उच्च शिक्षित होने के बावजूद इन युवाअों ने कोई बड़ा सरकारी पद और किसी कंपनी में नौकरी कर बड़ी सैलरी पाने का सपना नहीं संजोया। गोल्ड मेडलिस्ट,एमटेक और प्रशिक्षित आईएएस होने के बाद भी सभी में कुछ अलग करने की चाहत है।
मीनल मुंशी,दिल्ली के आईआईटीएम से एमबीए(गोल्ड मेडलिस्ट)हैं। विजय पाटीदार,एमटेक हैं तो वहीं पुरुषोत्तम मेघवाल प्रशिक्षित आईएएस। ये चंद नाम बानगीभर है...राजधानी में ऐसे हजारों से अधिक युवा हैं,जो अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए निर्धन बच्चों व अन्य विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। और खास बात तो यह है ॥ की पुरुषोत्तम मेघवाल ने अब तक बड़ी से बड़ी नौकरियों को छोड़कर अबतक 150 युवाओं को आई.ए एस और आई .पी.एस बनाया है और अभी इनका नीमच (मध्यप्रदेश ) मे मेघवाल निःशुल्क के नाम से कोचिंग सेंटर है जिसमे हजारो युवा कोचिंग कर रहे है
इन्होंने बीड़ा उठाया गरीब परिवारों के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का। इनमें से कुछ ऐसे हैं,जिन्होंने सरकारी और गैर सरकारी नौकरी कुछ ही दिन करने के बाद छोड़ दी। अब वे इसे मिशन के रूप में अपनाते हुए बच्चों को शिक्षित व संस्कारवान बनाने के काम में जुटे हैं। और हमे ऐसे युवा पर गर्व करना चाहिये की आज के ज़माने मे निःशुल्क सेवायें दे रहे है और सबसे बड़ी बात यह भी है की यह युवा गरीबो की सेवा भी करते है यदि किसी भी गरीब की फरियाद पुलिस या अन्य दफ्तर नही सुनता है तो उस दुःखद घड़ी मे उस गरीब का साथ पुर्षोतम मेघवाल देते है ॥ दोस्तो आजाद हिन्दुस्तान मे लोग आपसी स्वार्थ निकालते है लेकिन आज के ज़माने मे पुरुषोत्तम जी मेघवाल बिना स्वार्थ युवाओं को निःशुल्क सेवायें दे रहे है ॥
इन सबका कहना है कि वे पढ़-लिख कर कोई अच्छी नौकरी कर सकते थे,पर उनके मन में यह पीड़ा है कि वे तो परिवार के आर्थिक सहयोग से पढ़-लिख गए पर उन बच्चों का क्या,जो गरीब परिवारों के होने के कारण अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। ये सभी,जिसे जहां जगह मिली वहीं कक्षाएं लगाकर उन्हें मुफ्त में पढ़ा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी तरह कई अन्य शिक्षित लोग शिक्षा को व्यवसाय का जरिया न बनाकर विद्यादान करेंगे। वे चाहते हैं कि हर सक्षम व्यक्ति एक-एक गरीब बच्चे को गोद लेकर उसकी पढ़ाई का जिम्मा ले। और वो गरीब बच्चा पढ़ लिख कर अपने माता पिता की सेवा करे
शिक्षा से सेवा का मन
पुरुषोत्तम मेघवाल शाजापुर में नायब तहसीलदार,कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज में असिस्टेंट कमिश्नर व नीमच के सरकारी काॅलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं। पर उन्होंने ये सभी नौकरियां छोड़ दीं। वजह बताते हैं कि मुझे कुछ अलग करना था। आय के कुछ साधन बना रखे हैं। उनसे काम चल जाता है।
एक साल अधिक समय से एमपी नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के एक बड़े हाल में हर गुरुवार व शुक्रवार शाम साढ़े छह से साढ़े आठ बजे तक कक्षा लगाकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे करीब हजारों बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे है ॥। गायत्री परिवार के साथ जुड़ने पर मुझे यह विचार आया। मंदिर ट्रस्ट ने मुझे यह जगह निशुल्क प्रदान की है।
