मेघवंश इतिहास
भारतवर्ष के सभ्यता इतिहास में पुरातन सभ्यताऐं सिन्धु घाटी, मोहनजोदडो जैसी सम्पन्न सभ्यताओं के पुरातन प्राप्त अवशेषों एवं भारत के कई प्राचीन ऋषि ग्रंथों में मेघवाल समाज की उत्पत्ति एवं उन्नति की जानकारीयां मिली हैं. साथ ही समाज के प्रात: स्मरणीय स्वामी गोकुलदास जी द्वारा सदग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भी समाज के सृजनहार ऋषि मेघ का विवरण ज्ञात हुआ है. मेघवाल इतिहास गौरवशाली ऋषि परम्पराओं वाला तथा शासकीय स्वरूप वाला रहा है. मेघऋषि का इतिहास भारत के उत्तर-पश्चिमी भूभाग की सरसब्ज सिन्धुघाटी सभ्यता के शासक एवं धर्म संस्थापक के रूप में रहा है जो प्राचीनकाल में वस्त्र उद्दोग, कांस्यकला तथा स्थापत्यकला का विकसित केन्द्र रहा था. संसार में सभ्यता के सूत्रधार स्वरूप वस्त्र निर्माण की शुरू आत भगवान मेघ की प्रेरणा से स्वयं भगवान शिव द्वारा ऋषि मेघ के जरिये कपास का बिजारोपण करवाकर कपास की खेती विकसित करवाई गयी थी. जो समस्त विश्व की सभ्यताओं के विकास का आधार बना. समस्त उत्तर-पश्चिमी भूभाग पर मेघऋषि के अनुयायियों एवं वंशजों का साम्राज्य था. जिसमें लोगों का प्रजातांत्रिक तरीके से विकास हुआ था जहां पर मानवमात्र एकसमान था. लेकिन भारत में कई विदेशी कबीले आये जिनमें आर्य भी एक थे, उन्होंने अपनी चतुराई एवं बाहुबल से इन बसे हुये लोगों को खंडित कर दिया तथा उन लोगों क|
सम्पूर्ण भारत में बिखर जाने लिये विवस कर दिया. चूंकि आर्य समुदाय शासक के रूप में एवं सभी संसाधनों के स्वामी के रूप में यहां स्थापित हो चुके थे उन्होंने अपने वर्णाश्रम एवं ब्राह्मणी संस्कृति को यहां थोप दिया था. ऐसी हालत में उनसे हारे हुये मेघऋषि के वंशजों को आर्यों द्वारा नीचा दर्जा दिया गया. जिसमें आज के वर्तमान के सभी आदिवासी, दलित एवं पिछडे लोग शामिल थेभारत में स्थापित आर्य सभ्यता वालों ने यहां पर अपने अनुकुल धर्म, परमपरायें एवं नियम, रिवाज आदि कायम कर दिये थे जिनमें श्रम सम्बन्धि कठिन काम पूर्व में बसे हुये लोगों पर थोपकर उनसे निम्नता का व्यवहार किया जाना शुरू कर दिया था तथा उन्हें पुराने काल के राक्षस, नाग, असुर, अनार्य, दैत्य आदि कहकर उनकी छवि को खराब किया गया. इन समूहों के राजाओं के धर्म को अधर्म कहा गया था. इस प्रकार इतिहास के अंशों को देखकर मेघऋषि के वंशजों को अपना गौरवशाली अतीत पर गौरवान्वित होना चाहिये तथा वर्तमान व्यवस्था में ब्राह्मणवादी संस्कृति के थोपी हुई मान्यताओं को नकारते हुये कलियुग में भगवान रामदेव एवं बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के बताये आदर्शों पर अमल करते हुये अपने अधिकार प्राप्त करने चाहिये. समाज में मेघवंश को सबल बनाने के लिये स्वामी गोकुलदासजी महाराज, गरीबदास जी महाराज जैसे संत हुये हैं जिन्होंने मेघवाल समाज के गौरव को भारत के प्राचीन ग्रंथों से समाज की उत्पत्ति एवं विकास का स्वरूप उजागर कर हमें हमारा गौरवशाली अतीत बताया है. तथा हमें निम्नता एवं कुरीतियों का त्याग कर सत कर्मों की ओर बड़ने का मार्ग दिखाया है. मेघवंश इतिहास :- मेघजाति की उत्पत्ति एवं निकास की खोज स्वामी गोकुलदासजी महाराज डूमाडा (अजमेर) ने अपनी खोज एवं लेखन के जरिये मेघवाल समाज की सेवा में प्रस्तुत की है जो इस प्रकार है; सृष्टि के आदि में श्रीनारायण के नाभिकमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा ने सृष्टि रचाने की इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सन्तकुमार इन चार ऋषियों को उत्पन्न किया लेकिन ये चारों नैष्टिक ब्रह्मचारी रहे फिर ब्रह्मा ने दस मानसी पुत्रों को उत्पन्न किया. मरीचि, अत्रि अंगिरा, पुलस्त्व, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिष्ट, दक्ष, और नारद. ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो खण्ड करके दाहिने भाग से स्वायम्भुव मनु (पुरूष) और बाम भाग से स्तरूपा (स्त्री) को उत्पन्न करके मैथुनी सृष्टि आरम्भ की. स्वायम्भु मनु स्तरुपा से 2 पुत्र - उत्तानपाद और प्रियव्रत तथा 3 कन्याऐं आकुति, प्रसूति, देवहूति उत्पन्न हुई. स्वायम्भु मनु की पुत्री आकुति का विवाह रूचिनाम ऋषि से, प्रसूति का दक्ष प्रजापति से और देवहुति का कर्दम ऋषि से कर दिया. कर्दम ऋषि के कपिल मुनि पैदा हुये जिन्होंने सांख्य शास्त्र बनाया. कर्दम ऋषि के 9 कन्याऐं हुई जिनका विवाह: कला का मरीचि से, अनुसूया का अत्रि से, श्रद्धा का अंगिरा ऋषि से, हवि का पुलस्त्य ऋषि से, गति का पुलह से, योग का क्रतु से, ख्याति का भृगु से, अरुन्धति का वशिष्ट से और शांति का अर्थवन से कर दिया. ब्रह्माजी के पुत्र वशिष्ट ऋषि की अरुन्धति नामक स्त्री से मेघ, शक्ति आदि 100 पुत्र उत्पन्न हुये. इस प्रकार ब्रह्माजी के पौत्र मेघ ऋषि से मेघवंश चला. वशिष्ट ऋषि का वंश सूर्यवंश माना जाता है. ब्रह्माजी के जिन दस मानसी पुत्रों का वर्णन पीछे किया गया है उन ऋषियों से उन्हीं के नामानुसार गौत्र चालू हुये जो अब तक चले आ रहे हैं. ब्रह्माजी के ये पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र ही गुण कर्मानुसार चारों वर्णों में विभाजित हुये| श्रीमदभागवत में एक कथा आती है कि मान्धाता के वंश में त्रिशंकु नामक एक राजा हुये, वह सदेह स्वर्ग जाने के लिये यज्ञ की इच्छा करके महर्षि वशिष्ट के पास गये और इस प्रकार यज्ञ करने के लिये कहा. वशिष्टजी ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि मुझे ऐसा यज्ञ कराना नहीं आता. यह सुनकर वह वशिष्टजी के 100 पुत्रों के पास जाकर उनसे यज्ञ करने को कहा. तब उन्होंने उस राजा त्रिशंकु को श्राप दिया कि तू हमारे गुरू का वचन झूंठा समझकर हमारे पास आया है इसलिये तू चांडाल हो जायेगा, वह चांडाल हो गया. फिर वह ऋषि विश्वामित्र के पास गया, विश्वामित्र ने उसकी चांडाल हालत देखकर कहा कि हे राजा तेरी यह दशा कैसे हुई. त्रिशंक ने अपना सारा वृतान्त कह सुनाया. विश्वामित्र उसका यह वृतान्त सुनकर अत्यन्त क्रोधित हुये और उसका वह यज्ञ कराने की स्वीकृति दे दी विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु के यज्ञ में समस्त ब्राह्मणों को आमंत्रण किया मगर वशिष्ट ऋषि और उनके 100 पुत्र यज्ञ में सम्मिलित नहीं हुये. इस पर विश्वामित्र ने उनको श्राप दिया कि तुम शूद्रत्व को प्राप्त हो जावो. उनके श्राप से वशिष्ट ऋषि की सन्तान मेघ आदि 100 पुत्र शूद्रत्व को प्राप्त हो गये|
Mehvansh History
Indus Valley civilization in the history of India ancient Sshhytऐan, Mohanjoddo ancient civilizations like the rich get the remains and ancient sage of India, many texts have been found Jankahariyon Meghwal social origin and advancement. Society as well as morning memorable live by owner Goculdas Sadgrnthoan based on information from the one who created the society has known the details of cloud sage. The glorious history and traditions Meghwal sage is the official format. Mehऋhay north of India's history - the ruler of the western territory of the Sarsbg Sinrdhuhatie civilization and religion which in antiquity as the founder's Clothing Bottling, Kansiklah and architecture of the center was developed. Anchor format beginning of civilization in the world textile manufacturing Ah the inspiration of God, cloud sage cloud by Lord Shiva himself by getting through the cotton Biazaropn develop cotton cultivation was arranged. Which form the basis for the development of all world civilizations. All north - western territory of the empire was on the Mehऋhay followers and descendants. The democratic way in which people had grown where Amanwamatr was identical. But which Aryans came to India, many foreign clan was also, he settled in with his cleverness and muscle power was fragmented and people find them a |
