शनिवार, 13 मई 2017

मातृ दिवस का महत्व और माँ का प्यार दुनिया का सबसे बड़ा प्यार :- नवरत्न मन्डुसिया

मेघवाल समाज न्यूज़ ब्लॉग :-सभी जानते है की एक माँ ही ऐसी चंचल दिल वाली होती है जो की अपने बेटे की हर दुःख तक़लीफ़ समझती है एक माँ ही है जो खुद भूखी रहकर अपने बच्चो से कहती है की मुझे भूख नही है आप खाना खा लो एक माँ ही है जो की बेटा चाहे केसा भी हो वो उनका हमेशा साथ देती है दोस्तो आज मेने अपनी माँ से कहा की माँ आज मातृ दिवस है आज घर का पूरा काम मे करूँगा और आप आज के आराम करो तो मेरी माँ ने एक सुंदर सा जवाब दिया की नवरत्न मन्डुसिया मेने आपको कभी भी दुखद नही देखा है और ना ही देखना चाहती है मेरे बेटे का प्यार यदि मेरे साथ रहेगा तो मे बहूत ही भाग्य शाली माँ कहलाऊँगी बस आप हमेशा मेरे साथ रहे मेरी और आपके पिता जी आज्ञा की पालना करते रहे यही मेरी इच्छा है तभी जाकर मे खुश रहूंगी इसीलिए कहते है की माँ ही एक ऐसी चीज़ है जो अपने बच्चो की हर दुःख तक़लीफ़ समझती है दोस्तो मे नवरत्न मन्डुसिया आपको कहना चाहता हूँ की हमेशा माता पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है इसलिये हमे माता पिता की हर बात माननी चाहिये और माता पिता की सेवा करनी चाहिये अब मे आपको मातृ दिवस के बारे मे बताना चाहता हूँ
दिवस, मातृ और दिवस शब्दों से मिलकर बना है जिसमें मातृ का अर्थ है मां और दिवस यानि दिन। इस तरह से मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है। हर जगह मातृ दिवस मनाने का तरीका अलग-अलग होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक ही होता है।

मां :  एक शिशु का जब जन्म होता है, तो उसका पहला रिश्ता मां से होता है। एक मां शिशु को पूरे 9 माह अपनी कोख में रखने के बाद असहनीय पीड़ा सहते हुए उसे जन्म देती है और इस दुनिया में लाती है। इन नौ महीनों में शिशु और मां के बीच एक अदृश्य प्यार भरा गहरा रिश्ता बन जाता है। यह रिश्ता शिशु के जन्म के बाद साकार होता है और जीवन पर्यन्त बना रहता है।

मां और बच्चे का रिश्ता इतना प्रगाढ़ और प्रेम से भरा होता है, कि बच्चे को जरा ही तकलीफ होने पर भी मां बेचैन हो उठती है। वहीं तकलीफ के समय बच्चा भी मां को ही याद करता है। मां का दुलार और प्यार भरी पुचकार ही बच्चे के लिए दवा का कार्य करती है। इसलिए ही ममता और स्नेह के इस रिश्ते को संसार का खूबसूरत रिश्ता कहा जाता है। दुनिया का कोई भी रिश्ता इतना मर्मस्पर्शी नहीं हो सकता।

मातृ दिवस :  मातृ दिवस मनाने का शुरुआत सर्वप्रथम ग्रीस देश में हुई थी, जहां देवताओं की मां को पूजने का चलन शुरु हुआ था। इसके बाद इसे त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। हर मां अपने बच्चों के प्रति जीवन भर समर्पित होती है। मां के त्याग की गहराई को मापना भी संभव नहीं है और ना ही उनके एहसानों को चुका पाना। लेकिन उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता को प्रकट करना हमारा कर्तव्य है।

मां के प्रति इन्हीं भावों को व्यक्त करने के उद्देश्य से मातृ दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से मां के लिए समर्पित है। इस दिन को दुनिया भर में लोग अपने तरीके से मनाते हैं। कहीं पर मां के लिए पार्टी का आयोजन होता है तो कहीं उन्हें उपहार और शुभकामनाएं दी जाती है। कहीं पर पूजा अर्चना तो कुछ लोग मां के प्रति अपनी भावनाएं लिखकर जताते हैं। इस दिन करे मनाने का तरीका कोई भी हो, लेकिन बच्चों में मां के प्रति प्रेम और इस दिन के प्रति उत्साह चरम पर होता है।
धरती पर मौजूद प्रत्येक इंसान का अस्तित्व, मां के कारण ही है। मां के जन्म देने पर ही मनुष्य धरती पर आता है और मां के स्नेह दुलार और संस्कारों में मानवता का गुण सीखता है। हमारे हर विचार और भाव के पीछे मां द्वारा रोपित किए गए संस्कार के बीज हैं, जिनकी बदौलत हम एक अच्छे इंसान की श्रेणी में आते हैं। इसलि मातृ दिवस को मनाना और भी आवश्यक हो जाता है। हम अपने व्यस्त जीवन में यदि हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार मां के प्रति पूर्ण समर्पित होकर इस दिन को उत्सव की तरह मना सकते हैं।
नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
सामाजिक जनसेवक
9929394143

