मेघवाल समाज के लोग ईमानदार, मेहनती, साहसी एवं परमार्थ के कार्यों में सदैव अच्छी नीति के साथ कार्य करने वाले रहे है। समाज का मेहनतकश तबका अपनी रोजी-रोटी के कार्यों में लगने से पूर्व मन्दिर में जाकर दर्शन एवं पूजा-पाठ आदि धार्मिक कार्य से निवृत होते है।
गांव में निवास करने वाले अन्य समाज से निकटता के कारण मेघवाल समाज का आचार-विचार प्रायः उनसे मिलता जुलता है। मेघवाल समाज के लोगों का पहनावा, रीति-रिवाज एवं कई सांस्कृतिक रस्में उनसे मिलती-जुलती है। सगाई, ब्याह व अन्य धार्मिक उत्सव पर पण्डित मांगलिक कार्यों को सम्पन्न करवाते है। समाज के व्यक्ति का स्वर्गवास होने पर हरिद्वार, पुष्कर व अन्य तीर्थ स्थानों पर समाज के लोग जाते है। वहाँ ब्राह्मण पण्डित विभिन्न संस्कारों का कार्य करवाते है। हरिद्वार में पण्डित की बहियों में वंशावली लिखवाते है तथा यथा योग्य दक्षिणा भी देते है।
समाज की वंशावली का बखान राव की प्राचीन बहियों में सुनहरे अक्षरों से लिखा हुआ मिलता है। जिन्हें राव सा आकर घरों में ‘पाठ’ बैठाकर वंशावली वांचते थे, समाज के लोग उचित दक्षिणा देकर राव महाराज की सम्मान पूर्वक विदाई करते थे। ब्याह-शादी के अवसर पर अभी भी उनके परिवार के लोग आते है, समाज सदस्य यथोयोग्य स्वागत-सत्कार करते है।
धर्म:
मेघवाल जाति बाबा रामदेव की उपासक है। यह बाबा की बीज व दशम् को उपवास रखते है तथा घरों में जोत करके भोजन आदि ग्रहण करते है तथा कई बार बाबा की सत्संग का आयोजन करते है। जिसमें समाज के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है तथा सवेरे परसादी का आयोजन भी होता है।
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