मीनल मुंशी,दिल्ली के आईआईटीएम से एमबीए(गोल्ड मेडलिस्ट)हैं। विजय पाटीदार,एमटेक हैं तो वहीं पुरुषोत्तम मेघवाल प्रशिक्षित आईएएस। ये चंद नाम बानगीभर है...राजधानी में ऐसे हजारों से अधिक युवा हैं,जो अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए निर्धन बच्चों व अन्य विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। और खास बात तो यह है ॥ की पुरुषोत्तम मेघवाल ने अब तक बड़ी से बड़ी नौकरियों को छोड़कर अबतक 150 युवाओं को आई.ए एस और आई .पी.एस बनाया है और अभी इनका नीमच (मध्यप्रदेश ) मे मेघवाल निःशुल्क के नाम से कोचिंग सेंटर है जिसमे हजारो युवा कोचिंग कर रहे है
इन्होंने बीड़ा उठाया गरीब परिवारों के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का। इनमें से कुछ ऐसे हैं,जिन्होंने सरकारी और गैर सरकारी नौकरी कुछ ही दिन करने के बाद छोड़ दी। अब वे इसे मिशन के रूप में अपनाते हुए बच्चों को शिक्षित व संस्कारवान बनाने के काम में जुटे हैं। और हमे ऐसे युवा पर गर्व करना चाहिये की आज के ज़माने मे निःशुल्क सेवायें दे रहे है और सबसे बड़ी बात यह भी है की यह युवा गरीबो की सेवा भी करते है यदि किसी भी गरीब की फरियाद पुलिस या अन्य दफ्तर नही सुनता है तो उस दुःखद घड़ी मे उस गरीब का साथ पुर्षोतम मेघवाल देते है ॥ दोस्तो आजाद हिन्दुस्तान मे लोग आपसी स्वार्थ निकालते है लेकिन आज के ज़माने मे पुरुषोत्तम जी मेघवाल बिना स्वार्थ युवाओं को निःशुल्क सेवायें दे रहे है ॥
इन सबका कहना है कि वे पढ़-लिख कर कोई अच्छी नौकरी कर सकते थे,पर उनके मन में यह पीड़ा है कि वे तो परिवार के आर्थिक सहयोग से पढ़-लिख गए पर उन बच्चों का क्या,जो गरीब परिवारों के होने के कारण अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। ये सभी,जिसे जहां जगह मिली वहीं कक्षाएं लगाकर उन्हें मुफ्त में पढ़ा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनकी तरह कई अन्य शिक्षित लोग शिक्षा को व्यवसाय का जरिया न बनाकर विद्यादान करेंगे। वे चाहते हैं कि हर सक्षम व्यक्ति एक-एक गरीब बच्चे को गोद लेकर उसकी पढ़ाई का जिम्मा ले। और वो गरीब बच्चा पढ़ लिख कर अपने माता पिता की सेवा करे
शिक्षा से सेवा का मन
पुरुषोत्तम मेघवाल शाजापुर में नायब तहसीलदार,कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज में असिस्टेंट कमिश्नर व नीमच के सरकारी काॅलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं। पर उन्होंने ये सभी नौकरियां छोड़ दीं। वजह बताते हैं कि मुझे कुछ अलग करना था। आय के कुछ साधन बना रखे हैं। उनसे काम चल जाता है।
एक साल अधिक समय से एमपी नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर के एक बड़े हाल में हर गुरुवार व शुक्रवार शाम साढ़े छह से साढ़े आठ बजे तक कक्षा लगाकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे करीब हजारों बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे है ॥। गायत्री परिवार के साथ जुड़ने पर मुझे यह विचार आया। मंदिर ट्रस्ट ने मुझे यह जगह निशुल्क प्रदान की है।
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