शनिवार, 29 जुलाई 2017

बेटी ही एक ऐसी अनमोल रत्न है जो दो घरो को सवारती है

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //  बेटी  जब शादी के मंडप से...ससुराल जाती है तब .....पराई नहीं लगती.
मगर ......जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है.जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है.जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है.लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती
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 Dedicate to all Girls..
नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना कुछ ना देना मुझको बस प्यार बनाए रखना पापा के इस घर में मेरी याद बसाए रखना बच्चों के मन में मेरा मान बनाए रखना बेटी हूँ सदा इस घर की ये सम्मान सजाये रखना।

Dedicated to all married girls .....बेटी से माँ का सफ़र  (बहुत खूबसूरत पंक्तिया , सभी महिलाओ को समर्पित)बेटी से माँ का सफ़र बे   फिक्री से फिकर का सफ़र रोने से चुप कराने का सफ़र उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी  ।आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं ।पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं । पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में  छुपाया करती हैं पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी ।आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं ।माँ,माँ  कह कर पूरे घर में उछला करती थी ।आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं ।10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था ।आज 7 बजे उठने पर भी लेट हो जाया करती हैं ।खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था ।आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है ।पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी ।अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर कहलाया करती हैं । एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं । ना जाने कब किसी की बेटी किसी की माँ बन गई ।कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .😭😭😭😭😭
🚩बेटी है तो कल हे।🚩
बहुत प्यारी होती है बेटीया न जाने लोग बोज समझते है बेटीया
इसलिये हमे बेटियों को बोझ नही समझना चाहिये :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से 

बुधवार, 26 जुलाई 2017

मेघवाल समाज की युवा सरपंच ममता वर्मा की युवा सोच और गाँव को किया चमन



नवरत्न मन्डुसिया की कलम से//राजस्थान की राजधानी जयपुर  जिले के एक छोटे से कस्बे रेनवाल के पास मुंडली गाँव की है और यह किस्सा बहूत ही जबरदस्त है आइये जानते है युवा  25 साल की ममता वर्मा  के  सरपंच बनने की कहानी के बारे मे दोस्तो यह कहानी ही नही बल्कि एक हक्कीकत है तथा  बड़ी जबरदस्त कहानी है ममता मेघवाल की शिक्षा 12 कक्षा है और अब वर्तमान मे प्रथम वर्ष की छात्रा है ममता मेघवाल के पति सुभाष मेघवाल भी ममता मेघवाल के कामकाज मे पूरा सपोर्ट करते है  जब ममता देवी मेघवाल को आम चुनावों के बारे मे कहा गया की ममता आपको इस मुंडलि गाँव की मुखिया बनाया जा रहा है तो एक बार तो ममता मेघवाल डर सी गयी थी लेकिन ममता अपने पति की बातो को बड़े दिल और दिमाग से सुना तो तो सरपंच के चुनाव के लिये हाँ भर दी गयी  और सरपंच के चुनाव के लिये तेयारीया करना शुरू कर दिया गया दोस्तो इनकी सरपंचाई की दास्तांन बहूत ही अलग थलग है  ममता मेघवाल के सामने तीन लोग और चुनावी मेदान मे थे