Aivss for the whole of India to be scattered. As ruler of the Aryan community and all the resources had been established here as the owner and his Warahnashram Brahmani culture was imposed here. Mehऋhay find her lost in such a situation by the descendants of the Aryans were inferior status. In which all of today's current tribal, Dalit and backward people Theaarat including those established in the Aryan civilization favorable religion on here, Parmparayaean and rules, customs, etc. were given to maintain better than working hard labor in which people find previously settled Thopakar lows them began to be treated and the old time monster, snake, demon, Anary, monster, etc., saying his reputation was bad. Kings of the groups were asked the religion of wrongdoing. Looking at the types of degrees of history Mehऋhay should be proud descendants of their glorious past and the present system was imposed beliefs deny the Brahminical culture and Babasaheb Bhimrao Ambedkar Ramdev find God in Kaliyuga ideals set forth the find to execute their rights want to. To make a strong society Mehvansh Gokuladassji owner chef, who find Ghariebadass Maharaj Sant Meghwal community pride as India's ancient texts reveal the nature of the society's origin and development have told us our glorious past. And lows and we sacrificed Kuretioan St. deeds have shown the way toward Brne. Mehvansh History: - Mehzati find the origin and drainage master chef Gokuladassji Duamada (Ajmer) Meghwal through its search and writing in the service of society is presented as follows; of creation etc. of Srinarayan Nbhikamal Brahma, Brahma the creation by the will of Archane craze, Snanadan, eternal, Ssntkumar these four sages are generated but then the four Nashtika Brahmachari Brahma generated ten Mansi sons. Marechi, Atri Aangira, Pulasta, Pualah, Krtu, Hrgu, Ashisht, efficient, and Narada. Brahma the right part of your body by two bays Aswayamhuv Manu (male) and part balm Astrup (female) by generating the creation Methuni launched. Manu Aswayambhu Astrupo 2 sons - and 3 Kaneyaऐan Akuti Utthanpead and Priywarat, maternity, Deohuti occurred. Aswayambhu Akuti married the daughter of Manu Ruacinam sage, the efficient delivery of the Creator and Deohuti sage has Kardam. Kardam sage Kapil Muni who find creating digital made scripture. Kardam sage whose marriage was Kaneyaऐan 9: Art of Marechi, Anusuaya from the Atri, sage Aangira of trust, the Pulasty Ahavi sage, the speed of Pualah yoga Krtu, the reputation of Hrgu, by Arundhati Ashisht of and peace be with Arthven. Brahmaji woman's son called Arundhati Ashisht cloud of sage, power, etc. 100 son occurred. Thus, cloud sage's grandson Brahmaji run Mehvansh. Ashisht Suryvansh considered descendants of the sage. Description of the ten sons of Brahmaji Mansi is back from the sages who find them on the Neamanusar Gutr are still standing. These Brahmaji son, grandson and great-grandson Karmaanusar the property divided into four characters find | Shrimedhagwat comes a story that hung dynasty, a king of Mandhaato find, by the desire to sacrifice for the material to Heaven went to Maharishi and Ashisht thus asked to sacrifice. Ashishtji refused by saying that I do not like to sacrifice it. The hearing of the Ashishtji 100 sons to sacrifice to go and told him. Then he cursed the king hung Zwantha mistaking the word that you come