विनोद की चाहत इंजीनियरिंग
भवानीमंडी के संस्कार भारती निकेतन स्कूल में पढऩे वाला विनोद मेघवाल भी इंजीनियर ही बनना चाहता है। वह जिला मैरिट मेें तीसरा स्थान प्राप्त करने की अपनी उपलब्धि का श्रेय गुरुजनों और माता पिता को देता है। विनोद ने बताया कि रोजाना स्कूल के अलावा घर पर करीब 5 से 6 घंटे पढ़ाई करता था। घर में उसे पढ़ाई के लिए एकाग्रता का पूरा माहौल मिला। विनोद के पिताजी रामप्रसाद ने बताया कि वह शुरू से ही पढऩे में तेज था। 10वीं की परीक्षा में उसने जिले में अव्वल स्थान हासिल किया था।
सफलता की पूरी थी उम्मीद
स्कूल के अलावा घर पर नियमित पांच से छह घंटे अध्ययन करता था। स्कूल में पढ़ाई का बेहतर माहौल होने और गुरुजनों का पूरा सहयोग मिलने का ही परिणाम रहा कि मैरिट में तीसरा स्थान हासिल हो सका। घर पर भी माता और पिताजी ने भी बेहतर से बेहतर अंक हासिल करने के लिए शुरू से प्रेरित किया। अब आगे चलकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का इरादा है। विज्ञान विषय में हर विषय को पूरी तन्मयता के साथ पढऩे के साथ ही अच्छा माहौल मिलने से भी हौंसला बढ़ा। मैरिट में आने की पूरी उम्मीद थी।
भवानीमंडी के संस्कार भारती निकेतन स्कूल में पढऩे वाला विनोद मेघवाल भी इंजीनियर ही बनना चाहता है। वह जिला मैरिट मेें तीसरा स्थान प्राप्त करने की अपनी उपलब्धि का श्रेय गुरुजनों और माता पिता को देता है। विनोद ने बताया कि रोजाना स्कूल के अलावा घर पर करीब 5 से 6 घंटे पढ़ाई करता था। घर में उसे पढ़ाई के लिए एकाग्रता का पूरा माहौल मिला। विनोद के पिताजी रामप्रसाद ने बताया कि वह शुरू से ही पढऩे में तेज था। 10वीं की परीक्षा में उसने जिले में अव्वल स्थान हासिल किया था।
सफलता की पूरी थी उम्मीद
स्कूल के अलावा घर पर नियमित पांच से छह घंटे अध्ययन करता था। स्कूल में पढ़ाई का बेहतर माहौल होने और गुरुजनों का पूरा सहयोग मिलने का ही परिणाम रहा कि मैरिट में तीसरा स्थान हासिल हो सका। घर पर भी माता और पिताजी ने भी बेहतर से बेहतर अंक हासिल करने के लिए शुरू से प्रेरित किया। अब आगे चलकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का इरादा है। विज्ञान विषय में हर विषय को पूरी तन्मयता के साथ पढऩे के साथ ही अच्छा माहौल मिलने से भी हौंसला बढ़ा। मैरिट में आने की पूरी उम्मीद थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें