मंगलवार, 20 जून 2017

मेघवाल समाज के श्री स्वामी गोकुल दास जी महाराज की वंशावली

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से //श्री स्वामी गोकुल दास जी महाराज की वंशावली--
1 आदि नारायण 2 ब्रह्मा 3 अत्रि ऋषि 4 समुद्र
5 सोम( चन्द्रमा) इनसे चन्द्र वश चला।6 सालम
7 साथल 8 सोहड़9 हरदेव 10  बालसुर 11 सुखदेव
12 शाला 13 देवसी 14 शिवदान 15 भीमसाल
16 एडिसाल17 सुरतान 18 देवगण19 बीरम देव
20 बाघवीर 21 धारवा 22 मोगराव 23 लक्ष्मण भाटी क्षत्रियों से धार के पंवार राजपूतों (अग्नि वंश) में मिल गयें। 24 बरसल 25 शम्भू 26 जसरुप 27 बलबीर
28 गुणपाल 29 रघुनाथ 30 कर्मसी 31 खींवसी
32 जगमाल 33 गालण 34 किशनसी
35 मांडण 36 देव चंद ( भागचंद)
37 मेहराम ( मलसी) ये सूर्यवंशी राठौड़ चांदावत राजपूतों में मिल गये व बलुंदा ( मारवाड़) में जा बसे​।
38 इसान 39 गोपाल 40 देवराज 41 भोपाल
42 जगपाल 43 आहड़ 44 आबाण 45 आसो
46 जेसो 47 गाजी 48 लालो (१) 49 जोरजी के दो पुत्र
1. मुकन जी 2. मानसिंह जी।
जोर जी मेघवंशी चांदावत राठौड़ों के साथ गांव बलूंदा में सं 1652 में जूंझार हुए। जिनकी तालाब की पाल पर देवली है और उनके वंशज भगवानपुरा में जा बसे।
मानसिंह जी के तीन पुत्र - 1 भगवान
2 आसल
3 उदा।
भगवान के हरिदास व जालम।
हरिदास के भारमल और शम्भूर।
भारमल के उदयभाण, मलसी।

उदय भाण जी सम्वत 1775 में डुमाडा में बसे और वही जूझार हुए।
जिनकी खांडिया कुंआ पर यादगार बनी हुई है।

मलसी- अर्जुन,चांपो, शैतान।
अर्जुन- बीरम,किरपो,सूण्डो।
बीरम- मालो,गांगो।
माला- जालप,कर्मी।
जालप- मोटो,नानक,केशो,कल्लो।
मोटा- लालो।
लालो- आशा,अंबा,गुमान।
आशा- जयराम, तारा।
तारा- दल्ला, जोधा, जेवा।
जोधा- सूजा, रामचंद्र,बुद्धा, श्योजी,सांवता।
सूजा- भींया, चमना,उदा,बेणा,उरजा।
भींया- किशना, रामा, बाघा।
रामा- नन्दराम, भूरा।
बाघा- भोला।
भोला- लाला, तुलसी बाई।
लाला- सेवाराम, शांति बाई, गीता।
सेवाराम- अमित, अंकित, प्रियंका,अल्का।
भूरा- राजू, हजारी, नंगी बाई, मानी बाई।
नन्दराम- बालु, छीतर,रुग्णा, गोकुल (गोकुल दास) लाडी बाई,गलकु बाई।
रुग्णा- नारायण, प्रताप।
नारायण- जगदीश, मुन्ना लाल, हीरालाल, ओमप्रकाश,मैनाबाई।
जगदीश- जितेंद्र, हेमराज, कमलेश, अंकुश, इन्दिरा, रेखा।
मुन्ना लाल- पुखराज, सुरेश,सुमन।
हीरालाल- राजु, राकेश, वैजयंती माला।
ओमप्रकाश- उषा, सीमा, शीला,मतिया।
प्रताप- रतनलाल,प्रेमबाई।
रतनलाल- तेजपाल, दिनेश, प्रहलाद, अमित।
गोकुल दास- सेवादास ऋषि (दत्तक पुत्र) ।
सेवा दास- विजयलक्ष्मी, रमेश चंद्र, घनश्याम दास, गुरु प्रसाद।
रमेश चंद्र- नरेंद्र, जितेंद्र,पंकज,देवदत्त, पद्मप्रिया ।
घनश्याम दास- रवि , अनुराधा, सुनिता।
गुरु प्रसाद- तरुण,पूजा, अंकिता​।

अत्रि ऋषि से सोम(चन्द्र वंश) से सिंहमार मेघवंशी नख भाटी राजपूत।

विश्वामित्र ऋषि से हूतासनी( अग्नि वंश) नख पंवार राजपूत।

ये तीनों वंश सिंहमार मेघवंशीयों में प्रचलित है।

चमना,सरुपा,रतन सिंहमार​(मेघवंशी) नख राठौड़ डुमाडा।

पांचो,बीरम,कानो,भभूत, भीखा, कुन्नो, दुर्गा, अमरा राम सिंहमार (मेघवंशी) नरव भाटी गांव कुड़ी (मारवाड़ा) तेजो, हरि, कजोड, केशो, सिंहमार मेघवंशी नरव चांदावत राठौड़, गांव बलुंदा मारवाड़ तथा भगवान पुरा।
कुल देवी दुगाया, छाबडे पूजा, बीसण नरच्या, पूजा बाजोट, पाट बीत दिन, इष्ट महादेव, परिवार हनुमान, ऋग्वेद, गोत्र सोमवंशी, स्यमलदल, सामवेद, पचरंग निशाण, अबलक घोडो, पल्लीवाल पुरोहित, छत्र ढाल, दत्तढाल, थान मुल्तान पुर, तिलक पुर पाटण, थान लाहौर, कन्नौज, इन्द्र गढ़, मण्डोवर, मेड़ता, धार, उज्जैन, बलुंदा, कुडी, भगवान पुरा, डुमाडा।
--ब्रह्म भाट श्री डूगाराम भाई खंगारराम
खरिया मारवाड़ :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

