शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

सहारनपुर बवाल: जानिए क्या है भीम आर्मी और कौन हैं इसके संस्थापक


   

सहारनपुर। शब्बीरपुर में हुए जातीय संघर्ष के बाद गांव रामनगर में हुए दलित बनाम पुलिस बवाल को लेकर एक खास नाम सामने आया है। जिसका नाम है भीम आर्मी। भीम आर्मी का पूरा नाम भारत एकता मिशन भीम आर्मी है। छह साल पहले दलितों के दमन की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भीम आर्मी के गठन का निर्णय लिया गया था। आज यह संगठन दलित युवकों का पसंदीदा संगठन बन गया है। फेसबुक पर इस संगठन को पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खास बात यह है कि इस संगठन में दलित युवकों के साथ साथ पंजाब और हरियाणा के सिख युवा भी जुड़े हैं। एक दो गुर्जर युवक भी इस संगठन के सदस्य हैं।

सहारनपुर में यह संगठन अपनी खास पहचान बनाए हुए है। इस संगठन के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष, अधिवक्ता चंद्रशेखर आजाद हैं। करीब छह साल पहले जब चंद्रशेखर के पिता अस्पताल में भर्ती थे तो चंद्रशेखर ने अपने अस्पताल में लोगों से दलित समाज के दमन की बातों को सुना। उस वक्त वह अमेरिका जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, लेकिन दलितों के दमन की बात सुनकर चंद्रशेखर ने अमेरिका जाने का विचार त्याग दिया और 2011 में गांव के कुछ युवाओं के साथ मिलकर भारत एकता मिशन भीम आर्मी का गठन किया।

तीस वर्षीय चंद्रशेखर पेशे से अधिवक्ता हैं, संगठन के साथ-साथ वह वकालत भी करते हैं। जिस वक्त भीम आर्मी का गठन किया गया था, उस समय इसका उद्देश्य दलित समाज की सेवा करना और इस समाज की गरीब कन्याओं के लिए धन जुटाकर विवाह संपन्न कराना था। लेकिन तीन दिन पूर्व गांव रामनगर में हुए बवाल ने इस संगठन के नाम पर कालिख पोत दी। बकौल चंद्रशेखर, जिस दिन यह बवाल हुआ उस दिन वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने गांव छुटमलपुर स्थित घर पर थे।

चंद्रशेखर ने बताया कि ने कहा, राजनीतिक दलों को सभी समुदायों के वोटों की ज़रूरत होती है लेकिन कोई भी वास्तव में दलितों की परवाह नहीं करता है। हमारे लोगों पर हर दिन अत्याचार किया जाता है और उनके पास आवाज नहीं है वे पुलिस में नहीं जा सकते क्योंकि वे हमारी बात नहीं सुनते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि उना (पिछले साल गुजरात में दलितों के हमलों पर गठबंधन पर हमला) या (हैदराबाद छात्र) रोहिथ वेमुला की आत्महत्या आदि ऐसे मामले हैं, जहां पर दलितों की कोई सुनवाई नहीं हुई। चंद्रशेखर के अनुसार, भीम सेना एक मंच है जहां हम अपने युवा दलित समाज हित में कार्य करने के निर्देश देते हैं और उन्हें जागरूक करते हैं।

चंद्रशेखर ने बताया कि दस मई को मल्हीपुर रोड पर हुई वारदात में सभी लोग भीम आर्मी के सदस्य नहीं थे। उन्होंने कहा कि मल्हीपुर रोड पर बवाल होने के बाद अधिकारियों ने उसे विरोधियों को शांत करने के लिए बुलाया था। वह भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के साथ साथ डा. अंबेडकर के अहिंसावादी रास्तों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी को बताता हूं कि इन दिनों सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दमन से लड़ने के लिए दलित शिक्षित हो। जब हम उनकी (ऊपरी जाति) नौकरियां प्राप्त करें, तभी कुछ समानता हो जाएगी। हमारे पास एक ही खून है, इसलिए अंतर क्यों? दो साल पहले चंद्रशेखर के पिता का देहांत हो गया था। अब परिवार में दो बहनें हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है और दो भाई है, जिनमें एक चंद्रशेखर की भी शादी नहीं हुई है। दूसरा भाई पढ़ाई के साथ साथ एक मेडिकल स्टोर पर नौकरी करता है। एक चचेरा भाई है, जो इंजीनियर है। वही परिवार को समय समय पर आर्थिक सहायता प्रदान करता है।

आपको बता दें फेसबुक पर भीम आर्मी का एक पेज बना है, जिसके फालोअर्स की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। इस पेज से ज्यादातर दलित जुड़े हैं, लेकिन पंजाबी और सिख युवा भी इसके सदस्य हैं। स्थानीय स्तर पर यह संगठन इतना मजबूत है कि हर गांव में इस संगठन से जुड़े दलित युवक हैं। सहारनपुर के अलावा शामली और मुजफ्फरनगर जनपदों में भी कार्य कर रहा है। हरियाणा के अंबाला और यमुनानगर के अलावा राजस्थान  उत्तराखंड के मैदानी जनपद देहरादून व हरिद्वार में भी इस संगठन के कार्यकर्ता हैं।

जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया :- भँवर मेघवंशी


युवा लेखक शून्यकाल के सम्पादक की खास रिपोर्ट 
जातीय सेनाओं पर प्रतिबंध के लिए राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने राष्ट्रपति से की अपील, प्रतिबंध की गिनवाई विस्तार में वजहें
1- भारतीय संविधान के अनुसार वैधानिक रूप से तीन सेनाओं - थलसेना, वायुसेना और जलसेना का अस्तित्व है, जिन्हें शस्त्र धारण कर देश की अखंडता, एकता और संप्रभुता का संरक्षण करने का दायित्व सौपा गया है , ये तीनों सेनाएं भारत के राष्ट्रपति के अधीन है और संविधान के दायरे में पूर्णतः कानूनी रूप से काम करने हेतु बाध्य है।
2- भारत का संविधान देश के नागरिकों को शांतिपूर्ण एवम अहिंसक रूप से संगठित होने, संघ बनाने का मौलिक अधिकार देता है, जिसके तहत कई संस्था, संगठन, अभियान और जन आंदोलन, ट्रेड यूनियन एवम राजनीतिक दल गठित हो कर संविधान के दायरे में काम करते है ।
3- जिन तत्वों की लोकतंत्र में आस्था नहीं है, ऐसे सामंती और जातिवादी तत्व संविधान के दायरे से ऊपर उठकर निजी गिरोह बना लेते है, जिन्हें किसी प्रसिद्ध इतिहास पुरूष अथवा धार्मिक व्यक्ति के नाम या धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति का नाम देकर सेना बना लेते है जो कि पूर्णतः असंवैधानिक होती है और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहती है।
4-आजकल ऐसी जातीय, धार्मिक और साम्प्रदायिक निजी सेनाएं देश भर में सक्रिय हो चुकी है जो भारत राष्ट्र की कानून और व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही है, ये निजी सेनाएं असामाजिक तत्वों के गिरोह है, जो अपनी जाति या सम्प्रदाय को ही राष्ट्र समझते है ।
5-जाति सेनाओं के अत्यधिक उभार से यह बात साबित होती है कि जातीयां अब इस देश मे सम्पूर्ण प्रभुता सम्पन्न स्वतन्त्र गणराज्यों का स्वरूप ले रही है ,जिनकी अपनी सेनाएं है और अपनी खांप नामक न्याय पंचायतें जो कि अदालतों के समानांतर वैधानिक कार्यवाहियों को अंजाम देती है ,कई बार तो लोगों की चरित्र परीक्षा और जान तक लेने के आदेश दिए जाते है ,जो कि एक राष्ट्र के रूप में भारत के लिए अत्यंत शर्मनाक बात है ।
6-आजकल हर जाति की सेना मौजूद है, इन्हें बाकायदा आर्मी, सेना या रेजिमेंट कहा जाता है ,इनकी ड्रेस होती है, झंडे होते है, इनके पास हथियार होते है और वे अक्सर सशस्त्र बलों की भांति हथियारों के साथ सड़कों पर मार्चपास्ट करते है, आम जन में दशहत का माहौल बनाते है और अपनी जाति के लिए मांगे मनवाने के लिए सड़कें जाम कर देते है, रेल की पटरियां उखाड़ लेते है, थाने जला देते है और पुलिस एवम अर्धसैनिक बलों पर गोलीबारी करते है ,ये अपनी जाति समुदाय के लिए राष्ट्र की हज़ारों करोड़ की संपत्ति को नुकसान पँहुचाने से भी गुरेज नही करते है, इनके लिए राष्ट्र से पहले अपनी जाति,धर्म,समुदाय है ।
7- इन जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया है, इनकी अपनी न्याय व्यवस्था है ,इनकी अपनी सेनाएं है, इनका अपना निज़ाम, इनके डंडे, इनके झंडे है ,इनको देश और देश के अन्य नागरिकों से कोई मतलब नही है, इन जातीय सेनाओं ने भारत का लोकतंत्रीकरण करने के बजाय कबीलाईकरण कर दिया है, हम 21 वीं सदी के बजाय 12 वी सदी में पँहुच गये है, निजी जातीय सेनाओं का अस्तित्व में आना और जीवित बने रहना हमारे राष्ट्र राज्य की विफलता है ।
8-जाति सेनाएं अब संविधान से ऊपर हो गयी हैं, वे संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीन रही हैं ,वे नागरिकों पर संविधानेतर सेंसरशिप लाद रही हैं, अब तो ये सेना नामधारी जातिवादी गिरोह तय कर रहे हैं कि इस देश का इतिहास क्या होगा ? चित्र क्या बनेंगे ? गीत कविताएं क्या गाई जाएगी? साहित्य क्या लिखा जाएगा ? किताबें कौनसी छपेगी ? फिल्में क्या बनेगी ? उनमें क्या फिल्माया और दिखाया जाएगा...