to us is our teacher so you will be Chandaal, he was Chandaal. Then he went to sage Vishwamitra, Vishwamitra saw her Chandaal condition that state how it was your king. Trishank narrated his whole episode saying. Vishwamitra her very angry to hear this episode and find it to make the sacrifice Vishwamitra approved at the sacrifice of King Hung has invited all the Brahmins and their 100 sons sacrifice but not included in the Wiseman Ashisht other. By the Vishwamitra cursed them get to you Zavo Ashudratav. Descendants of the sage cursed him Ashisht cloud, etc. to achieve the 100 sons Ashudratav |
भारतवर्ष के सभ्यता इतिहास में पुरातन सभ्यताऐं सिन्धु घाटी, मोहनजोदडो जैसी सम्पन्न सभ्यताओं के पुरातन प्राप्त अवशेषों एवं भारत के कई प्राचीन ऋषि ग्रंथों में मेघवाल समाज की उत्पत्ति एवं उन्नति की जानकारीयां मिली हैं. साथ ही समाज के प्रात: स्मरणीय स्वामी गोकुलदास जी द्वारा सदग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भी समाज के सृजनहार ऋषि मेघ का विवरण ज्ञात हुआ है. मेघवाल इतिहास गौरवशाली ऋषि परम्पराओं वाला तथा शासकीय स्वरूप वाला रहा है. मेघऋषि का इतिहास भारत के उत्तर-पश्चिमी भूभाग की सरसब्ज सिन्धुघाटी सभ्यता के शासक एवं धर्म संस्थापक के रूप में रहा है जो प्राचीनकाल में वस्त्र उद्दोग, कांस्यकला तथा स्थापत्यकला का विकसित केन्द्र रहा था. संसार में सभ्यता के सूत्रधार स्वरूप वस्त्र निर्माण की शुरू आत भगवान मेघ की प्रेरणा से स्वयं भगवान शिव द्वारा ऋषि मेघ के जरिये कपास का बिजारोपण करवाकर कपास की खेती विकसित करवाई गयी थी. जो समस्त विश्व की सभ्यताओं के विकास का आधार बना. समस्त उत्तर-पश्चिमी भूभाग पर मेघऋषि के अनुयायियों एवं वंशजों का साम्राज्य था. जिसमें लोगों का प्रजातांत्रिक तरीके से विकास हुआ था जहां पर मानवमात्र एकसमान था. लेकिन भारत में कई विदेशी कबीले आये जिनमें आर्य भी एक थे, उन्होंने अपनी चतुराई एवं बाहुबल से इन बसे हुये लोगों को खंडित कर दिया तथा उन लोगों क|
सम्पूर्ण भारत में बिखर जाने लिये विवस कर दिया. चूंकि आर्य समुदाय शासक के रूप में एवं सभी संसाधनों के स्वामी के रूप में यहां स्थापित हो चुके थे उन्होंने अपने वर्णाश्रम एवं ब्राह्मणी संस्कृति को यहां थोप दिया था. ऐसी हालत में उनसे हारे हुये मेघऋषि के वंशजों को आर्यों द्वारा नीचा दर्जा दिया गया. जिसमें आज के वर्तमान के सभी आदिवासी, दलित एवं पिछडे लोग शामिल थेभारत में स्थापित आर्य सभ्यता वालों ने यहां पर अपने अनुकुल धर्म, परमपरायें एवं नियम, रिवाज आदि कायम कर दिये थे जिनमें श्रम सम्बन्धि कठिन काम पूर्व में बसे हुये लोगों पर थोपकर उनसे निम्नता का व्यवहार किया जाना शुरू कर दिया था तथा उन्हें पुराने काल के राक्षस, नाग, असुर, अनार्य, दैत्य आदि कहकर उनकी छवि को खराब किया गया. इन समूहों के राजाओं के धर्म को अधर्म कहा गया था. इस प्रकार इतिहास के अंशों को देखकर मेघऋषि के वंशजों को अपना गौरवशाली अतीत पर गौरवान्वित होना चाहिये तथा वर्तमान व्यवस्था में ब्राह्मणवादी संस्कृति के थोपी हुई मान्यताओं को नकारते हुये कलियुग में भगवान रामदेव एवं बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के बताये आदर्शों पर अमल करते हुये अपने अधिकार प्राप्त करने चाहिये. समाज में मेघवंश को सबल बनाने के लिये स्वामी गोकुलदासजी महाराज, गरीबदास जी महाराज जैसे संत हुये हैं जिन्होंने मेघवाल समाज के गौरव को भारत के प्राचीन ग्रंथों से समाज की उत्पत्ति एवं विकास का स्वरूप उजागर कर हमें हमारा गौरवशाली अतीत बताया है. तथा हमें निम्नता एवं कुरीतियों का त्याग कर सत कर्मों की ओर बड़ने का मार्ग दिखाया है. मेघवंश इतिहास :- मेघजाति की उत्पत्ति एवं निकास की खोज स्वामी गोकुलदासजी महाराज डूमाडा (अजमेर) ने अपनी खोज एवं लेखन के जरिये मेघवाल समाज की सेवा में प्रस्तुत की है जो इस प्रकार है; सृष्टि के आदि में श्रीनारायण के नाभिकमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा ने सृष्टि रचाने की इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सन्तकुमार इन चार ऋषियों को उत्पन्न किया लेकिन ये चारों नैष्टिक ब्रह्मचारी रहे फिर ब्रह्मा ने दस मानसी पुत्रों को उत्पन्न किया. मरीचि, अत्रि अंगिरा, पुलस्त्व, पुलह, क्रतु, भृगु, वशिष्ट, दक्ष, और नारद. ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो खण्ड करके दाहिने भाग से स्वायम्भुव मनु (पुरूष) और बाम भाग से स्तरूपा (स्त्री) को उत्पन्न करके मैथुनी सृष्टि आरम्भ की. स्वायम्भु मनु स्तरुपा से 2 पुत्र - उत्तानपाद और प्रियव्रत तथा 3 कन्याऐं आकुति, प्रसूति, देवहूति उत्पन्न हुई. स्वायम्भु मनु की पुत्री आकुति का विवाह रूचिनाम ऋषि से, प्रसूति का दक्ष प्रजापति से और देवहुति का कर्दम ऋषि से कर दिया. कर्दम ऋषि के कपिल मुनि पैदा हुये जिन्होंने सांख्य शास्त्र बनाया. कर्दम ऋषि के 9 कन्याऐं हुई जिनका विवाह: कला का मरीचि से, अनुसूया का अत्रि से, श्रद्धा का अंगिरा ऋषि से, हवि का पुलस्त्य ऋषि से, गति का पुलह से, योग का क्रतु से, ख्याति का भृगु से, अरुन्धति का वशिष्ट से और शांति का अर्थवन से कर दिया. ब्रह्माजी के पुत्र वशिष्ट ऋषि की अरुन्धति नामक स्त्री से मेघ, शक्ति आदि 100 पुत्र उत्पन्न हुये. इस प्रकार ब्रह्माजी के पौत्र मेघ ऋषि से मेघवंश चला. वशिष्ट ऋषि का वंश सूर्यवंश माना जाता है. ब्रह्माजी के जिन दस मानसी पुत्रों का वर्णन पीछे किया गया है उन ऋषियों से उन्हीं के नामानुसार गौत्र चालू हुये जो अब तक चले आ रहे हैं. ब्रह्माजी के ये पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र ही गुण कर्मानुसार चारों वर्णों में विभाजित हुये| श्रीमदभागवत में एक कथा आती है कि मान्धाता के वंश में त्रिशंकु नामक एक राजा हुये, वह सदेह स्वर्ग जाने के लिये यज्ञ की इच्छा करके महर्षि वशिष्ट के पास गये और इस प्रकार यज्ञ करने के लिये कहा. वशिष्टजी ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि मुझे ऐसा यज्ञ कराना नहीं आता. यह सुनकर वह वशिष्टजी के 100 पुत्रों के पास जाकर उनसे यज्ञ करने को कहा. तब उन्होंने उस राजा त्रिशंकु को श्राप दिया कि तू हमारे गुरू का वचन झूंठा समझकर हमारे पास आया है इसलिये तू चांडाल हो जायेगा, वह चांडाल हो गया. फिर वह ऋषि विश्वामित्र के पास गया, विश्वामित्र ने उसकी चांडाल हालत देखकर कहा कि हे राजा तेरी यह दशा कैसे हुई. त्रिशंक ने अपना सारा वृतान्त कह सुनाया. विश्वामित्र उसका यह वृतान्त सुनकर अत्यन्त क्रोधित हुये और उसका वह यज्ञ कराने की स्वीकृति दे दी विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु के यज्ञ में समस्त ब्राह्मणों को आमंत्रण किया मगर वशिष्ट ऋषि और उनके 100 पुत्र यज्ञ में सम्मिलित नहीं हुये. इस पर विश्वामित्र ने उनको श्राप दिया कि तुम शूद्रत्व को प्राप्त हो जावो. उनके श्राप से वशिष्ट ऋषि की सन्तान मेघ आदि 100 पुत्र शूद्रत्व को प्राप्त हो गये|
Mehvansh History
Indus Valley civilization in the history of India ancient Sshhytऐan, Mohanjoddo ancient civilizations like the rich get the remains and ancient sage of India, many texts have been found Jankahariyon Meghwal social origin and advancement. Society as well as morning memorable live by owner Goculdas Sadgrnthoan based on information from the one who created the society has known the details of cloud sage. The glorious history and traditions Meghwal sage is the official format. Mehऋhay north of India's history - the ruler of the western territory of the Sarsbg Sinrdhuhatie civilization and religion which in antiquity as the founder's Clothing Bottling, Kansiklah and architecture of the center was developed. Anchor format beginning of civilization in the world textile manufacturing