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सोमवार, २५ अप्रैल २०११
राष्ट्रीय सर्व मेघवंश महासभा,इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल डेनवाल ने बताया है कि मेघवंश समाज के लोग पूरे भारत में एक होते हुए भी अनेकता की जिन्दगी मजबूरी वश जी रहे है। मेघवंशज को पूरे भारत मे 1671 नामों एवं उपनामों व उप जातियों के नामों से जाना जाता है। जिन्हें आज के समय की मांग एवं परिस्थितियों वश एक जुट करने का प्रयास कर रहे है। पूरे भारत में मेघवंश की जनसंख्या 16ः से 21ः तक है। परन्तु अनेको नामों से बंटे हुये हैं। इसलिए कर्मचारी-कर्मचारी भाई-भाई की तर्ज पर अपनी-अपनी जातियों का वजूद कायम रखते हुए मेघवंशज के बेनर के नीचे एक सुत्र में बांधने का सर्व सम्मत निर्णय सेमीनार में किया गया।
-मेघवंश को एक सूत्र में कैसे बांधा जाए-
मेघवंश के बिखरें व बिछडे हुए 1671 नामों को एक सूत्र में पिरोकर कर मेघवंश के मान-सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा की जावे। विराट सम्राट मेघऋषि राजऋषि भगवान के वंशजो की देश व प्रदेशों में 1671 जाति नामों से सम्बोधित किये जाने वाले मेघवंशियो को एक मंच पर एकत्रित व संगठित कर समाज में भावात्मक एकता का बोध करा मेघवंशियों के मान सम्मान एवं स्वाभिमान की चेतना जगाना।
-मेघवंश शैक्षिक तौर पर सम्पन्न कैसे हो-
देव नारायण बोर्ड की तर्ज पर मेघवंश कल्याण बोर्ड देश व प्रत्येक राज्य में बनाया जाकर प्रत्येक में लगभग 2000 करोड का बजट प्रावधान कर मेघवंश को ही अध्यक्ष व ट्रष्टी बनाया जावे जिससे इस वर्ग की बेगारी,भूखमरी व हमारे छात्र-छात्राओं का भविष्य उज्जवल हो सके क्योंकी सवर्ण समाज के बच्चो को पढने के लिए जगह-जगह उनके अपने समाज के विद्यालय-कालेज आदि है। सवर्ण वर्ग के त्राओं छात्र-छात्राओं से मुकाबला करनें एवं साथ ही लडके-लडकियों को देश-विदेश में पढने के लिए कल्याण बोर्ड के माध्यम से व शिक्षा विकास के लिए सहायता मिलें। मेघवंश समाज में शिक्षा तथा विद्या के व्यापक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से शिक्षालयों-विद्यालयों में प्रवेश का निरन्तर योजना बद्ध अभियान चलाने के साथ ही बालक-बालिकाओं के लिए जिला व तहसील स्तर पर छात्रावासों के निर्माण की अलख जगाना व बहुआयामी उच्च शिक्षा-प्रशिक्षण हेतु प्रोत्साहित करने के लिये मेघवंश विद्यालय,महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय की स्थापना की संभावनाओं को मूर्त रूप देना
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