रविवार, 23 अप्रैल 2017

इंसान की पहचान पहनावे से नहीं, कर्म से होती है :- नवरत्न मन्डुसिया

जिस तरह दीपक की पहचान उसकी लौ से होती है, न कि उसके रंग-रूप या बनावट से। उसी प्रकार इंसान अपने स्वभाव से जाना जाता है। उसकी पहचान उसके कर्म से होती है। न कि उसकी शक्ल, सूरत व पहनावे से।’ सुरेरा के मेघवाल समाज के मोहल्ले  में आयोजित मेघवाल समाज की साधारण सभा मे सामाजिक कार्यकर्ता नवरत्न मन्डुसिया (सुरेरा) ने   यह विचार रखे। उन्होंने कहा कि सूरत से तो बगुला-हंस, भूंड-भंवरा एक से लगते हैं, पर कर्म से पहचाने जाते हैं कि कौन क्या है। ऐसे ही इंसान की भी स्थिति है। कोई पाताल में बैठकर नेकी कर रहा है वो भी प्रकट होगी। कोई यदि किसी कोने में छिपकर बदी कर रहा है, वो भी सामने आएगी। अपने आपसे न कोई बचा है, न बच सकता है। हर इंसान अपने स्वभाव के अधीन होता है। चाहे कोई लाख यत्न कर ले, पर अपनी सोच, कर्म, फितरत को नहीं छिपा सकता। उन्होंने कहा कि अपने अंदर के विपरीत भाव का रुपांतरण किया जा सकता है। जब बड़े-बड़े पापी-कपटी, कामी-क्रोधी, लोभी बदल सकते हैं, तो हम क्यों नहीं बदल सकते। बस वैसा कर्म करना पड़ेगा। पहले भी पारस छूने से लोहा सोना बन जाता था, आज भी वैसा ही है। इंसान भी सही मार्ग दर्शन से अच्छाई का मार्ग अपना सकता है। इसके लिए पूर्ण सतगुरु की शरण में जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह मानव तन हम सभी को बहुत सौभाग्य से मिला है। इसलिए हमें अपने जीवन में कोई भी पाप व बुरे कर्म नहीं करने चाहिए।
और सबसे बड़ा धर्म माता पिता की सेवा करना है समाज को आगे बढाना है तो नारियों का समान करना और महिलाओं को इज्जत देना ही सबसे बड़ा धर्म है आजाद हिंदुस्तान मे दिन प्रतिदिन महिलाओं की लज्जा भंग उनके साथ बलात्कार यॆ हमारे समाज के लिये बहूत ही शर्म की बात है इसलिए सारी कुरुतीयो को त्याग कर हमे समाज की इज्जत करनी चाहिये और भाईचारे की भाँति रहना चाहिये और अन्य धर्मों की हिफाजत भी करनी चाहिये और सभी धर्मों को समान रुप से मानना चाहिये और हमे अन्य धर्मों की मर्यादाओं को भंग नही करना चाहिये हमे हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल देना चाहिये
                                  नवरत्न मन्डुसिया की कलम से 

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती

नन्हीं चींटीं जब दाना ले कर चढ़ती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगॊं मे साहस भरता है
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है
मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती

डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा-जा कर खाली हाथ लौट कर आता है
मिलते न सहज ही मोती गेहरे पानी में
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती

                                 …….हरिवंशराय बच्चन

नवरत्न मन्डुसिया

खोरी गांव के मेघवाल समाज की शानदार पहल

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