आम चुनावों मे जब ममता मेघवाल 434 वोटो से जीत दर्ज की तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही था अपनी जीत का श्रेय अपने पति सुभाष मेघवाल और ससुर तथा ग्रामवासियों को मानती है जब ममता मेघवाल सर्वप्रथम गांव के सरकारी स्कूल में तिरंगा फहराने के लिए गांव के विद्यालय मे गयी तो बहूत ही गर्व महसूस कर रही थी ममता मेघवाल  ने जब चीफ गेस्ट बनकर स्कूल में ध्वजारोहण किया तभी से उन्होंने गांव की भलाई करने की ठान ली। उनकी जीत का अंतर अन्य तीन उम्मीदवारों से तीन गुना तक रहा।उन्होंने सरपंची का चुनाव लड़ने की ठानी। परिवारवाले  भी  चाहते थे की ममता गाँव की सरपंच बने आखिर 934 वोट लेकर सरपंच बन ही गयी  कि वह  इसके बावजूद उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज कर जिले में सबसे युवा सरपंच बनने की उपलब्धि हासिल की। सरपंच बनने के बाद उन्होंने अब  ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रही है गांव के विकास को लेकर ममता मेघवाल  के सामने कई परेशानियां आईं। सबसे बड़ी समस्या  पानी लाने को लेकर थी, लेकिन ममता पानी लाने की पूरी कोशिश कर रही है और नहरों को जोड़ने वाली सुविधा की भी बहूत प्रयास कर रही है ममता का उद्देश्य गरीबो की सेवा करना लोगो को अधिक.से से.सुविधायें दिलवाना आदि उद्देश्य है ममता ने अपने कार्यकाल मे पेंशन सुविधाएँ भामाशाह योजनाएँ राशन योजनायें आदि लाकर गाँव की सेवा करना ही अपना धर्म मानती है ममता मेघवाल का कहना है की ज
"जब मैं चुनाव जीतकर पहली बार सरपंच भवन गई तो देखा कि लोगों के पेंशन और प्रमाण पत्र के कागज उनके दफ्तर मे पड़े मिले थे तथा कई लोगो  के साईन किए हुए रखे पड़े हैं। उन्हें किसी ने जमा ही नही कराए और लोग ने ये मानकर संतोष कर लिया कि वो इन योजनाओं के पात्र नहीं थे इसलिए कुछ हुआ ही नही"
पांच साल के लिए सरपंच बनी प्रतिभा ये सबकुछ बदलना चाहती है.ममता पहली.बार  सरपंच बनी है और अब तो मानो ममता को इतना नॉलेज हो गया है की अब वह विपरीत परिस्तिथियों का सामना करके भी आगे बढ़ने की सोच रही है ममता के एक पुत्र और एक पुत्री है दोनो ही पढ़ाई करते है   गाँव  में पीने की पानी बड़ी समस्या थी. पंचायत के पास फंड थे नही. गांववालों को उम्मीदें काफी थी लिहाजा जयपुर का चक्कर काटना शुरु किया और गाँव की ज्यादातर असुविधाओं को सुविधाऑ मे बदला गया गांव की सरपंच साहिबा बताती है की
"पहले घर से निकला मुश्किल होता था. बरसात में गांव ही कीचड़ बन जाता था लेकिन अब पक्की सड़क बनने के बाद ऐसा नही है"और ज्यादा तर जगहो पर सड़क निर्माण करवाया जा रहा है ॥
ममता मेघवाल  के पंचायत के अंदर पांच सात  बड़े गांव आते हैं जहां से पंचायत भवन बहुत दूर था और यह गाँव किसी ज़माने मे नगरपालिका के नाम से जाना पहचाना जाता था लेकिन गांववालो की एकता के कारण इस मुंडलि गाँव को ग्राम पंचायत घोषित करना पड़ा  इसलिए इन्होंने ग्राम पंचायत मे ईमित्र ई-कियोस्क शुरु करवाया ताकि हर कोई यहां आकर कंप्यूटर में अपना कागज और आवेदन डलवा दे और फिर ममता मेघवाल  उनका काम ऑनलाईन देख सकें और उनके काम का प्रोग्रेस देख सकें।और जल्द से जल्द उनका काम कर सके और  लोग देख भी सकें उनके आवेदन या काम कहां तक पहुंचा. इस योजना की सफलता ने गांव की आधी समस्या दूर कर दी. सबसे ज्यादा समस्या वृद्धाअवस्था पेंशन और विधवा पेंशन की होती थी लेकिन ई-मित्र कियोस्क के जरिए ये सारा काम गांव में होता है. यही नहीं अब खाता से पैसे लाने शहर भी नही जाना पड़ता है.तथा ममता मेघवाल  खाली समय में किताबें पढ़ना पसंद करती हैं, साथ ही आगे पढ़ने की भी ख्वाहिश है. लिहाजा अपने लिए भी वक्त निकालकर कर पढ़ाई करती रहती हैं.ममता मेघवाल  की पढ़ाई की लगन का असर गांव के युवाओं पर भी पड़ा है और गांव में पढ़ाई का ऐसा माहौल बना है की सभी गाँव के लोग पढ़ने मे भी बहूत सक्रिय हो रहे है :-नवरत्न मन्डुसिया की कलम से 