Ah the inspiration of God, cloud sage cloud by Lord Shiva himself by getting through the cotton Biazaropn develop cotton cultivation was arranged. Which form the basis for the development of all world civilizations. All north - western territory of the empire was on the Mehऋhay followers and descendants. The democratic way in which people had grown where Amanwamatr was identical. But which Aryans came to India, many foreign clan was also, he settled in with his cleverness and muscle power was fragmented and people find them a |
Aivss for the whole of India to be scattered. As ruler of the Aryan community and all the resources had been established here as the owner and his Warahnashram Brahmani culture was imposed here. Mehऋhay find her lost in such a situation by the descendants of the Aryans were inferior status. In which all of today's current tribal, Dalit and backward people Theaarat including those established in the Aryan civilization favorable religion on here, Parmparayaean and rules, customs, etc. were given to maintain better than working hard labor in which people find previously settled Thopakar lows them began to be treated and the old time monster, snake, demon, Anary, monster, etc., saying his reputation was bad. Kings of the groups were asked the religion of wrongdoing. Looking at the types of degrees of history Mehऋhay should be proud descendants of their glorious past and the present system was imposed beliefs deny the Brahminical culture and Babasaheb Bhimrao Ambedkar Ramdev find God in Kaliyuga ideals set forth the find to execute their rights want to. To make a strong society Mehvansh Gokuladassji owner chef, who find Ghariebadass Maharaj Sant Meghwal community pride as India's ancient texts reveal the nature of the society's origin and development have told us our glorious past. And lows and we sacrificed Kuretioan St. deeds have shown the way toward Brne. Mehvansh History: - Mehzati find the origin and drainage master chef Gokuladassji Duamada (Ajmer) Meghwal through its search and writing in the service of society is presented as follows; of creation etc. of Srinarayan Nbhikamal Brahma, Brahma the creation by the will of Archane craze, Snanadan, eternal, Ssntkumar these four sages are generated but then the four Nashtika Brahmachari Brahma generated ten Mansi sons. Marechi, Atri Aangira, Pulasta, Pualah, Krtu, Hrgu, Ashisht, efficient, and Narada. Brahma the right part of your body by two bays Aswayamhuv Manu (male) and part balm Astrup (female) by generating the creation Methuni launched. Manu Aswayambhu Astrupo 2 sons - and 3 Kaneyaऐan Akuti Utthanpead and Priywarat, maternity, Deohuti occurred. Aswayambhu Akuti married the daughter of Manu Ruacinam sage, the efficient delivery of the Creator and Deohuti sage has Kardam. Kardam sage Kapil Muni who find creating digital made scripture. Kardam sage whose marriage was Kaneyaऐan 9: Art of Marechi, Anusuaya from the Atri, sage Aangira of trust, the Pulasty Ahavi sage, the speed of Pualah yoga Krtu, the reputation of Hrgu, by Arundhati Ashisht of and peace be with Arthven. Brahmaji woman's son called Arundhati Ashisht cloud of sage, power, etc. 100 son occurred. Thus, cloud sage's grandson Brahmaji run Mehvansh. Ashisht Suryvansh considered descendants of the sage. Description of the ten sons of Brahmaji Mansi is back from