रविवार, 14 जून 2015

अपर्णा रोलण (मेघवाल)

सीकर । प्रदेश की सबसे युवा सीकर जिला प्रमुख अपर्णा रोलण ने जनता की जिम्मेदारी निभाने के लिए कड़ा फैसला लिया है। उनका कहना है कि जब तक जिला प्रमुख का कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता वह शादी नहीं करेंगी। उनका मानना है कि शादी के बाद ससुराल में भी समय देना पड़ेगा। वह जनता व जिला परिषद को वह समय नहीं दे सकेंगी। 22 वर्षीय जिला प्रमुख रोलण का मानना है कि एक वक्त में दो जिम्मेदारी निभाने वाले व्यक्ति दोनों जगह सही ढंग से सफल नहीं होते।

इसी तरह जिले की पिपराली प्रधान व जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों ने राजधर्म निभाने के लिए शादी नहीं करने का फैसला लिया है। एमए प्रीवियस में अध्ययनरत जिला प्रमुख दिन में जिला परिषद स्थित अपने दफ्तर में बैठने के अलावा पंचायतों का भी दौरा करती रहती हैं और देर रात तक पढ़ाई करतीं हैं। जिला परिषद में खाली समय में वह पंचायतीराज सहित अन्य कानून की पुस्तकों का अध्ययन करती हैं।

ग्रामीणों से सीधा संवाद
पंचायतीराज विभाग जनता से सीधा जुड़ाव का जरिया है। पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों का प्रत्येक घर में संपर्क होता है। जिला प्रमुख का कहना है कि सीकर जिला उनका पूरा परिवार है ।

पूरा हुआ सपना...

जिला प्रमुख बताती हैं कि बचपन में उनका अच्छा कलाकार बनाने का जो सपना था वह हकीकत में बदलने लगा है। फाइन आर्ट में प्रवेश मिलना जीवन का सबेस अच्छा दिन था। पेंटिंग का कोई मौका नहीं छोडऩे वाली रोलण तनाव की स्थिति में पेंटिंग ही बनाती हैं।

सदस्य भी बोले, पहले जनसेवा

धोद के पंचायत समिति सदस्य कुलदीप रणवां ने भी जनसेवा के लिए पांच वर्ष तक शादी नहीं करने का निर्णय लिया है। 28 वर्षीय रणवां बताते हैं कि जनता ने जिन भावनाओं से उन्हे चुना है उसको ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। जिला परिषद सदस्य प्रवीण जाखड़ का कहना है कि राजनीति के जरिए सेवा का मौका बड़ी मेहनत से मिला है। पांच वर्षों का उपयोग जनता के लिए करने के लिए शादी नहीं करेंगे।

पिपराली प्रधान बोली, पांच वर्ष सोच भी नहीं सकती

पिपराली प्रधान संतोष का कहना है कि राजनीति में जनसेवा से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं होता है। इसलिए शादी के बारे में अभी तक सोचा भी नहीं है। 22 वर्षीय प्रधान लगातार क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में जाकर लोगों की समस्या सुनती हैं। राजनीति के साथ वे फिलहाल एमए की पढ़ाई कर रही हैं।

प्रधान का मानना इस वक्त शादी से निश्चित तौर पर प्रधानी में फर्क पड़ेगा। शादी के बाद घर-परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है, इसलिए एक बार सिर्फ जनता की जिम्मेदारी निभाएंगे।

नवरत्न मन्डुसिया

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