सोमवार, 24 जुलाई 2017

अब अपनायेंगे स्वदेशी और भगाएंगे विदेशी :- नवरत्न मन्डुसिया

 नवरत्न मन्डुसिया की कलम.से // दोस्तो आज जब मे सुरेरा मे श्री श्याम स्टील फर्नीचर के प्रोप्राइटर श्री साँवर मल जी सेवदा निवासी रुलाणा और श्री बालाजी  क्लौथ साड़ी सेंटर के प्रोप्राइटर व कपड़े के थोक विक्रेता  श्री  भँवर लाल जी महला निवासी भारीजा के पास घूमते घूमते पहुँचा तो वे वेसे मेरे अजीज मित्र भी है और औपचारिक भाषा मे कहे तो मेरे शॉप के पड़ोसी भी है इनके पास मेरा एक और मित्र शिम्भू सिंह शेखावत वो भी  आ गये  थे वेसे शिम्भू सिंह शेखावत पेशे से कपड़े के व्यापारी है सब हमारी शॉप के बाहर बेठे थे हमारे बीच मे अचानक एक सवाल आया की हम लोग अब कभी भी जीवन मे चीन की बनाई गयी कोई भी वस्तु नही खरीदेंगे अब हम लोग हमेशा स्वदेशी वस्तुएँ ही खरीदेंगे दोस्तो आजाद भारत मे यदि हम लोग स्वदेशी वस्तुएँ खरीदेंगे तो हमारे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी इस कारण हम सब लोग स्वदेशी वस्तुएँ ही खरीदेंगे और विदेशी वस्तुओं की होली जलायेंगे दोस्तो हमे चीन की बनी हुई कोई भी वस्तु नही खरिंदेंगे चीनी मिट्टी से बनी मूर्तिया, फाईबर की मूर्तियां, प्लास्टिक से बनी मूर्तियों व चीनी पटाखे, चीनी मोबाइल तथा  अन्य सभी चीनी आईटम का बहिष्कार करेंगे तथा हम सब लोग मिलकर देश बचायें', 'स्वदेशी भारत समृद्ध भारत', 'मेड इन चायना अब कभी नहीं, कभी नहीं', 'मेड इन चायना हटायें'ये ही हमारा उद्देश्य होना चाहिये दोस्तो मे नवरत्न मन्डुसिया आपको कहना चाहता हूँ की अब समय आ गया है हमे चीन की वस्तुओं का बहिष्कार करने का और स्वदेशी अपनाने का दोस्तो इस हिंदुस्तान की 150 करोड़ जनसँख्या होते हुवे भी नही समझ रहे अब तो हमे जागना चाहिये दोस्तो चीन की वस्तुएं भारत के सामाजिक व आर्थिक हित के लिए घातक है़ चीन दुश्मन देश की  मदद कर रहा है़  ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम  चीनी सामान का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाये़ और अब हमे.भविष्य मे कभी भी राखी पटाखों, लाइटों, रंगीन बल्बों आदि का बहिष्कार करे़ं   देश में निर्मित समान खरीद कर गरीबों की मदद करें. दोस्तो मेने इतिहास विषय से मास्टर की डिग्री प्राप्त की थी उस समय मेने कई शक्तिशाली देशों का अध्ययन किया था उनका एक ही उद्देश्य था की भारत मे फुट डालो राज़ करो की नीति अपनाकर हम भारत देश मे साम्राज्य स्थापित करके विदेशी व्यापारों का व्यापार करेंगे दोस्तो मे नवरत्न मन्डुसिया आपको अवगत करवाना चाहता हूँ की
 दुनिया में सबसे बड़ी फ़ौज सोवियत संघ.के पास थी जिसका खर्चा वह भारत जैसे देशो विकासशील देशों  को मनमाने दाम पर हथियार बेच कर उठाता था ,परन्तु जब अमेरिका और फ़्रांस उससे बहुत कम कीमत में उनसे अच्छा हथियार बेचने लगे तो सोवियत का बाजार टूट गया और ९० के दसक आते आते वह अपने सेना का खर्च उठाने में असमर्थ हो गया परिणाम स्वरुप उसे अपने आधीन राष्ट्रों को आजादी देनी पड़ी इस प्रकार सोवियत संघ का पतन हो गया .चीन के पास भी बहुत बड़ी सेना है, और उसे भी अपने सैनिको का खर्च उठाने के लिए अपना सामान अन्य देशो के बाजार में भेजना पड़ रहा है और यहाँ तक उसे अपने कैदियों के अंगो को भी बेच कर पैसा कमाना पड़ रहा है .लगभग रोज चीन भारतीय सीमा में घुस आता है, परन्तु वह बियात्नाम युद्ध के बाद इस स्थिति में नहीं है की कोई बड़ी लड़ाई लड़ सके, यदि चीन को बिना एक गोलीचलाये सबक सिखाना है तो सबसे अच्छा तरीका यही है की हर भारतीय चीनी सामानों का बहिस्कार करे और दुनिया  का सबसे बड़ा बाजार भारत है कोई भी देश से यदि इतना  बड़ा बाजार छीन जाये तो उसका आधा पतन ऐसे ही हो जाएगा.मै हर भारतीय से अनुरोध करता हु की वह चीनी सामान लेना बंद कर दे जिसमे कीं चीन देश की  आर्थिक स्थिति भी कमजोर होगी और भारत देश का भी सहयोग करता रहेगा :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