the sages who find them on the Neamanusar Gutr are still standing. These Brahmaji son, grandson and great-grandson Karmaanusar the property divided into four characters find | Shrimedhagwat comes a story that hung dynasty, a king of Mandhaato find, by the desire to sacrifice for the material to Heaven went to Maharishi and Ashisht thus asked to sacrifice. Ashishtji refused by saying that I do not like to sacrifice it. The hearing of the Ashishtji 100 sons to sacrifice to go and told him. Then he cursed the king hung Zwantha mistaking the word that you come to us is our teacher so you will be Chandaal, he was Chandaal. Then he went to sage Vishwamitra, Vishwamitra saw her Chandaal condition that state how it was your king. Trishank narrated his whole episode saying. Vishwamitra her very angry to hear this episode and find it to make the sacrifice Vishwamitra approved at the sacrifice of King Hung has invited all the Brahmins and their 100 sons sacrifice but not included in the Wiseman Ashisht other. By the Vishwamitra cursed them get to you Zavo Ashudratav. Descendants of the sage cursed him Ashisht cloud, etc. to achieve the 100 sons Ashudratav |
70 टिप्पणियां:
मुझे गर्व है िक में मेघवाल समाज मे पैदा हुआ हुा
जय मेघवशी
Thanks for all megh bhrother&sister i proud of i born in meghwal community
jai bhim jai baba ri
मेघवाल समाज के बारे मैं इतनी रोचक जाकारी के लिय धन्यवाद
भारतवर्ष के सभ्यता इतिहास में पुरातन सभ्यताऐं सिन्धु घाटी, मोहनजोदडो जैसी सम्पन्न सभ्यताओं के पुरातन प्राप्त अवशेषों एवं भारत के कई प्राचीन ऋषि ग्रंथों में मेघवाल समाज की उत्पत्ति एवं उन्नति की जानकारीयां मिली हैं. साथ ही समाज के प्रात: स्मरणीय स्वामी गोकुलदास जी द्वारा सदग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर भी समाज के सृजनहार ऋषि मेघ का विवरण ज्ञात हुआ है. मेघवाल इतिहास गौरवशाली ऋषि परम्पराओं वाला तथा शासकीय स्वरूप वाला रहा REKHA RAM MEHRDA O.A. GHANDHI NAGAR WARD NO.1 SUJANGARH DIST CHURUN 331507
Thanks Meghwal cast is great Cast
thanks to giving information of our past
MY NAME KAILASH AASHRAWAT ADDRESS : 80/430, PARTAP NAGAR SANGANER JAIPUR RAJASTHAN MO. 8890981542
DEAR ALL BROTHERS I WANT TO MAKE A DIRECTORY OF OUR CAST PLEASE SUPPORT ME
MY MAIL ADDRESS IS : JAIPURHP@GMAIL.COM
MEGHWAL SAMAJ KI JANKARY KE LIY THANKS,
आप लोगो से निवेदन है की इस समाज के अन्दर सामाजिक क्रांति पैदा करो इन्कलाब पैदा करो तभी बाबा साहेब के सपनो को पूरा किया जा सकता है
जो भरा नहीं है भावो से , बहती जिसमे रसधार नहीं !
वो दलित नहीं मनुवादी है , जिनको जय भीम से प्यार नहीं !!
जय भीम जय कांशीराम नमोह बुद्धाय
Er.Dalpat Gulsar
जय भीम!!!!!!!!
नमोह बुद्धाय!!!!!!
जय मेघवशी!!!!!!
जो भरा नहीं है भावो से , बहती जिसमे रसधार नहीं !
वो मेघवशी नहीं मनुवादी है , जिनको जय भीम से प्यार नहीं !!
Er.Dalpat Gulsar
Jai Bhim
Jai Megh
Jai bhim jai Bharat
Meghwal samaz me unity ke liye bi kuch karna chahiye jai bhim jai bharat
meghwal samj hi ek rajwansh hai lekin iski unnati hm par nirdharit hai ki ham isko age badhaye shikshit or swalambi banaye
Me megh rishi or meghvar samaj keep bare me pustak likh raja hu please Mike Sahity keep roop me madad late. Mob.09624118686
Jai Bheem
Jai Mulniwasi
मेघवाल समाज की इतनी अच्छी जानकारी उपलब्ध कराने के लिये आपको कोटि कोटि धन्यवाद
Jai bheem bhahiyon
jai bheem
i am belong to meghwal caste..........i proud..
Meghwal samaj jinda baad . Muje apani caste pr grav hai.
Jai bheem
Mujhe meghwal hone ka Garv h
Great samaj Meghwal samaj....
