बुधवार, 6 जुलाई 2016

अर्जुन मेघवाल सोशियल किंग इंडिया

*कभी थे टेलीफोन ऑपरेटर, अब मोदी ने शामिल किया कैबिनेट में-अर्जुन मेघवाल को और मेघवाल को अब तक बेस्ट सांसद रत्न से दो बार नवाजा जा चुका है  अर्जुन मेघवाल चुरू जिले के जिला कलेक्टर भी रहे चुके है ! आयीये अर्जुन मेघवाल के जीवन से लेके साईकल तक का सफर के बारे मे विस्तार से देखे

_नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंगलवार को हुए विस्तार में 19 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है। राजस्थान के बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। सांसद मेघवाल कभी टेलीफोन ऑपरेटर हुआ करते थे। अपनी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता के कारण मेघवाल आज केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। सांसद बनने से पहले मेघवाल की पहचान एक बेहतरीन प्रशासनिक अधिकारी के रूप में थी। मेघवाल दो बार सांसद और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। प्रशासनिक सेवा में सिलेक्ट होने से पहले मेघवाल बीएसएनएल में टेलिफोन ऑपरेटर के तौर पर काम करते थे जो बाद में कड़ी मेहनत से 1982 में आरएएस और फिर आईएएस बने।_

_राजस्थान में बड़े दलित नेता माने जाते हैं मेघवालसांसद अर्जुन मेघवाल राजस्थान में बड़े दलित नेता माने जाते हैं। पिछले वर्ष दूसरे बजट सत्र के पहले दिन से उन्होंने अपने आवास विंडसर रोड से संसद भवन तक का सफर साइकिल से शुरू किया था। तब से वे साइकिल से ही संसद आने-जाने को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। मेघवाल 2002 में पहली बार बीकानेर के सांसद बने थे। राजस्थान में मेघवाल के साथ ही दलित समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड बुक में तो शामिल हैं ही साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी मुहिम को लेकर भी खासे चर्चित हैं।_

_मिल चुका है सांसद महारत्न पुरस्कारमेघवाल संसद में अपने बेहतरीन काम के लिए जाने जाते हैं। मेघवाल समय-समय पर राजस्थान के मुद्दों के केंद्र सरकार और संसद में उठाते रहे हैं। इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने और उन पर काम करने में माहिर मेघवाल इसीलिए देशभर के सांसदों के बीच खासे चर्चा में रहते हैं। बेहतरीन कार्यों के लिए उन्हें हाल ही चेन्नई के आईआईटी सभागार में सांसद महारत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।_

_मोदी की नसीहत पर अपनाई साइकिलउल्लेखनीय है कि पहली बार साइकिल से संसद पहुंचने पर मेघवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण कांफ्रेंस में सभी सांसदों को सप्ताह में एक दिन साइकिल से संसद आने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर वे अब रोजाना ही सत्र के दौरान साइकिल से आएंगे। इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र बीकानेर में भी वे साइकिल का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करेंगे।,_

श्री माया मेघवाल की कथा

श्री माया मेघऋषि जी कथा यह कथा मे आपको संयोजित कर रहा हूँ मेघवाल समाज के बंधुओं हमारे समाज मे आज भी बहूत ऐसी कथायें है जो समाज मे संयोजित है ! मे नवरत्न मन्डुसिया आपको माता माया की कथा को संयोजित करके आपके सामने पेश कर रहा हूँ
मायाजी मेघऋषि जी मेघवाल समाज के महान संत हुए है| वे पाटन मेँ एक कुटिया मेँ रहते तथा भगवान का सिमरन करते थे| उस समय पाटन का राजा सिद्धराज सोलंकी था| एक बार राजा ने जनहितार्थ तालाब खुदवाना प्रारंभ किया| जसमा नाम की एक स्त्री वहाँ काम पर आती थी| वह बहुत ही सुंदर थी इसलिए राजा उस पर मोहित हो गया तथा उसको अपनी पटराणी बनाने का ख्वाब देखने लगा| एक दिन राजा ने जसमा का पीछा कर उसे रोका| राजा जसमा से बोला कि मैँ तुमको अपनी पटराणी बनाना चाहता हूँ| जसमा तो एक सती तथा धार्मिक स्त्री थी इसलिए वह राजा की अभद्र बात सहन नही कर सकी|उसने राजा को शाप देते हुए कहा कि आपने जो जनहितार्थ तालाब खुदवाया है उसमे कभी बुँद भी पानी नही ठहरेगा तथा खारा ही होगा| और देखते ही देखते जसमा अपने प्राण देने लगी | यह देखकर राजा बहुत ही घबराया तथा उसके चरणोँ मेँ गिर पडा| राजा क्षमा याचना करते हुए बोला आप मेरी माता समान हो मुझसे अनजाने मेँ यह पाप हो गया| आप मुझ पापी को क्षमा कर शाप वापस ले लिजिए| जसमा ने कहा कि तीर कमान से तथा शब्द जुबान से निकले हुए वापस नही होता| राजा फिर बोला आप कुछ न कुछ उपाय बताइए अन्यथा यह तालाब किसी अर्थ का नही रहेगा| जसमा ने अंतिम साँसे लेते हुए कहा कि यदि कोई बत्तीस लक्षणोँ वाला व्यक्ति इस तालाब मेँ काया होमेगा तो ही इस शाप से मुक्ति मिल सकती है| और जसमा प्राणमुक्त हो गई| राजा को अब चिँता होने लगी कि आखिर बत्तीस लक्षणोँ वाले व्यक्ति को कहाँ ढुँढने जाएँ| उसने काशी से विद्वान बुलवाया और कहा कि आप शास्त्रोँ का अध्ययन कर ऐसे व्यक्ति का नाम बताओ| विद्वान बोले राजन आप के राज्य मेँ केवल दो ही ऐसे व्यक्ति है| राजा ने पुछा कौन कौन| विद्वान बोले कि एक तो आप स्वयं तथा दूसरे मायाजी मेघवाल जिनकी नगर से बाहर कुटिया मेँ हरि का सिमरन करते है| राजा ने अपने सैनिको को बुलाया और कहा कि जाओ और मायाजी को दरबार मेँ हाजिर करो| सैनिक मायाजी को प्रणाम कर बोले महाराज आप हमारे साथ दरबार मेँ चलेँ राजाजी ने बुलाया| मायाजी दरबार मेँ पहुँचे तथा राजा के सामने हाथ जोडकर खडे हो गए| राजा ने भी मायाजी को प्रणाम किया और उनको दरबार मेँ प्रयोजन बताया| राजा ने कहा केवल हम दोनो पर बात अटकी है| राजा ने कहा कि या तो आप काया होमे तो आप का बडा उपकार होगा अन्यथा मुझे ही यह काम करना पडेगा|मायाजी बोले मै काया होमने को तैयार हूँ| दूसरे दिन नगरवासी गांजो बाजो के साथ पालकी मेँ बिठाकर मायाजी को तालाब पर ले गए| मायाजी ने सभी नगरवासियोँ को अंतिम प्रणाम किया| फिर मायाजी ने अग्नि देवता का आहवान किया| कुछ ही क्षणोँ मेँ स्वतं ही अग्निकुँण्ड बना तथा अग्नि प्रज्वलित होने लगी| मायाजी ने सिमरन कर कुँण्ड मेँ पाँव धरे और देखते ही देखते पूर्ण रुप से अग्निकुँण्ड मेँ समा गए| कुछ देर बाद तालाब मीठे पानी से लबालब भर गया| राजा व नगरवासी मेँ खुशी की लहर दौड गई| इस प्रकार मायाजी ने जनहितार्थ अपने प्राणोँ की आहुति देकर तालाब का जल मीठा किया| मेघवँश सदैव मायाजी का ऋणी रहेगा जिनके बलिदान से समाज को पारंपरिक रीति रिवाजोँ से मुक्ति दिलाई| श्री माया मेघऋषि जी के चरणोँ मेँ शत शत नमन अभिवंदन

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...