रविवार, 23 जुलाई 2017

बोरावड़ के भीम सेनिक संजय साणेल वकालत के साथ साथ समाज सेवा मे भी अव्वल

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //बोरावड़ नागौर //जब मे आगे देखता हूँ तो मुझे समाज सेवी नज़र आते है और पीछे मुड़कर देखता हूँ तो उनकी बाते समाज सेवा की ही होती है ऐसा नजारा मुझे मिला है राजस्थान प्रांत के नागौर जिले के बोरावड़ कस्बे के मेघवाल समुदाय के युवा समाज जनसेवक संजय साणेल दोस्तो आजाद हिंदुस्तान मे दिनप्रतिदिन समाज सेवकों की इतनी बढ़ोत्तरी हो रही है जेसे पुलिस फोर्स मे सेनिकों की लेकिन यह समाज सेवा भी किसी से कम नही है क्यों की समाज सेवा भी समाज का भविष्य होता है संजय साणेल बोरावड के निवासी है इन्होने गुजरात से लॉ की डिग्री प्राप्त किया है संजय साणेल का उद्देश्य समाज सेवा के साथ साथ वकालत करनी भी है क्यों की साणेल कहते है की वकालत भी समाज मे बहूत महत्वपूर्ण है यह वकालत समाज का हिस्सा होता है जिसमे समाज मे हो रहे अत्याचार मिट सके और समाज का नाम आगे बढ़ते भी रहे सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह  है  इसी कारण संजय वकालत के साथ.साथ समाज सेवा मे भी अव्वल है की संजय साणेल  एक 22 साल का युवा है और इतनी छोटी सी उम्र मे समाज सेवा का नशा बहूत ही कम देखने को मिलता है  तथा संजय बाबा साहेब के विचारो से बहूत प्रभावित हुवे है और लोगो को बाबा साहेब के मार्ग पर चलने के लिये लोगो को प्रेरित करते रहते है इस लिये मेरे अनुसार संजय मेघवाल के विचार  बौद्धिक संपदा अधिकारों में उभरते नए आयाम मुद्दे व चुनौतियों आदि हो सकती है संजय साणेल का कहना है की कानूनविदों को वकालत का पेशा नैतिकता और समाजसेवा के रूप में अपनाना चाहिए।
वकालत केवल पेशा ही नहीं,बल्कि समाज के प्रति एक सेवा भी है। वकील के जरिए ही जरूरतमंद को न्याय मिलता है उसकी देश के संविधान के प्रति आस्था बढ़ती है। इसलिए देश हित में सभी वकील अपने दायित्व का पालन करें। ये सभी सोच रखते है संजय और इनके साथियों ने बोरावड़ मे निःशुल्क कोचिंग का भी संचालन कर रखा है जिसमे दलित और गरीबी रेखा से नीचे गुजरने वाले बच्चो को निःशुल्क शिक्षा देते है जिसमे आसपास मे बहूत चर्चाऔ के आयाम बन चुके है संजय साणेल गरीबो के हितैषी है तथा हमेशा गरीबो की सेवा करने के लिये तत्पर रहते है :-नवरत्न मन्डुसिया की कलम से 