Proud to be a MEGHVANSH EK RAJVANSH
Best Samaj is Meghwal Samaj
sabhi meghwansi bhaiyo aur behano ko namaskar
Jai Bheem, Jai Bharat,
Thank you very very much for providing so much knowledge about Meghwal Samaj.
Muje Garv he ki me is sammaj ka beta hu Thanks Meghwal Sammaj
Dharmesh meghwal {Chittorgarh} Raj
Jai bheem
jay bhim jay bharat
Great History shared by you....Keep it up !
Admin aapne sab kuch sahi btaya lekin ye galat add kiya hua hai ki Aryan Bhar Se aaye The. Ab Mujhe Ye Btao Ki Kya Prabhu Shri Ram Bhar Se aaye the, Shri Krishna Kya Bhar se aaye the. Aryan Log Yhi ke Bharat ke Moolniwasi the. Or Hum Sab Aryans hi Hai.
http://incomeday.xyz/share.php?uid=346840
Jai Bhim all
Jai Bhim all
jay bhim
jay meghwanshi bhai
jay meghwanshi bhai
jay ho
Thanks for providing such an interesting history about MEGHWAL...... Proud to be a part of MEGHWAL samaj......
Ramesh kumar megwal gogra dist pali raj.9828097567
muje garv h ki me megwal hu jay bhim
jai megh sena
me meghwal hu jo ki muje baht khushi hai aal word me meghwal ka nam hai
Vinod solera
dis. jhunjhunu Rajasthan
muje Garv ha ki me meghwal hu
jai bhim
jai megweans
सभी लोगो का तहदील से धन्यवाद
आपका अपना नवरत्न मन्डुसिया
जय भीम
मेरा मेघवाल समाज मे जन्म हुआ मुझे गर्व है plz sir add Jay meghwal Jay ravidas Jai megh Jay bhim 9610286996whatasapp group se
मेरा मेघवाल समाज मे जन्म हुआ मुझे गर्व है plz sir add Jay meghwal Jay ravidas Jai megh Jay bhim 9610286996whatasapp group se
KAMI SEKELUARGA MENGUCAPKAN BANYAK TERIMA KASIH ATAS BANTUANNYA MBAH , NOMOR YANG MBAH BERIKAN/ 4D SGP& HK SAYA DAPAT (350) JUTA ALHAMDULILLAH TEMBUS, SELURUH HUTANG2 SAYA SUDAH SAYA LUNAS DAN KAMI BISAH USAHA LAGI. JIKA ANDA INGIN SEPERTI SAYA HUB MBAH_PURO _085_342_734_904_ terima kasih.
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Muje pehle bahut dukh huaa krta tha ki,me hu to meghwal but muje apne vans ki history nhi malum ....
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Lekin ab muje is baat ki khusi hai ki me itne purane ""Vans"" ka ek part hu ,muje ab grv hai ki me ek meghwal(megvnsi)hu ..
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Ye jaankari ke liye bahut bahut dhanywad💐💐💐💐👌👌👌👌👍👍👍👍👍👍..
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Jai hind .🇮🇳🇮🇳🇮🇳.....jai meghwvans🎂🎂💐💐💐💐💐💐💐
मेरा मेघवाल समाज मे जन्म हुआ मुझे गर्व है बलवंत लवानिया
Muje Garv he ki me is sammaj ka beta hu Thanks Meghwal Sammaj टिंकु लवानिया गाव खलीलपुरी तह तिजारा R.K DIGITAL STUDIO TIJARA 9610278047
Thanks for this information our meghwal bro
Jay bhim
Jay bhim
जय भीम jai bhim
Moolchand bhati meghwal village rodoo , ladnun,nagour,
Rajasthan india +919166540850
Jai bhim bhai
Nice
जय भीम jai bhim
बहुत बहुत आभार
जय भीम जय भारत
Jay bhim
CHUTIYE TO DUNIYA JANTI HE HUME ITIHAS BTA REHE HO
jai bhim
धन्यवाद साहब जानकारी देने के लिए जय भीम जय भारत
Ramchandra parihar
9660787208
I am RAMESH CHANDER MEWTA (MEGHWAL) DILAWARPUR. JHUNJHUNU.RAJASTHAN.
mujhe is samaj me paida hoke bahut hi sakun mila h or me hamesha kamna karta hu ki age agar mera kab bhi janm ho to isi samaj me ho
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