बुनकर से बने थे IAS, आज भी करते हैं साइकिल की सवारी
और मेघवाल साहब को दो बार सासंद रत्न से भी नवाजा जा चुका है ॥तथा साईकल वाले सासंद के नाम से महसुर है
और टेलेंटर मेघवाल के नाम से ख्याति प्राप्त है
और टेलेंटर मेघवाल के नाम से ख्याति प्राप्त है
आइये विस्तार से जाने अर्जुन मेघवाल की जीवनी
बुनकर से भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) के अधिकारी बने अर्जुन राम मेघवाल सांसद निर्वाचित हुए और अब केंद्रीय मंत्री बन गए। मेघवाल की जीवन यात्रा बहुत सारे लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है
और मेघवाल समाज का भी नाम रोशन किया है और राजस्थान के प्रबल मुख्यमंत्री के दावेदार भी माने जाते है ॥
पिता के साथ करते थे बुनकरी
बीकानेर के किसमिदेसार गांव के एक पारंपरिक बुनकर परिवार में जन्मे मेघवाल की शादी मात्र 13 साल की उम्र में हो गई थी। पिता के साथ बुनकर के रूप में काम करते हुए भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। बीकानेर के श्री डुंगर कॉलेज से उन्होंने बीए की डिग्री पाई और उसी संस्थान से वकालत की स्नातक डिग्री एलएलबी और स्नातकोत्तर डिग्री भी हासिल की।
टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी की
पढ़ाई पूरी करने के बाद मेघवाल ने प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। उन्हें भारत डाक एवं तार विभाग में टेलीफोन ऑपरेटर का पद मिला। राजनीति में उनकी शुरुआत तब हुई, जब वह टेलीफोन ट्रैफिक एसोसिएशन का चुनाव लड़े और महासचिव चुने गए। टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में काम करते हुए मेघवाल ने दूसरे प्रयास में राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर ली।
RAS से IAS में हुए प्रमोट
नौकरशाहों की शीर्ष टोली में इन्हें तब जगह मिली जब इनको भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी के रूप में प्रोन्नत्ति मिली और राजस्थान के चुरू के जिलाधिकारी बने।
2009 में पहली बार पहुंचे संसद
वर्ष 2009 में भाजपा ने मेघवाल को बीकानेर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट का प्रस्ताव दिया। वह जीत कर संसद सदस्य बन गए। उसी संसदीय क्षेत्र से मेघवाल वर्ष 2014 में फिर निर्वाचित हुए।
साइकिल से जाते हैं संसद
मेघवाल लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक हैं। वह उन इने-गिने सांसदों में हैं, जो साइकिल से संसद जाते हैं। वह शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति भवन भी साइकिल से ही पहुंचे थे।