सामंतवाद के गढ़ में लड़ता एक निडर भीमसैनिक मेघवंशी भगवानाराम

दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान के जालोर जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित गाँव मांडवला के 46 वर्षीय भगवाना राम वैसे तो कमठा मजदूर है .परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने की वजह से उन्हें 1984 में  आठवीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद पढाई छोड़ कर काम करने जाना पड़ा. तब से अब तक वे मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं आजकल उन्होंने राजमिस्त्री के काम में ही छोटे मोटे ठेके लेना शुरू कर दिए है, जिससे उन्हें परिवार चलने लायक आमदनी हो जाती है. कहने का मतलब सिर्फ यह है कि भगवाना राम अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं मगर बाबा साहब के मिशन को समझ कर काम असाधारण करते हैं. सबसे खास बात यह है कि आजकल वे सामंतवाद को सीधे सीधे चुनौती दे रहे हैं.
भगवाना राम वर्ष 2005 में बसपा नेता धर्मवीर अशोक के संपर्क में आये तो बाबा साहेब के मिशन के बारे में जानने का मौका मिला, फिर उन्होंने बामसेफ के कुछ कैडर लिये. इससे उन्हें समझ में आया कि दलित समुदाय का भला डॉ. अम्बेडकर को अपनाने से ही होगा. जल्द ही उनमें  बाबा साहब के विचारों को ज्यादा से ज्यादा जानने का जुनून पैदा हो गया. भगवाना राम ने बाबा साहब के सारे वोल्यूम ख़रीदे तथा उनको पढ़ कर ही माने. इतना ही नहीं बल्कि उन्हें जहाँ से भी बाबा साहब से सम्बंधित साहित्य मिला, उसे लिया और पढ़ डाला. वे बड़े ही गर्व से बताते हैं कि अब उनके पास गाँव में बाबा साहब की विचारधारा के साहित्य की एक छोटी सी लाईब्रेरी हो गई है.
वर्ष 2011 में उनकी बेटी विद्या कुमारी को 12 वीं पास करने के बाद जब गवर्नमेंट कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाया तो उन्होंने उसे कम्प्युटर साईंस पढ़ने एक निजी कॉलेज में प्रवेश दिला दिया. बेटी के लिए घर पर एक कम्प्यूटर भी ले आये और इंटरनेट के लिए डाटा कार्ड भी ले आये. इस तरह इस अत्यंत साधारण  पृष्ठभूमि के दलित परिवार तक इंटरनेट की पंहुच हो गई. भगवाना राम सुबह शाम अपनी बेटी के साथ बैठ कर कम्प्यूटर सीखने लगे, नेट चलाने लगे. यहीं उनकी मुलाकात सोशल मीडिया के उस आभासी संसार से हुई, जहां असीम संभावनाएं व्याप्त थी. उन्हें लगा कि वे बाबा साहब के मिशन की बातें इसके जरिये फैला सकते हैं. उन्होंने ऑरकुट पर अपना खाता खोला, मगर ज्यादा लोग उधर नहीं मिल पाए. फिर वे फेसबुक पर आये, यहाँ उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली. हौंसला बढा. इतने में बेटी ग्रेजुएट हो गई. बेटी ने मांडवला गांव में ही ई-मित्र का सेंटर ले लिया.
अब तो भगवाना राम के लिए नेट पर काम करना और भी सरल हो गया. वे और अधिक सक्रिय हो गए और फिर आया व्हाट्सअप. उसमें भी ग्रुप बनाने की सुविधा. भगवाना राम तथा उनके जैसे लाखों दलित बहुजन युवाओं के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर बन गया. वे लग गए बाबा के मिशन को आगे बढ़ाने में. बाबा साहेब की यह साईबर आर्मी आज भी देश भऱ में लगी हुयी है. ये लोग सोशल मीडिया पर मनुवादी तत्वों की तरह चुटकुले बाज़ी में अपना वक़्त जाया नहीं करते बल्कि विचारधारा की बातों को फ़ैलाने में अपना डाटा खर्चते है. इस तरह भारत में एक मौन मगर अत्यंत प्रभावी इन्टरनेट अम्बेडकरी क्रांति आकार ले रही है. भगवाना राम भी इस क्रांति का एक हिस्सा है, वे दिन भर कमठे पर कड़ी मेहनत करते हैं और शाम के वक़्त लग जाते है बुद्ध, फुले, कबीर, अम्बेडकर तथा कांशीराम के विचारों का प्रचार प्रसार करने में.
महज 8 वीं पास यह निर्माण श्रमिक आज एक ब्लोगर भी है और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट भी. लेकिन सिर्फ इन्टरनेट वीर नहीं कि एक पोस्ट डाल कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्ति पा ली, बल्कि संघर्ष के मोर्चे पर भी खड़े रहने की कला उन्होंने अपने में विकसित की है. सोशल मीडिया से लेकर सडकों तक होने वाले संघर्ष में आगेवान की भूमिका निभाने का प्रयास भगवाना राम कर रहे हैं. उन्होंने कुछ सुधार अपने गाँव, अपने समुदाय तथा अपने घर से करने की शुरुआत की है.

शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

भाई बहन का पवित्र रिश्ता होता है रक्षाबंधन :- नवरत्न मन्डुसिया


नवरत्न मन्डुसिया की कलम //हमारे समाज मे रक्षाबंधन का त्योहार बहूत जोरों शोरो से मनाया जाता है वास्तव मे मुझे ये रक्षाबंधन का त्यौहार आता है तो मुझे बहूत गर्व महसूस होता है की मे भी मेरी प्यारी बहन से राखी अपनी कलाई पर बँधवाऊ दोस्तो मे नवरत्न मन्डुसिया आपको एक एक भाई बहन के पवित्र रिश्ते के बारे मे बताने जा रहा हूँ दोस्तो सर्वप्रथम मे आपको यह कहना चाहता हूँ की भाई बहन का प्यार दुनिया का सबसे बड़ा रिश्ता होता है और हमे इस पवित्र रिश्ते को निभाकर एक सच्चा भाई का प्रतीक दर्शाना चाहिये दोस्तो जब मे छोटा था तो हमारे घर मेरी भूवा जी आती थी राखी बाँधने के लिये तो हम चार भाई सर्व प्रथम राखी मे बँधवाउंगा की होड़ करते थे मेरे पाँच भुवाजी है सब भूवा जी आती तो हमारे हाथो मे बहूत सारी राखियां हो जाती है और अब एक बहन है अब वो भी राखी बांधती है हमारे सुरेरा गाँव मे राखी का त्यौहार बहूत बड़ी धूम धाम से मनाते है हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन  का त्योहार मनाया जाता है। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन, अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मानते हैं। और लोग एक दूसरे का अच्छा सम्मान भी करते है ,
वैसे इस पर्व का संबंध रक्षा से है। जो भी आपकी रक्षा करने वाला है उसके प्रति आभार दर्शाने के लिए आप उसे रक्षासूत्र बांध सकते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ इससे पाण्डवों एवं उनकी सेना की रक्षा होगी। श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अद्भुत शक्ति होती है। रक्षाबंधन से सम्बन्धित इस प्रकार की अनेकों कथाएं हैं।
(नोट :- आजकल लोग एैसी कहावतों पर कम विश्वास करते है )रक्षाबंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भाईबहन एक दूसरे का इंतजार करते है  इसके बाद रोली, अक्षत, कुंमकुंम एवं दीप जलकर थाल सजाते हैं। इस थाल में रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करते हैं फिर बहनें भाइयों के माथे पर कुंमकुंम, रोली एवं अक्षत से तिलक करती हैं।
इसके बाद भाई की दाईं कलाई पर रेशम की डोरी से बनी राखी बां धती हैं और मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है। और भाई अपनी बहन द्वारा बाँधी गयी राखी के पवित्र बंधन की रक्षा करने का अपनी बहन को वचन भी देता है  जिन  लोगों की बहनें नहीं हैं वह आज के दिन किसी को मुंहबोली बहन बनाकर राखी बंधवाएं तो शुभ फल मिलता है। इन दिनों चांदी एवं सोनी की राखी का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है। चांदी एवं सोना शुद्ध धातु माना जाता है अतः इनकी राखी बांधी जा सकती है लेकिन, इनमें रेशम का धागा लपेट लेना चाहिए। क्यों की राखी तो मौली की ही सबसे पवित्र मानी जाती है  इस लिये हमे राखी मौली की ही बंधवानी चाहिये :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...