मेघवाल समाज की बेटियाँ दिन प्रतिदिन हमारे समाज का नाम रोशन करने के लिये काफी प्रयासरत है और पूरे प्रांत मे सबसे कम उम्र की फायन आर्ट्स की छात्रा अब सीकर जिले की जिला प्रमुख है ही और आगे जाकर जिला प्रमुख से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री भी बनेगी जिले ने महज 21 वर्ष की अपर्णा
रोलन पर भरोसा जताया है। रोलन को जिला प्रमुख चुना गया है।
भाजपा की रोलन को उम्र के लिहाज से प्रदेश
की सबसे कम उम्र का जिला प्रमुख बनने का गौरव
प्राप्त हुआ है।
फिलहाल राजस्थान विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट
की पढ़ाई कर रहीं अपर्णा ने कहा कि
उन्होंने कभी सोचा भी था कि
छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारी
मिलेगी।
जिला प्रमुख पद के लिए शनिवार को हुए मतदान में रोलन को 23
तथा कांग्रेस के भंवरलाल वर्मा को 11 मत मिले हैं। माकपा के चार
सदस्यों व एक निर्दलीय ने मतदान में भाग
नहीं लिया।
मैं जन्म से ही भाग्यशाली: अपर्णा
सीकर। राजस्थान विवि के मास्टर ऑफ फाइन ऑर्ट में
पेंटिंग को कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली
छात्रा अपर्णा ने एक माह पहले तक यह नहीं सोचा
था कि उसे राजनीति के पायदान पर इतने ऊंचे मुकाम पर
पहुंचने का मौका मिलेगा।
जिले की पहली नागरिक का अधिकार लेने
वाली जिला प्रमुख अपर्णा रोलण ने पत्रिका से विशेष
बातचीत में बताया कि वह जन्म से ही
भाग्यशाली रही है। गांव में
बेटी पैदा होने पर प्राय: कुआं पूजन व अन्य
कार्यक्रम नहीं किया जाता है, लेकिन परिवार के लोगों ने
बेटे-बेटी में भेद नहीं कर बड़ा आयोजन
किया।
पेंटिंग के साथ फोटोग्राफी में कॅरियर बनाने
की चाहत रखने वाली अपर्णा ने बताया कि
वर्ष 2012 में राजस्थान स्तर पर वाइल्ड लाइफ पर हुई
फोटोग्राफी प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला
था। अपर्णा ने बातचीत में बताया कि
राजनीति में आने की कभी
नहीं सोची थी।
जिला परिषद के चुनाव की टिकट मिलने पर
भी महज सदस्य बनने तक की बात
थी, बाद में अचानक एेसा हुआ कि जिला प्रमुख के लिए
नाम चल पड़ा और मुकाम हासिल हो गया। जिला प्रमुख को लेकर
अपनी आगे की कोई बड़ी
कार्ययोजना की वे बात नहीं
करती है।
बल्कि एक गंभीर छात्रा की तरह पढ़ाई को
पूरा करने को प्राथमिकता देती हैं। हालांकि पढ़ाई के साथ
वे जिला प्रमुख की जिम्मेदारी निभाकर लोगों
के सामने बड़ा उदाहरण पेश करने की चाहत
रखती हैं। अपर्णा का मानना है कि युवाओं को मौका
मिलेगा तभी देश में बदलाव आएगा।
बचपन बीता गांव में
अपर्णा देश में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी समस्या
मानती हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार से लडऩे के
लिए हर एक को आगे आना होगा। उनका कहना है कि बचपन में
गांव की गलियों में जो देखा वह अब शहर
की चकाचौंध में मिटता जा रहा है। एेसे में हर व्यक्ति
को गांव के जीवन का अनुभव जरूर करना चाहिए।
जिला प्रमुख की राह में यह चुनौतियां
सीकर। गांवों की सरकार की
प्रमुख के सामने चुनौतियों की कतार है। गांवों से लेकर
दिल्ली तक भाजपा की कड़ी से
कड़ी जुडऩे के कारण लोगों को उम्मीद
भी बहुत भी है। जिला प्रमुख
की पहली चुनौती दो
महीने बाद गर्मियों के मौसम में गांव-ढाणियों के लोगों तक