महोदय ,इस देश मे अब हर चीज़ सड़क छाप गुंडे तय करेंगे ? संविधान द्वारा दिये गए नागरिक अधिकारों का इन जाति सेनाओं ने अपहरण कर लिया है और उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जाती है ,यह कैसी बेबसी है महामहिम ?
अगर हमें अपनी महान लोकशाही को बचाना है, तो संवैधानिक सेनाओं के अलावा की सभी सेनाओं ,आर्मियों और रेजिमेंटों पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगानी होगी और जाति, सम्प्रदाय ,धर्म ,मजहब आधारित तमाम सेनाओं को असंवैधानिक घोषित कर उनपर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना होगा ,अन्यथा ये राष्ट्रद्रोही जातिवादी गिरोह भारत नामक राष्ट्र राज्य का अस्तित्व ही मिटा देंगे और हम फिर से अलग अलग कबीलों में बंट कर धूल धूसरित हो कर मिट जाएंगे ।
अतः भारत राष्ट्र के राष्ट्रपति होने के नाते और तीनों संवैधानिक सेनाओं के मुखिया होने के नाते आपसे यह पुरजोर अनुरोध है कि अविलम्ब जाति ,धर्म ,मजहब आधारित समस्त सेनाओं पर रोक के आदेश जारी करें ,इस तरह के गैरकानूनी गिरोहों के गठन तथा परिचालन को अवैध करार दे कर कानूनी अपराध घोषित किया जाए और बरसों से इस प्रकार के सैन्य गिरोह संचालित कर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त जाति सेनाओं के मुखियाओं की संपत्तियों एवं गतिविधियों की सघन जांच की जाएं ।
उम्मीद है कि आप राष्ट्र के लिए खतरा बन चुकी इन जातीय सेनाओं के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही के दिशा निर्देश प्रदान करेंगे और इन असंवैधानिक सैनिक गिरोहों को पूर्णतः तुरन्त प्रतिबंधित करने के आदेश भारत सरकार को देंगे ।

मेघवाल समाज का तीसरा सामूहिक विवाह सम्मेलन 19 नवंबर 2017 को, सगाई की रस्म आयोजित*

जयपुर के रामपुरा डाबड़ी में होगा आयोजन

भीम प्रवाह न्यूज/जयपुर। बलाई समाज सामूहिक विवाह समिती और मेघवंश जाग्रति संस्थान, नीमकाथाना (सीकर) के संयुक्त तत्वावधान में बलाई समाज का तृतीय सामूहिक विवाह सम्मेलन रविवार 19 नवंबर 2017 को कांदेला कृषि फार्म हाऊस, रामपुरा डाबड़ी, एन एच. 11(52), सीकर रोड़, तह. आमेर , जि. जयपुर पर आयोजित होगा। 

सगाई की रस्म आयोजित

 तृतीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का सगाई समारोह 12 नवंबर को आयोजित किया गया । जिसके मुख्य अतिथि प्रदेशाध्यक्ष डॉ. रणजीत महरानियां थे। अध्यक्षता विवाह समिति अध्यक्ष चांदमल काला ने की। सभी जोड़ो को डॉ. रणजीत मेहरानियां की तरफ से बरी का बेस व सूट का कपड़ा भेंट किया गया ।

यह जानकारी देते हुए विवाह सम्मेलन के संयोजक सोदागर कांदेला ने बताया कि समाज के सभी लोगो के सहयोग व आशीर्वाद से बलाई समाज को खर्चीली शादियों व दहेज से मुक्ति दिलाने हेतु प्रथम प्रयास में 5 दिसंबर 2015 को 13 जोड़ो का व व्दितीय प्रयास में  दि. 20 नवंबर 2016 को 21 जोड़ो का भव्य सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कर समाज सुधार व उत्थान का एक नया आयाम स्थापित करने का प्रयास विवाह समिती व्दारा किया गया। इसी प्रकार समाजोत्थान हेतु हमारी दोनो संस्थाओ व्दारा तृतीय प्रयास के रूप में *(रविवार 19 नवंबर 2017)* को पुन: 51 जोड़ो के सामूहिक विवाह सम्मेलन का लक्ष्य रखा गया हैं। विवाह हेतु योग्य जोड़ो से 11,000/-  रुपए आर्थिक सहयोग व 500/- रूपये रजिस्ट्रेशन शुल्क के तय किया गया है। 

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

  सीकर खोरी गांव में मेघवाल समाज की सामूहिक बैठक सीकर - (नवरत्न मंडूसिया) ग्राम खोरी डूंगर में आज मेघवाल परिषद सीकर के जिला अध्यक्ष रामचन्द्...