मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर का जीवन परिचय

भारत को संविधान देने वाले महान नेता डा. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का भीमाबाई था। अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान के रूप में जन्में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे।भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे। बचपन में भीमराव अंबेडकर (Dr.B R Ambedkar) के परिवार के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। भीमराव अंबेडकर के बचपन का नाम रामजी सकपाल था. अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे और उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे. भीमराव के पिता हमेशा ही अपनेबच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे।1894 में भीमराव अंबेडकर जी के पिता सेवानिवृत्त हो गए और इसके दो साल बाद, अंबेडकर की मां की मृत्यु हो गई. बच्चों की देखभाल उनकी चाची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुये की। रामजी सकपाल के केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियाँ मंजुला और तुलासा ही इन कठिन हालातों मे जीवित बच पाए। अपने भाइयों और बहनों मे केवल अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए और इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुये। अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे के कहने पर अंबेडकर नेअपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम "अंबावडे" पर आधारित था।8 अगस्त, 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसकी सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है।अपने विवादास्पद विचारों, और गांधी और कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद अंबेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, 15 अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो उसने अंबेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया।14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अंबेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिकसार्वजनिक समारोह का आयोजन किया। अंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण किया। 1948 से अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित थे. जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। 6 दिसंबर 1956 को अंबेडकर जी की मृत्यु हो गई !

मेघवंशी थे बाबा रामदेवजी महाराज

अवतारवाद के शिकारक्रान्तिकारी बाबा रामदेव मेघवाल...अवतार साबित करने के पिछे सबसे बङा हाथहरजी भाटी का है। देखा जाएतो हरजी भाटी का जन्म बाबा रामदेव जी केसमाधी लेने के ठिक 303 साल बाद हुआ था।हरजी भाटी ने बाबा रामदेव जी पर एकआरती लिखी जो आज बाबा रामदेव जी के मन्दिरमे गायी जाती है। आरती के शब्द इस प्रकार है।"पिछ्म धरा छु म्हारा पिर जी पधारेया घरअजमल अवतार लियो लाछा सुगना करेहरी री आरती हरजी भाटी चँवर ढोले।अब इसमेसवाल उठता है।कि रामदेव जी के समाधी के 303साल बाद हरजी भाटी का जन्म हुआ तो वेलाछा सुगना के साथ चँवर केसे ढोला...औरपुरी आरती मे ङाली बाई का नाम तकनही।क्या यह हमारे साथ भेदभाव नही है।303 साल बाद जन्मे हरजी भाटी को तो बाबा के साथ बड चढ के गाया जाता है।ओर बाबा कि बहन का कँई नाम नही ।अब आप ही बताए यह केसे सम्भव हुआ बाबा रामदेव जी के समाधी लेने के बाद 250 साल तक उच्च जाती के लोग बाबा के अनुयायी क्यु नही बने।और ही हरजी के समयकांल से पहले कौईभजन वाणी मे बाबा के अवतार चुननेको नही मिलता क्युकि सबको पता था की बाबा रामदेव जी ने अवतार नही मेघवाल समाज मे जन्मलिया है।ईसलिए तो सुगना के ससुराल वालेबाबा से नफरत करते थे।इसलिए मेघवालो को बाबा रा रिखया कहा जाता है। फिर हरजी भाटी ने बाबा को अवतार बताने मे कोई कसर नही छोङी ओर बाबा के अवतार का झुठा प्रचार किया इसकी वजह से बाबा रामदेवपर अवतारका नकाब चङा दिया...और आज सब अवतार की राग अलाप ते है। झुठ पे झुठ एक ओर गीत आज बहुत चुननेको मिलता है। बाबा रामदेव परणावे तुमपरणो हरजी भाटी...मे पुछता हु क्या यही गीत सत्य हो सकता है।324 बाद बाबा रामदेव जी को हरजी भाटी के साथ।॥अवतार साबित नही होता क्युकि 1950 से पहले पिछङी जातिया sc/st को शिक्षा पर प्रतिबंध था।इसलिए शिक्षित न होने कि वजह से अवतार का विरोध नही कर सके।लेकिन हमारे मेघ मोखिक गायक और मेघ भजन वाणी मे बाबा के जन्म के सत्यको पीढी दर पीढी सँजोय रखा ॥इसी प्रमाणो पर इस सत्य को उजागर किया सतगुरु रामप्रकाश जी ने।ओर बाबा रामदेव जी पर सत्य ग्रँथ लिखा ।सिर्फ ग्रँथ ही नही जोधपुरकोर्ट से मुकदमा भी जीत लिया।ओर सत्य को साबित किया कि बाबा रामदेव जी मेघवाल थे।बाबा रामदेव जीके पिता जी सायर जी जयपाल और माता मँगनी देवी था।ङाली बाई बाबा की बहन थी।आज भी इतिहासकार इससत्य को उजागर कर रहै है।

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...