शुक्रवार, 12 मई 2017

अखिल हाड़ौती मेघवाल युवा समिति बारां के द्वारा विवाह सम्मेलन सम्पन्न

मेघवाल समाज बारां /
अखिल हाड़ौती मेघवाल युवा समिति बारां के तत्वावधान समिति के अध्यक्ष हरिश मेघवाल की अध्यक्षता में बारां के मांगरोल रोड स्थित के.जी.एन. काॅलेज ग्राउण्ड पर संस्था का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन सम्पन्न हुआ।*

*मिडिया प्रभारी राकेश मेघवाल ने बताया कि सम्मेलन में 24 जोड़ों ने परिणय सूत्र में बंधकर अपने दाम्पत्य जीवन की शुरूआत की। इस अवसर पर अतिथि रामपाल मेघवाल विधायक बारां ने कहा कि समाज सुधार के लिए इस तरह के आयोजन बहुत जरूरी है, लेकिन परिवार एवं समाज विकास की ओर अग्रसर हो। इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा पर भी जोर दिया। उन्होंने आयोजन के लिए मेघवाल समाज को साधूवाद का पात्र बताते हुए अन्य समाज से भी इस तरह के आयोजन में आगे आने की बात कही। पूर्व विधायक व कांग्रेस जिलाध्यक्ष पानाचन्द मेघवाल ने कहा कि इस तरह के आयोजन में भी फिजूलखर्ची नहीं की जानी चाहिए तथा कोई सामूहिक विवाह आयोजन में शामिल होने के बाद अपने घर पर किसी तरह का कार्यक्रम कर फिजूल खर्च नहीं करें। जिससे अमीर वर्ग के लोग भी इस तरह के आयोजनों से जुड़ेंगे। अतिथि विनोद मेघवाल कहना था कि आयोजन समिति को मात्र इस तरह के आयोजन कर ही अपने दायित्वों की इतिश्री नहीं कर लेनी चाहिए। उन्होंने समाज विकास के लिए लीडर पैदा करने पर जोर दिया, जिससे समाज को मजबूती मिल सके। वहीं बारां काॅलेज व्याख्यता राजेश वर्मा ने बाबा साहब की प्रतिमा की तस्वीर नवदम्पतियों को भेंट कर आशीर्वाद दिया। समारोह में बाहर से पधारे अतिथि समिति के संस्थापक नरेन्द्रपाल, सम्भागीय समिति के अध्यक्ष कालूलाल चन्द्रसेन, जगन्नाथ भौभरा, रामप्रताप अनिल, कन्हैयालाल मेघवाल, शंकरलाल दौबड़ा का स्वागत किया गया। विधिवत रूप से तोरण की रस्म अदा की गई। साथ ही वैवाहिक कार्यक्रम मेघवाल समाज के पण्डित द्वारा मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न करवाए गए। मंच का संचालन मेघराज बिलोटिया ने किया।*

*सामूहिक विवाह सम्मेलन में समिति के पदाधिकारी युवराज मेघवाल, ओमप्रकाश निमोदा, संजय दिलोदा, सूरजमल मेघवाल, मनोज मेघवाल, मनीष मेघवाल, राकेश राई, हेमराज बरखेड़ा, मुरारी कुण्डी, दिपक दिलोदा, केप्टन मुकेश ने समाज व संस्था के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुये समाज सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी तथा रात-दिन एक करते हुये अपने कार्य को सकुशलपूर्वक अन्जाम तक पहुंचाया। वहीं समिति के अध्यक्ष हरिश मेघवाल से सम्मेलन में पधारे सभी समाज बन्धुओं आभार व्यक्त किया।*

