नवरत्न मन्डुसिया की कलम से // नागौर के सच्चे संघर्ष की कहानी, मे आपको राजस्थान प्रांत के नागौर जिले के एक छोटे से गाँव के ग्रेजुएट युवा पूरण मल मेघवाल की कहानी बताने जा रहा हूँ
दोस्तो आप सब को पता ह की किसकी किस्मत कहाँ ह ये हमे पता नही चलती
कहा जाता है कि अगर इंसान में संघर्ष और कठिन मेहनत करने की क्षमता हो तो दुनिया में ऐसा कोई मुकाम नहीं है जिसे हासिल ना किया जा सके । कवि रामधारी सिंह दिनकर ने सही ही कहा है कि “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है”। ये कथन नागौर के रहने वाले पूरण मल मेघवाल पे बिल्कुल सही बैठता है । सोना तपकर ही कुंदन बनता है और इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने अपना जीवन अभावों में गुजारा है वही लोग आगे चलकर सफलता को हासिल करते हैं ।
कोई भी माँ बाप कितने भी गरीब हों पर सबका सपना होता है कि उनका बच्चा खूब पढ़ाई करे । ऐसी ही एक बहुत गरीब परिवार की कहानी है और वो गरीब परिवार पूरण मल मेघवाल का है ! जो दिल को छूते हुए गहरे सन्देश छोड़ती है।
नागौर जिले के डेड्या का बास के रहने वाले पूरण मल मेघवाल ने ग्रेजुएशन और आई टी आई में भारत के सबसे कठिन ग्रेजुएशन और आई टी आई इंजीनियरिंग परीक्षा को पास किया जो अपने आप में एक अद्भुत उपलब्धि है । पूरण मल मेघवाल के पिता एक सामान्य जीवन चलाने वाले भारतीय नागरिक हैं और पूरण मल मेघवाल ने कभी सोचा भी नही था की वो नागौर के जिला परिषद सदस्य बन जायेंगे ,पूरण मल मेघवाल वर्तमान मे जिला परिषद सदस्य है ये सुनने में जरूर अजीब लगेगा लेकिन सत्य है और माँ घर में लोगों के फटे कपड़े सिलकर कुछ पैसे इकट्ठे करती हैं । परिवार की रोज की दैनिक आमदनी भी सामान्य है
कई बार पूरण मल मेघवाल अपने पिता की अनुपस्थिति में घर और खेत खलीयनो का काम खुद करता ह ! कभी कुछ पैसे कमाने के लिए खेत के कर्मचारियों के साथ काम भी करते है !। लेकिन पढ़ने की चाह पूरण मल मेघवाल में शुरू से ही थी । वो रात भर जागकर पढाई करते । घर में बिजली कनेक्शन नहीं था तो लालटेन जला कर ही रात को पढाई करनी पढ़ती थी ।
अच्छी पढाई के लिए ना कोचिंग के पैसे थे और ना ही किताबें खरीदने के फिर भी पूरण मल मेघवाल जी जान से लगा रहता था । वो कभी हार ना मानने वाले लोगों में से था, अपने दोस्तों से पुरानी किताबें लेकर पढाई किया करता था । उसकी लगन के आगे आखिर किस्मत को झुकना ही पड़ा और पूरण ने वो उपलब्धि हासिल की जिसका लाखों भारतीय छात्र सपना देखते हैं । आज पूरण मल मेघवाल नागौर के जिला परिषद सदस्य है !और राजस्थान मे राजनीति के साथ साथ गरीबो की सेवा कर रहे हैं ।
तो मित्रों , सफलता कोई एक रात का खेल नहीं है जो पलक झपकते किस्मत बदल जाएगी , आपको कठिन मेहनत करनी होगी खुद को संघर्ष रूपी आग में तपाना होगा, फिर देखिये दुनिया आपके कदमों में झुक जाएगी :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
दोस्तो आप सब को पता ह की किसकी किस्मत कहाँ ह ये हमे पता नही चलती
कहा जाता है कि अगर इंसान में संघर्ष और कठिन मेहनत करने की क्षमता हो तो दुनिया में ऐसा कोई मुकाम नहीं है जिसे हासिल ना किया जा सके । कवि रामधारी सिंह दिनकर ने सही ही कहा है कि “मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है”। ये कथन नागौर के रहने वाले पूरण मल मेघवाल पे बिल्कुल सही बैठता है । सोना तपकर ही कुंदन बनता है और इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने अपना जीवन अभावों में गुजारा है वही लोग आगे चलकर सफलता को हासिल करते हैं ।
कोई भी माँ बाप कितने भी गरीब हों पर सबका सपना होता है कि उनका बच्चा खूब पढ़ाई करे । ऐसी ही एक बहुत गरीब परिवार की कहानी है और वो गरीब परिवार पूरण मल मेघवाल का है ! जो दिल को छूते हुए गहरे सन्देश छोड़ती है।
नागौर जिले के डेड्या का बास के रहने वाले पूरण मल मेघवाल ने ग्रेजुएशन और आई टी आई में भारत के सबसे कठिन ग्रेजुएशन और आई टी आई इंजीनियरिंग परीक्षा को पास किया जो अपने आप में एक अद्भुत उपलब्धि है । पूरण मल मेघवाल के पिता एक सामान्य जीवन चलाने वाले भारतीय नागरिक हैं और पूरण मल मेघवाल ने कभी सोचा भी नही था की वो नागौर के जिला परिषद सदस्य बन जायेंगे ,पूरण मल मेघवाल वर्तमान मे जिला परिषद सदस्य है ये सुनने में जरूर अजीब लगेगा लेकिन सत्य है और माँ घर में लोगों के फटे कपड़े सिलकर कुछ पैसे इकट्ठे करती हैं । परिवार की रोज की दैनिक आमदनी भी सामान्य है
पूरण मल मेघवाल मेघवाल समाज की मीटिंग मे समाज बंधूओ से रूबरू होते हुवे
कई बार पूरण मल मेघवाल अपने पिता की अनुपस्थिति में घर और खेत खलीयनो का काम खुद करता ह ! कभी कुछ पैसे कमाने के लिए खेत के कर्मचारियों के साथ काम भी करते है !। लेकिन पढ़ने की चाह पूरण मल मेघवाल में शुरू से ही थी । वो रात भर जागकर पढाई करते । घर में बिजली कनेक्शन नहीं था तो लालटेन जला कर ही रात को पढाई करनी पढ़ती थी ।
अच्छी पढाई के लिए ना कोचिंग के पैसे थे और ना ही किताबें खरीदने के फिर भी पूरण मल मेघवाल जी जान से लगा रहता था । वो कभी हार ना मानने वाले लोगों में से था, अपने दोस्तों से पुरानी किताबें लेकर पढाई किया करता था । उसकी लगन के आगे आखिर किस्मत को झुकना ही पड़ा और पूरण ने वो उपलब्धि हासिल की जिसका लाखों भारतीय छात्र सपना देखते हैं । आज पूरण मल मेघवाल नागौर के जिला परिषद सदस्य है !और राजस्थान मे राजनीति के साथ साथ गरीबो की सेवा कर रहे हैं ।
तो मित्रों , सफलता कोई एक रात का खेल नहीं है जो पलक झपकते किस्मत बदल जाएगी , आपको कठिन मेहनत करनी होगी खुद को संघर्ष रूपी आग में तपाना होगा, फिर देखिये दुनिया आपके कदमों में झुक जाएगी :- नवरत्न मन्डुसिया की कलम से
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