सोमवार, 27 जून 2011

मेघ आए ’



प्रस्तुत कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सजकर आए प्रवासी अतिथि (दामाद) से की है। ग्रामीण संस्कॄति में दामाद के आने पर उल्लास का जो वातावरण बनता है, मेघों के आने का सजीव वर्णन करते हुए कवि ने उसी उल्लास को दिखाया है। कवि कहता है कि लम्बे अरसे के इंतज़ार के बाद जब मेघ रूपी मेहमान आता है तो चारों – ओर खुशी का माहौल छा जाता है। हवा उड़ने लगती है मानो वह मेहमान के आने का संदेश देने के लिए भाग रही हो। लोग उत्सुकतावश दरवाजे-खिड़कियों से झाँकने लगते हैं। पेड़ रूपी गाँव के युवक गरदन उचकाए देखने लगते हैं और अल्हड जवान लड़्कियाँ घूँघट सरकाके तिरछी नज़रों से देखते हैं। बूढ़ा पीपल झुक जाता है अर्थात वह मेहमान की आवभगत करता है। उअसकी पत्नी उलाहने भरे स्वर में कहती है कि बहुत दिनों बाद उसकी याद आई जो चले आए। घर का सदस्य पानी का लोटा रख जाता है। अब क्षितिज पर बादल गहरे होते दिखाई दे रहे हैं । अब बारिश न होने का भ्रम टूट चुका है। बहुत दिनों के बिछुड़े पति-पत्नी के मिलन से खुशी के आँसू निकलने लगते हैं अर्थात प्रबल वेग के साथ बारिश होने लगती है। चारों-ओर उल्लास का वातावरण छा जाता है।

2 टिप्‍पणियां:

Bharat Bhushan ने कहा…

सावन आने पर घर लौटना प्रेम की सुंदर छवियों में से एक है. बढ़िया कहा है आपने.

अपने ब्लॉग से word verification हटा दें. इससे टिप्पणी देने में आसानी हो जाती है.

NAVRATNA MANDUSIYA ने कहा…

thnx

नवरत्न मन्डुसिया

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