राजा राम मेघवाल (मेहरान गढ़ जोधपुर दुर्ग ) की जीवनी

मेघवाल समाज :- चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर स्थित जोधपुर-दुर्ग ‘मेहरानगढ़’ आज अपने वैभव और शिल्पकला के कारण पर्यटन का प्रमुख केंद्र है ।लेकिन इसकी नींव के प्रस्तर नीरव मेघ-निनाद करते हैं क्योंकि वे एक महान् मेघवंशी की शहादत के मूक-दर्शक बने थे ।राजस्थान में राजा रजवाड़ों के जमाने से तालाबों, किलों, मंदिरों व यज्ञों में ज्योतिषियों की सलाहपर शूद्रों को जीवित गाड़कर या जलाकर बलि देने की परम्परा थी । कहा जाता था कि यदि किसी किले की नींव में किसी जीवित पुरूष की बलि दे दी जाए तो वह किला हमेशा राजा के अधिकार में रहेगा, हमेशा विजयी होगा और राजा का खजाना हमेशा भरा रहेगा ! इस किले हेतु भी सिंध प्रान्त के ज्योतिषी गणपत ने किले की अजेयता और समृद्धता के लिए नरबलि देना अनिवार्य बताया । राव जोधा उसके प्रस्ताव को मानकर नरबलि हेतु अग्रसर हुआ और आम-जनता से में इसके लिए घोषणा करवा दी । उस दौर में राजा की ओर से उनके हरकारे गांव-गांव जाकर ढोल-नगाड़ों को बजा राजा का फरमान सुनाया करते थे। उन्होंने गांव-गांव जाकर घोषणा की कि राव जोधा मारवाड़ की नई राजधानी का निर्माण करने जा रहे है। इसके लिए किसी ऐसे स्वामी भक्त वीर पुरुष की आवश्यकता है जो दुर्ग की नींव में स्वयं को जीवित गाड़े जाने के लिए अपनी मर्जी से पेश कर सके। इतने क्षत्रिय-ब्राह्मण-वैश्य-सामंत-सेठ-साहूकारों में से कोई एक भी लोक-कल्याण हेतु अपनी बलि देने को तैयार नहीं हुआ । सभी बड़े-बड़े कार्य इनकी उपस्थिति में होते थे । राजा द्वारा इनको विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता था । उनकी चाटुकारिता का भी कोई जवाब नहीं । शब्द-कौशल के धनी लंबी-चौड़ी प्रशंसाएं करते दिखाई देते थे । दरबार में हमेशा स्तुतियाँ हुआ करती थी पर अपनी जान कौन दे? इसके लिए कोई सपने में भी तैयार नहीं हो सका । आख़िरकार स्वामिभक्ति के लिए एकमात्र राजिया भाम्बी (राजाराम मेघवाल गौत्र कड़ेला) अपने आत्मबलिदान हेतु प्रस्तुत हुआ । एक ऐसे समुदाय का व्यक्ति जिससे बात करना तो दूर उसका स्पर्श भी अग्राह्य था । लोग उसकी छाया पड़ने को भी अशुभ मानते थे । हाँ, वह एक अछूत था ! फिर भी उसे किले की दीवार में चुनना और उसके पार्श्व में ख़जाने हेतु भवन बनाना पूरी तरह शुभ था । दोगलेपन का इससे बड़ा क्या सबूत हो सकता है !
इसी गगनचुम्बी भव्य किले की नींव में ज्योतिषी गणपतदत्त की सलाह पर 15 मई 1459 [12 मई 1459 ई. तदनुसार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (11) वार शनिवार को] दलित राजाराम मेघवाल उसकी माता केसर व पिता मोहणसी को नींव में चुना गया। 
कुछ स्रोत उद्घाटित करते हैं कि राजिया (राजाराम) और कालिया नामक दो मेघवंशी किले की दीवार में जीवित चुने गए थे । साथ थी कुछ स्रोतों से ज्ञात होता है कि गोरा भी सती हुई थी ।
राजिया के सहर्ष किये हुए आत्म त्याग एवम स्वामी भक्ति की एवज में राव जोधाजी राठोड ने उनके वंशजो को जोधपुर किले पास सूरसागर में कुछ भूमि भी दी ( पट्टा सहित ) व दस हजार रुपए नगद प्रदान किए गए । राव जोधा के आदेश पर जमीन का पट्टा उसकी पत्नी व पुत्र के नाम कर दिया गया। राज बाग के नाम से प्रसिद्ध हैं !और होली के त्यौहार पर मेघवालो की गेर को किले में गाजे बजे साथ जाने का अधिकार हैं जो अन्य किसी जाति को नही हैं !
जहां राजाराम की बलि दी गई थी उस स्थान के ऊपर विशाल किले का खजाना व नक्कारखाने वाला भाग स्थित है। किले में रोजाना हजारों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं लेकिन उन्हें उस लोमहर्षक घटना के बारे में कुछ भी नहीं बताया जाता है। एक दीवार पर एक छोटा-सा पत्थर जरूर चिपकाया गया है जो किसी पर्यटक को नजर ही नहीं आता है उस पत्थर पर धुंधले अक्षरों में राजाराम की शहादत की तारीख खुदी हुई है।

