शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया :- भँवर मेघवंशी


युवा लेखक शून्यकाल के सम्पादक की खास रिपोर्ट 
जातीय सेनाओं पर प्रतिबंध के लिए राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने राष्ट्रपति से की अपील, प्रतिबंध की गिनवाई विस्तार में वजहें
1- भारतीय संविधान के अनुसार वैधानिक रूप से तीन सेनाओं - थलसेना, वायुसेना और जलसेना का अस्तित्व है, जिन्हें शस्त्र धारण कर देश की अखंडता, एकता और संप्रभुता का संरक्षण करने का दायित्व सौपा गया है , ये तीनों सेनाएं भारत के राष्ट्रपति के अधीन है और संविधान के दायरे में पूर्णतः कानूनी रूप से काम करने हेतु बाध्य है।
2- भारत का संविधान देश के नागरिकों को शांतिपूर्ण एवम अहिंसक रूप से संगठित होने, संघ बनाने का मौलिक अधिकार देता है, जिसके तहत कई संस्था, संगठन, अभियान और जन आंदोलन, ट्रेड यूनियन एवम राजनीतिक दल गठित हो कर संविधान के दायरे में काम करते है ।
3- जिन तत्वों की लोकतंत्र में आस्था नहीं है, ऐसे सामंती और जातिवादी तत्व संविधान के दायरे से ऊपर उठकर निजी गिरोह बना लेते है, जिन्हें किसी प्रसिद्ध इतिहास पुरूष अथवा धार्मिक व्यक्ति के नाम या धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति का नाम देकर सेना बना लेते है जो कि पूर्णतः असंवैधानिक होती है और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त रहती है।
4-आजकल ऐसी जातीय, धार्मिक और साम्प्रदायिक निजी सेनाएं देश भर में सक्रिय हो चुकी है जो भारत राष्ट्र की कानून और व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही है, ये निजी सेनाएं असामाजिक तत्वों के गिरोह है, जो अपनी जाति या सम्प्रदाय को ही राष्ट्र समझते है ।
5-जाति सेनाओं के अत्यधिक उभार से यह बात साबित होती है कि जातीयां अब इस देश मे सम्पूर्ण प्रभुता सम्पन्न स्वतन्त्र गणराज्यों का स्वरूप ले रही है ,जिनकी अपनी सेनाएं है और अपनी खांप नामक न्याय पंचायतें जो कि अदालतों के समानांतर वैधानिक कार्यवाहियों को अंजाम देती है ,कई बार तो लोगों की चरित्र परीक्षा और जान तक लेने के आदेश दिए जाते है ,जो कि एक राष्ट्र के रूप में भारत के लिए अत्यंत शर्मनाक बात है ।
6-आजकल हर जाति की सेना मौजूद है, इन्हें बाकायदा आर्मी, सेना या रेजिमेंट कहा जाता है ,इनकी ड्रेस होती है, झंडे होते है, इनके पास हथियार होते है और वे अक्सर सशस्त्र बलों की भांति हथियारों के साथ सड़कों पर मार्चपास्ट करते है, आम जन में दशहत का माहौल बनाते है और अपनी जाति के लिए मांगे मनवाने के लिए सड़कें जाम कर देते है, रेल की पटरियां उखाड़ लेते है, थाने जला देते है और पुलिस एवम अर्धसैनिक बलों पर गोलीबारी करते है ,ये अपनी जाति समुदाय के लिए राष्ट्र की हज़ारों करोड़ की संपत्ति को नुकसान पँहुचाने से भी गुरेज नही करते है, इनके लिए राष्ट्र से पहले अपनी जाति,धर्म,समुदाय है ।
7- इन जातीय सेनाओं ने हरेक जाति को एक राष्ट्र बना दिया है, इनकी अपनी न्याय व्यवस्था है ,इनकी अपनी सेनाएं है, इनका अपना निज़ाम, इनके डंडे, इनके झंडे है ,इनको देश और देश के अन्य नागरिकों से कोई मतलब नही है, इन जातीय सेनाओं ने भारत का लोकतंत्रीकरण करने के बजाय कबीलाईकरण कर दिया है, हम 21 वीं सदी के बजाय 12 वी सदी में पँहुच गये है, निजी जातीय सेनाओं का अस्तित्व में आना और जीवित बने रहना हमारे राष्ट्र राज्य की विफलता है ।
8-जाति सेनाएं अब संविधान से ऊपर हो गयी हैं, वे संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीन रही हैं ,वे नागरिकों पर संविधानेतर सेंसरशिप लाद रही हैं, अब तो ये सेना नामधारी जातिवादी गिरोह तय कर रहे हैं कि इस देश का इतिहास क्या होगा ? चित्र क्या बनेंगे ? गीत कविताएं क्या गाई जाएगी? साहित्य क्या लिखा जाएगा ? किताबें कौनसी छपेगी ? फिल्में क्या बनेगी ? उनमें क्या फिल्माया और दिखाया जाएगा...

महोदय ,इस देश मे अब हर चीज़ सड़क छाप गुंडे तय करेंगे ? संविधान द्वारा दिये गए नागरिक अधिकारों का इन जाति सेनाओं ने अपहरण कर लिया है और उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जाती है ,यह कैसी बेबसी है महामहिम ?
अगर हमें अपनी महान लोकशाही को बचाना है, तो संवैधानिक सेनाओं के अलावा की सभी सेनाओं ,आर्मियों और रेजिमेंटों पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगानी होगी और जाति, सम्प्रदाय ,धर्म ,मजहब आधारित तमाम सेनाओं को असंवैधानिक घोषित कर उनपर पूर्णतया प्रतिबंध लगाना होगा ,अन्यथा ये राष्ट्रद्रोही जातिवादी गिरोह भारत नामक राष्ट्र राज्य का अस्तित्व ही मिटा देंगे और हम फिर से अलग अलग कबीलों में बंट कर धूल धूसरित हो कर मिट जाएंगे ।
अतः भारत राष्ट्र के राष्ट्रपति होने के नाते और तीनों संवैधानिक सेनाओं के मुखिया होने के नाते आपसे यह पुरजोर अनुरोध है कि अविलम्ब जाति ,धर्म ,मजहब आधारित समस्त सेनाओं पर रोक के आदेश जारी करें ,इस तरह के गैरकानूनी गिरोहों के गठन तथा परिचालन को अवैध करार दे कर कानूनी अपराध घोषित किया जाए और बरसों से इस प्रकार के सैन्य गिरोह संचालित कर देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त जाति सेनाओं के मुखियाओं की संपत्तियों एवं गतिविधियों की सघन जांच की जाएं ।
उम्मीद है कि आप राष्ट्र के लिए खतरा बन चुकी इन जातीय सेनाओं के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही के दिशा निर्देश प्रदान करेंगे और इन असंवैधानिक सैनिक गिरोहों को पूर्णतः तुरन्त प्रतिबंधित करने के आदेश भारत सरकार को देंगे ।

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