चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के – 2
जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के – 2
चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के छलकें मात-पिता की अँखियाँ रोवे तेरे बचपन की सखियां भैया करे पुकार हो भैया करे पुकार ना जा घर-आंगन तज के जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के दूर देश मेरे पी की नज़रिया वो उनकी मैं उनकी संवरिया बांधी लगन की डोर हो बांधी लगन की डोर मैंने सब सोच-समझके जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के
हमारे उद्देश्य: - मेघवाल समुदाय समृद्ध सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, मानसिक और सांस्कृतिक. मृत्यु भोज, शराब दुरुपयोग, बाल विवाह, बहुविवाह, दहेज, विदेशी शोषण, अत्याचार और समाज और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर अपराधों को रोकने के लिए और समाज के कमजोर लोगों का समर्थन की तरह प्रगति में बाधा कार्यों से छुटकारा पाने की कोशिश करेंगे :- नवरत्न मन्डुसिया
सोमवार, 1 जनवरी 2018
बेटी चली पिया संग
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नवरत्न मन्डुसिया
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1 टिप्पणी:
बहोत प्यारी कविता है जी । सर
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