मेघवाल समाज के कर्णधार गोकुल दास जी महाराज का जीवन परिचय

नवरत्न मन्डुसिया की कलम से // मेघवंश इतिहास के रचयिता श्री श्री 1008 स्वामी गोकुल दास जी महाराज का जीवन चरित् --

जब जब भी हमारे धर्म, समाज अथवा संस्कृति पर संकट आया, तब भगवान ने मनुष्य रुप में जन्म लेकर ज्ञान, मर्यादा एवं शक्ति द्वारा धर्म की रक्षा कर मानव जीवन का कल्याण कर अपना नाम अमर कर दिया।
हम अपने समाज के इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो
- महात्मा खीवण जी
- जोधपुर नरेश रावल मलिनाथ जी राठौड़ की रानी रूपादें के सिद्ध गुरु मेघधारु जी
- धर्म वीर सिद्ध श्री राम देव जी महाराज कि गुरु बहिन डाली बाई मेघ
- खेड़ापा के रामस्नेही पंथ के आदि गुरु तपस्वी महाराज रामदास जी
- बालेसर शेरगढ के पंडित मद्दा जी
- जोधपुर के उमाराम जी
- महंत किशना राम जी
- नाडोल मारवाड़ की भक्त शिरोमणि अणची बाई
- जोधपुर किले की नींव के शहीद राजा राम
- महाचंद
- मेघडी बाई
- मन्ना मेघ पीछोला(उदयपुर)

इन सभी महापुरुषों ने हमारे मेघवंश समाज में जन्म लेकर कल्याण ही किया।
मेघवंश समाज मेंसमाज सुधारक​ स्वामी गोकुल दास जी महाराज ही हुए जिन्होंने समाज उत्थान हेतु संपूर्ण जीवन संघर्षमय व्यतीत किया।

हमारा समाज आदि काल से ही धार्मिक, आध्यात्मिक, स्वामी भक्त आदि गुणों से ओतप्रोत रहा परन्तु अन्य स्वर्ण समाजों द्वारा निरंतर शोषण का शिकार बनता रहा और दयनीय बनकर अपना मूल अस्तित्व खो बैठा और समाज में कुरीतियां व्याप्त हो गई थी।
ऐसे विकट समय में अजमेर से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में ग्राम डुमाडा में स्वामी जी महाराज का अवतार हुआ।
फाल्गुन बदी १४ शनिवार संवत १९४८ को स्वामी जी महाराज का जन्म हुआ
पिता श्री नंदराम जी सिंहमार (मेघवंश) जो गांव के जमींदार थे तथा माता का नाम श्रीमती छोटी देवी था। उस समय ग्राम में शिक्षा की कोई संस्था नहीं थी फिर भी पिताजी के प्रयास से सामान्य ज्ञान हेतु 6 किलोमीटर दूर सोमलपुर की पाठशाला में श्री जोधाजी सूबेदार पंडित के पास पढ़ने भेजा जहां स्वामी जी पैदल जाते थे।
आपके पिता ने बचपन में ही आपका विवाह कर दिया था लेकिन किशोरावस्था से ही आपकी जिज्ञासा ग्राम में होने वाले धार्मिक भजन मंडलीयों एवं संत महात्माओं के प्रवचन सुनने में बढ़ती गई।

हजारी दास दरोगा ग्राम
डुमाडा आपके प्रथम शिष्य थे इस पर गांव की अन्य जाति के लोगों ने विरोध किया परन्तु वे आपके साथ वीणा पर भजन-कीर्तन करने में संलग्न रहे। इस प्रकार स्वामी जी महाराज कि आध्यात्मिक रुचि बढ़ती गई और प्रभु की दया से आप श्री स्वामी १०८ सत गुरु रामहंस जी पंवार अजमेर निवासी की शरण में चले गए।
फाल्गुन सुदी २ संवत् १९६०  को आपने वृहद सत्संग का आयोजन किया और गुरुदेव से उपदेश लेकर दीक्षा प्राप्त की।

कुंडलियां

गोकुल ने सतगुरु मिल्या, रामहंस हरदास।
झूठ कर्म जग से मिट्या, भया सांच प्रकाश।।

भया सांच प्रकाश, रेण में उगा चदां।
सभी अंधारा मेट, भजन कर निज मन बंदा।।

तन-मन-धन अर्पण किया, सिमरण श्वसो श्वास।
'गोकुल' ने सतगुरु मिल्या, रामहंस हर दास।।

गुरु दीक्षा लेने के पश्चात आप सांसारिक वासनाओं से आध्यात्मिक क्षेत्र में बढ़ने लगे और आपने
जप,तप,नियम,संयम, व्रत, उपवास, ध्यान,योग विद्या का अभ्यास करना प्रारंभ कर दिया और चैत्र सुदी ५ संवत् १९६३ को सदैव के लिए धर्म पत्नी का त्याग कर वैराग्य जीवन धारण कर लिया। स्वामी गोकुल दास जी महाराज कि जय:- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से

मेघवाल बलाई समाज के गोत्र

मेघवाल समाज के गौत्र

मेघवाल समाज क इतिहास meghwal samaj ka itihas meghwal samaj ki history meghwansh itihas मेघवंश इतिहास

गोकुल दास द्वारा लिखित मेघवाल समाज का इतिहास

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...