सद्गुरु श्री गरीब साहेब का जन्म ९ मार्च, १९७१३ को भोजपुरा ( जयपुर) में हुआ. इनकी प्रतिभा बचपन में ही मुखर होने लगी थी. अदम्य साहस और तीव्र बुद्धि के कारण सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध एक चेतना जागृत में अपना जीवन अर्पित किया. साहेब का दर्शन कबीर से प्रभावित रहा. इन्होने "बीजक" का गहन अध्ययन कर उसे आत्मसात किया. इन्होने कई कृतियाँ लिखी, इनकी मुख्य कृति "ज़िन्दबोध प्रकाश" है, जो जन मानस में ज्ञान और प्रेरणा का स्त्रोत है.
" है ताको जाने नहीं, तासो विमुख होय !
नाहीं को जाना चाहे,नास्तिक कहिये होय !!".........गरीब साहेब
" है ताको जाने नहीं, तासो विमुख होय !
नाहीं को जाना चाहे,नास्तिक कहिये होय !!".........गरीब साहेब
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