मंगलवार, 9 मई 2017

EPFO Housing Scheme | EPFO ग्राहकों के लिए अपनी आवास योजना की घोषणा

Empoyees’ Provident Fund Organisation (EPFO) ने EPFO ग्राहकों के लिए अपनी आवास योजना की घोषणा की है | अगले 2 सालों में 10 लाख घरों के निर्माण के लिए EPFO ने शहरी विकास मंत्रालय (urban development ministry) के साथ भागीदारी की है | EPFO आवास योजना, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 तक सभी को आवास प्रदान करने के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी प्रधान मंत्री आवास योजना को बढ़ावा देगी |

EPFO आवास योजना :-
EPFO, शहरी विकास मंत्रालय (urban development ministry) की मदद से अगले 2 वर्षों में 10 लाख घरों का निर्माण करेगा | Group Insurance आवास योजना के तहत, EPFO ग्राहकों को चरणबद्ध तरीके से घर दिए जाएंगे |  EPFO, प्रधान मंत्री आवास योजना के CLSS घटकों के तहत EWS सदस्यों को सब्सिडी प्रदान करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय के साथ बातचीत भी करेगा |

Pradhan Mantri Awas Yojana | प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) के बारे में जाने
EPFO आवास योजना में MIG (Middle Income Group) और LIG (Low Income Group) ग्राहकों को भी केंद्र सरकार की Credit Linked Subsidy Scheme के अनुसार interest subsidy प्रदान की जाएगी | MIG (Middle Income Group) ग्राहक 18 लाख की ऋण राशि पर 3% की ब्याज सब्सिडी का लाभ उठाने में सक्षम होंगे जबकि 6 लाख से 12 लाख की ऋण राशि पर 4% की ब्याज सब्सिडी का लाभ उठाने में सक्षम होंगे |

केंद्र सरकार ने हाल ही में MIG (Middle Income Group) ग्राहकों के लिए PMAY की Credit Linked Subsidy Scheme का शुभारंभ किया है और होम लोन पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करने के लिए MIG (Middle Income Group) के CLSS और EWS/ LIG के लिए CLSS की घोषणा की है |

प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) के बारे में जाने
प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) का लक्ष्य वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास प्रदान करना है और इस योजना के लाभार्थियों को कई घटकों के माध्यम से वित्तीय लाभ प्रदान किया जा रहा है |  सरकार ने अब तक प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 18.75 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण को मंजूरी दे दी है |

EPFO Housing Scheme की विशेषताएं :-
Home loan का भुगतान PF से किया जा सकेगा |
EPFO, शहरी विकास मंत्रालय (urban development ministry) की मदद से अगले 2 वर्षों में 10 लाख घरों का निर्माण करेगा |
EPFO आवास योजना में MIG (Middle Income Group) और LIG (Low Income Group) ग्राहकों को interest subsidy प्रदान की जाएगी |
MIG (Middle Income Group) ग्राहकों 18 लाख के loan पर 3% की ब्याज सब्सिडी और 6 लाख से 12 लाख के loan पर 4% की ब्याज सब्सिडी  प्रदान की जाएगी |
EPFO Housing Scheme में EMI Payment :-
अगर EPFO के ग्राहकों को कम लागत वाले आवास उपलब्ध कराये जाते हैं तो उनके लिए आवास ऋण की पुनर्भुगतान प्रक्रिया आसान होगी | वे अपने EPF खातों में जमा धन से बहुत आसानी से अपनी EMI का भुगतान कर सकते हैं | इससे पहले, EPFO के सदस्य अपनी EPF पूंजी केवल परिपक्वता पर या ऋण के रूप में वापस ले सकते थे | लेकिन इस नई आवास योजना के तहत, वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए नए कम लागत वाले घरों के ऋणों का भुगतान उनके PF खातों से  कर सकते हैं | वे आवास में निवेश करने के लिए अपने ईपीएफ खाते से उन्नत निधि आसानी से निकाल सकते हैं |

EPFO ग्राहक, बैंक या housing agency के बीच एक संयुक्त समझौता होता है | Housing EMI का भुगतान करने के लिए PF खाते से अग्रिम वापसी के बारे में EPFO Authority होगा।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और आमजन को फायदा

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana) एक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है जिसे मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया है | इसके अंतर्गत निराश्रित, निर्धन कन्या/विधवा/परित्यक्ता के सामूहिक विवाह हेतु परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है | मुखयमंत्री कन्‍या विवाह योजना को वर्ष 2006 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारम्भ किया गया था  | इस योजना को सामाजिक न्याय विभाग (Social Justice Department) द्वारा सारे राज्य में संचालित किया जाता है |

पात्र महिला आवेदक जिनकी उम्र शादी के लिए तय उम्र से ऊपर या उतनी ही है और आर्थिक रूप से गरीब हैं इस योजना के द्वारा लाभान्वित होंगी | लाभार्थियों को वित्तीय सहायता (financial assistance) नकदी (cash) के रूप में प्रदान नहीं की जायेगी | इस योजना के तहत नव विवाहित जोड़ों (newly-wedded couples) को वित्तीय सहायता (financial assistance) उपयोगिता उपहार आइटम () के रूप में प्रदान की जाती हैं |

इस योजना का उद्देश्य गरीब, जरूरतमंद, बेसहारा परिवारों को अपनी बेटियों / विधवाओं / तलाकशुदाओं को  शादी करने के लिए वित्तीय सहायता (financial assistance) प्रदान करना है | यह सहायता सामूहिक विवाह में दी जाती है और इसके लिए एकमात्र शर्त यह है कि लड़की की उम्र शादी के लिए तय उम्र के बराबर या उससे ज्यादा होनी चाहिए |

एक गरीब परिवार जिनके पास अपने दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है उनके लिए लड़की की शादी एक बड़ी चिंता का विषय है | गरीब परिवार के लिए बेटी की शादी का खर्च अकेले उठाना बहुत कठिन है | वे आम तौर पर शादी के खर्च को पूरा करने के लिए एकमुश्त धन जुटाने के लिए साहूकारों से ऋण लेते है और उनके शिकार बन जाते हैं | साहूकार उनकी इस स्थिति का फायदा उठा कर उन्हें ज्यादा ब्याज दर पर ऋण देते हैं | यह योजना गरीब परिवारों की मदद के लिए इस चिंता से छुटकारा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री की विशेष पहल पर शुरू की गई है |

इस योजना के तहत सामूहिक विवाह कराये जाते हैं जिससे न केवल सामाजिक सद्भाव में बृद्धि हुई है बल्कि शादियों पर होने वाले अनावश्यक व्यय पर भी अंकुश लगा है | इस योजना की एक और खास विशेषता यह है कि समाज के सभी वर्ग इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं |  इस योजना से न ही सिर्फ हिंदू जोड़ों का बल्कि इस योजना के द्वारा और मुस्लिम जोड़ों के भी विवाह सम्पन्न किया जा रहे हैं |

Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana के लिए पात्रता :-
लाभार्थी के पास मध्य प्रदेश का अधिवास (domicile) होना चाहिए |
कन्या के अभिभावक मध्यप्रदेश के मूल निवासी होने चाहिए |
लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक और लड़के की उम्र  21 वर्ष से होनी चाहिए |
लड़कियों / विधवा / तलाकशुदा महिलाओं को गरीब, जरूरतमंद, श्रम वर्ग के परिवारों से होना चाहिए |
लाभार्थी को SSSM पोर्टल (समग्र पोर्टल) पर पंजीकृत होना चाहिए |
कन्या के अभिभावक गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह करते हों/या जरुरतमंद हों |
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लाभ :-
इस योजना के तहत कन्याओं को उनकी गृहस्थी की स्थापना हेतु 16,000/-रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि दाम्पत्य जीवन शुरू कर सके |  नव विवाहित जोड़ों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए सरकार द्वारा 5 वर्ष के लिये 6,000/- रूपये की सावधी जमा कराई जाती है | इसके साथ ही सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित करने वाले निकाय यथा नगरीय निकाय,ग्रामीण निकाय को विवाह आयोजन की प्रतिपूर्ति के लिये कुल 3,000/- रूपये दिए जाते हैं | इस तरह इस योजना के तहत कन्या के परिवार को 25,000/- रूपये दिये जाने का प्रावधान किया गया है |

राज्य सरकार ने 1 नवंबर 2016 से इस योजना में कुछ परिवर्तन किये हैं | नए परिवर्तन के अनुसार, लड़कियों को जिनकी शादी मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana) के तहत होगी उन्हें अब 1 नवंबर, 2016 से 17000/- रुपये मिलेंगे | इस योजना के तहत सामूहिक विवाह कार्यक्रम में महिला को 10000 /- रुपए का एक account payee cheque प्रदान किया जाएगा | आवश्यक घरेलू वस्तुओं की खरीद करने के लिए 7000 /- रुपए शादी के दूसरे दिन लड़की के बचत बैंक खाते में स्थानांतरित किये जाएंगे |

इसके अलावा, 5000/- रुपये विवाह अनुष्ठान के लिए आवश्यक वस्तुओं के लिए दिया जाएगा | और 3,000/- रूपये सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित करने वाले निकाय यथा नगरीय निकाय,ग्रामीण निकाय को विवाह आयोजन की प्रतिपूर्ति के लिये दिए जाएंगे |

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की प्रक्रिया :-

आवेदक सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन फार्म निम्नलिखित कार्यालय में जमा कराए :-

ग्रामीण क्षेत्र के लिए ग्राम पंचायत / जनपद पंचायत में
शहरी क्षेत्र के लिए नगर निगम / नगर पंचायत / नगर परिषद  में
दस्तावेजों की स्वीकृति हेतु अधिकारी :-

ग्रामीण क्षेत्र के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत
शहरी क्षेत्र के लिए आयुक्त, नगर निगम मुख्य नगर पालिका अधिकारी

सामूहिक विवाह और गरीब

सामूहिक  विवाह  :- गरीबों की शादी कराना महान कार्य है। समाज में अपनी बहन बेटियों की शादी करना तो हम सबका पारिवारिक दायित्व है परंतु किसी और की बेटी और खासकर गरीब की बेटी के हाथ पीले कर एक साथ ज्यादा से ज्यादा घरों को बसाना एक महान यज्ञ के समान है । इस प्रकार के सामाजिक कार्यों के लिए हम सबको खुले हृदय से आगे आना चाहिये ।
सामूहिक विवाह सम्मेलन वर्तमान की आवश्यकता -- क्या समाज के संरक्षक स्वयं आगे आएंगे।
सम्मेलन की ही तरह सामूहिक विवाहों के आयोजन किए जाना समाज के लिए अच्छा कदम हें। इस कार्यक्रम के माध्यम से जो धन, झूठे सामर्थ्य प्रदर्शन व्यय होता हे वह, नई दम्पत्ति के लिए उन्नति का सहारा हो सकता हे। कुछ लोग कह सकते हें की हम इस विवाह व्यय का बोझ उठाने में समर्थ हें। वे यह क्या यह भूल जाते हें की इससे असमर्थ व्यक्तियों पर मानसिक दवाव बनता हे। वे भी अपनी पुत्र या पुत्री के लिए सक्षम परिवार में रिश्ता करना चाहते हें, इस लिए सामुहिक विवाह को नहीं अपना कर, अन्य पक्ष की इच्छा या मानसिकता के आधार पर सामर्थ्य से अधिक व्यय कर आर्थिक बोझ के नीचे दव जाते हें। ओर यह भी हे की कोई भी स्वयं को असमर्थ या कमजोर ,गरीब साबित नहीं होने देना चाहता, चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े, कितना भी कर्ज क्यों न लेना पड़े।
नव जवान युवक ओर युवतियों से आज यह आशा की जा सकती हे, की इन बातों को वे समझ कर अपने परिवार को सामूहिक विवाह के लिए तेयार कर सकते हें, ओर अपने पालको को इस धन की बरबादी से बचा कर कर्ज के खड्डे में, गिरने से बचा सकते हें। यही बात दूसरी ओर भी लागू होती हे की क्या कोई जमाई यह चाहेगा की उसके ससुराल पक्ष को एसी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़े। यदि कोई जमाई एसा चाहे तो वह जमाई बनाने लायक हो ही नहीं सकता, लालची जमाई ओर परिवार में कोई बेटी सुखी हो ही नहीं सकती।
