांच के पश्चात् 50 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाये
तथा शेष 50 प्रतिशत विचारण की समाप्ति
पर किया जाए ।
8. पानी गन्दा करना (धारा 3 (1) (13)) के
तहत100000 रू. तक जब पानी को
गन्दा कर दिया जाए तो उसे साफ करने सहित या
सामान्य सुविधा को पुनः बहाल करने की
पूरी लागत। उस स्तर पर जिस पर जिला
प्रशासन द्वारा ठीक समझा जाए भुगतान
किया जाए।
9. मार्ग के रूढ़िजन्य अधिकार से वंचित करना (धारा 3
(1) (14)) के तहत100000 रू. तक या मार्ग के
अधिकार को पुनः बहाल करने की
पूरी लागत और जो नुकसान हुआ है,
यदि कोई हो, उसका पूरा प्रतिकार। 50 प्रतिशत जब
आरोप पत्र न्यायालय को भेजा जाए और 50 प्रतिशत
निचले न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर।
10. किसी को निवास स्थान छोड़ने पर
मजबूर करना (धारा 3 (1) (15)) के तहतस्थल
बहाल करना। ठहराने का अधिकार और प्रत्येक
पीड़ित व्यक्ति को 25000 रू. का प्रतिकार
तथा सरकार के खर्च पर मकान का पुनर्निर्माण यदि
नष्ट किया गया हो। पूरी लागत का भुगतान
जब निचले न्यायालय में आरोप पत्र भेजा जाए।
11. मिथ्या साक्ष्य देना (धारा 3 (2) (1) और (2) )
के तहतकम से कम 100000 रू. या उठाए गए
नुकसान या हानि का पूरा प्रतिकार 50 प्रतिशत का
भुगतान जब आरोप पत्र न्यायालय में भेजा जाए और
50 प्रतिशत निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने
पर।
12. भारतीय दंड संहिता के
अधीन 10 वर्ष या उससे अधिक
की अवधि के कारावास से
दंडनीय अपराध करना (धारा 3 (2)) के
तहतअपराध के स्वरूप और गम्भीरता
को देखते हुए प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति
को या उसके आश्रित को कम से कम 50000 रू. यदि
अनुसूची में विशिष्ट। अन्यथा प्रावधान किया
हुआ हो तो इस राशि में अन्तर होगा।
13. किसी लोकसेवक के हाथों
उत्पीड़न (धारा 3 (2) (7)) के
तहतउठाई गई हानि या नुकसान का पूरा प्रतिकार,
50 प्रतिशत का भुगतान जब आरोप पत्र न्यायालय में
भेजा जाए और 50 प्रतिशत का भुगतान जब निचले
न्यायालय में दोष सिद्ध हो जाए,
किया जाएगा ।
14. निर्योग्यता । सामाजिक न्याय और अधिकारिता
मंत्रालय भारत सरकार की समय-समय पर
यथा संशोधित अधिसूचना सं. 4.2.83, एच.डब्ल्यू- 3
तारीख 6.8.1986 में शारीरिक
और मानसिक निर्योग्यताओं का उल्लेख किया गया है।
अधिसूचना की एक प्रति अनुबन्ध-2 पर
है।
(क) 100 प्रतिशत असमर्थतता (1) परिवार का न
कमाने वाला सदस्य को
(2) परिवार का कमाने वाला सदस्य को
(ख) जहां असमर्थता
100 प्रतिशत से कम है।अपराध के प्रत्येक
पीड़ित को कम से कम 100000 रू., 50
प्रतिशत प्रथम सूचना रिपोर्ट पर और 25 प्रतिशत
आरोप पत्र पर और 25 प्रतिशत निचले न्यायालय
द्वारा दोष सिद्ध होने पर। अपराध के प्रत्येक
पीड़ित को कम से कम 200000 रू., 50
प्रतिशत प्रथम सूचना रिपोर्ट/चिकित्सा जांच पर भुगतान
किया जाए और 25 प्रतिशत जब आरोप पत्र न्यायालय
को भेजा जाए तथा 25 प्रतिशत निचले न्यायालय में दोष
सिद्ध होने पर।
उपर्युक्त क (1) और (2) में निर्धारित दरों को
उसी अनुपात में कम किया जाएगा, भुगतान
के चरण भी वही रहेंगे।
तथापि न कमाने वाले सदस्य को 15000 रू. से कम
नहीं और परिवार के कमाने वाले सदस्य
को 30000 रू. से कम नहीं होगा।
हत्या/ मृत्यु
(क) परिवार का न कमाने वाला सदस्य होने पर
(ख) परिवार का कमाने वाला सदस्य होने पर-
प्रत्येक मामले में कम से कम 100000 रू., 75
प्रतिशत पोस्टमार्टम के पश्चात् और 25 प्रतिशत
निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर। प्रत्येक
मामले में कम से कम 200000 रू., 75 प्रतिशत का
भुगतान पोस्टमार्टम के पश्चात् और 25 प्रतिशत
निचले न्यायालय में दोष सिद्ध होने पर।

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...