पूरी पेयजल सप्लाई पहुंचाने की
रहेगी।
इसके अलावा सफाई, रोशनी, वित्तीय
प्रबंधन सहित अन्य समस्याएं भी कम
नहीं है। गांवों की सरकार की
चुनौतियों से रूबरू कराती पत्रिका की खास
रिपोर्ट।
पेयजल
जिले में पेयजल बड़ी समस्या है। हर वर्ष गर्मियों के
सीजन में 300 से अधिक टैंकर सप्लाई कराने पड़ते
है। कन्टेजेन्सी प्लान भी तैयार किया जाता
है। लेकिन इसकी हकीकत
किसी से छिपी हुई नहीं है।
अब भाजपा की जिला प्रमुख की
पहली चुनौती पेयजल ही है।
अभी से तैयारी शुरू करने पर
ही दो माह बाद बढऩे वाली पेयजल
की खपत को पूरा किया जा सकता है।
सफाई व रोशनी
ग्राम पंचायतों के पास सफाई कार्य के लिए ज्यादा बजट
नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि ग्राम पंचायत
निजी आय बढ़ाकर सफाई व्यवस्था में सुधार ला
सकती है। इसके अलावा पिछले कार्यकाल में गलत
तरीके से लगी सौलर लाइटों पर सवाल खड़े
हुए थे। एेसे में आमराय से रोशनी के इंतजाम करना
चुनौती है।
वित्तीय प्रबंधन
वित्तीय प्रबंधन: कांग्रेस के कार्यकाल में जिला
परिषद में वित्तिय प्रबंधन औसत दर्ज का रहा। अब भाजपा को
इसमें और सुधार करने की आवश्यकता है। कई
योजनाओं में हर वर्ष बजट लैप्स हो जाता है।
इसके लिए जिला परिषद सदस्य व पंचायत समितियों के प्रधानों से
जिला प्रमुख को तालमेल भी बनाने की
आवश्यकता है, ताकि जहां आवश्यकता हो बजट दिया जा सके।
सड़क
ज्यादातर ग्राम पंचायत सड़कों से जुड़ गई हैं। लेकिन अब
बड़ी समस्या इनकी मरम्मत
की है। नीमकाथाना व पाटन सहित अन्य
इलाकों की सड़क काफी खराब हालात में है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़कों की हालत
ठीक नहीं करा पा रहा है। एेसे में जिला
परिषद को रोटेशन से सड़कों की मरम्मत के लिए प्लान
तैयार करना होगा।
रोलन पर भरोसा जताया है। रोलन को जिला प्रमुख चुना गया है।
भाजपा की रोलन को उम्र के लिहाज से प्रदेश
की सबसे कम उम्र का जिला प्रमुख बनने का गौरव
प्राप्त हुआ है।
फिलहाल राजस्थान विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट
की पढ़ाई कर रहीं अपर्णा ने कहा कि
उन्होंने कभी सोचा भी था कि
छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारी
मिलेगी।
जिला प्रमुख पद के लिए शनिवार को हुए मतदान में रोलन को 23
तथा कांग्रेस के भंवरलाल वर्मा को 11 मत मिले हैं। माकपा के चार
सदस्यों व एक निर्दलीय ने मतदान में भाग
नहीं लिया।
मैं जन्म से ही भाग्यशाली: अपर्णा
सीकर। राजस्थान विवि के मास्टर ऑफ फाइन ऑर्ट में
पेंटिंग को कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली
छात्रा अपर्णा ने एक माह पहले तक यह नहीं सोचा
था कि उसे राजनीति के पायदान पर इतने ऊंचे मुकाम पर
पहुंचने का मौका मिलेगा।
जिले की पहली नागरिक का अधिकार लेने
वाली जिला प्रमुख अपर्णा रोलण ने पत्रिका से विशेष
बातचीत में बताया कि वह जन्म से ही
भाग्यशाली रही है। गांव में
बेटी पैदा होने पर प्राय: कुआं पूजन व अन्य
कार्यक्रम नहीं किया जाता है, लेकिन परिवार के लोगों ने
बेटे-बेटी में भेद नहीं कर बड़ा आयोजन
किया।
पेंटिंग के साथ फोटोग्राफी में कॅरियर बनाने
की चाहत रखने वाली अपर्णा ने बताया कि
वर्ष 2012 में राजस्थान स्तर पर वाइल्ड लाइफ पर हुई