सामूहिक विवाह जेसी सामाजिक गतिविधि को आगे बड़ाने, ओर उसके लिए किसी को भी तैयार करने की कोशिश करने वाले महानुभवों को अक्सर यह ताना मिलता हे की स्वयं ने तो सामूहिक विवाह नहीं अपनाया पर हमको शिक्षा दे रहें हें। पर भाई यदि उनसे भूल हो गई हे, ओर वे इसी बात को समझ कर आपसे अनुरोध कर रहे हें, तो क्या आप बात को समझ कर भी सबक नहीं लेंगे? क्या जब तक आप स्वयं की हानी न हो जाए अनुभव से सबक नहीं लेंगे ?
अनुभव में आया हे, की सामर्थवानों के द्वारा अपनाए किसी भी कार्यक्रम को अन्य सभी शीघ्र स्वीकार कर लेते हें, क्या अब वक्त नहीं हे की सभी सक्षम भी अपने पुत्र- पुत्रियों के सामूहिक विवाह में उनका विवाह कर समाज का नेत्रत्व करें। वे सम्पन्न होने के साथ साथ हर तरह से सक्षम भी हें। "महाजनौ येन गता सुपन्था" अर्थात बड़े व्यक्ति जिस राह पर चलते हें वही सच्चा मार्ग हे, के इस शास्त्र वचन को सार्थक कर हम ब्राह्मण अर्थात सर्व श्रेष्ठ होने की बात सार्थक करें।
सामूहिक विवाह के आयोजन से केवल स्वयं का धन ही नहीं बचता, देश की संपदा, के साथ व्यर्थ श्रम ओर बहुत सारी परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता हे। यह सब श्रम पूरा समाज मिलकर कर लेता हे।
कुछ विशेषकर नवजवानों का यह सोच होता हे की हम परिवार सहित विवाह में बहुत मजा [सेलिब्रेट] करेंगे, पर मित्रो क्या एसा हो पाता हे, परिवार के सारे सदस्य तो व्यवस्था स्वागत सत्कार में जुटें होते हें, ओर थक कर चूर हो जाते हें, आने वाले अपना स्वागत करवाने/ ओपचारिक उपस्थिती/आशीर्वाद दे कर ओर अच्छा केवल भोजन कर जाने की इच्छा रखते हें। इनमें से किसी भी प्रकार की कमी उनकी असंतुष्टि बनकर "कटाक्ष" जो सबको कष्टकारी होती हे का कारण बन वैमनस्य का बीजारोपण भी करती हें।
हमारे प्राचीन शास्त्रो में भी सोलह संस्कारों में से कुछ संस्कार जिनमें यज्ञोपवीत जो शिक्षा का प्रारम्भ, विवाह जो ग्रहस्थ जीवन का प्रारम्भ, से लेकर अंतिम संस्कार तक के सभी संस्कारों को पूरे समाज के कार्यों से जोड़ा गया हे। इन्हे सारे समाज को मिलकर करना होता हे। विवाह के अवसर पर सारे समाज द्वारा दी जाने वाली भेंट का मूल उद्देश्य भी यही हे। ओर सामर्थ्य अनुसार पित्र संपत्ति से पुत्री को मिलने वाला स्त्रीधन जिसे कालांतर में विक़ृत 'दहेज' के नाम से जाना जाने लगा, इसी व्यर्थ प्रदर्शन ओर अमर्यादित अहम के झूठे प्रदर्शन से उत्पन्न हुआ हे, ने ही विवाह रूपी पुनीत कार्य जिस पर संतानों का भविष्य टिका होता हे को दूषित कर दिया हे। क्या यह समाज के सभी सक्षम जिम्मेदार बड़े कहाने वाले अग्रणी महानुभवों का कर्तव्य नहीं की वे समाज का सच्चा नेत्रत्व करें, ओर नई चेतना उत्पन्न करें। उन्हे आगे आकर आज अपने पुत्र ओर पुत्रियों का विवाह सामूहिक विवाह सम्मेलन में करना ही होगा, अन्यथा करनी कथनी का फर्क समाज को नष्ट कर देगा

