शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

धारा 201 आईपीसी - इंडियन पीनल कोड 

जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप, इस आशय से कारित करेगा कि अपराधी को वैध दंड से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से संबंधित कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है ; 
यदि अपराध मॄत्यु से दंडनीय हो--यदि वह अपराध जिसके किए जाने का उसे ज्ञान या विश्वास है, मॄत्यु से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; 
यदि आजीवन कारावास से दंडनीय हो--और यदि वह अपराध 3[आजीवन कारावास] से, या ऐसे कारावास से, जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के, कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ; 
यदि दस वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो--और यदि वह अपराध ऐसे कारावास से इतनी अवधि के लिए दंडनीय हो, जो दस वर्ष तक की न हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से उतनी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा । 
दृष्टांत 
क यह जानते हुए कि ख ने य की हत्या की है ख को दंड से प्रतिच्छादित करने के आशय से मॄत शरीर को छिपाने में ख की सहायता करता है । क सात वर्ष के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से, और जुर्माने से भी दंडनीय है । 

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नवरत्न मन्डुसिया

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