फोटोग्राफी प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला
था। अपर्णा ने बातचीत में बताया कि
राजनीति में आने की कभी
नहीं सोची थी।
जिला परिषद के चुनाव की टिकट मिलने पर
भी महज सदस्य बनने तक की बात
थी, बाद में अचानक एेसा हुआ कि जिला प्रमुख के लिए
नाम चल पड़ा और मुकाम हासिल हो गया। जिला प्रमुख को लेकर
अपनी आगे की कोई बड़ी
कार्ययोजना की वे बात नहीं
करती है।
बल्कि एक गंभीर छात्रा की तरह पढ़ाई को
पूरा करने को प्राथमिकता देती हैं। हालांकि पढ़ाई के साथ
वे जिला प्रमुख की जिम्मेदारी निभाकर लोगों
के सामने बड़ा उदाहरण पेश करने की चाहत
रखती हैं। अपर्णा का मानना है कि युवाओं को मौका
मिलेगा तभी देश में बदलाव आएगा।
बचपन बीता गांव में
अपर्णा देश में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी समस्या
मानती हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार से लडऩे के
लिए हर एक को आगे आना होगा। उनका कहना है कि बचपन में
गांव की गलियों में जो देखा वह अब शहर
की चकाचौंध में मिटता जा रहा है। एेसे में हर व्यक्ति
को गांव के जीवन का अनुभव जरूर करना चाहिए।
जिला प्रमुख की राह में यह चुनौतियां
सीकर। गांवों की सरकार की
प्रमुख के सामने चुनौतियों की कतार है। गांवों से लेकर
दिल्ली तक भाजपा की कड़ी से
कड़ी जुडऩे के कारण लोगों को उम्मीद
भी बहुत भी है। जिला प्रमुख
की पहली चुनौती दो
महीने बाद गर्मियों के मौसम में गांव-ढाणियों के लोगों तक
पूरी पेयजल सप्लाई पहुंचाने की
रहेगी।
इसके अलावा सफाई, रोशनी, वित्तीय
प्रबंधन सहित अन्य समस्याएं भी कम
नहीं है। गांवों की सरकार की
चुनौतियों से रूबरू कराती पत्रिका की खास
रिपोर्ट।
पेयजल
जिले में पेयजल बड़ी समस्या है। हर वर्ष गर्मियों के
सीजन में 300 से अधिक टैंकर सप्लाई कराने पड़ते
है। कन्टेजेन्सी प्लान भी तैयार किया जाता
है। लेकिन इसकी हकीकत
किसी से छिपी हुई नहीं है।
अब भाजपा की जिला प्रमुख की
पहली चुनौती पेयजल ही है।
अभी से तैयारी शुरू करने पर
ही दो माह बाद बढऩे वाली पेयजल
की खपत को पूरा किया जा सकता है।
सफाई व रोशनी
ग्राम पंचायतों के पास सफाई कार्य के लिए ज्यादा बजट
नहीं है। एक्सपर्ट का कहना है कि ग्राम पंचायत
निजी आय बढ़ाकर सफाई व्यवस्था में सुधार ला
सकती है। इसके अलावा पिछले कार्यकाल में गलत
तरीके से लगी सौलर लाइटों पर सवाल खड़े
हुए थे। एेसे में आमराय से रोशनी के इंतजाम करना
चुनौती है।
वित्तीय प्रबंधन
वित्तीय प्रबंधन: कांग्रेस के कार्यकाल में जिला
परिषद में वित्तिय प्रबंधन औसत दर्ज का रहा। अब भाजपा को
इसमें और सुधार करने की आवश्यकता है। कई
योजनाओं में हर वर्ष बजट लैप्स हो जाता है।
इसके लिए जिला परिषद सदस्य व पंचायत समितियों के प्रधानों से
जिला प्रमुख को तालमेल भी बनाने की
आवश्यकता है, ताकि जहां आवश्यकता हो बजट दिया जा सके।
सड़क
ज्यादातर ग्राम पंचायत सड़कों से जुड़ गई हैं। लेकिन अब
बड़ी समस्या इनकी मरम्मत
की है। नीमकाथाना व पाटन सहित अन्य
इलाकों की सड़क काफी खराब हालात में है।
सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़कों की हालत
ठीक नहीं करा पा रहा है। एेसे में जिला
परिषद को रोटेशन से सड़कों की मरम्मत के लिए प्लान
तैयार करना होगा।
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