राजस्थान सरकार द्वारा सामूहिक विवाहों हेतु अनुदान

नवरत्न मन्डुसिया :- समाज में विवाहों पर अनावश्यकक व्येय की प्रवृति बढती जा रही है। सामूहिक विवाहों के आयोजन से इस पर नियंत्रण प्राप्ता करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यह सरकार द्वारा इनका महत्वय स्वीसकार करते हुए ऐसे कार्यक्रमों के प्रोत्सािहन हेतु वर्ष 1996 में सामूहिक विवाह अनुदान नियम बनाये गये। इन नियमों को और प्रभावी बनाये जाने हेतु राजस्थाजन सामूहिक विवाह नियमन एवं अनुदान नियम, 2009 दिनांक 20.01.10 से लागू किये गये है। इन नवीन नियम के मुख्यव बिन्दुम निम्ना नुसार है –
इन नियमों के अन्त0र्गत संस्थाे को सामूहिक विवाह आयोजन के लिए जिला कलेक्टमर/सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त0 करनी आवश्येक होगी।
इन नियमों के अन्त0र्गत राशि रूपये 6000/- प्रति जोडा अनुदान देय है जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रूपये रखी गई है।
अनुदान प्राप्ति के लिए सामूहिक विवाह आयोजन में जोडों की न्यू/नतम संख्याड 10 होनी अपेक्षित है और इस तरह एक सामूहिक विवाह में अधिकतम 166 जोडों को अनुदान दिया जा सकता है।
प्रति जोडा अनुदानित राशि में से 25 प्रतिशत राशि (वर्तमान में रूपये 1500/- संस्था को विवाह के आयोजन के रूप में देय होगी जबकि 78 प्रतिशत राशि (वर्तमान आधार पर रूपये 4500/-) नवविवाहित (वधु) के नाम से डाकघर या अधिसूचित राष्ट्री यकृत बैंक में न्यूहनतम तीन वर्ष की अवधि के लिए सावधि, जमा कराई जावेंगी।
इन नियमों में आयोजित किये जाने वाले सामूहिक विवाहों का पंजीकरण राजस्थागन विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्री करण अधिनियम, 2009 (2009 का राजस्थावन अधिनियम 16) के अन्तनर्गत अनिवार्य किया गया है
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य दहेज प्रथा एवं बाल विवाह को रोकना है। समूहिक विवाह आयोजनों को प्रोत्साहित करने तथा विवाहो पर होने वाले अनावश्यक व्यय को कम करने के उद्देश्य से सामूहिक विवाह अनुदान नियम, 1996 बनाये गये है। बाल विवाह रोकना तथा कमजोर आय वर्ग के दम्पिायो को आर्थिक मदद/सम्बल प्रदान करने की दृष्टि से समय–समय पर नियमों में संशोधन किया गया है जिससे कि अधिक से अधिक संस्थायें तथा युवक/युवतियां प्रोत्साहित हों।
पात्रता–
यह अनुदान सामूहिक विवाह आयोजित करने वाले ऐसे संगठन, संस्थाओ को उपलब्ध है जो एक बार में एक साथ कम से कम 10 जोड़ो का सामूहिक विवाह आयोजित करते है। यह अनुदान केवल राजस्थान में आयोजित आयोजनों हेतु ही उपलब्ध है। विवाहित जोड़ो में लडकी की उम्र कम से कम 18 वर्ष एवं लडके की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी अनिवार्य है।
योजना की कार्य प्रणाली एवं देय अनुदान –
1. सामूहिक विवाह कराने वाली संस्था राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1998 (राजस्थान अधिनियम संख्या 28, 1958) के अन्तर्गत पंजीकृत होनी चाहिए।
2. सामूहिक विवाह में कम से कम 10 जोडे होने चाहिए।
3. सामूहिक विवाह आयोजन में सम्मिलित जोडो की संख्या के अनुसार प्रति जोड़ा 6000/– रूपये धनराशि देय है। प्रति जोड़ा अनुदान राशि में से 75 प्रतिशत राशि अर्थात रूपये 4500/– की राशि दुल्हन के नाम से पोस्ट आॅफिस या राष्ट्रीयकृत बैंक में 3 वर्ष के लिए सावधि जमा करायी जावेगी। शेष 25 प्रतिशत राशि अर्थात रूपये 1500/– आयोजनकर्ता संस्था को विवाह आयोजन अनुदान के रूप में देय हाेंगे।
4. इन नियमों के अन्तर्गत किसी संस्था को अनुदान की सीमा दस लाख रूपये है जिसमें अधिकतम 166 जोड़ें सम्मिलित किये जा सकते है।
5. अनुदान राशि की स्वीकृति जिला कलेक्टर द्वारा दी जाती है।
6. राशि का चैक जिला महिला विकास अभिकरण के माध्यम से देय है।
7. यह अनुदान राशि ड्राफट/चैक के माध्यम से आयेाजनकर्ता को आयोजन के उपरान्त देय होगी।
आवेदन –
1. पात्र संस्था सामूहिक विवाह नियम के प्रपत्र–‘अ’ में आवेदन तीन प्रतियों में जिला कलेक्टर को देगी। अनुदान चाहने वाली संस्था को आयोजन से कम से कम 15 दिवस पूर्व जिला कलेक्टर को आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ निम्न प्रपत्र/दस्तावेज संलग्न होना आवश्यक है।
2. प्रस्तावित जोड़ो की सूची सहित प्रस्ताव प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।
3. संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा प्रस्ताव उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास को सत्यापन एवं अनुशंषा हेतु प्रेषित किये जाते है।
4. विवाह आयोजन के पश्चात् उपनिदेशक के द्वारा प्रस्तावों को सत्यापित कर अनुशंषा सहित जिला कलेक्टर को प्रस्तुत करना होगा।
5. विवाह हेतु प्रस्तावित जोड़ों में सम्मिलित लड़के/लड़की की उम्र की पुष्टि हेतु उनके जन्म प्रमाण पत्र के रूप में शैक्षणिक प्रमाण पत्र यथा बोर्ड प्रमाण पत्र/टी.सी. आदि जिसमे जन्म की तिथि का उल्लेख होना अपेक्षित है।

6. जिन लड़के/लड़कियों ने औपचारिक शिक्षा प्राप्त नही की हो तो उनके संबंध में रजिस्ट्रार, जन्म मृत्यु रजिस्ट्रीकरण से प्राप्त जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है।
7. उक्त कोई दस्तावेज उपलब्ध नही हो तो फोटो पहचान पत्र/राशन कार्ड उम्र के साक्ष्य के रूप में आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये जा सकते है।
               नवरत्न मन्डुसिया
               सामाजिक जनसेवक
                सुरेरा सीकर
                 9929394143

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...